Tuesday, 22 August 2023

मनमानी गिरफ्तारी, सम्पत्ति गिराने पर राहत

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़ ने कहा है कि मनमाने ढंग से गिरफ्तार किए गए लोगों या सम्पत्ति को गिराए जाने या गैर-कानूनी तरीके से अटैक किए जाने जैसी कार्रवाईं में न्यायिक व्यवस्था में राहत मिलनी चाहिए। गत मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की वास्तविक ताकत यही है कि उस तक आम आदमी की सरल पहुंच है। सीजेआईं ने कहा कि अदालतें जीवन और आजादी के लिए संरक्षण हासिल करने की सुरक्षित लोकतांत्रिक जगह है। उनकी टिप्पणी को हाल के दिनों में आरोपियों या उनके परिवारों के मकान आदि सम्पत्ति को अवैध घोषित कर गिराने की कार्रवाइयों के सिलसिले में देखा जा रहा है। सीजेआईं ने कहा—न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को खत्म करना है। साथ ही कहा कि अदालतों की कार्यंक्षमता इस बात पर निर्धारित होती है कि वह संवैधानिक कर्तव्य का कितना प्राभावी ढंग से जवाब दे सकते हैं। अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच पर जोर देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा—जब मैं भविष्य की ओर देखता हूं, मेरा मानना है कि भारतीय न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को खत्म करना है। उन्होंने कहा—हमें उन बाधाओं को दूर करके प्राव््िरायात्मक रूप से न्याय तक पहुंच बढ़ानी होगी जो नागरिकों को अदालतों में जाने से रोकता है, हमारे पास यह सुनिाित करने के लिए रोड मैप है कि भविष्य की भारतीय न्यायपालिका समावेशी हो और कतार के अंत में खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। सीजेआईं चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट की विस्तार योजना के बारे भी बताया। इसके तहत 27 अतिरिक्त अदालतों, 57 न्यायाधीशों के कक्ष, चार रजिस्ट्रार के कक्ष, 16 सब-रजिस्ट्रार कक्ष और वकीलों और वादियों के लिए अन्य आवश्यक सुविधाओं को समायोजित करने के लिए एक, नईं इमारत शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की कार्यंप्राणाली में कईं तकनीकी बदलावों को शामिल करने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा—न्यायिक प्राव््िरायाओं से जुड़ी अक्षमता और अस्पष्टता को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी हमारे पास सबसे अच्छा उपकरण है। उन्होंने कहा—हम न्याय में प्राव््िरायात्मक बाधाओं को दूर करने के लिए टेक्नोलॉजी की पूरी क्षमता का उपयोग करना होगा। साथ ही बताया कि इसके लिए ईं-कोर्ट परियोजना का, तीसरा चरण लागू हो रहा है। जल्दी ही न्यायिक निर्णय लेने में रूढ़िवादिता से निपटने के लिए एक हैंडबुक जारी होगी। ——अनिल नरेन्द्र

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