Tuesday, 22 August 2023

संविधान बदलने पर छिड़ा विवाद

प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईंएएसी) के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने एक अखबार में भारत के लिए नए संविधान की मांग करते हुए लिखा था। इस लेख पर विवाद बढ़ा तो प्राधानमंत्री पैनल से सफाईं पेश करते हुए खुद को और वेंद्र सरकार को इससे अलग कर लिया। ईंएएसी-पीएम ने सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण देते हुए लिखा—डॉ. विवेक देबरॉय का हालिया लेख उनकी व्यक्तिगत राय थी, वो किसी भी तरह से ईंएएसी या भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाता। ईंएएसी-पीएम भारत सरकार खासकर प्राधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए गठित की गईं बॉडी है। इसमें उन्होंने लिखा था—अब हमारे पास वह संविधान नहीं है जो हमें 1950 में विरासत में मिला था। इसमें संशोधन किए जाते हैं और हर ब ार वो बेहतरी के लिए नहीं होते, हालांकि 1973 से हमें बताया गया कि इसकी बुनियादी संरचना को बदला नहीं जा सकता है। भले ही संसद के माध्यम से लोकतंत्र वुछ भी चाहता हो, जहां तक मैं इसे समझता हूं, 1973 का निर्णय मौजूदा संविधान में संशोधन पर लागू होता है, मगर नया संविधान होगा तो यह विषय उस पर लागू नहीं होगा। देबरॉय ने एक स्टडी के हवाले से बताया कि लिखित संविधान का जीवनकाल महज 17 साल होता है। भारत के वर्तमान संविधान को औपनिवेशक विरासत बताते हुए उन्होंने लिखा—हमारा वर्तमान संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। इसका मतलब है कि यह एक औपनिवेशक विरासत है। मुझे लगता है कि हमें संविधान पर दोबारा विचार करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह विवादास्पद है क्योंकि समय-समय पर दुनिया का हर देश संविधान पर पुनर्विचार करता है। हमने ऐसा संशोधन के जरिये किया है। देबरॉय के इस लेख की आलोचना की जा रही है। कईं नेता और सांसद इस पर प्रातिव््िराया दे रहे हैं। लालू प्रासाद यादव ने भी इस लेख पर कहा है कि क्या यह सब वुछ पीएम की मजा से हो रहा है। ट्विटर पर लिखा—प्राधानमंत्री मोदी का कोईं आर्थिक सलाहकार है बिबेक देबरॉय। वह बाबा साहेब के संविधान की जगह नया संविधान बनाने की वकालत कर रहा है। क्या प्राधानमंत्री की मजा से यह सब कहा और लिखा जा रहा है? सीपीएम सांसद जॉन विटॉस लिखते हैं कि विवेक देबरॉय नया संविधान चाहते हैं। उनकी मुख्य समस्या संविधान के बुनियादी ढांचे में दर्ज समाजवादी, सेक्युलर, लोकतांत्रिक जैसे शब्दों से है। हकीकत में वह हिन्दू राष्ट्र की वकालत करते हैं। अगर उन्होंने इसे निजी हैसियत से लिखा है तो अपना पद लेखक के साथ क्यों लिखा? साल 2017 में तत्कालीन वेंद्रीय राज्यमंत्री अनंत हेगड़े ने भी संविधान बदलने को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा संविधान बदलने के लिए सत्ता में आईं है और निकट भविष्य में ऐसा किया जाएगा। हम यहां संविधान को बदलने के लिए आए हैं। हम इसे बदल देंगे।

No comments:

Post a Comment