Sunday, 13 August 2023

चुनाव आयोग को कठपुतली बनाने की कोशिश

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईंसी) और अन्य आयुक्तों (ईंसी) की नियुक्ति के लिए बने पैनल में अहम बदलाव से जुड़ा एक विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। बिल के मुताबिक सभी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्राधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और वैबिनेट मंत्री का तीन सदस्यीय पैनल करेगा। कानून के प्राभाव में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैंच द्वारा दो मार्च, 2023 को दिया गया वह पैसला खारिज हो जाएगा जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्राधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर की जाएगी। तब कोर्ट ने साफ कहा था कि यह पैसला तब तक प्राभावी रहेगा, जब तक आयुक्तों की नियुक्ति वाला कानून नहीं बन जाता। इसीलिए सरकार ने पैसले के पांच महीने बाद कानून बनाने की पहल कर दी है। प्रास्तावित बिल के माध्यम से सियासी टकराव का एक और रास्ता खुल गया है। संसद के इसी सत्र में संसद ने दिल्ली ऑर्डिनेंस से जुड़ा बिल पास किया गया जिस पर विपक्ष का कहना था कि वेंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश जबरन पलट रही है। अब अगले वुछ दिनों में इस पर भी राजनीति तेज होगी। हालांकि सरकार का तर्व है कि चाहे दिल्ली से जुड़ा बिल हो या चुनाव आयोग में बदलाव वाला बिल, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही काम कर रही है। सरकार का तर्व है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह मानदंड तब तक प्राभावी रहेगा, जब तक कि इस मुद्दे पर संसद में कोईं कानून नहीं बन जाता। हालांकि अगर कानून पास होता है तो इसकी कानूनी समीक्षा का भी रास्ता खुल सकता है। विपक्ष ने गुरुवार को प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव निकाय को प्राधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रायास है। आम आदमी पाटा (आप) ने कहा की पीएम भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और नियुक्त होने वाले चुनाव आयुक्त भाजपा के प्राति बफादार होंगे। वहीं तृणमूल कांग्रोस ने आरोप लगाया कि यह 2024 के चुनाव में धांधली की दिशा में एक स्पष्ट कदम है। कांग्रोस नेताओं ने सवाल किया, इसका मकसद चुनाव आयोग को अपनी कठपुतली बनाना है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने हमेशा कहा है कि मौजूदा वेंद्र सरकार हमेशा कोर्ट के ऐसे किसी भी आदेश को पलट देगी जो उसे पसंद नहीं आएगा। यह एक खतरनाक स्थिति है और इससे चुनाव की निष्पक्षता प्राभावित हो सकती है। तृणमूल कांग्रोस के राष्ट्रीय प्रावक्ता साकेत गोखले ने कहा कि भाजपा 2024 के चुनावों के लिए धांधली कर रही है। ईंसी की पूरी ताकत वेंद्र के हाथ में आ जाएगी क्योंकि पैनल में सरकार के दो सदस्य होंगे। ——अनिल नरेन्द्र

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