Tuesday, 8 August 2023
संसद में एक बार फिर दहाड़ेगा शेर
राहुल गांधी को संसद का दर्जा फिर मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुव््रावार को मोदी उपनाम वाली टिप्पणी पर मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। कांग्रोस ने कहा कि कोईं भी ताकत लोगों की आवाज को चुप नहीं करा सकती। यह नफरत पर प्यार की जीत है। सत्यमेव जयते—जय हिन्द। प््िरायंका गांधी ने पैसले की सराहना करते हुए भगवान बुद्ध की एक बात उद्धृत की। तीन चीजें लंबे समय तक छिपी नहीं रह सकतीं—सूर्यं, चंद्रमा और सत्य-गौतम बुद्ध। हम सुप्रीम कोर्ट के पैसले का तहेदिल से स्वागत करते हैं, संसद में एक बार फिर दहाड़ेगा शेर। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवईं, जिन्होंने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने वाली पीठ का नेतृत्व किया, ने सुनवाईं के दौरान कहा कि उन्हें हाल में गुजरात की अदालतों के पैसले दिलचस्प देखने को मिले। इसी तरह हाईं कोर्ट की सिगल बैंच का 125 पेज का पैसला है। इसमें हाईं कोर्ट ने याची (राहुल) की सजा पर रोक लगाने से इंकार किया और सांसद के तौर पर उनके आचरण के बारे में तो काफी नसीहतें दीं, लेकिन अधिकतम सजा देने के किसी भी कारण का उल्लेख नहीं किया। कोर्ट ने यह भी कहा—इसमें कोईं शक नहीं है कि उनका (राहुल गांधी) लहजा अच्छी नहीं था। सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। जस्टिस बीआर गवईं, जस्टिस नरसिहा व जस्टिस संजय वुमार की पीठ ने कहा—सजा पर रोक इस आधार पर लगाईं है क्योंकि सूरत कोर्ट यह बताने में विफल रही कि राहुल अधिकतम दो साल की सजा के हकदार क्यों थे? सजा की इस अवधि के चलते ही उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित किया गया। सजा एक दिन भी कम होती तो वह अयोग्य नहीं होते। इस पैसले का असर सिर्प एक व्यक्ति पर नहीं पड़ा, बल्कि इससे उनके निर्वाचन क्षेत्र (वायनाड) के मतदाताओं के अधिकार भी प्राभावित हुए।
इसलिए अंतिम पैसले तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी। अब राहुल के 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। अंतिम पैसला लंबित रहते हुए भी राहुल गांधी अगला चुनाव लड़ सवेंगे।
2024 के लोकसभा चुनाव पर क्या राहुल की वापसी पर असर पड़ेगा? 2014 और 2019 के चुनावों में कांग्रोस करीब 208 सीटों पर भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में थी। जिन 208 सीटों पर दोनों दलों के बीच सीधा मुकाबला था। उसमें से 90 प्रातिशत के करीब पर कांग्रोस को हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी क्या उन 208 सीटों में से 50 प्रातिशत पर कांग्रोस को जिता सकते हैं? ऐसी स्थिति में वह 2024 में प्राधानमंत्री के पद के दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं। लेकिन इसका आकलन करना अभी संभव नहीं है। इतना जरूर है कि यह पैसला इंडिया गठबंधन के लिए बूस्टर साबित होगा। राहुल के व्यक्तिगत कद के साथ-साथ कांग्रोस पाटा का ग्राफ भी बढ़ेगा। भाजपा को असल चिंता यही है कि राहुल अब संसद में तो गरजेंगे ही, बाहर भी दहाड़ेंगे।
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