Tuesday, 5 September 2023
फिर गिरा अडाणी पर बम!
इस साल जनवरी में जब अमेरिकी शॉर्ट-सैलर वंपनी हिडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरापेरी का आरोप लगाया तो इसके मालिक गौतम अडाणी दुनिया के तीसरे नंबर के सबसे अमीर व्यक्ति थे। इस रिपोर्ट के आते ही उनकी संपत्ति 120 अरब डॉलर से घटकर 39.9 अरब डॉलर रह गईं यानि रातों-रात उनकी संपत्ति घटकर एक तिहाईं हो गईं थी।
हिडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर अपनी वंपनियों के शेयर की कीमतों में हेरपेर करने और टैक्स हेवन के देशों के जरिए फजावाड़ा को अंजाम देने का आरोप लगाया था। हालाँकि तब से लेकर अब तक अडाणी ग्राुप की वुछ वंपनियों के शेयरों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन 31 अगस्त को ब्रिटिश अखबार द गरजियन और फाइनेंशियल टाइम्स ने ओसीसीआरपी के दस्तावेजों के आधार पर छपी रिपोर्ट ने इस ग्राुप को एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है। रिपोर्ट आने के बाद, अडाणी ग्रुप की वंपनियों ने शेयर बाजार में अब तक करीब 35,200 करोड़ रुपए गंवा दिए। द गरजियन और फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड व््राइम एंड करप्शन रिपरेटिग प्रोजेक्ट यानि ओसीसीआरपी जिन दस्तावेजों के आधार पर एक रिपोर्ट छपी है, इसमें कहा गया है कि टैक्स हेवन्स देश मॉरीशस के पंड इमेजिंग इंडिया फोकस पंड और ईंएम रिसर्जेट पंड ने 2013 और 2018 के बीच अडाणी ग्राुप की चार वंपनियों में पैसा लगाया और इनके शेयरों में खरीद- फरोख्त भी की। इन दोनों पंडों के जरिए यूएईं के निवेशक नासिर अली और ताइवान के निवेशक यांग योंग लिग ने इन वंपनियों में निवेश किया।
यह पैसा बरमूडा के इन्वेस्टमेंट पंड ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स के जरिए लगाया गया था। 2017 में नासिर अली और यांग योंग लिग की निवेश वैल्यू करीब 43 करोड़ डॉलर थी। वर्तमान में इसका मूल्य (वर्तमान विनिमय दर) 3550 करोड़ रुपए है। जनवरी 2017 तक, इन दोनों निवेशकों के पास अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पावर और अडाणी ट्रांसमिशन में व््रामश: 3.44 और 3.6 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। ओसीसीआरपी दस्तावेजों के मुताबिक, अडाणी के भाईं और अडाणी मोटर ग्रुप के सदस्य विनोद अडाणी की यूएईं स्थित गुप्त वंपनियों एक्सेल इन्वेस्टमिट और एडवाइजरी स्रविसेज वं. ईंआईंएफएफ, ईंएमआरएफ और जीओएफ की ओर से जून 2012 से अगस्त 2014 के बीच 14 लाख डॉलर दिए गए। इसका मतलब यह है कि इन पंडों की मुखौटा वंपनियों के जरिए विनोद अडाणी ने अडाणी ग्रुप ऑफ वंपनीज में भारी मात्रा में पैसा लगाया था। इसमें किसी रियल बिजनेस के आधार पर नहीं, बल्कि इस पंड के आधार पर वंपनियों की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी लगने लगी थी। वंपनी का कारोबार उतना अच्छा नहीं था जितना शेयर बा़जार में इसके शेयरों के प्रादर्शन से लग रहा था। बता दें कि ओसीसीआरपी एक खोजी पत्रकारों का एक संगठन है। इसका उद्देश्य पत्रकारों का एक ग्लोबल नेटवर्व बनाना है जो भ्रष्टाचार और अपराध के ग्लोबल नेटवर्व को अच्छी तरह समझ कर उसका पर्दाफाश करे। इन्होंने अब तक भ्रष्टाचार के 398 मामलों का पर्दाफाश किया है। अडाणी ग्रुप इसका ताजा उदाहरण है।
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