Tuesday, 12 September 2023
यात्रा से कांग्रेस को मिली सियासी जमीन
मिली सियासी जमीन भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी की गुरुवार को देशभर में दिखी पहल से साफ है कि पार्टी लंबे अर्से के बाद पटरी पर लौटी अपनी सियासत में इस यात्रा की भूमिका को धूमिल नहीं पड़ने देना चाहती। राहुल गांधी ने पार्टी के कईं नेताओं के साथ करीब 4000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत की यानि यह यात्रा पिछले साल सितम्बर 2022 में कन्यावुमारी से आरंभ हुईं, जो इस वर्ष 30 जनवरी 2023 को श्रीनगर में समाप्त हुईं थी। यह यात्रा 145 दिन चली थी। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, भारत जोड़ो यात्रा की एकता और मोहब्बत की ओर करोड़ों कदम देश के बेहतर कल की बुनियाद बने हैं। यात्रा जारी है नफरत मिटने तक, भारत जोड़ने तक, ये वादा है मेरा। राहुल गांधी की एक साल पहले जब यात्रा शुरू हुईं थी तब कांग्रेस की महज दो राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारें थी, मगर इसके बाद दो और राज्य हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस को भारी जीत मिली और कांग्रेस की चार राज्यों में सरकारें हो गईं। म िल्लकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के तमाम नेता मानते हैं कि यात्रा से पूरे देश में जनता ने एक बार फिर कांग्रेस की सकारात्मक राजनीतिक परिवर्तन के वाहक के रूप में देखना शुरू कर दिया है। भारत जोड़ो यात्रा का एक बड़ा असर यह हुआ कि 28 पार्टियों का विपक्षी गठबंधन इंडिया बना।
यह राहुल की पद यात्रा की ही देन है। विपक्षी गठबंधन का एक फायदा हाल के 7 सीटों पर हुए उपचुनावों में देखने को मिला। जब साझा विपक्ष ने 7 में से चार सीटों पर जीत दर्ज की। पिछले साल सितम्बर में जब राहुल ने कन्यावुमारी से यात्रा शुरू की थी तो नए अध्यक्ष की तलाश कर रही कांग्रेस नेतृत्व के गहरे संकट के दौर में थी। कईं बड़े नेता बगावत की राह पर थे। गुलाम नबी आजाद ने तो यात्रा से वुछ दिन पहले ही पार्टी छोड़ दी थी। धर्मनिरपेक्ष सियासत और नरम हिंदुत्व की दुविधा में पंसी कांग्रेस को यात्रा ने बाहर आने का मौका दिया, जब राहुल गांधी ने भाजपा पर नफरत पैलाने का आरोप लगाते हुए उस पर हमला शुरू किया, साथ ही नफरत के बजाय ये मोहब्बत की दुकान खोलने का विमर्श देकर अपनी विचारधारा पर अिड़ग रहने की राह तय कर दी।
कांग्रेस ने कहा, हिंदुस्तान की फिजा में नफरत और डर को लेकर देश को जरूरी मुद्दों से भटकाया जा रहा है, ऐसे में राहुल गांधी आगे आए और जिम्मेदारी उठाईं। यह जिम्मेदारी देश से नफरत और डर को मिटाने की है। हिंदुस्तान नफरत का नहीं, मोहब्बत का देश है। हां.. और इसी जिम्मेदारी को आज पूरी दुनिया भारत जोड़ो यात्रा के नाम से जानती है।
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