Tuesday, 19 September 2023
बहादुरी की मिसाल, जय हिंद पापा
जय हिंद पापा कर्नल मनप्रीत सिंह के छह वर्षीय बेटे कबीर ने सेना की वर्दी पहनकर पिता को अंतिम विदाईं दी और जय हिंद पापा कहा। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सवर्ोेच्च बलिदान देने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह का शुव्रवार को पंजाब के मोहाली जिले में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। उनके साथ ही आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद मेजर आशीष को पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ हरियाणा के पानीपत के उनके पैतृक गांव में हजारों लोगों ने नम आंखों के साथ अंतिम विदाईं दी। कर्नल मनप्रीत सिंह बहादुरी की एक मिसाल थे। 2021 में भी अंधाधुंध गोलीबारी के बीच आतंकियों को मार गिराने वाले इस वीर को सेना मेडल से नवाजा गया था। कईं मौकों पर उनके अदम्य साहस ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। मोहाली के भुल्लांपुर के गांव मडैसिया के मनप्रीत सिंह 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने। 2005 को उन्हें कर्नल के पद से पदोन्नत किया गया। वह परिवार की तीसरी पीढ़ी से थे जिन्हें सेना में रहकर देश सेवा को अपना सपना बनाया। कर्नल मनप्रीत वर्ष 2019 से 2021 तक सेना में सेंकड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। बाद में उन्होंने कमाडिंग अफसर के रूप में काम किया। उनका एक बेटा और एक बेटी है।
परिजनों ने बताया कि अगले माह बेटे का जन्मदिन था तब वह छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही उनकी शहादत की खबर आ गईं। शहीद डीएसपी हुमायूं भट की तिरंगे में लिपटी देह को देखकर पूरा गांव रो पड़ा। आतंकवादियों के लिए मन में गुस्सा समेटे लोगों का कहना था कि जाबाजों की वुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी, हुमायूं भट 2019 बैच के अफसर थे। उनके पिता गुलाम हसन भट डीआईंजी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हुमायूं की शादी एक साल पहले ही हुईं थी। 29 दिन पहले ही वह पिता बने थे, ठीक से वह अपने बच्चे का चेहरा भी नहीं देख पाए थे कि देश सेवा करते हुए वह शहीद हो गए। अनंतनाग में शहीद हुए पानीपत के मेजर आशीष बचपन से ही साहसी थे। परिजनों का कहना है कि इसी साहस में वह आतंकवादियों से सीधा भिड़ गए।
उन्होंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की। परिवार के लोगों को जहां उनकी मौत का गम है, वहीं उनकी शहादत पर गर्व भी है। चाचा रमेश ने कहा-वह हमेशा कहा करता था कि दुश्मनों को मिटाना ही असली जिंदगी है। इसी साल उनके अदम्य साहस के लिए सेवा मैडल से नवाजा गया था। अक्टूबर को जन्मदिन पर परिवार के सदस्य गृहप्रवेश की तैयारी में थे। उन्हें तभी छुट्टी पर आना था और सभी को नए घर में प्रवेश करना था, लेकिन सपना अधूरा रह गया। हम तीनों शहीदों को अपनी श्रद्धाजंलि देते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारों को इस भारी क्षति का सामना करने की हिम्मत दे। जय हिंद।
——अनिल नरेन्द्र
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