Thursday, 3 October 2024
नसरुल्लाह विलेन या हीरो?
लेबनान पर इजरायली हमले वैसे तो सितम्बर के मध्य से ही हो रहे थे, लेकिन 27 सितम्बर की शाम राजधानी बेरुत के घनी आबादी वाले दक्षिणी हिस्से में स्थित हिज्बुल्लाह मुख्यालय में हुए हमले में हिज्बुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह की मौत ने पहले से ही अस्थिर पश्चिम एशिया में स्थितियों को और जटिल तो बनाया ही है, इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध विराम के समर्थकों को भी भारी धक्का लगा है। नसरुल्लाह का मारा जाना हिज्बुल्लाह के लिए ऐसा झटका है, जिससे उभरना उसके लिए आसान नहीं होगा। नसरुल्लाह की मौत से तमाम अरब दुनिया में शोक का माहौल है। बहुत से इस्लामिक देश उसे अपना हीरो मानते थे जो इजरायल से पिछले तीन दशकों से टक्कर ले रहा था। नसरुल्लाह तीन दशक से ज्यादा समय से हिज्बुल्लाह का नेतृत्व कर रहा था। अपने लेबनानी शिया अनुयायियों के आदर्श और अरब तथा इस्लामिक जगत के लाखों लोगों के बीच सम्मानित नसरुल्लाह को सैयद की उपाधि दी गई थी। वहीं दूसरी ओर पश्चिमी देश और इजरायल उसे दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी मानते थे। उसके मरने के बाद कई देशों ने खुशियां मनाई, मिठाइयां बांटी। नसरुल्लाह को इजरायल ने किस बखूबी से मारा वह भी चौंकाने वाला है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अपने मुखबिरों से पता कर लिया था कि नसरुल्लाह किस दिन, किस समय, किस घर में होगा। कहा जा रहा है कि मोसाद का गुप्तचर कोई ईरानी हो सकता है क्योंकि ईरान के पास ही नसरुल्लाह की पूरी जानकारी रही होगी। खैर, ठीक समय में इजरायल ने अपने विमानों से बंकर बस्टर बम गिराए। नसरुल्लाह घर की बेसमेंट में एक कांक्रीट बंकर में मीटिंग लेने गया था जब यह बम आ गिरा। इजरायल ने 80 से अधिक बंकर बस्टर बम गिराए। ये बम इतने शक्तिशाली हैं कि जमीन के भीतर 60 फीट तक की गहराई में तथ्य को ध्वस्त कर सकते हैं। यह बम स्टील, कांक्रीट की मोटी दीवारों को तोड़ सकते हैं। ये गाडेड बम तहखाने, बंकर या सुरंगों को उड़ाने के लिए ही अमेरिका ने तैयार किए हैं। कहा जा रहा है कि इजरायल ने जो बम गिराए वह अमेरिका ने उसे दिए हैं। इजरायली सेना और नेतन्याहू सरकार के लिए यह बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, मुझे अफसोस इस बात पर भी है। कथित झटके या कामयाबी के बाद भी इस क्षेत्र में शांति की संभावना मजबूत नहीं हुई है। इसके उलट संघर्ष के बेकाबू होने का खतरा है। पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय में हिज्बुल्लाह का नेतृत्व कर रहा नसरुल्लाह मध्य पूर्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शुमार किया जाता था। उसकी कमी की जल्द भरपाई होना भी आसान नहीं है। मगर हिज्बुल्लाह के लिए यह इकलौता झटका नहीं है। हाल के हमलों में उसके एक दर्जन से ज्यादा टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं। बहुचर्चित पेजर और वॉकी-टॉकी हमलों ने उसके इंटर कम्युनिकेशन सिस्टम को भी लगभग खत्म कर दिया है। ताजा झटका कितना बड़ा भी क्यों न हो, यह समझना गलत होगा ]िक इससे हिज्बुल्लाह इजरायल के सामने समर्पण कर देगा। कुछ समय पहले तक 12 देशों की ओर से प्रस्तावित युद्धविराम को लेकर जो भी बची-खुची उम्मीद थी, अब वह समाप्त हो गई है। इजरायल अभी रूका नहीं है वह अब लेबनान के अंदर घुसकर पूरा आक्रमण करने जा रहा है, इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। निगाहे ईरान पर भी टिकी हैं, तेहरान के ही गेस्ट हॉउस में हमास नेता इस्माइल हानिया की मौत का बदला भी उसने लेना है, नसरुल्लाह की मौत उसके लिए भी झटका है। देखना होगा कि उसकी प्रतिक्रिया कितनी और कैसी होगी।
-अनिल नरेन्द्र
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