Tuesday, 22 October 2024

विकास यादव कौन है, जिन पर लगे हत्या के आरोप


अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने 17 अक्टूबर को भारतीय नागरिक विकास यादव के खिलाफ भाड़े पर हत्या और मनी लांड्रिग का मामला दर्ज करने की घोषणा की। ये मामला 2023 में न्यूयार्क शहर में अमेरिकी नागरिक और सिख अलगाववादी, आतंकवादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के कत्ल की नाकाम साजिश से जुड़ा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उसकी हत्या की साजिश में विकास यादव की अहम भूमिका थी। जहां अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने यादव को भारत सरकार का कर्मचारी बताया है। वहीं भारत कह चुका है कि विकास यादव अब भारत सरकार के कर्मचारी नहीं है। अमेरिका ने विकास यादव और निखिल गुप्ता पर भाड़े पर हत्या की कोशिश का आरोप लगाया है जिसके लिए वहां के कानून के मुताबिक अधिकतम 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। साथ ही दोनों अभियुक्तों पर भाड़े पर हत्या करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया गया है जिसके लिए भी अधिकतम 10 वर्ष की जेल का प्रावधान है। अमेरिकी प्राधिकारियों ने भारत सरकार के इस पूर्व अधिकारी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के आसपास यह आरोप लगाया। संघीय अभियोजकों ने न्यूयार्क स्थित एक अमेरिकी अदालत में दायर एक अभियान में दावा किया कि विकास यादव (39) कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत था, जहां भारत की विदेश खुफिया सेवा रिसर्च एंड एनलाइसिस विंग (21) का मुख्यालय है। अमेरिका के मुताबिक यादव भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करते थे जो कैबिनेट सचिवालय का हिस्सा है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने कहा है कि विकास यादव ने अपने पद को वरिष्ठ फील्ड ऑफिसर के रूप में बताया है जहां उनकी जिम्मेदारियां सुरक्षा प्रबंधन और खुफिया प्रबंधन है। भारत सरकार ने अमेरिका की धरती पर किसी अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है। अमेरिका के आरोपों के बाद भारत ने मामले की जांच के लिए एक भारतीय जांच समिति गठित की थी। अमेरिका ने इस मामले में भारत के सहयोग पर संतोष भी जताया है। अदालत में दूसरा अभियोग पत्र के मुद्दे पर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई), न्याय मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की एक अंतर एजेंसी टीम के साथ बैठक के लिए यहां भारतीय जांच समिति की आने के 48 घंटे के भीतर दायर किया गया है। इस पूरे प्रकारण का भारत और अमेरिका के रिश्तों पर क्या असर होगा? जानकार कहते हैं मुझे नहीं लगता कि इस समय कोई सीधा असर होगा। दोनों देश जानते हैं कि इन घटनाओं से ज्यादा मायने रखता है, उनके बीच का बड़ा रिश्ता। अमेरिकी अच्छी तरह जानते हैं कि वे संप्रभुता के सिद्धांतों का इस्तेमाल कर आतंकवादियों, चरमपंथियों और अलगाववादियों को संरक्षण दे रहा है इस पर आवाज उठानी होगी। ऐसा नहीं है कि आप (अमेरिका) एक बड़ी ताकत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं और उन देशों की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में नहीं रखेंगे। जो आपके दोस्त या रणनीतिकार साझेदार हैं। अगर हमारे पास क्षमता और योग्यता है और अगर हमारे रणनीतिक साझेदार हमारी सुरक्षा चिंताओं का ख्याल नहीं रख सकते हैं तो हमें खुद ही उनका ख्याल रखना चाहिए। लेकिन यह भारत की नीति नहीं है। अमेरिका जैसे देश सिर्फ शक के आधार पर देशों पर बम गिराते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं। और फिर आप उम्मीद करते हैं कि दूसरे अपनी रक्षा के लिए कुछ नहीं करेंगे और हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देखते रहेंगे तो यह आपकी भूल है। भारत-अमेरिका को मिलकर इस मसले का हल निकालना होगा।

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