Thursday, 17 October 2024

सवाल बाबा सिद्दीकी की हत्या की टाइमिंग पर


महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी के शव को रविवार शाम राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया। बाबा सिद्दीकी की अंतिम यात्रा से पहले उनके आवास के बाहर नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई। अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। इस मामले में शनिवार रात गिरफ्तार हुए दो लोगों में से एक शुभम लोनकर के भाई प्रवीण लोनकर को रविवार को पुणे से गिरफ्तार किया गया। माना जाता है कि प्रवीण लोनकर ने अपने भाई शुभम लोनकर के साथ मिलकर साजिश रची थी। प्रवीण लोनकर ने ही धर्मराज कश्यप और शिव कुमार गौतम को इस साजिश में शामिल किया था। धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह पुलिस हिरासत में हैं। तीसरा अभियुक्त शिव कुमार फरार बताया जाता है और चौथे अभियुक्त मोहम्मद जीशान अख्तर के बारे में कहा जा रहा है कि वो बाकी तीन को गाइड कर रहा था। बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात गोली मारकर हत्या के बाद महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। एक प्रेस कांफ्रेंस में मुंबई क्राइम ब्रांच के पुलिस आयुक्त दत्ता नलवाडे ने कहा है कि इस मामले में लारेंस बिश्नोई गैंग की भूमिका को लेकर जांच की जा रही है। बता दे कि लारेंस बिश्नोई इस समय अहमदाबाद की साबरमती जेल में एक साल से बंद है। प्रश्न यह भी उठ रहा है कि इतनी दूर से वो भी अतिसुरक्षित जेल से लारेंस बिश्नोई ऐसे जोखिम भरे हत्याकांड को कैसे अंजाम दे सकता है? क्या लारेंस बिश्नोई महज एक सुविधाजनक मैन है और उसके पीछे असल चेहरा और साजिश छिपी हुई है? बाबा सिद्दीकी की हत्या के बहुत बड़े मायने हैं और इसका चौतरफा असर हो सकता है। हरियाणा में भाजपा की जीत के बाद महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बड़े जोश से भर गई भाजपा और एनडीए को इस हत्या ने बचाव की मुद्रा में ला दिया है। दोनों राज्यों में जल्द चुनाव होंगे। घोषणा से ठीक पहले इस हत्या के सियासी मायने के अलावा अपराधों के नजरिए से भी बड़ा मतलब है। क्या लारेंस बिश्नोई दाउद इब्राहिम की राह पर चलने की कोशिश कर रहा है? क्या मुंबई में 90 के दशक के गैंगवार की स्थिति फिर से स्थापित करने की कोशिश की जा रही है? दशहरे के दिन उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे ने मुंबई के दो बड़े मैदानों में अलग-अलग बड़ी सभाएं की। उसके थोड़ी देर बाद बांद्रा ईस्ट जैसे एरिया से बाबा सिद्दीकी की घटना घटती है। इसका असर दिल्ली तक महूसस किया गया है। मल्लिकार्जुन, राहुल गांधी से लेकर शरद पवार, उद्धव ठाकरे और संजय राउत तक हमलावर हो गए। बाबा सिद्दीकी तीन बार कांग्रेस के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। छह महीने पहले ही वह अजित पवार गुट में शामिल हुए थे। बाबा और अन्य कुछ नेताओं से सलाह कर अजीत पवार विधानसभा में कुछ मुस्लिम नेताओं को टिकट देना चाहते थे। मकसद था मुस्लिम समुदाय में उनका अच्छा संदेश देना पर अब उल्टा मैसेज चला गया है। कानून-व्यवस्था पर विपक्ष के निशाने पर देवेन्द्र फडण्वीस जो गृह मंत्री भी हैं महाराष्ट्र के। चुनाव सिर पर आ गया है और इस समय हत्या पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। हत्या की टाइमिंग पर गौर करे। ठीक विधानसभा चुनाव से पहले बाबा सिद्दीकी की हत्या से किस को और किन ताकतों को फायदा होगा? सवाल महाराष्ट्र पुलिस पर भी उठ रहे हैं। दूसरी तरफ लारेंस बिश्नोई जैसे गिरोह सरगनाओं की ओर से लगातार वारदात करने से देश और राज्यों के खुफिया तबके के अलावा पुलिस व अन्य एजेंसियों पर भी सवालिया निशाना लग रहे हैं।

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