Tuesday, 1 October 2024

अमेरिका की दहलीज तक पहुंचने वाली चीनी मिसाइल

चीन ने प्रशांत महासागर में बुधवार को एक अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया। चीनी मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मिसाइल पर प्रतिरूपी आयुध (डमी वार हैड) लगाया था, जिसे समुद्र के एक निषेध क्षेत्र में गिराया गया। चीन की इस डीएफ-41 मिसाइल को साल 2017 में सेना के अंदर शामिल किया गया था। इसकी मारक क्षमता 12 हजार से लेकर 15 हजार किलोमीटर तक है। ऐसे में यह मिसाइल अमेरिका की मुख्य भूमि के अंदर तबाही मचा सकती है। चीनी अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट में प्रकाशित एक खबर के अनुसार इससे पहले चीन ने मई 1980 में अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-5 का परीक्षण किया था। चीन की इस पहली मिसाइल की मारक क्षमता 9 हजार किलोमीटर तक थी। हालांकि ताजा लांच अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय अभ्यास के अनुरूप है और किसी भी देश की ओर इसे टारगेट नहीं किया गया पर जापान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने इस टेस्ट पर चिंता जाहिर की है। इस लांच से हिन्द प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ा है। जानकारों का मानना है कि इससे पता चलता है कि चीन की लंबी दूरी तक हमला करने की न्यूक्लियर क्षमता बढ़ी है। अमेरिका ने बीते साल आगाह किया था कि चीन ने डिफेंस अपग्रेड के तहत अपनी परमाणु ताकतों को मजबूत किया है। चीन ने जिस मिसाइल यानि आईसीबीएम का परीक्षण किया है वह 5000 से 12000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इससे चीन की पहुंच अब अमेरिका और हवाई द्वीप तक हो गई है। लेकिन चीन की सैन्य ताकत अब भी रूस और अमेरिका से करीब पांच गुना कम है। चीन कहता रहा है कि उसका न्यूक्लियर रखरखाव सिर्फ इसलिए है कि कोई और हमला न करे। विश्लेषकों का कहना है कि आमतौर पर चीन परीक्षण देश के अंदर ही किसी हिस्से में किया करता था। अतीत में शिजियांग प्रांत के एक रेगिस्तान में ऐसे परीक्षण किए गए थे। न्यूक्लियर मिसाइल विशेषज्ञ अंकित पांडे ने बीबीसी से कहा, इस तरह के परीक्षण अमेरिका जैसे दूसरे देशों के लिए असाक्ष्य नहीं है, मगर चीन के मामले में यह सामान्य बात नहीं है। अंकित ने कहा चीन के परमाणु आधुनिकीकरण के परिणामों के चलते पहले ही काफी बदलाव आ चुके हैं। ये लांच अब चीन के रुख में बदलाव को दिखाता है। जापान ने भी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चीन की ओर से कोई नोटिस नहीं दिया गया था। आस्ट्रेलिया ने कहा कि इस कदम से क्षेत्र में अस्थिरता और गलत आंकलन का जोखिम बढ़ता है। आस्ट्रेलिया ने भी इस मामले में चीन से जवाब मांगा है। न्यूजीलैंड ने चीन के परीक्षण का स्वागत नहीं किया है और इसे चिंता पैदा करने वाली हरकत बताया। अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर लिप एरिक एसले ने कहा कि अमेरिका के लिए साफ संदेश है कि ताइवान, स्ट्रेट संघर्ष में किसी भी तरह का सीधा दखल अमेरिका की धरती को भी खतरे में डाल सकता है। उन्होंने कहा चीन का ये परीक्षण अमेरिका और एशिया में उसके सहयोगियों को ये दिखाता है कि चीन कई मोर्चों पर एक साथ लड़ सकता है, बता दें कि यह मिसाइल ताइवान, फिलीपींस और गुआव के पास से गुजरती हुई प्रशांत महासागर में जा गिरी। यह भारत के लिए भी चिंता का विषय है। -अनिल नरेन्द्र

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