Saturday, 8 March 2025

ट्रंप की टैरिफ स्ट्राइक

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित अन्य देशों की ओर से उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) लगाए जाने की आलोचना करते हुए इसे बेहद अनुचित करार दिया है। ट्रंप ने साथ ही घोषणा की कि अगले महीने यानी 2 अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाए जाएंगे। राष्ट्रपति ने जवाबी शुल्क को लेकर अपना पक्ष रखा और कहा कि ये 2 अप्रैल से लगाए जाएंगे। वह अन्य देशों से आयात पर वही शुल्क (टैरिफ) लगाना चाहते हैं, जो वो देश अमेरिका से होने वाले निर्यात पर लगाते हैं। ट्रंप ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, अन्य देशों से हमारे खिलाफ शुल्क लगाए है और अब हमारी बारी है कि हम उन देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करें। यूरोपीय संघ (ईयू), चीन, ब्राजील, भारत, मेक्सिको और कनाडा क्या आपने उनके बारे में सुना है। ऐसे अनेक देश हैं जो हमारी तुलना में हमसे बहुत अधिक शुल्क वसूलते हैं। यह बिलकुल अनुचित है। अपने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस को पहली बार संबोधित करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भारत हमसे 100 प्रतिशत से अधिक ऑटो शुल्क वसूलता है। हम भी ऐसा करने जा रहे हैं। यानी 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू कर देगा। अपने 44 मिनट के भाषण में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने 43 दिन में जो किया वह कई सरकारें अपने 4 या 8 साल के कार्यकाल में नहीं कर सकीं। चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर रेसिप्रोकल शब्द का मतलब क्या होता है और यह कोई देश किसी दूसरे देश पर कब लगाता है? रेसिप्रोकल का मतलब होता है प्रति शोधात्मक यानी जैसे को तैसा वाली नीति। इसे ऐसे समझिए कि रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो देश दूसरे देश पर तब लगता है जब वह देश भी उसी तरह का टैक्स या प्रतिबंध पहले देश पर लगाता है, मतलब अगर एक देश दूसरे के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है इसका मकसद व्यापार में संतुलन बना होता है। व्यापार संतुलन में यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है। इसका मकसद व्यापार में संतुलन बनाना होता है। व्यापार संतुलन यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर ज्यादा टैक्स न लगाए। रेसिप्रोकल टैरिफ की शुरुआत 1‘वीं सदी में हुई। 1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबड़ेन शेवेलियर संधि हुई थी जिसमें टैरिफ कम किए गए, इसके बाद 1930 का दशक आया, जब अमेरिका ने स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट लागू किया जिससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ और महामंदी बढ़ी। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशें पर टैरिफ लगाए जिसके जवाब में उन देशों ने भी अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाए है। भारत इन ज्वलन्त समस्या से कैसे निपटेगा यह देखना बाकी है। अगर ट्रंप भारत पर 100 प्रतिशत टैक्स लगता है तो निश्चित रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका भारी असर पड़ेगा। देखना यह है कि भारत सरकार इस नई चुनौती का क्या समाधान निकालती है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। -अनिल नरेन्द्र

आकाश आनंद ः अर्श से फर्श पर

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को न केवल पार्टी के सभी पदों से हटाया बल्कि अब पार्टी से ही बाहर कर दिया है। उन्होंने सोमवार को एक्स पर इसकी जानकारी दी। मायावती ने कहा है कि एक दिन पहले सभी पदों से हटाए जाने पर आकाश ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया। आकाश के बयान को अपने ससुर के प्रभाव वाला स्वार्थी और गैर मिशनरी बताया है। आकाश आनंद को 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था और 2023 आते-आते रिश्तों में खटास बढ़ी और आकाश आनंद को न केवल पार्टी पदों से हटा दिया गया बल्कि पार्टी से बाहर कर fिदया गया है। आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। वो 2017 में लंदन से पढ़ाई करने के बाद ही बीएसपी के कामकाज में जुड़े थे। मई 2017 में सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष के समय वो मायावती के साथ वहां गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद आकाश को बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था लेकिन वह पार्टी को जीत की रेस में लाने में नाकाम रहे थे। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आकाश पार्टी के प्रभारी थे लेकिन सीट जीतना तो दूर की बात है, पार्टी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई थी। मायावती ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया था। हटाने का तर्क दिया गया था कि अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है। लेकिन आकाश को तब हटाया गया था जब वह सत्ताधारी भाजपा पर सीधा और तीखा हमला बोल रहे थे। लखनऊ में रविवार को बसपा की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है ः कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है। अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को पूरे देश में दो गुटों में बांटकर कमजोर किया है। मायावती को पलटकर जवाब देना वह भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर और उस पर तर्क यह कि तमाम संघर्षों के बाद सत्ताशीर्ष तक पहुंची मायावती को कठिन परीक्षा और लंबी लड़ाई होने का लुका-छिपा संदेश देना। पार्टी की मानें तो मायावती को आकाश आनंद की यह दोनों बातें अखर गई। यही आकाश आनंद के पार्टी से बाहर जाने का सबब भी बनी। बहुजन समाज पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मायावती के इस फैसले से न केवल उनकी पार्टी के लोगों को बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को भी अचरज में डाल दिया है। आकाश आनंद पार्टी के युवा चेहरा हैं। हालांकि जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए पार्टी का प्रदर्शन निचले स्तर पर रहा। मायावती के साथ एक नकारात्मक बात यह है कि वह कभी भी सड़क पर नहीं उतरती हैं। राजनीति की गहरी समझ रखने वाले और विपक्षी दलों के नेता भी मानते हैं कि अब खुलकर राजनीतिक करने के मायावती के दिन नहीं आने वाले। खासकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख रखने के स्वभाव को बहनजी ने बहुत पहले साइड लाइन कर रखा है। वह भाजपा के दवाब में हैं ऐसा लगता है। आज बहुजन समाज पार्टी की सियासत जमीन पर आ गई है। अपना वोट शेयर, वोट बैंक सब गिरता नजर आ रहा है। चुनाव पर चुनाव होने से बसपा की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। आकाश का यह कहना कि परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है, इस बात को भली-भांति स्पष्ट करती दिखाती है कि बीएसपी में अभी बहुत कुछ घटित होने वाला है। देखना है मायावती के हार्ड कोर समर्थक पार्टी के लिए कितने फायदेमंद रहते हैं या पार्टी के घमासान की शुरुआत है।

Thursday, 6 March 2025

शेयर बाजार धोखाधड़ीऔर माधवी बुच



शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियमावली उल्लंघन के आरोपों में आखिरकार कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। माधवी बुच पर पिछले काफी समय से आरोप लगते रहे हैं पर जब तक वे पद पर थीं किसी प्रकार की न तो जांच हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका की शीर्ष शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर एटिटीज में निवेश करने के आरोप लगाए थे, तो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा था जिसमें अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपत्ति ने सारे आरोपों को खारिज कर दिया था। ताजा मामला एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामवली उल्लंघन के संबंध में शेयर बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथ राव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा। प्रथम दृष्टया विनियमावली में चूक और मिलीभगत के सुबूत हैं जिनकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि कूनन प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की सक्रियता के कारण आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। बुच का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि वह आदेश को चुनौती देगा। इस मामले में शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव (47) का दावा है कि सेबी के अधिकारी वैधानिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे। बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कारपोरेट धोखाधड़ी होने दी। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। जहां अदालत के आदेश के बाद सेबी ने बयान जारी कर कहा, जिन अधिकारियों का जिक्र है वह कंपनी की लिस्टिंग के समय अपने संबंधित पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना नोटिस जारी किया था। सेबी को तथ्यों को रिकार्ड पर रखने का अवसर दिए बिना शिकायत को मंजूरी दे दी। सेबी ने कहा, आवेदक एक तुच्छ और आदतन वादी के रूप में जाना जाता है, उसके पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया है और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया है। इन अधिकारियों पर भी दर्ज होगा केस। निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदररंजन राममूर्ति। बीएसई के ही तत्कालीन अध्यक्ष व जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, श्रीमती कमलेश चंद्र वार्ष्णेय। अब देखना यह है कि कौन आगे कैसे बढ़ता है? क्या सच्चाई सामने आएगी या हर बार की तरह लीपापोती हो जाएगी। मुंबई स्टाक एक्सचेंज का बहुत बुरा हाल है। पिछले 28 साल के निचली स्तर पर स्टाक मार्किट गिर गया है। लाखों-करोड़ों का नुकसान हो चुका है। छोटे निवेशक तबाह हो गए हैं। क्या उन्हें न्याय मिलेगा? उम्मीद की जाती है कि सख्त कदमों से स्टाक मार्केट सुधरेगी।

-अनिल नरेन्द्र

एक अरब भारतीयों के पास खर्च करने को पैसे नहीं



भारत की जनसंख्या क़रीब एक अरब 40 करोड़ है लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से एक अरब लोगों के पास ख़र्च के लिए पैसे नहीं हैं। वेंचर कैपिटल फ़र्म ब्लूम वेंचर्स की इस ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में उपभोक्ता वर्ग जो कि ख़ास तौर पर व्यवसाय मालिकों या स्टार्ट अप का एक संभावित बाज़ार है, इसका आकार मेक्सिको की आबादी के बराबर या 13 से 14 करोड़ है। इसके अलावा 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें इमर्जिंग या आकांक्षी कहा जा सकता है, लेकिन वे ख़र्च करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अभी ख़र्च करने की शुरुआत की है। रिपोर्ट के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उपभोक्ता वर्ग का प्रसार उतना नहीं हो रहा है जितना उसकी ख़रीद की क्षमता बढ़ रही है। इसका मतलब यह है कि भारत की संपन्न आबादी की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है, बल्कि जो पहले से ही संपन्न हैं और अमीर हो रहे हैं। ये सब मिलकर देश के उपभोक्ता बाज़ार को अलग तरह से आकार दे रहे हैं, ख़ासकर प्रीमियमाइजेशन का ट्रेंड बढ़ रहा है, जहां ब्रांड बड़े पैमाने पर वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश पर ध्यान देने के बजाय अमीरों की ज़रूरतों को पूरा करने वाले महंगे और उन्नत उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर विकास को गति देते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बहुत महंगे घरों और प्रीमियम स्मार्ट फ़ोन की बिक्री में बढ़ोत्तरी का होना, जबकि इनके सस्ते मॉडल संघर्ष कर रहे हैं। भारत के कुल बाज़ार में इस समय सस्ते घरों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है जबकि पांच साल पहले यह हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी। इसी तरह ब्रांडेड सामानों की बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ रही है। और एक्सपीरियंस इकोनॉमी फल फूल रही है, उदाहरण के लिए कोल्डप्ले और एड शीरान जैसे विदेशी अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के कंसर्ट के महंगे टिकटों का बिकना। भारत का मध्य वर्ग उपभोक्ता मांग का मुख्य स्रोत रहा है, लेकिन मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा की मानें तो वेतन के कमोबेश एक जैसे बने रहने के कारण इस मध्य वर्ग की हालत ख़राब हो रही है। जनवरी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में टैक्स देने वाली आबादी के बीच के 50 प्रतिशत लोगों की वेतन पिछले एक दशक में स्थिर रही हैं। इसका मतलब है कि वास्तविक अर्थों में उनकी आय (महंगाई को जोड़ने के बाद) आधी हो गयी है। वित्तीय बोझ ने मध्य वर्ग की बचत खत्म कर दी है। आरबीआई लगातार इस बात को कह रहा है कि भारतीय परिवारों की कुल वित्तीय बचत 50 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच रही है। इन हालात से पता चलता है कि मध्य वर्ग के घरेलू ख़र्च से जुड़े उत्पादों और सेवाओं को आने वाले सालों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एआई धीरे-धीरे क्लर्क, सेक्रेटरी और अन्य रोज़मर्रा के काम की जगह ले सकता है, ऐसे में सफेदपोश शहरी नौकरियां पाना मुश्किल होता जा रहा है। भारत की मैन्य़ुफैक्चरिंग इकाइयों में सुपरवाइज़रों की संख्या में अच्छी ख़ासी कमी आई है। सरकार के हालिया इकोनॉमिक सर्वे में भी इन चिंताओं को ज़ाहिर किया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के तकनीकी विकास की वजह से श्रमिक विस्थापन (लेबर डिस्प्लेसमेंट), भारत जैसी सेवा प्रधान अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का विषय है, जहां आईटी कार्यबल का एक अच्छा हिस्सा सस्ते सेवा क्षेत्र में कार्यरत है। यह सब देश की आर्थिक विकास को पटरी से उतार सकता है।

Tuesday, 4 March 2025

वो दस मिनट जब हुई तू-तू, मैं-मैं

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच पावार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में जबरदस्त तीखी बहस हो गई। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की शांति नहीं चाहते हैं और अगर वो समझौता नहीं करेंगे तो अमेरिका इस जंग से बाहर हो जाएगा। ट्रंप ने दावा भी किया कि पेन रूस के साथ जंग में जीत हासिल नहीं कर सकता है। ट्रंप ने जेलेंस्की पर अमेरिका और अमेरिकी लोगों का अनादर करने का भी आरोप लगाया। वहीं जेलेंस्की ने कहाö हम गारंटी के साथ युद्ध विराम चाहते हैं। ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जब बहस हो रही थी उस दौरान अमेरिका में पोन की राजदूत बेहद तनाव में थीं। ओवल ऑफिस से सामने आए वीडियो में पोनी राजदूत अपना हाथ माथे और चेहरे पर रखे हुए थे। ओवल ऑफिस में दोनों नेताओं की बहस मीडिया के कैमरे में कैद हो गई और सारी दुनिया ने ट्रंप के डांटने वाले लहजे को देखा और परेशान हो गई। वह जेलेंस्की को यूं डांट रहे थे जैसे कोई हुक्मरान अपने मुलाजिमों को डांटता है। पेश है बातचीत के अंश। जेडी वांस (उपराष्ट्रपति अमेरिका) शांति और तरक्की का रास्ता कूटनीति को जोड़ता है। प्रेसीडेंट ट्रंप यही काम कर रहे हैं। जेलेंस्की (बात करते हुए) ः तीन साल पहले हम पर हमला करने से पहले भी रूस ने हमारा इलाका छीना। तब किसी ने पुतिन को नहीं रोका। आज किस तरह की डिप्लोमेसी की बात कर रहे हैं जेडी वांस। आपका मतलब क्या है? जेडी वांस ः मैं उस डिप्लोमेसी की बात कर रहा हूं जो आपके देश का विनाश होने से बचाएगा। आप हमारी बेइज्जती कर रहे हो। अमेरिकी मीडिया के सामने आप हमें दोषी बता रहे हो। ट्रंप ने पुतिन से बातचीत का रास्ता खोला और तुरन्त युद्ध विराम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। जेलेंस्की को तो युद्ध लड़ने में कई तरह की दिक्कत हो रही थी। जेलेंस्की ः युद्ध के समय हर किसी को परेशानी होती है। यहां तक कि आपको भी। आपके पास बढ़िया समन्दर है। आपको अभी यह महसूस नहीं हो रहा होगा मगर भविष्य में आप यह महसूस करेंगे। जेलेंस्की ने यह बात कहकर इशारा किया कि आप रूस को खुश करने की कोशिश करोगे तो आप भी युद्ध की चपेट में आ सकते हो। (यह बात ट्रंप को चुभ गई और वह भी जेलेंस्की और वांस की बातचीत में कूद गए) ट्रंप (ऊंची आवाज में) ः हमें यह न बताओ कि हम क्या महसूस करेंगे। आप इस स्थिति में नहीं हो कि हमें यह बात सिखाओ, अभी आपके पास के दांव नहीं है। आप करोड़ों लोगों की जिन्दगियों के साथ जुआ खेल रहे हो। जेलेंस्की ः युद्ध की शुरुआत से ही हम अपनी जंग अकेले लड़ रहे थे और हमें इस पर गर्व है। (यह सुन ट्रंप और भड़क गए क्योंकि वह पोन युद्ध पर अमेरिकी खर्च को बड़ा नुकसान बताते रहे हैं)। ट्रंप ः आप अकेले नहीं थे। आप कभी अकेले नहीं थे। हमने आपको एक पूर्व राष्ट्रपति (बाइडन) के जरिए 350 अरब डॉलर की मदद की। जेडी वांस ः क्या आपने इस मदद के लिए कभी अमेरिका का आभार जताया? आपने अमेरिकी चुनाव में डेपोटिक के लिए कैपेनिंग की। अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले जेलेंस्की, जो बाइडन के गृह नगर गए थे, जिस पर ट्रंप की पार्टी बहुत नाराज हुई थी। जेलेंस्की ः प्लीज, अगर आपको लगता है कि युद्ध के बारे में ऊंची आवाज से बात करके आप...(तभी झुंझलाए ट्रंप बीच में बात काटते हैं) ट्रंप ः ऊंची आवाज में नहीं कर रहे। आपका देश एक बड़े संकट में है। आप इस जंग को नहीं जीत सकते। आपके पास इस सब से बाहर निकलने का एक मौका है। हमारी बदौलत इस तरह बिजनेस नहीं हो पाएगा। मिलकर काम करने के लिए एटिट्यूड बदलना होगा। (ट्रंप और जेडी के मुख से एटिट्यूड की बात सुनकर जेलेंस्की गुस्से से भर जाते हैं) जेडी वांस ः आप सिर्फ हमें धन्यवाद दीजिए। जेलेंस्की ः मैं धन्यराद दे चुका हूं और एक बार फिर अमेरिकी जनता का धन्यवाद देता हूं। वांस ः असहमति को भी स्वीकार कीजिए। मीडिया के सामने लड़ने की बजाए असहमति के मुद्दे पर बात कीजिए। जब आप गलत होते हो तो आप सिर्फ गलत होते हो। ट्रंप ः अच्छा ही हुआ कि अमेरिकी लोग आज यह देख रहे हैं कि क्या हुआ। आपको शुािढया कहना चाहिए। आपके पास कोई दांव नहीं है। आप खत्म हो चुके हो। आपके लोग मर रहे हैं। आपके पास सैनिक नहीं हैं। अगर आप युद्ध विराम के लिए मान जाते तो गोलियां बरसनी बंद हो जाती और आपके लोग न मरते। जेलेंस्की ः मैं युद्ध रोकना चाहता हूं पर जैसा कि मैंने आपसे कहाö कुछ गारंटियां भी चाहता हूं। युद्ध विराम के बारे में अपने लोगों की राय लेना चाहता हूं। यह थी ट्रंप-वांस-जेलेंस्की की पूरी बातचीत के प्रमुख अंश। डोनाल्ड ट्रंप, जेलेंस्की, वांस के बीच ओवल आफिस में जो हुआ उसे दुनिया ने देखा। इस तीखी नोंकझोक के बाद जहां रूस-पोन शांति समझौता खटाई में पड़ गया है। वहीं जेलेंस्की के लिए यूरोपीय नेताओं से लेकर सोशल मीडिया तक में सपोर्ट की बाढ़ आ गई है। एक अंतिम बात अब जो भी राष्ट्र अध्यक्ष राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेगा वह बड़ा चौकस रहेगा कि ट्रंप को गुस्सा आ गया तो... -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 20 February 2025

यमुना सफाईं अभियान शुरू

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की यमुना नदी की सफाईं का दावा किया था। भाजपा की दिल्ली में शानदार जीत के बाद सरकार के गठन से पहले ही इस पर काम शुरू हो चुका है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शनिवार को मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिचाईं एवं बाढ़ नियंत्रण) से मुलाकात की और उन्हें तुरन्त काम शुरू करने को कहा। इसके बाद रविवार को ट्रैश स्किमर्स, वीड हाव्रेस्टर्स और ड्रेज यूटिलिटी व््राफ्ट जैसी आधुनिक मशीनों को यमुना नदी में उतार दिया गया। इन मशीनों ने यमुना नदी में खर पतवार और कचरा को साफ करने का काम किया। यमुना नदी को साफ करने की महत्वाकांक्षी योजना के लिए लगभग 3 वर्षो को पूरा करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), सिचाईं एवं बाढ़ नियंत्रण (आईंएंडएफसी) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), पर्यांवरण विभाग, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) जैसी विभिन्न एजेंसियों और विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय की आवश्यकता होगी। इन कार्यो की निगरानी साप्ताहिक आधार पर उच्चतम स्तर पर की जाएगी। इसके अलावा, दिल्ली प्रादूषण नियंत्रण समिति, (डीपीसीसी) को शहर में औदृाोगिक इकाइयों द्वारा नालों में अनुप्राचरित अपशिष्ट के निर्वहन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। यमुना के कायाकल्प का काम जनवरी 2023 में मिशन मोड में शुरू हुआ था। इस चार स्तरीय रणनीति के तहत होगा यमुना का कायाकल्प। सबसे पहले यमुना नदी में जमा कचरा, गाद और अन्य गन्दगी को हटाया जाएगा। 2. साथ ही नजफगढ़ ड्रेन, सप्लीमेंट्री ड्रेन व अन्य बड़े नालों की सफाईं की जाएगी। 3. मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और कामकाज की रोज निगरानी होगी। 4. करीब 400 एमजीडी सीवेज ट्रीटमेंट की कमी पूरी करने नए एसटीपी और डीएसटीपी बनाने व चालू करने की समयबद्ध यह योजना लागू की जाएगी। उपराज्यपाल योजना की निगरानी कर रहे थे और इससे संबंधित कार्यो का मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे थे। ऐसे में यमुना के पानी में सीओडी/बीओडी का स्तर महीने दर महीने थोड़ा सुधरने लगा था। मगर इस कार्यं विरोध में अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 10 जुलाईं 2023 को तत्कालीन प्राधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ से एनजीटी के आदेश पर रोक लगवा दी। इसके बाद यमुना के कायाकल्प का काम फिर से रूक गया और इस साल की शुरुआत में रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के साथ पानी में सीओडी/बीओडी का स्तर और खराब हो गया। हम नईं सरकार और प्राधानमंत्री के इस तेज रफ्तार से यमुना सफाईं अभियान चलाने का वह भी जब नईं सरकार का गठन नहीं हुआ, स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वर्षो पुरानी दिल्ली वासियों की मांग कि यमुना साफ हो और दिल्ली वासियों को साफ पानी मिले जल्द हकीकत में बदले। ——अनिल नरेन्द्र

अमित शाह का नक्सलवाद मुक्त भारत मिशन

मुक्त भारत मिशन वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नक्सलवाद मुक्त भारत मिशन को भारी बहुमत मिलती दिखने लगी है। पिछले छह वर्षो में वामपंथी उग्रावाद प्राभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 38 रह गईं है। इसी अवधि में उग्रावादी हिसा में 81 फीसद की कमी आईं है। जबकि सुरक्षा बलों और नागरिकों की हताहत संख्या में 85 फीसद की गिरावट दर्ज की गईं है। यह आंकड़े इस बात का प्रामाण है कि सरकार की नीति न केवल कारगर सिद्ध हो रही है। बल्कि नक्सलवाद का जड़ से खात्मा भी सुनिाित कर रही है। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार केवल सैन्य कार्रवाईं तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन क्षेत्रों में विकास को भी प्राथमिकता दी, जहां नक्सलवाद की जड़े मजबूत थीं। सड़क निर्माण टेलीकॉम कनेक्टिविटी, बैकिग सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर स्थानीय जनता को मुख्यधारा में लाने के लिए कईं योजनाएं चलाईं गईं। पिछले 5 वर्षो में वामपंथी उग्रावाद प्राभावित राज्यों में 2384.17 करोड़ रुपए की विशेष सहायता दी गईं, जिससे वहां के नागरिकों को आधारभूत सुविधाएं मिल सकीं। एक समय था जब युवाओं के पास रोजगार के सीमित अवसर थे जिससे वे उग्रावादी संगठनों के चगुंल में पंस जाते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गईं है। केन्द्र सरकार ने कौशल विकास, स्टार्टअप प्राोत्साहन, आर्थिक समावेशन जैसी योजनाओं के जरिए युवाओं को एक नया भविष्य देने का काम किया है। इसमें वे अपने क्षेत्र में ही आत्मनिर्भर बन रहे हैं और नक्सलवाद से प्राभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन धीरे- धीरे लौट रहा है। वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद से निपटने की रणनीति आव््रामक लेकिन प्राभावी रही है। उन्होंने सुरक्षा बलों को प्राोत्साहित किया। खुफिया प्राणाली को मजबूत किया और वामपंथी उग्रावादियों के विभिन्न नेटवर्व को ध्वस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए। उनकी यह नीति अब रंग ला रही है और भारत जल्द ही नक्सलवाद के अभिशाप से मुक्त होगा। आज जब भारत वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रासर है तो आतंरिक सुरक्षा को मजबूत करना अनिवार्यं है। नक्सलवाद जैसे खतरे को जड़ से मिटाना केवल सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान का भी भविष्य है। हमें यह सुनिाित करना होगा कि कोईं भी नागरिक या क्षेत्र विकास से वंचित न रहे। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाईं में सरकार का यह संकल्प है कि आने वाले वर्षो में हर नागरिक को एक सुरक्षित और समृद्ध जीवन मिले। यह केवल युद्ध नहीं, बल्कि एक विचारधारा के अंत की शुरुआत है और वह दिन दूर नहीं जब भारत नक्सलवाद से पूर्णत: मुक्त होकर विकास और समृद्धि की नईं ऊंचाईंयों को छुएगा।

Tuesday, 18 February 2025

चुनाव आयोग ईंवीएम डाटा न हटाए

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि सत्यापन प्राव््िराया के दौरान ईंवीएम से डाटा मिटाया या फिर से अपलोड न किया जाए। शीर्ष अदालत ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोव््रोटिक रिफाम्र्स (एडीआर) की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआईं) संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एडीआर की ईंवीएम की जली हुईं मेमोरी और सिबल लोडिग मशीन यूनिट के सत्यापन की अनुमति की मांग करती याचिका पर यह निर्देश दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि ईंवीएम के सत्यापन के लिए उसकी ओर से तैयार की गईं मानक संचालन प्राव््िराया (एसओपी) ईंवीएम-वीवी पैट मामले में 26 अप्रौल 2024 के कोर्ट के पैसले के अनुरूप नहीं है। एडीआर की ओर से वकील प्राशांत भूषण ने कहा कि 1 जून और 16 जुलाईं 2024 को चुनाव आयोग की ओर से जारी एसओपी में ईंवीएम और सिबल लोडिग यूनिट की जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए पर्यांप्त दिशा-निर्देशों का अभाव है। एडीआर की याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में निर्धारित जांच और सत्यापन प्राव््िराया में जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर के मूल डाटा को साफ करना भी हटाना शामिल है। जो किसी या वास्तविक जांच और सत्यापन को असंभव बना देता है। आवेदन में कहा गया है कि अनुपालन संबंधी दिशा-निर्देशों की अनुपस्थिति ऐतिहासिक निर्णय के सार को पराजित करती है जिसका उद्देश्य यह सुनिाित करना था कि मतदान के दौरान कोईं दुर्भावना या बेईंमानी न हो। पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिदर सिह से कहा कि पैसले में निर्देश ईंवीएम में मतदान डाटा को मिटाने या फिर से लोड करने का नहीं था। पैसले का उद्देश्य केवल यह था कि मतदान के बाद ईंवीएम का सत्यापन और जांच निर्माण वंपनी के एक इंजीनियर की ओर से की जाए।पीठ ने वकील से पूछा— अगर मतदान के बाद कोईं पूछता है तो इंजीनियर को आकर यह प्रामाणित करना चाहिए कि उनकी मौजूदगी में उनके अनुसार जली हुईं मेमोरी या माइव््राो-चिप स्टॉक में कोईं छेड़छाड़ नहीं की गईं है। बस इतना ही। आप डाटा क्यों मिटाते हैं? ——अनिल नरेन्द्र

महावुंभ में रिकार्ड 50 करोड़ श्रद्धालु

50 करोड़ श्रद्धालु महावुंभ में स्नान करने वालों की संख्या 50 करोड़ पार कर चुकी है।यह अपने आप में एक रिकार्ड है। इसे पूर्व के किसी भी वुंभ, महावुंभ में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान नहीं किया। खास बात यह है कि 50 करोड़ का आंकड़ा मेला अवधि पूरे होने से पूर्व ही पार हो गया है, मेला अभी 26 फरवरी तक है, इस दिन महाशिवरात्रि का स्नान होगा। महाशिवरात्रि तक लगभग 60 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया जा रहा है। गुरुवार की रात आठ बजे तक 49.14 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। शुव््रावार को शाम छह बजे तक 92.84 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाईं। मेला क्षेत्र में हालात ऐसे हैं कि यहां पर आम दिनों में भी माघ महीने के प्रामुख स्नान जैसा नजारा दिखता है। लोग सिर पर गठरी बांधे हर दिशा से मीलों पैदल चलकर संगम पहुंच रहे हैं। शुव््रावार को भी स्थिति ऐसी हो गईं कि कईं बार मेला व पुलिस प्राशासन को जोनल प्लान लागू कर श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र की बैरिकेडिग से रोकना पड़ा। ि़जससे संगम क्षेत्र पर ज्यादा दबाव न बन सके। पूरे दिन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता रहा। काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने शुव््रावार को त्रिजटा स्नान मानकर डुबकी लगाईं। मान्यता है कि त्रिजटा स्नान पूर्व पर संगम में डुबकी लगाने से एक महीने का कल्पवास का पुण्य मिल जाता है। हालांकि तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि त्रिजटा स्नान शनिवार को है। संगम की रेती पर चल रहे महावुंभ में गुरुवार को अनूठा विश्व कीर्तिमान बनाया गया है। यह रिकार्ड नदी स्वच्छता का है। 300 से अधिक लोगों ने एक साथ गंगा सफाईं कर यह रिकार्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड और प्रायागराज मेला प्राधिकरण की टीम का कहना है कि अब तक इस जैसा रिकार्ड कभी नहीं बना। प्राशासन ने 300 सफाईं कर्मियों को एक साथ 30 मिनट तक गंगा स्वच्छता के अभियान का लक्ष्य दिया था। यह वुंभ कईं मायनों में अप््िरातम रहा है। उत्तर प्रादेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार भी अब तक प्रायागराज के इस महावुंभ में लगभग 50 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। शायद ही कोईं संत, महंत, साधु, नागा संन्यासी चाहे किसी अखाड़े या संप्रादाय से क्यों न जुड़ा हुआ हो। यहां न आया हो। राष्ट्रपति, प्राधानमंत्री से लेकर सत्ता, विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता वुंभ स्नान कर चुके हैं। अंबानी, अडानी सहित देश के शीर्षक उदृाोगपति परिवारों के लोग त्रिवेणी के जल में स्नान कर चुके हैं। फिल्म उदृाोग तथा अन्य गतिविधियों से जुड़े प्रासिद्ध और चर्चित चेहरे प्रायागराज की माटी चूम चुके हैं। सामान्य श्रद्धालुओं का जो उत्साह प्रारम्भ में उमड़ता हुआ दिखाईं दिया था उसकी उमड़ किसी भी दिन कम नहीं हुईं। मौनी अमावस्या के दिन दुखद दुर्घटना भी हो गईं। वुछ श्रद्धालुओं की मृत्यु भी हो गईं। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण था। प्रायागराज पहुंचने वाले हर मार्ग पर जो लंबी लाइने लगी हुईं हैं। श्रद्धालुओं को कईं-कईं घंटे लाइनों व जाम में पंसने से भी उनके उत्साह में कमी नहीं आईं। कईं मायनों में यह महावुंभ ऐतिहासिक रहा। हम मुख्यमंत्री योगी जी व उनके तमाम प्राशासनिक अधिकारियों को इस अत्यन्त सफल आयोजन की बधाईं देते हैं।

Saturday, 15 February 2025

ट्रंप के 6 फैसलों पर लगी रोक



20 जनवरी 2024 को जबसे डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वापसी की है, उन्होंने अपने बदलाव वाले एजेंडे को तूफानी रफ्तार से आगे बढ़ाया है। अमेरिकी सरकार के प्रमुख के तौर पर उन्होंने पहले ही दिन जो बाइडन के बनाए नियमों को 78 शासकीय अध्यादेशों के जरिए खत्म कर दिया। तबसे उन्होंने अपने एजेंडे को लागू करने के लिए जिन दर्जनों आदेशों को जारी किया है, वे अगर लागू होते हैं तो अमेरिका में कार्यपालिका के काम के तरीके और आकार को नहीं बदलेंगे बल्कि सरकार के अन्य विभागों की शक्तियों पर असर पड़ेगा। उनके कुछ कदमों का असर कुछ संवैधानिक अधिकारों पर भी पड़ेगा। हालांकि फिलहाल उनके आदेशों को उनके समर्थक कई बड़े उत्साह से ले रहे हैं। ट्रंप के इन कदमों से अमेरिका में लाखों सरकारी कर्मचारी चिंतित हैं, जिन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है। इसके अलावा हजारों कंपनियां, एनजीओ भी असमंजस में हैं जो फंड, कांट्रेक्ट और सहायता उन्हें मिल रही थी, वो जारी रहेगी या नहीं? ट्रंप के इन आदेशों में से कई को अदालत में चुनौती दी गई है, कुछ आदेशों को देश के अलग-अलग हिस्से में अदालतों ने निलंबित कर दिया है, जिसने ट्रंप प्रशासन में हताशा पैदा कर दी है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने गुस्से को जाहिर करते हुए कहा कि न्यायापालिका अपने फैसलों से हद पार कर रही है। जजों को कार्यपालिका की वैध शक्तियों को रोकने की इजाजत नहीं है। मंगलवार को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डॉज) के प्रमुख और अरबपति एलन मस्क भी एक फैसले के लिए एक जज को निशाने पर लेते हुए लिखते हैं ः एक जज की पूरी जिंदगी जज बने रहने देने का विचार भले ही फैसले कितने बुरे हों। यह बहुत बकवास बात है। हो सकता है कि उन जजों की जांच करने की जरूरत हो। ऐसे छह मामले हैं जिसमें अमेरिकी न्याय प्रणाली ने ट्रंप प्रशासन के फैसलों पर रोक लगा दी है। आप्रवासी के बच्चों की नागरिकता के आदेश पर कई राज्यों की अदालतों के फैसले आए। विदेशियों के होने वाले बच्चों के जन्मसिद्ध नागारिकता के आधार पर खत्म करने का ट्रंप के फैसलों को सबसे पहले सीएटएल के एक संघीय जज ने 23 जनवरी को दिया जिसमें इस आदेश पर अस्थाई रोक लगा दी गई। मैरी लैंड के एक जज ने पूरे देश में ट्रंप के इस आदेश पर रोक लगा दी। जबकि 10 जनवरी को एक तीसरे जज ने ऐसा ही फैसला सुनाया । जनवरी के अंत में इस प्रशासन ने 20 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को ऐसा नोटिस दिया, जिसमें मुआवजे के तौर पर 8 महीने के वेतन के बदले, उन्हें स्वेच्छा से इस्तीफा देने की पेशकश की गई। 6 फरवरी को एक संघीय जज ने इसे लागू होने पर रोक लगा दी और पेशकश स्वीकार करने की समय सीमा भी बढ़ा दी। नए प्रशासन ने यूएसएड के सभी तरह के अंतर्राष्ट्रीय सहायता कार्यक्रमों पर रोक लगा दी और अमेरिका से बाहर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को वापस आने का आदेश देते हुए हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निलंबित कर दिया। 7 फरवरी को एक संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन की योजना पर तत्कालिक रोक लगा दी। इसके अलावा एलन मस्क के डिर्पाटमेंट डाज और यूएसएड के 2,200 कर्मचारियों को निलंबित किए जाने पर रोक लगा दी। इसी तरह कई और तुगलकी आदेशों पर वहां की अदालतों ने रोक लगा दी। और भी कई फैसलों पर रोक लगाई गई है। 31 जनवरी के आदेश में ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अधिकारिक रूप से सिर्फ दो जेंडर को मान्यता दी जाएगी, इसमें ट्रांस लोगों के जीवन में भारी उथल-पुथल मच गया। ट्रंप प्रशासन के फैसलों पर अमेरिका में जमकर विरोध हो रहा है। कहा जा रहा है कि अमेरिका की सारी स्टेटों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। भारी उथल-पुथल मच गई है।

-अनिल नरेन्द्र

दिल्ली चुनाव और बिहार की राजनीति



दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस को परजीवी पार्टी कहा। उन्होंने कहा, बिहार में कांग्रेस जातिवाद का जहर फैलाकर अपनी सहयोगी आरजेडी की पेटेंट जमीन को खाने में लगी है। चूंकि इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पीएम मोदी के भाषण का यह अंश चर्चा में है। विश्लेषकों के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का बिहार में होने वाले चुनावों पर भी असर पड़ेगा। उनका मानना है कि दिल्ली की तरह बिहार में भी कांग्रेस अपनी खोई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है, इसलिए वह बिहार चुनाव अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। अगर वो ऐसा कर जाती है तो संभव है कि वह बारगेनिंग पावर बढ़ा सके। वैसे भी बिहार में कार्यकर्ताओं की पूरी डिमांड है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े ताकि पार्टी को दूरगामी राजनीति में फायदा हो। दिल्ली चुनाव में नतीजों ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टियों की स्थिति को लेकर कयास तेज कर दिए हैं। जानकारों की मानें तो दोनों ही गठबंधन यानि एनडीए और इंडिया गठबंधन की पार्टियों में सीट शेयरिंग को लेकर नए समीकरण बनेंगे। भाजपा प्रवक्ता आसित नाथ तिवारी कहते हैं, एनडीए ने 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और हम लोग अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए चट्टानी एकता के साथ लड़ेंगे। वही जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा भी कहती हैं जिस निर्णय से एनडीए के पक्ष में निर्णय आएंगे वही फैसला लिया जाएगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो जेडीयू 100, भाजपा 100, राजद 150 तो कांग्रेस 70 सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी ‘हम’ के लिए 20 सीटों की डिमांड पहले ही कर चुकी है। वहीं मुकेश साहनी की वीआईपी 40 सीटों पर दावेदारी कर रही है। जनसुराज ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही है। दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद सबसे ज्यादा पेंच कांग्रेस को मिलने वाली सीट पर हो सकता है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीट में से सिर्फ 19 सीट जीत पाई थी। हालांकि लोकसभा में पार्टी ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए 9 में से तीन सीट जीती। वरिष्ठ विश्लेषक का मानना है कि कांग्रेस बिहार में बारगेनिंग पोजीशिन में नहीं है, न तो उसके पास उम्मीदवार है न संगठन। राहुल गांधी इस साल दो बार पटना आ चुके हैं। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जातिगत सर्वे लेते रहे हैं। यहां ये दिलचस्प है कि ये दोनों ही कार्यक्रम कांग्रेस के नहीं थे। एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि इन कार्यक्रमों में शामिल होकर वो पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को लक्ष्य करके अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप देखिए तो मोटे तौर पर ये राजद का कोर वोट है। वहीं राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं, दिल्ली और बिहार में कुछ फर्क है। केजरीवाल और कांग्रेस के संबंध तल्ख हैं, लेकिन बिहार में राजद और कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं है। बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की तुलना भी आम आदमी पार्टी से की जाती है, वजह यह कि दोनों ही वैकल्पिक और साफ-सुथरी राजनीति की बात करते हैं। वहीं एक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, पीके केजरीवाल ही साबित होंगे। ये दोनों ही नई राजनीति की बात करते हैं और करते कुछ और हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। वह किस तरफ जाएंगे इस पर सवाल खड़े हैं। दूसरी ओर भाजपा अपनी पूरी ताकत से बिहार चुनाव लड़ेगी और चाहेगी कि इस बार बिहार का मुख्यमंत्री भाजपा का ही हो। अभी समय है, बिहार विधानसभा चुनाव साल के अंत तक होना है तब तक कई समीकरण बदलेंगे, परिस्थितियां बदलेंगी।

Thursday, 13 February 2025

कांग्रोस ने हारकर भी हिसाब चुकता किया


दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रोस हारकर भी जीत गईं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रोस पाटा को एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली हो, लेकिन उसने आप पाटा की हार सुनिाित करने में बड़ी भूमिका निभाईं। भले ही कांग्रोस पाटा को पराजय का सामना करना पड़ा हो लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में वह अपनी राह के बड़े कांटे को निकालने में सफल रही है। कारण यह है कि आम आदमी पाटा का जन्म कांग्रोस के विरोध से शुरू हुआ और धीरे-धीरे उसने देश के कईं हिस्सों में पाटा के जनाधार पर सेंध लगाने का काम किया। जहां पहले उसने दिल्ली की सत्ता से कांग्रोस को बेदखल किया तो उसके बाद कांग्रोस के एक अन्य गढ़ माने जाने वाले राज्य पंजाब में भी उसे हाशिए पर खड़ा कर दिया।

दो राज्यों में बेदखल करने के अलावा आम आदमी पाटा ने गुजरात, उत्तरांचल, गोवा, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रादेश के चुनाव में भी कांग्रोस को गहरी चोट दी। दिल्ली के विधानसभा परिणाम स्पष्ट दिखाते हैं कि कांग्रोस ने जो वोट लिए उसी की वजह से आम आदमी पाटा कम से कम 15-17 सीटों पर हार गईं। हार जीत में जितना वोटों का अंतर है उससे ज्यादा वोट कांग्रोस उम्मीदवारों को मिले। आज अगर केजरीवाल सत्ता से बाहर हैं तो इसके पीछे उनका अहंकार बड़ी वजह है। कांग्रोस तो हरियाणा में भी गठबंधन करना चाहती थी पर केजरीवाल ने न केवल मना कर दिया बल्कि सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। इनमें से अधिकतम की जमानत जब्त हो गईं। पर यह कांग्रोस को भी सत्ता में जीती बाजी हरवा गए। इसलिए वुछ विश्लेषक उन्हें भाजपा-आरएसएस की बी टीम कहते हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रोस को अकेले अपने दम पर उतरने के पीछे भी बड़ी वजह चुनाव जीतना नहीं बल्कि केजरीवाल के बढ़ते कदमों को रोकना था। पाटा के रणनीतिकार मानते थे कि यदि केजरीवाल की राह नहीं रोकी तो आने वाले दिनों में न केवल कईं अन्य राज्यों में वह कांग्रोस के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रोस का चुनाव कईं अवसर के रूप में सामने आया और पाटा ने अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। उल्लेखनीय है कि आम आदमी पाटा (आप) का जन्म ही कांग्रोस विरोध के नाम पर हुआ था। केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा दिल्ली से आगे बढ़कर अन्य राज्यों में भी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रोस को पहुंचाना रहा। पिछले वुछ दिनों से तो केजरीवाल राहुल गांधी के खिलाफ खुलकर आरोप लगाने लगे थे ताकि कांग्रोस को नुकसान पहुंचे और वह खुद विपक्ष की राजनीति में भी राहुल के सामने खड़े हो सके। केजरीवाल, ममता और अन्य इंडिया गठबंधन ने तो कांग्रोस को विपक्षी गठबंधन से ही बाहर करने की कोशिश की। कांग्रोस को लगने लगा कि अगर उसे सियासत में जिदा रहना है तो अकेला खड़ा होना पड़ेगा और इस रणनीति में सबसे पहला कदम था दिल्ली में आम आदमी पाटा को सियासी मात दिलवाने में मदद करना।

कांग्रोस जानती थी कि वह दिल्ली में जीत नहीं सकती थी पर उसका मकसद आम आदमी पाटा को सत्ता से बेदखल करना था जिसमें वह सफल भी हो गईं।

——अनिल नरेन्द्र 

मिल्कीपुर में भाजपा की जीत



भाजपा की जीत उत्तर प्रादेश उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत के कईं संदेश हैं।

पहली बात तो यह है कि यहां पिछड़ी जातियों के ज्यादातर मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया। इस सीट पर भाजपा के चंद्रभानू पासवान ने 61,719 वोट के अंतर से अपने निकटतम प्रातिद्वंद्वी सपा के अजीत प्रासाद को हराया। चंद्रभानू को 1,46,397 वोट मिले जबकि सपा उम्मीदवार को 84,000 से अधिक वोट हासिल हुए। पारंपरिक तौर पर ऐसा माना जाता है कि मुस्लिम वोटरों का प्राभाव समाजवादी पाटा की तरफ रहता है लेकिन इस उपचुनाव में सपा को लोकसभा चुनाव की तरह मुस्लिम मतदाताओं का साथ नहीं मिला। सपा के लिए प्राचार करने वाले अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडे भी पाटा के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए। माना जाता है कि पवन पांडे का ब्राrाण समुदाय में अच्छा आधार है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पीडीए का पैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में जो जादू चला था वो मिल्कीपुर उपचुनाव में नहीं चल सका। मगर जातीय आंकड़ों की बात करें तो मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में वुल मतदाताओं में से 30 प्रातिशत दलित समुदाय है।

वहीं यादव और मुस्लिम समुदाय लगभग बराबर संख्या में है। इसके अलावा ब्राrाण, ठावुर, बनिया समेत अगड़ी जाति के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। बाकी के वोटरो में धोबी, वुम्हार, लोधी, लोहार समेत अन्य जाति पिछड़े वर्ग से आते हैं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यादवों को अपनी तरफ मोड़ना था। भाजपा ने चुपचाप इस मिशन पर काम किया, पाटा के कार्यंकर्ताओं ने समुदाय के प्राधान, समुदाय के पूर्व प्राधानों से संपर्व किया और उन लोगों से संपर्व किया, जिन्होंने छोटेछोटे चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। यादवों को एकजुट करने में आरएसएस पदाधिकारी ने अहम भूमिका निभाईं और वो इसके लिए पिछले छह महीने से काम कर रहे थे। उधर एक स्थानीय नेता का कहना था कि समाजवादी पाटा ने ब्राrाणों के बीच कोईं ठीक काम नहीं किया। मिल्कीपुर में दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों की पहली पसंद इस चुनाव में भाजपा रही। इस निर्वाचन क्षेत्र में दो प्रामुख दलित समुदाय है, पासी और कोरी। भाजपा ने इन दोनों प्रामुख समूहों के बीच पाटा की पैठ बनाने में अहम भूमिका निभाईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारम्परिक तौर पर सपा को मुस्लिम वोट मिलता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उनका वोट टर्न आउट कम रहा। इनका यह भी कहना है कि उपचुनाव में सत्ताधारी पाटा को हटाना आसान नहीं होता क्योंकि सारी सरकारी मशीनरी उनके साथ होती है। वरिष्ठ पत्रकार हालांकि यह भी कहते हैं कि मिल्कीपुर में मिला जनादेश भाजपा को मिला जनादेश का मुकाबला अयोध्या में भाजपा की हार से पुख्ता नहीं होता। दिल्ली विधानसभा चुनाव और मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजों पर सपा प्रामुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर चुनाव में ईंमानदारी न बरतने का आरोप लगाते हुए कहा पीडीए की पहली शक्ति का सामना भाजपा वोट के बल पर नहीं कर सकती है। इसलिए वो चुनावी तंत्र का दुरुपयोग करके जीतने की कोशिश करती है। ऐसी चुनावी धांधली करने के लिए जिस स्तर पर अधिकारियों को हेरापेरी करनी होती है वो एक विधानसभा में तो भले किसी तरह संभव है, लेकिन 403 विधानसभाओं में से चार सौ बीस नहीं चलेगी। उन्होंने आगे कहा जो लोग ये कह रहे हैं कि मिल्कीपुर जीतकर अयोध्या का बदला ले लिया, अयोध्या का बदला कोईं नहीं ले सकता। इसमें कोईं संदेह नहीं कि उत्तर प्रादेश से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर को अपनी प्रातिष्ठा का प्राश्न बना लिया था।


Tuesday, 11 February 2025

डंकी रूट के ट्रेवल एजेंटों पर कार्रवाई



यह अच्छी खबर है कि अवैध रूप से अमेरिका जाने वाले भारतीयों के निर्वासन के बाद इसके लिए दोषी माने जा रहे ट्रेवल एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने अन्य वरिष्ठ अफसरों के साथ चार सदस्यीय कमेटी बनाई है जो अवैध प्रवास या मानव तस्करी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जांच करेगी। अमृतसर पुलिस ने इस मामले में पहला केस ट्रेवल एजेंट सतनाम सिंह के खिलाफ दर्ज कर लिया है। वहीं करनाल में भी अमेरिका से निर्वासित किए गए पीड़ितों ने एजेंटों के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराए हैं। धोखाधड़ी के मामले में 7 साल कैद और पंजाब ट्रेवल प्रोफेंशनल्स रेगुलेशन एक्ट के तहत सात साल से दस साल की कैद और दस से 20 लाख रुपए, जमीन तथा आफिस सील किया जा सकता है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया है कि बीते तीन वर्षों में लगभग 4200 भारतीयों के अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने की जांच चल रही है। ईडी ने गुजरात और पंजाब में पीय एजेंटों के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। जो अवैध रूप से भारतीयों को विभिन्न रास्तों से अमेरिका भेजने का काम कर रहे थे। जांच में सामने आया है कि अवैध प्रवास के लिए एजेंटों ने शिक्षा के नाम पर एक जाल बिछाया है। इसके तहत अमेरिका जाने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को पहले कनाडा के कालेजों में एडमिशन दिलाया जाता है। इसके आधार पर वे कनाडा का वीजा प्राप्त करते और वहां पहुंचने के बाद कालेज की पढ़ाई छोड़कर अमेरिका की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार इन कालेजों की फीस भुगतान के लिए ई बिक्स कैश नामक एक वित्तीय सेवा कंपनी का इस्तेमाल किया जाता है। जांच में पाया गया है कि 7 सितम्बर 2021 से 9 अगस्त 2024 के बीच गुजरात से कनाडा स्थित विभिन्न कालेजों में 8,500 ट्रांजेक्शन किए गए। इन में से 4300 दोहराए गए ट्रांजेक्शन ऐसे थे जिनका इस्तेमाल अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए किया गया। ईडी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एजेंटों को प्रत्येक व्यक्ति को अवैध रूप से अमेरिका भेजने के लिए 40 से 50 लाख रुपए तक की राशि मिलती थी। इसके बाद वे छात्रों के नाम से कनाडा के कालेजों में प्रवेश दिलवाते और फीस भरते थे। जब व्यक्ति कनाडा पहुंच जाता तो किसी ने किसी बहाने कालेज से दाखिला रद्द कर दिया जाता। सरकार ने पावार को लोकसभा में बताया कि वर्तमान में विदेशी जेलों में बंद भारतीय कैदियों की संख्या 10,152 है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये डाटा साझा किया। साझा किए गए डाटा के मुताबिक सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका, श्रीलंका, स्पेन, रूस, इजरायल, चीन, बांग्लादेश और अर्जेंटीना सहित 86 देशों की जेलों में भारतीय कैदियों के आंकड़े शामिल हैं। उम्मीद की जाती है कि अवैध तरीके से भारतीयों को विदेश भेजने वाले इन ट्रैवल एजेंटों पर सख्त कार्रवाई होगी महज लीपापोती नहीं। इनकी वजह से आज भारत पूरी दुनिया में बदनाम हो रहा है। सारी दुनिया ने देखा कि किस तरह बेड़ियों में जकड़े अवैध प्रवासी अमृतसर हवाई अड्डे उतरे। भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन से अनुरोध भी किया है कि इनसे मानवीय व्यवहार किया जाए।

-अनिल नरेन्द्र


केजरीवाल को दिल्ली वालों ने दिल से क्यों निकाला


दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में न केवल आम आदमी पार्टी (आप) को करारी हार मिली बल्कि खुद अरविन्द केजरीवाल भी नई दिल्ली विधानसभा सीट नहीं बचा पाए। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा से चुनाव हार गए। केजरीवाल ने पिछले साल सितम्बर महीने में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शायद उन्होंने यह कभी नहीं सोचा होगा कि यह इस्तीफा कितना महंगा पड़ेगा। जब केजरीवाल पिछले साल 21 मार्च को जेल गए थे तभी विपक्षी पार्टियां उनके इस्तीफे की मांग कर रही थी और तंज कस रही थी कि दिल्ली की सरकार तिहाड़ जेल से चल रही है। अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की आबकारी नीति (जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था) में कथित अनियमितता मामले में छह महीने जेल में रहे थे। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए केजरीवाल ने कहा था, मैंने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया है। जनता ही बताएगी कि मैं ईमानदार हूं या नहीं। अब दिल्ली की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। यह फैसला किसी के बेईमान और ईमानदार होने से ज्यादा यह है कि दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री केजरीवाल नहीं बल्कि कोई भाजपा से होगा। केजरीवाल ने राजनीति में दस्तक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के जरिए दी थी। वे अपनी पार्टी और खुद के कट्टर ईमानदार होने का दावा करते रहे हैं। ऐसे में जब भ्रष्टाचार के मामले में वह जेल गए तो यह उनकी छवि के बिल्कुल उलट था। राजनीति में जिस छवि के साथ केजरीवाल 12 साल पहले आए थे, वो कमजोर पड़ी है। भाजपा ने केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को रणनीति के तहत कमजोर कर दिया। आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने से पहले केजरीवाल दावा करते थे कि वह सरकारी बंगला नहीं लेंगे और अपनी छोटी कार वैगनार पर ही चलेंगे इत्यादि-इत्यादि पर उन्होंने किया बिल्कुल उल्टा। घर बनाया तो शीशमहल बना दिया। कारों का लंबा काफिला उनके साथ चलता था। उनका अहंकार आसमान छूने लगा था। उन्होंने पार्टी के संस्थापकों सहित सभी दिग्गज नेताओं को लात मार कर बाहर निकाल दिया। वह न तो किसी अन्य नेता की बात सुनते थे न ही ईमानदार अफसरों की। केजरीवाल की हार की सबसे बड़ी वजह यह है कि दिल्ली के लोगों के मन में यह शंका घर कर गई थी कि आम आदमी पार्टी ने जो वादा किया है उसे डिलीवर करना मुश्किल है। केजरीवाल अक्सर यह दावा करते थे कि उपराज्यपाल हमें काम नहीं करने देते। तो जनता ने फैसला किया कि क्यों न भाजपा को लाया जाए ताकि सरकार और उपराज्यपाल में बेहतर समन्वय हो और दिल्ली का विकास हो। केजरीवाल की हार का एक बड़ा कारण था कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना। शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने केजरीवाल को जितना एक्सपोज किया और नुकसान पहुंचाया उतना शायद स्वाती मालीवाल, कुमार विश्वास ने भी नहीं किया। केजरीवाल को इतना अहंकार हो गया था कि उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर सोचा कि मैं अकेले ही मोदी का मुकाबला कर लूंगा। उनकी जमानत की शर्तों में एक शर्त यह भी थी कि वह मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं कर सकते। इससे भी जनता में असर पड़ा कि अगर उन्हें चुन भी लिया तो मुख्यमंत्री की ड्यूटी तो यह कर नहीं पाएंगे। केजरीवाल ने कहा था कि वह आम आदमी हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आम आदमी की तरह रहेंगे। लेकिन यह झूठ साबित हुआ। केजरीवाल की पार्टी का कोई लोकतंत्र नहीं है और वह हिटलरी अंदाज में काम करते हैं। अब जब वह हार गए हैं तो सारी बातें खुलने लगेंगी। उनके हार के कई विश्लेषण होंगे। मोटे तौर पर अब उन्हें सोचने, समझने और सुधार करने का पर्याप्त समय दिल्लीवासियों ने दे दिया है। राजनीति में कोई खत्म नहीं होता। केजरीवाल को भी राइट ऑफ नहीं किया जा सकता।

Saturday, 8 February 2025

गाजा पर अमेरिका कब्जा करेगा



हमें समझ नहीं आता कि अमेरिकी जनता ने क्या सोचकर इस खुराफाती शख्स जिसका नाम डोनाल्ड ट्रंप है को क्या सोचकर देश का राष्ट्रपति बनाया? यह तो पुरानी दुनिया का नक्शा बदलने के चक्कर में है। आए दिन इनके ऐसे बयान आ रहे हैं। जिसमें पूरी दुनिया में चिंता हो गई है कि यह क्या करने का इरादा रखता है। अब ताजा खबर आई है कि श्रीमान जी कह रहे हैं कि गाजा पट्टी पर अमेरिका कब्जा करेगा और यहां पर रिजार्ट सिटी बनाई जाएगी। यह पश्चिमी एशिया के लिए रोजगार और टूरिज्म का सेंटर बनेगा। ट्रंप ने कहा कि बदहाल गाजा अब बाधित जगह है, जहां कोई नहीं जाना चाहता है। गाजा बारूदी सुरंगों और आतंकी गुफाओं से पटा पड़ा है। पूरे गाजा को समतल बना कर वहां इंफ्रास्क्ट्रचर डेवलप किया जाएगा। वाशिंगटन में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में ट्रंप ने कहा गाजा में रहने वाले 23 लाख लोगों को मिस्र और जार्डन जैसे देशों में बसाया जाएगा। पश्चिमी एशिया की समस्या को सुलझाने के बारे में अमेरिका ने अब लंबी अवधि के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। ये प्लान दुनिया भर के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है। इसके नतीजे जल्द ही सामने आएंगे। नेतान्याहू ने कहा ये ऐतिहासिक होने वाला है। ट्रंप ने कहा कि हम वहां मौजूद खतरनाक बमों व अन्य हथियारों को निपिय करेंगे। तबाह हो चुकी इमारत को हटाने की जिम्मेदारी हमारी होगी। ट्रंप बोले फिलस्तनियों के पास कोई विकल्प नहीं है। यही कारण है वह गाजा वापस जाना चाहते हैं। पर वहां हर इमारत ढह गई है। ट्रंप के बयान पर हमास प्रवक्ता ने कहा कि हम ट्रंप के उन बयानों को खारिज करते हैं जिसमें उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी के निवासियों के पास वहां से भले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र का सऊदी अरब लंबे समय से आ"ान करता रहा है। उसका यह रुख अटूट है। वहीं एक अमेरिका सीनेटर कुन्स ने कहा कि ट्रंप का बयान खतरनाक है, इससे दुनिया में हमारे बारे में सोचने का जोखिम उत्पन्न हो गया है कि हम गैर भरोसेमंद साथी हैं। भारत में कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कहा, गाजा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति का प्रस्ताव अस्वीकार्य है। सरकार को मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, गाजा को भविष्य पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सोच खतरनाक है। ट्रंप के प्लान में अब तक कई अरब देश विरोध में आ चुके हैं। इनमें प्रमुख अरब देश सऊदी अरब मिस्र, जार्डन, कतर, तुर्किए आ चुके हैं। गाजा पर शासन करने वाले हमास ने तो इसे जातीय नरसंहार दिया है। खतरा यह भी है कि गाजा में अमेरिकी सेना उतार सकता है ट्रंप या इसे लीज पर ले सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

 

हमें हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां पहनाई गईं



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को खदेड़ने की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों के पहले ग्रुप को डिपोर्ट कर दिया गया है। भारतीय समयानुसार मंगलवार तड़के अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोब मास्टर इन्हें लेकर सैन एटोनिया से रवाना होने के बाद लगभग 40 घंटे की उड़ान के बाद अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। कड़े पहरे में 104 भारतीयों को सी-17 अमेरिकी विमान में चढ़ते देखना जितना शर्मसार करने वाला था, उतना ही दर्दनाक और अमेरिकी निष्ठुरता को प्रतिबंधित करने वाला था। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अवैध प्रवासी भारतीय वापस भेजे गए हों लेकिन इस बार कई ऐसी बातें हैं जो इसे अतीत की ऐसी घटनाओं से अलग करती हैं। अवैध प्रवासियों की उचित तरीकों से पहचान कर उन्हें उनके देशों में वापस भेजा जाना एक स्वाभाविक प्रािढया रहा है। भारत का इस मामले में शुरू से सहयोगात्मक रुख रहा है। पर सवाल वापसी के तरीकों का है। अमेरिकी विमान से बुधवार को लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा (लगभग 40 घंटे)। उन्हें निर्वासित प्रवासियों को हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं तथा अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है। निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं, 13 नाबालिग शामिल हैं, जिसमें एक चार वर्षीय लड़का, पांच व सात साल की दो लड़कियां शामिल हैं। इस 36-40 घंटे की उड़ान में अप्रवासियों को न तो कुछ खाने को दिया गया, न ही पानी की सुविधा। टॉयलेट जाने के लिए एक सैनिक साथ जाता था और टॉयलेट का दरवाजा खुला रखने का आदेश था। सवाल उठता है कि क्या यह अप्रवासी कोई आतंकवादी है या कोई अपराधी? इतना अमानवीय व्यवहार कैसे किया जा सकता है। हमसे तो छोटा सा देश कोलंबिया बेहतर रहा जहां मुश्किल से 5 करोड़ लोगों की आबादी है ने अमेरिकी सैन्य विमान जिसमें कोलंबिया के वे अप्रवासी वापस भेजे गए थे को अपने हवाई अड्डे पर उतरने की इजाजत नहीं थी। उन्होंने अपने दो विमान अमेरिका भेजे और अपने नागरिकों को पूरे सम्मान के साथ वापस लाया। हवाई अड्डे पर खुद कोलंबिया के राष्ट्रपति मौजूद थे अपने नागरिकों के स्वागत करने के लिए। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद अमेरिका की एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ जो अभियान चलाया हुआ है, उसे कठोर कहने वाले भी हैं, लेकिन ट्रंप की यही शैली है। अलबत्ता भारत के नजरिए से यह जरूर एवं गंभीर मुद्दा है। अवैध रूप से विदेश जाने के लिए लोग अक्सर लाखों रुपए खर्च कर डंकी रूट या दूसरे खतरनाक रास्तों का उपयोग करते हैं, जो न केवल उनमें जीवन के लिए जोखिम भरा है, बल्कि मानव तस्करी जैसे अपराधों को भी बढ़ावा देता है। सवाल उन परिस्थितियों पर भी उठने चाहिए, जिनसे बचने के लिए देश के युवा इतना जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं। जो वापस आ रहे हैं, उनके सहारे उन माफियाओं तक तो पकड़ बनाई जा सकती है, जो लोगों को अवैध ढंग से दूसरे देशों में भेजने के काम में लिप्त हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अवैध प्रदेश या घुसपैठ किसी देश को मान्य नहीं हो सकता। भारत खुद इनका सबसे बड़ा शिकार है। लाखों बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ-साथ हजारों रोहिंग्या यहां वर्षों से रह रहे हैं। भारत सरकार को और अवैध प्रवासियों को वापस लाने की प्रािढया तय करनी होगी और अमेरिका के अमानवीय व्यवहार पर आपत्ति दर्ज करानी चाहिए।

Thursday, 6 February 2025

अयोध्या में दलित युवती की नृशंस हत्या



उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में 22 वषीय दलित युवती का शव मिलने के बाद परिवार ने पुलिस पर निक्रियता का आरोप लगाया है और कहा है कि गुमशुदी की रिपोर्ट के बावजूद अधिकारियों ने सक्रीयता से उसकी तलाश नहीं की। पीड़िता गुरुवार रात से ही लापता थी, जब वह कथित तौर पर भागवत कथा में भाग लेने के लिए गई थी। जिसके बाद उसके परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। पुलिस के अनुसार शनिवार की सुबह उसके जीजा को उसका शव उनके गांव से सिर्फ 500 मीटर दूर एक छोटी नहर में पड़ा हुआ मिला। परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि युवती के हाथ और पैर रस्सियों से बंधे हुए थे उसके शरीर पर गहरे घाव थे और उसका एक पैर फ्रैक्चर हो गया था। युवती की आंखें फोड़ दी गई थी उसकी हड्डियां तोड़ दी गई थी। परिवार ने दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने कहा है कि पीड़िता के गांव से दो लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ जारी है। उधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक पोस्ट में कहा, अगर प्रशासन ने 3 दिन से गूंज रही लड़की के परिवार की मदद की गुहार पर ध्यान दिया होता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। प्रियंका गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा और दोषियों व कथित निष्क्रय पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा-यह बहुत गंभीर मामला है। सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो। फैजाबाद के सपा सांसद अवधेश प्रसाद पीड़ित परिवार से मिलने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में रो पड़े। उन्होंने कहा मैं उसे बचाने में विफल रहा। मुझे दिल्ली, लोकसभा जाने दीजिए। मैं इन मामले को पीएम मोदी के समक्ष उठाऊंगा। अगर हमें न्याय नहीं मिला तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। वही सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अयोध्या के मिल्कीपुर में सपा रैली में यह मुद्दा उठाया जहां 5 फरवरी को उपचुनाव है। योगी ने कहा कि अयोध्या में एक बेटी के साथ घटना हुई। उनके (सपा) सांसद इस मुद्दे पर नाटक कर रहे है। योगी ने कहा कि कानून अपना काम करेगा, लेकिन मेरी बात पर गौर करे, जब जांच आगे बढ़ेगी तो सपा के किसी अपराधी की संलिप्तता जरूर सामने आएगी। यह दुख की बात है कि ऐसी भीभत्स घटना पर भी राजनीति हो रही है। यूपी सरकार प्रशासन को चाहिए कि इस मामले की तुरंत जांच कराए और दोषी को सख्त से सख्त सजा दिलवाएं ताकि दूसरे ऐसी अनुवृत्ति रखने वालों को भी सबक मिले। हम उस युवती को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं और उनके परिवार को भगवान धैर्य दें इतनी बड़ी त्रासदी सहने के लिए।

-अनिल नरेन्द्र

जाने नागा साधुओं से जुड़े रहस्य



महाकुंभ 2025 को भव्य आगाज हुए कई दिन बीत गए हैं। इस मेले का सभी श्रद्धालुओं और संन्यासियों को बेसब्री से इंतजार था। महाकुंभ में एक विशेष आकर्षण नागा साधुओं का रहा है। 12 सालों में लगने वाला महाकुंभ हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। देश-विदेश से करोड़ों लोग महाकुंभ में शामिल होने आते हैं। इस महाकुंभ की भव्य शुरुआत प्रयागराज से पौष पूर्णिमा से हुई वहीं इसका समापन महाशिव रात्रि के दिन यानी 26 फरवरी 2025 को होगा। इस दौरान करोड़ों भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाई और यह सिलसिला अभी जारी है। हालांकि महाकुंभ में सभी साधु-संत और आमजन शामिल होते हैं, लेकिन नागा साधु हमेशा से ही कुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र बने रहे है। महाकुंभ में किए जाने वाले अमृत स्नान यानी शाही स्नान में सबसे पहले स्नान या अधिकार नागा साधुओं को दिया गया है ओर इनके स्नान करने के बाद ही अन्य संत स्नान करते है। आमतौर पर साधु-संत लाल या पीला, केसरिया रंग के कपड़ों में नजर आते हैं, लेकिन नागा साधु कभी कपड़े नहीं पहनते है। नागा साधु कंपकपाती ठंड में हमेशा नग्न ही रहते हैं। नागा साधु अपने शरीर पर धुनी या भस्म लपेटकर रहते हैं। नागा का अर्थ होता है नग्न नागा साधू का आजीवन नग्न ही रहते हैं और वे खुद को भगवान का दूत मानते हैं। नागा साधु वो होते हैं जो सांसारिक जीवन त्यागकर भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाते है। नागा साधु पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और सांसारिक सुखों से दूर रहते हैं। वे शिवजी की भक्ति में ही लीन रहते हैं। नागा साधुओं का मानना है कि व्यक्ति निर्वस्त्र दुनिया में आता है और यह अवस्था प्राकृतिक हैं, इसलिए नागा साधु जीवन में कभी भी कपड़े नहां पहनते और निर्वस्त्र रहते हैं। बता दें कि किसी व्यक्ति को नागा साधु बनने में 12 साल का समय लगता है। नागा पंथ में शामिल होने के लिए नागा साधु के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होना बेहद आवश्यक माना जाता है। कुंभ में अंतिम प्रण लेने के बाद लंगोट का त्याग कर दिया जाता है जिसके बाद वे हमेशा निर्वस्त्र रहते हैं। नागा साधु दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन करते है और वे भोजन भी भिक्षा मांगकर करते हैं। नागा साधु को दिन में 7 घरों से भिक्षा मांगने की इजाजत है। अगर उन्हें किसी दिन 7 घरों से भिक्षा हीं मिलती है तो उन्हें भूखा ही रहना पड़ता है। नागा साधु ठंड से बचने के लिए तीन प्रकार के योग करते हैं, साथ ही नागा साधु अपने विचारों और खानपान पर भी संयम रखते हैं। कठोर तपस्या, सात्विक आहार, नाड़ी शोधन और अग्नि साधना के कारण नागा साधुओं को ठंड नहीं लगती हैं। नागा साधुओं का कोई विशेष स्थान या घर भी नहीं होता है। ये कहीं भी कुटिया बनाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। सोने के लिए भी नागा साधु किसी बिस्तर का इस्तेमाल नहीं करते है, बल्कि हमेशा जमीन पर सोते हैं। नागा साधु तीर्थ यात्रियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन ही ग्रहण करते हैं। इनके लिए दैनिक भोजन का कोई महत्व नहीं होता है और न ही अन्य किसी सांसारिक चीज का महत्व होता है। नागा साधु केवल सात्विक और शाकाहारी भोजन ही खाते हैं। भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हुए नागा साधु 17 श्रृंगार करने में विश्वास रखते हैं, जिनमें भभूत, रुद्राक्ष माला, चंदन, डमरु, चिमटा और पैरों में कड़े आदि शामिल हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नागा साधु के 17 श्रृंगार शिव भक्ति के प्रतीक है। कुंभ में ज्यादातर नागा दो विशेष अखाड़ों से आते हैं। एक अखाड़ा है वाराणसी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा और दूसरा है पंच दशनाम जूना अखाड़ा। इन दोनों अखाड़ों के नागा साधु कुंभ का हिस्सा बनते हैं और कुंभ की समाप्ति पर अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते है। बहुत से साधु हिमालय के जंगलों और अन्य एकांत में तपस्या करने चले जाते हैं।

Tuesday, 4 February 2025

विवादों में ममता कुलकर्णी और किन्नर अखाड़ा


ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाकर सुर्खियों में आया किन्नर अखाड़ा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताने वाले ऋषि अजयदास ने बड़ा दावा करते हुए कहा, मैंने अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को पद से हटा दिया है। उनका कहना है कि फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी ममता कुलकर्णी को बिना किसी धार्मिक और अखाड़े की परम्परा को मानते हुए वैराग्य दिशा के बगैर सीधे महाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। ऋषि अजयदास ने पक्ष जारी करते हुए कहा कि किन्नर अखाड़े का संस्थापक होने के नाते जानकारी देता हूं कि किन्नर अखाड़े के 2025-26 उज्जैन कुंभ में मेरे द्वारा नियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को मैं उनके पद से मुक्त करता हूं। उन्होंने वजह बताई कि जिस धर्म के प्रचार-प्रसार व धार्मिक कर्मकांड के साथ किन्नर समाज को उत्थान आदि की आवश्यकता से उनकी नियुक्ति की गई थी, उस पर से सर्वथा मुकर गए हैं। उन्होंने बिना अनुमति के जूना अखाड़ा के साथ लिखित 2019 के प्रयागराज कुंभ में किया जो अनैतिक ही नहीं 420 है। कहा कि बिना संस्थापक की सहमति एवं हस्ताक्षर के जूना अखाड़ा एक किन्नर अखाड़ा के बीच का अनुबंध विधि अनुकूल नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़ा को संबोधित किया है। इसका अर्थ है कि किन्नर अखाड़ा 14वां अखाड़ा हैं उन्होंने यह स्वीकार किया है तो इसका अर्थ है कि सनातन धर्म में 13 नहीं अपितु 14 अखाड़े मान्य हैं। यह बात अनुबंध से स्वयं सिद्ध होती है। उन्होंने कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने असंवैधानिक ही नहीं अपितु सनातन धर्म व देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसी महिला जो फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हैं, उन्हें बगैर किसी धार्मिक और अखाड़े की परम्परा को मानते हुए वैराग्य की दिशा की बजाए सीधे उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी। उधर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि अजयदास किस हैसियत से कार्रवाई करेंगे। वह तो किसी पद पर है ही नहीं। उन्हें तो 2017 में ही अखाड़े से निकाला जा चुका है। मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा है, मेरा पद किसी एक व्यक्ति की नियुक्ति या सहमति पर आधारित नहीं था। 2015-16 उज्जैन में 22 प्रदेशों से किन्नरों को बुलाकार अखाड़ा बनाया गया था। मुझे महामंडलेश्वर चुना गया और उस वक्त ऋषि अजयदास हमारे साथ थे। उन्होंने 2017 को मुंबई की यात्रा की। उनके कर्मों की वजह से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जिन्होंने ममता कुलकर्णी को प्रयागराज महाकुंभ के दौरान महामंडलेश्वर बनाया था जिस पर सारा विवाद खड़ा हो गया है उन्होंने आगे कहा कि जो भी मेरे बोर्ड और मेरे खेमे में होगा वही मुझे निकाल सकता है। त्रिपाठी ने कहा कि ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बनी रहेंगी। उनके खिलाफ अब कोई आरोप नहीं है और सारे मामले रद्द किए जा चुके हैं। हमारी टीम अजयदास के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पहल करेगी। उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि जिस व्यक्ति (ऋषि अजयदास) को हमने 2017 में मुक्त कर दिया और वह  गृहस्थ जीवन जीने लगे और 2016 से उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़े का सारा पैसा गबन करने का उन पर आरोप लगाया जा रहा है वह कैसे मुझे बर्खास्त कर सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

 

मतदान की वीडियो क्लिप सुरक्षित रखने का आदेश


उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को निर्देश दिया कि वह प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने के उसके निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई लंबित रहने तक मतदान की वीडियो क्लिप सुरक्षित रखें। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वकील नरेन्द्र प्रकाश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय देने का अनुरोध किया था। सिंह ने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के प्रति मतदान केंद्र में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने संबंधी अगस्त 2024 के आयोग के परिपत्र को चुनौती दी है। पीठ ने कहा, प्रतिवादी संख्या एक की ओर से उपस्थित वकील हल्फनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध कर रहे हैं। हल्फनामा आज से तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए। हम प्रतिवादी संख्या एक को सीसीटीवी रिकार्डिंग को बनाए रखने का निर्देश देना उचित नहीं समझते हैं, जैसा कि वे पहले कर रहे थे। शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को कांग्रेsस महासचिव जयराम रमेश की याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था, जिसमें 1961 के चुनाव नियमों में सीसीटीवी तक सार्वजनिक पहुंच पर रोक सहित हाल के संशोधनों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग को कोई नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया था लेकिन याचिकाकर्ता को इसका प्रति निर्वाचन आयोग के स्थायी वकील को देने की अनुमति दी थी ताकि इस मुद्दे पर उसका रुख पता चले। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि निर्वाचन आयोग के फैसले से महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं पर सीधा असर पड़ेगा।

Saturday, 1 February 2025

महाकुंभ में भारी त्रासदी का जिम्मेदार कौन?



महाकुंभ में मची भगदड़ ने एक बार फिर पुराने जख्मों को कुरेद दिया है। आजादी के बाद से लेकर प्रयागराज के महाकुंभ मेलों में कई बार भगदड़ मची है। सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, लेकिन इन सभी हादसों से कोई सबक नहीं लिया गया। बार-बार प्रशासन की व्यवस्था पर प्रश्न उठता रहा है पर हर बार लीपापोती करके अगले हादसे का इंतजार होता है। इस बार प्रशासन ने मौनी अमावस्या के मौके पर एक नहीं दो स्थानों पर भगदड़ मची। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि 30 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हैं। इसके अलावा अब तक दो बार महाकुंभ में आग भी लग चुकी है। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। सरकार-प्रशासन तथ्य छिपाने की कोशिश कर रहा है। पर सोशल मीडिया में कई चैनलों के रिपोर्टरों ने सच्चाई सामने ला दी है। दुर्घटना के कई कारण सामने आए हैं। महाकुंभ की सुरक्षा संभाल रहे जिम्मेदार लोगों को पता था कि मौनी अमावस्या पर बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिए आएंगे तो इसकी व्यवस्था उसी के अनुरूप क्यों नहीं की गई? समूचा मीडिया मेला प्रबंधन का प्रशस्ति गान कर रहा था। श्रद्धालुओं की वाइट चलाई जा रही थी और बताया जा रहा था कि कुंभ में कितनी बढ़िया व्यवस्था है। अब सवाल उठता है कि जब मेला प्रबंधन को यह पूर्वानुमान था कि 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज पहुंचेंगे तो क्या उन्होंने अपनी हर आशंका का निर्णय कर लिया था। भगदड़ के जो कारण सामने आए हैं। एक कारण था कि संगम किनारे शुभ मुहूर्त प्रारंभ होने के साथ ही डूबकी लगाने का पुण्य लेने के आशय से बड़ी संख्या में जाकर वहां सो गए थे। जब अनियंत्रित भीड़ का रैला बैरीकेड तोड़ता हुआ पहले डूबकी लगाने की मंशा से आगे बढ़ा तो पहले से वहां विश्राम कर रहे श्रद्धालु उनके पैरों तले आकर कुचल गए। कोई संदेह नहीं कि घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई फिर भी सवाल उठता है कि अधिक नियंत्रित भीड़ संगम स्थल पर तमाम व्यवस्थाओं के रहते पहुंची कैसे? और बैरिकेड तोड़ सकी। जब इतनी भीड़ संगम स्थल पर बढ़ रही थी तो पुलिस प्रशासन ने उन्हें दूर क्यों नही रोका? घटना के कुछ समय बाद कुंभ यथावत चलने लगा हो, लेकिन श्रद्धालुओं की मौत का दाग इस कुंभ पर लग ही गया है। कांग्रेस समेत अन्य दलों ने इस भगदड़ को लेकर राज्य की योगी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि इस घटना के लिए कुप्रबंधन और आधी-अधूरी व्यवस्था जिम्मेदार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीfिडया एक्स पर पोस्ट में कहा-श्रद्धालुओं के परिजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं और घायलों की शीघ्र अतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की हम कामना करते हैं। खरगे ने दावा किया कि आधी-अधूरी व्यवस्था, प्रबंधन से ज्यादा स्व-प्रचार पर ध्यान देना और बदइंतजामी इसके लिए कौन जिम्मेदार है? लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि इस दुखद घटना के लिए वीआईपी मूवमेंट पर प्रशासन का विशेष ध्यान होने को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, अभी कुंभ का काफी समय बचा हुआ है, कई और महास्नान होने हैं। ऐसी दुखद घटना आगे न हो, इसके लिए सरकार को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। वीआईपी संस्कृति पर लगाम लगानी चाहिए और सरकार को आम श्रद्धालुओं की जरूरत की पूर्ति के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने महाकुंभ में भगदड़ जैसी स्थिति के लिए प्रशासनिक कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया तथा वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने तथा भीड़ प्रबंधन के कड़े इंतजाम करने की मांग की। आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान धार्मिक आयोजन के दृश्यों को डरावना बताया। शिव सेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि वीआईपी पहुंचते हैं तो पूरे घाट को बंद कर दिया जाता है। मीलों मील एक तरफ का कर्फ्यू लगा दिया जाता है। रक्षा मंत्री और गृहमंत्री गए थे तो पूरे घाट को बंद कर दिया गया। इससे व्यवस्था के ऊपर दबाव बढ़ा। इसके कारण भी भगदड़ मची। एक अन्य कारण रहा कि श्रद्धालुओं में अखाड़ों को खासकर नागा साधुओं और अघोरी साधुओं को देखने के लिए धक्का-मुक्की हुई। सभी अखाड़ों का अमृत स्नान देखने के लिए संगम पहुंचना चाह रहे थे। ऐसे में भीड़ जुटती गई और हादसे का एक बड़ा कारण यह बनी। संगम क्षेत्र पर एंट्री-एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे उसी से वापस जा रहे थे। बैरिकेट से भगदड़ मची तो निकलने का मौका ही नहीं मिला। प्रशासन ने अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए ज्यादातर पीपा पुल बंद कर दिए। इससे बाहर जाने वाले श्रद्धालु स्नान के बाद कुछ निकल नहीं पाए। इससे भी भगदड़ मची। मामले की जांच हो रही है और हादसे से सबक सीखते हुए कुछ नियमों में भी परिवर्तन किया गया है। नई-नई पाबंदियां भी लगाई गई है। हम मृत परिवारों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उम्मीद करते हैं कि प्रबंधन में जरूरी बदलाव किए जाएं ताकि आने वाले स्नानों में कोई अप्रिय घटना न हो।

-अनिल नरेन्द्र


Thursday, 30 January 2025

40 साल में सबसे ज्यादा महिलाएं चुनावी मैदान में



इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने 9-9 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने 7 महिलाओं को मैदान में उतरा है। 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में मैदान में उतरे 699 उम्मीदवारों में से 96 महिलाएं हैं। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। तीनों पार्टियों ने 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार ज्यादा महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बता दें कि इस बार चुनाव में पिछले चार दशकों में सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। आप ने महिला उम्मीदवारों में आतिशी, पूजा बालियान, प्रमिला टोकस और राखी बिड़लान के साथ अन्य पांच महिला उम्मीदवारों को उतारा है, जिसमें से आतिशी, प्रमिला टोकस, धनवंती चंदेला, वंदना कुमारी और सरिता सिंह फिर से मैदान में उतरी हैं। वहीं भाजपा की महिला उम्मीदवारों में रेखा गुप्ता, शिखा राय और प्रियंका गौतम हैं। ये तीनों एमसीडी की पार्षद का चुनाव भी जीत चुकी हैं। कांग्रेस की सात महिला उम्मीदवारों में प्रमुख रूप से अल्का लांबा, अरिबा खान, रागिनी नायक और अरुणा कुमार शामिल हैं। 1993 में 316 उम्मीदवारों की सूची में केवल 88 महिलाएं थीं जो सिर्फ 4 प्रतिशत था और इनमें सिर्फ 3 महिलाएं चुनाव जीत पाई थीं। महिलाओं की सफलता को देखते हुए 1998 तक महिलाओं की भागीदारी थोड़ा कम हो गई और 57 महिलाएं मैदान में उतरीं। लेकिन सफलता दर में सुधार हुआ और पांच फीसदी से बढ़कर 16 तक पहुंच गई। अब तक का रिकार्ड बना हुआ है। इसी तरह 2003 में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 78 हो गई लेकिन सिर्फ 9 प्रतिशत उम्मीदवार ही चुनाव में जीत हासिल कर पाईं। इसी तरह 2008 में भागीदारी बढ़कर 81 हो गई, सफलता दर घटकर 4 फीसदी रह गई। 2013 में महिला उम्मीदवारों की संख्या घटकर 71 हो गई, जबकि सफलता पर कोई बदलाव नहीं आया। 2015 में 66 महिलाएं मैदान में उतरीं जिसमें 9 फीसदी ने जीत हासिल की। 2020 में 79 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, 8 उम्मीदवारों यानि अपनी करीब 10 प्रतिशत ने जीत हासिल की। आप ने लगातार महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाई है। पार्टी में महिला उम्मीदवारों का जीत का प्रतिशत काफी अच्छा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 2013 में 6 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और तीन ने जीत हासिल की। वहीं 2015 में भी सभी 6 महिलाएं जीतीं। 2020 में पार्टी ने 9 महिलाओं को मैदान में उतारा, जिसमें से 8 जीतीं। जीत के प्रतिशत को देखते हुए इस साल पार्टी ने फिर से 9 महिलाओं को मैदान में उतारा है।

-अनिल नरेन्द्र

फैजाबाद की हार का बदला मिल्कीपुर से


5 फरवरी को होने जा रहे अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव पर भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद इस सीट पर चुनावी कमान संभाल ली है। वे चुनाव की घोषणा के पहले ही मिल्कीपुर विधानसभा इलाके में तीन सभाएं कर चुके हैं। अयोध्या का भी दौरा आधा दर्जन बार दो माह के बीच किया, जिसमें चुनावी एंगल पर भाषण भी दिया। इसके साथ ही प्रदेश सरकार के सात मंत्री यहां चुनाव प्रचार में लगे हैं। भाजपा के प्रदेश संगठन और जिला संगठन का एक ही लक्ष्य है... हर हाल में मिल्कीपुर उपचुनाव जीतना। वास्तव में भाजपा लोकसभा चुनाव में यहां मिली हार का बदला लेकर यह बताना चाहती है कि समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद सपा और इंडिया गठबंधन के झूठे प्रचार व लोगों में भ्रम पैदा करके अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट जीते हैं। सपा ने सारे देश में फैजाबाद में जीत का प्रचार कर भाजपा की फजीहत की थी। ऐसे में भाजपा उन कमियों को नहीं दोहराना चाहती जो लोकसभा के चुनाव में हार के कारण बनी थी। पार्टी के ही सूत्र बताते हैं कि पिछले चुनाव की हार की समीक्षा कर, अब घर-घर संपर्क का कार्यक्रम चल रहा है। भाजपा उम्मीदवार चंद्रभान पासवान खुद भी वोट मांग रहे हैं। मुलायम सिंह की पुत्रवधु और भाजपा नेता अपर्णा यादव, यादव समुदाय की वोट मांग रही हैं। समाजवादी पार्टी के प्रचार में जुटे पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे पवन व क्षेत्रीय सपा नेता कमलासन पांडे ब्राह्मण वोटों को पक्का करने के लिए संपर्क कार्यक्रम चला रहे हैं। पवन ने बताया कि इस समय सपा की रोजाना 6 चौपाल लगाई जा रही है। सांसद अवधेश प्रसाद भी अपने पुत्र के चुनाव प्रचार में जुटे हैं। प्रचार कार्यक्रम में भाजपा शासन की तानाशाही, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था की गिरावट को मुद्दा बनाया जा रहा है। सुरक्षित सीट होने के कारण मिल्कीपुर में दलितों की संख्या अधिक है। 70 हजार के करीब ब्राह्मण, 65 हजार यादव व 25 हजार ठाकुर, 20 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। यहां पाशी, कोरी, ब्राह्मण व यादव चुनाव में प्रभावकारी भूमिका निभाते हैं। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा की जीत के पीछे बीएसपी के उम्मीदवार के वोट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने 86960 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद को 58684 और बीएसपी के राम गोपाल को 46027 वोट मिले थे। जबकि पिछले चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को हराकर जीत दर्ज की थी। 5 फरवरी को होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा से चंद्रभान पासवान और सपा से अजित प्रसाद उम्मीदवार है। बीएसपी ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने संतोष कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एसपी के अवधेश प्रसाद के करीबी हैं और नाराज होकर आसपा में शामिल हो गए। वे दलितों के वोटों में कितनी सेंध लगाते हैं, इसका भी चुनाव परिणाम पर असर पड़ेगा। भाजपा ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। अयोध्या की हार से पार्टी की पूरे देश में कितनी किरकिरी हुई थी कि श्रीराम के मंदिर के निर्माण के बाद भी भाजपा यहां से हार गई। अब बदला लेने का मौका है। देखें, मतदाताओं का क्या रुख रहता है।

Tuesday, 28 January 2025

लालू ने सौंप दी तेजस्वी को विरासत


पटना में हुई कुछ दिनों पहले राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश कर पार्टी के सारे फैसले लेने के लिए लालू प्रसाद यादव के साथ तेजस्वी यादव को भी अधिकृत कर दिया गया। इसके साथ ही पार्टी में तेजस्वी यादव युग की शुरुआत हो गई है। पार्टी के गठबंधन से लेकर चुनाव सिंबल बांटने तक का कार्य अब तेजस्वी करेंगे। इस प्रस्ताव पर 5 जुलाई 2025 को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुहर लगाई जाएगी। साथ ही तय किया गया कि गठबंधन और पार्टी की ओर से बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी ही होंगे। बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका बखूबी निर्वाह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान करेंगे। इसके लिए उन्होंने सभी के प्रति आभार जताया। लालू प्रसाद के नेतृत्व में ही उनके संघर्ष को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि पार्टी का खुला अधिवेशन 5 जुलाई 2025 को बापू सभागार में आयोजित करने का फैसला हुआ है। बैठक में आने वाले चुनाव और सदस्यता अभियान पर भी की चर्चा की गई। बिहार की राजनीति में इस वक्त दो ही युवा चेहरे की चर्चा हो रही है। चिराग पासवान और तेजस्वी यादव। चिराग फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में उनके उतरने की संभावना नहीं है। ऐसे में तेजस्वी यादव को कमान सौंपकर आरजेडी की कोशिश है कि बिहार में युवा वोटर्स को अपने साथ जोड़ा जा सके। डिप्टी सीएम रहते बिहार सरकार की ओर से हुई नियुक्तियों का श्रेय भी तेजस्वी को ही दिया जाता है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि युवाओं के बारे में उन्हें चुनाव में फायदा मिलेगा। बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाले हैं और ऐसे वक्त में पार्टी के अंदर बगावत या परिवार के मतभेद सामने आने से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए तेजस्वी यादव को घोषित तौर पर उत्तराधिकारी बना दिया गया है।

-अनिल नरेन्द्र

अमेरिका में 538 अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला


डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के चार दिन मात्र ही अवैध प्रवासियों को लेकर अपने वादे पर अमल करना शुरू कर दिया। अमेरिका ने सैन्य विमानों के जरिए अवैध प्रवासियों के लिए निर्वासन उड़ाने शुरू भी कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में रह रहे कितने भारतीय प्रभावित होंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रंप की सीमा नीतियों के कारण पहले ही 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ट्रंप प्रशासन ने 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार कर निर्वासित कर दिया है। इनमें एक संदिग्ध आतंकवादी भी है। राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को एक कड़ा और स्पष्ट संदेश देते हैं कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ट्रंप के इस आदेश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार का भी समर्थन मिल गया है। सोशल मीडिया पर अमेरिका से अवैध प्रवासी डिपोर्ट करने की तस्वीर सामने आने के बाद तत्काल बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह उन भारतीयों को वापस लाएंगे जो बिना उचित दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं। हालांकि भारत ने इसमें एक शर्त भी लगाई है कि वे भारतीय वापस लाए जाएंगे जिनकी राष्ट्रीयता का सबूत देश यूएस। 1 नवम्बर 2024 तक ट्रंप प्रशासन के निर्वासन के कदम से 20,000 से अधिक बिना दस्तावेज वाले भारतीय प्रभावित हो सकते हैं। ये भारतीय या तो अतिम निष्कासन आदेश का सामना कर रहे हैं। जिसका अर्थ है कि उन्हें देश छोड़ना होगा का संभावित हिरासत और भविष्य में पुन प्रवेश में बाधाओं सहित कानूनी परिणामों का सामना करना होगा या वर्तमान में आईसीई के हिरासत केंद्र में हैं। इनमें से 17,940 बिना दस्तावेज वाले भारतीय हिरासत में नहीं हैं और अंतिम आदेस के तहत हैं। नियमों के अनुसार विदेशी के रूप में वर्गीकृत एक गैर नागरिक जो अन्यथा त्वरित निष्कासन के अधीन है, जो शरण के लिए आवेदन करने का इरादा रखता हो या किसी विशेष उत्पीड़न का किसी को डर है, हटाए जाने से पहले उस दावे को प्रशासनिक समीक्षा का हकदार है। अपुष्ट खबरों के अुसार इस समय भारतीय मूल के अप्रवासियों की संख्या दो लाख से ऊपर बताई जा रही है जो मुश्किल में पड़ सकते हैं। इमिग्रेशन एक्टिविस्ट और एनडीओ के अनुसार 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण तक लगभग 6 लाख अवैध भारतीय प्रवासी इलिनाम, वोस्टन, कैलिफोर्निया और न्यूयार्क जैसे दो दर्जन राज्यों में जा बसे हैं। अवैध प्रवासी इन राज्यों को सेफ कहते हैं क्योंकि ये बाइडेन-कमला की पार्टी डेमोक्रेटिक में शामिल हैं। ये अमेरिकी राज्य अवैध प्रवासियों पर सख्त नहीं है। कई अमेरिकी राज्यों में अवैध प्रवासियों को ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है। इसके आधार पर वे सोशल सिक्युरिटी नंबर तो पाते हैं। अवैध प्रवासी ट्रंप वाले रिपब्लिकन राज्यों में जाने से बचते हैं। बगैर रजिस्ट्रेशन के अनुरूप कनाडा बार्डर से 2.75 लाख, मैक्सिको बार्डर से 2.25 लाख और वीजा ओवर स्टे पर 2.25 लाख भारतीय अमेरिका आए। अमेरिका में अवैध प्रवासियों भारतीयों की वर्कफोर्स लगभग 2 फीसदी हिस्सेदारी है। ये कंस्ट्रक्शन वर्कर, होटल, रेस्तरां, ग्रासरी स्टोर और ड्राइवर का जॉब करते हैं। ड्राइवर के जॉब में भी भारतीयों को सैलरी लगभग साढ़े तीन लाख रुपए मिल जाती है। जॉब पर रखने वाले भी अवैध प्रवासी को मार्केट रेट से कम सैलरी देकर खुद भी फायदा उठाते हैं।

Saturday, 25 January 2025

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में बगावत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद ग्राहण करते ही आनन- फानन में अनेक पैसले लिए और ऐलान कर डाला उससे स्वाभाविक ही अमेरिका में और दुनिया भर में तरह-तरह के प्राश्न उठने लगे हैं और प्रातिव््िराया भी सामने आने लगी है। अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ एक तरह से बगावती स्वर सुनाईं देने लगे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यंकारी आदेशों का देश भर में विरोध शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा विरोध ट्रंप के उस आदेश का हो रहा है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका में जन्मे व्यक्ति को स्वत: नागरिकता नहीं मिलेगी, यदि उनकी मां अवैध रूप से देश में रह रही हो और पिता नागरिक या वैध स्थाईं निवासी न हों। राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा इस पैसले पर हस्ताक्षर करने के 24 घंटे से भी कम समय में अमेरिका के ही 22 से ज्यादा डेमोव््रोट राज्य खुलकर ट्रंप के विरोध में उतर आए। उनका तर्व है कि ट्रंप के पास संवैधानिक अधिकारों को छीनने का कोईं अधिकार नहीं है, इनमें से 4 मामलों की सुनवाईं हो रही है। सबसे बड़ी परेशानी उन महिलाओं को हो रही है जो अमेरिका में शरणाथा या अवैध प्रावासी के रूप में रह रही हैं। उनका कहना है कि उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा? उनका कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप ही बताएं कि उनकी कोख में पल रहे मासूम बच्चे का क्या कसूर है? भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका में पैदा हुए किसी भी व्यक्ति के लिए स्वत: नागरिकता के नियम के परिवर्तन संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश का विरोध करते हुए कहा कि इस कदम से न केवल विश्व भर से आए अवैध अप्रावासी प्राभावित होंगे, बल्कि भारत से आए छात्र और पेशेवर भी प्राभावित होंगे। जैसा मैंने कहा कि अब डेमोव््रोटिक पाटा के प्राभाव वाले वहां के 22 राज्यों ने इस पैसले को अदालत में चुनौती दी है। भारतीय मूल के सांसदों ने भी इसका विरोध किया है। इसके अलावा ट्रंप प्राशासन के अधीन काम करने वाली कईं संस्थाओं ने इसे अदालत में चुनौती दी है। जाहिर है, ट्रंप प्राशासन के लिए इस पैसले पर आगे कदम बढ़ाना आसान नहीं रह गया है। जन्म के साथ नागरिकता का कानून अमेरिका संविधान में वर्णित है, इसलिए उसे बदलने पर विरोध की आशंका पहले से ही जताईं जाने लगी थी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी कानून को लागू करने या बदलने को लेकर असीमित अधिकार प्राप्त हैं, पर वहां की कानून व्यवस्था ऐसी है कि राष्ट्रपति भी उससे ऊपर नहीं हैं। ——अनिल नरेन्द्र

सैफ के जल्द ठीक होने पर उठे सवाल

चावू से हमले में घायल होने के बाद अभिनेता सैफ अली खान ठीक होकर अस्पताल से घर लौट चुके हैं। लेकिन अब उनके इतनी गंभीर चोटों से इतनी जल्दी फिट होने पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। लोग पीठ में इतने गहरे घाव के बाद इतनी जल्दी वैसे चलने लगे और इतने फिट वैसे हो सकते हैं प्राश्न पूछ रहे हैं? सवाल करने वालों में महाराष्ट्र के मंत्री और सरकार में शामिल शिवसेना के नेता हैं। महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने सैफ अली खान पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या उन पर सच में चावू से हमला हुआ था या फिर वह सिर्प एाक्टग कर रहे थे। इससे पहले शिव सेना नेता संजय निरुपम ने भी कहा था कि सैफ अली खान पांच दिन में इतने फिट वैसे हो गए? सैफ अली खान पर हमले के आरोप में पुलिस ने ठाणे से अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। अभियुक्त का नाम मोहम्मद शरीपुल इस्लाम शहजाद बताया गया है। साथ ही पुलिस ने अभियुक्त के बांग्लादेशी होने का भी संदेह जाहिर किया था। महाराष्ट्र सरकार में पोर्टस एंड फिशरीज मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले नितेश राणे ने बुधवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा— देखिए बांग्लादेशी बांग्लादेशी मुंबईं में क्या कर रहे हैं। वे सैफ अली खान के घर में घुस गए। पहले वो सड़क-चौराहे पर खड़े हुए चोरी करते थे, अब ये लोग घरों में घुसने लगे हैं, हो सकता है कि वह उन्हें (सैफ) ले जाने आया हो, अच्छा है। नितेश राणे ने कहा— मैंने उन्हें अस्पताल से बाहर निकलते देखा। मुझे संदेह हुआ कि उन पर चावू से हमला हुआ था या वह एाक्टग कर रहे थे। वो चल रहे थे तो डांस कर रहे थे। जब भी शाहरुख खान या सैफ अली खान जैसे किसी खान को चोट आती है तो हर कोईं उनके बारे में बात करना शुरू कर देता है, उधर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने सैफ अली खान की रिकवरी के बारे में सवाल किया कि क्या मेडिकल सेक्टर ने इतनी तरक्की कर ली है कि हमले के बाद सैफ वूदते-डांस करते हुए घर पहुंच गए। उन्होंेने समाचार एजेंसी एएनआईं से कहा, जब उन पर (सैफ) हमला हुआ था तब डाक्टरों ने बताया था कि उनकी पीठ में ढाईं इंच का चावू घुस गया था। डाक्टरों ने ये भी बताया कि छह घंटे तक ऑपरेशन चला। उसके बाद ऑटो वाले ने बताया कि लहुलुहान अवस्था में ये स्ट्रैचर पर अस्पताल पहुंचाए गए थे। संजय निरुपम ने पूछा— मेडिकल सेक्टर इतना तरक्की कर गया है कि चार दिन बाद मैं देखता हूं कि सैफ अली खान साहब एकदम उछलते-वूदते अपने घर लौट आते हैं। मेरे मन में सवाल उठा कि क्या सैफ फिजीकली इतने फिट हैं, उसकी वजह से इतना फास्ट रिकवर किया? या वह जिम जाते हैं इसलिए रिकवर किया इतना फास्ट? या कोईं और कारण है। निरुपम ने कहा कि परिवार को इस हमले के बारे में सामने आकर सभी बातें बतानी चाहिए। हमले के बाद ऐसा माहौल बनाया गया कि पूरे मुंबईं में कानून व्यवस्था पेल हो चुकी है। जबकि चार दिन बाद सैफ अली खान जिस तरह से बाहर आए उसे देखकर ऐसा लगा ही नहीं कि वुछ हुआ था। सैफ पर हमले में मुंबईं पुलिस रोज-रोज बयान बदल रही है। अब तक तीन अभियुक्तों के बारे में कहानी आ चुकी है। ताजा उदाहरण मोहम्मद शरीपुल इस्लाम शहजाद का है। इस शख्स की न तो शक्ल ही सीसीटीवी में दिखाए गए व्यक्ति जो 2.32 मिनट पर भागता दिखा, उससे मिलती है और न ही कद काठी। देखने से तो यही लगता है कि सैफ इससे ज्यादा फिट हैं। मुंबईं पुलिस या तो सच्चाईं बता नहीं रही है या फिर सच्चाईं को ढकने की कोशिश कर रही है। सैफ और उनका परिवार भी खुलकर सामने नहीं आ रहा है।

Thursday, 23 January 2025

आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या का मामला



इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डाक्टर के साथ बलात्कार और हत्या में कोर्ट ने संजय रॉय को उम्र वैद की सजा सुनाईं है। अदालत ने शनिवार को संजय रॉय को इस मामले में दोषी करार दिया था। कोलकाता की सियालदाह कोर्ट ने सोमवार को संजय रॉय को सजा सुनाईं और कहा कि दोषी संजय रॉय को उसकी मौत होने तक जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा संजय रॉय पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जज अनिर्बान दास ने अभियुक्त को मौत की सजा नहीं दी, हालांकि उन्होंने माना कि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है। जज ने राज्य सरकार को पीिड़ता के परिवार को 17 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का आदेश भी दिया। पिछले साल अगस्त में हुईं इस घटना ने पूरे देश व पश्चिम बंगाल में एक जनआव््राोश को जन्म दिया था। 9 अगस्त 2024 को 31 साल की एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का अस्पताल के कांप्रोंस हाल में शव मिला था। जांच में पता चला कि इस डॉक्टर का पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गईं थी। इस घटना के बाद कोलकाता में प्रादर्शन शुरू हो गए थे और दो महीने से भी ज्यादा समय तक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही थीं। 18 जनवरी को कोलकाता के सियालदाह कोर्ट ने इस मामले में पैसला सुनाया था। पैसला सुनाते हुए कोर्ट के स्पेशल जज अनिर्बान दास ने कहा कि सीबीआईं ने यौन शोषण और बलात्कार के जो सुबूत पेश किए हैं उससे उनका अपराध साबित होता है, यह पैसला बीते साल नवम्बर में शुरू हुईं सुनवाईं के लगभग दो महीने बाद और इस अपराध के 162 दिन बाद सुनाया गया है। सत्र न्यायाधीश ने आरोपी संजय को बोलने का मौका दिया। संजय का दावा है उसे पंसाया गया है। मृतका के मां-बाप ने उसे दोषी ठहराने पर खुशी व्यक्त की मगर दोहराया कि वे अकेला नहीं था, उसके साथ और भी लोग थे, जिन्हें सजा मिलने तक वह संघर्ष जारी रखेंगे। मृतका के पिता ने कहा, अभी बहुत से सवालों के जवाब बाकी हैं क्योंकि जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि घटना जितनी वीभत्स थी, उसमें अन्य लोग भी शामिल थे। हालांकि अस्पताल से जुड़े तमाम अन्य पैसलों व आि़र्थक घपलों का भी खुलासा हुआ जिन पर अब तक कोईं कार्रवाईं नहीं की गईं है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनजा पर दोषियों का पक्ष लेने जैसे गंभीर आरोपों के बाद अस्पताल प्राबंधन में मामूली पेरबदल करने से सरीखे कवायद भले ही हुईं मगर समस्याओं के समाधान का प्रायास होते नजर नहीं आया। तमाम कड़े कानूनों के बाद भी देश में महिलाओं को प्रातिदिन असुरक्षा के माहौल से जूझने को मजबूर होना पड़ता है। दो बड़ दावों के अलावा और वुछ अतिरिक्त उन्हें नहीं मिलता। आरजी कर अस्पताल के डाक्टरों ने कहा है कि अभी हमारा विरोध खत्म नहीं होने वाला। अब भी वारदात में शामिल कईं लोग न्याय के कटघरे से बाहर हैं।

पूरा इंसाफ मिलने तक हमारा प्रादर्शन जारी रहेगा। जूनियर डाक्टर अनिकेत महतो ने कहा कि संजय रॉय को दोषी बताया गया है, लेकिन अन्य दोषियों का क्या? यह अकेले इस अपराध को वैसे अंजाम दे सकते हैं, उन्होंने पूछा कि पूरक आरोप पत्र कहा हैं? सीबीआईं ने कहा था कि वे जल्द ही एक आदेश दाखिल करेंगे। रैली के दौरान डाक्टरों ने मामले में 20 प्रामुख सवाल उठाए जिनका जवाब अभी तक संतोषजनक नहीं मिला। सवाल यह है कि इतने बड़े मामले में सीबीआईं ने सिर्प संजय रॉय को आरोपी बनाया? ——अनिल नरेन्द्र

दिल्ली में मुफ्त रेविड़यों की होड़



रेविड़यों की होड़ देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल पूरी ताकत के साथ चुनाव प्राचार में जुटे हुए हैं। इन चुनावों में आप, भाजपा और कांग्रोस तीनों ही मुफ्त की कईं योजनाओं के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनावों के लिए वोटिग होनी है। इन चुनावों में दिल्ली की सत्ता को बनाए रखना आम आदमी पाटा के लिए बेहद अहम है तो वहीं तीन दशकों से राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा भी जी जान से जुटी हुईं है। जबकि कांग्रोस पाटा भी दिल्ली में अपनी खोईं हुईं राजनीतिक जमीन को दोबारा हासिल करने की कोशिश में है और तीनों ही प्रामुख दलों के लिए लोकलुभावन वादे चुनाव प्राचार का अहम हिस्सा बनते दिख रहे हैं।

देश में कल्याणकारी योजनाएं पुराने समय से चलाईं जा रही हैं। देश के कईं इलाकों में पैली गरीबी और लोगों की जरूरत के लिए इसे काफी जरूरी भी माना गया है। ऐसी योजनाओं में गरीबों के लिए राशन, पीने का स्वच्छ पानी, बेसहारा और बुजुर्गो के लिए पेंशन, चिकित्सा सुविधा जैसी कईं योजनाएं शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर मुफ्त की कही जाने वाली इन रेविड़यों से वोट मिलता है तो इसका सीधा मतलब है कि देश में वो गरीबी मौजूद है जो लोगों को दुख देती है और इन रेविड़यों से उन्हें कहीं न कहीं आर्थिक लाभ होता है। हालांकि वुछ का मानना यह भी है कि इन योजनाओं का बड़ा नुकसान यह है कि लोग आज के घाटे फायदे के लिए कल का बड़ा नुकसान कर रहे हैं। लोगों को सुविधाएं देने के मामले में सियासी दलों में ऐसी होड़ देखी जा रही है कि अगर आम आदमी पाटा (आप) ने महिलाओं के लिए 2100 रुपए देने का वादा किया तो भाजपा ने 2500 रुपए देने का वादा कर दिया है। आप 200 यूनिट बिजली प्री देती है तो कांग्ग्रोस ने इसे 300 यूनिट का वादा किया है। आप सरकार ने महिलाओं को मुफ्त बस सेवा, वुछ तबकों को 300 यूनिट प्री बिजली दी है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में हर गरीब महिला को हर महीने 2500 रुपए देने का वादा किया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली पेंशन 2 हजार से बढ़ाकर 2500 करने का वादा किया गया है। भाजपा ने अन्य वादों के अलावा हर गर्भवती महिला को 21 हजार रुपए की आर्थिक मदद और 6 पोषण किट देने का वादा किया है। इसमें हर गरीब परिवार की महिला को 500 रुपए में एलपीजी गैस सिलेंडर और होली-दिवाली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त देने का संकल्प भी किया है, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पाटा के संयोजक अरविद केजरीवाल ने भाजपा के संकल्प पत्र पर प्रातिव््िराया देते हुए कहा— भाजपा ने सरेआम खुले शब्दों में यह स्वीकार किया कि दिल्ली में केजरीवाल की ढेरों कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं जिसका लाभ भाजपा वालों के परिवारों को भी मिल रहा है। हमें राजनीति करनी नहीं आती, काम करना आता है और काम ऐसा करते हैं कि हमारे विरोधी भी उसकी तारीफ करते हैं। आम आदमी पाटा की सरकार दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, इलाज, शिक्षा, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, बुजुर्गो को मुफ्त तीर्थ यात्रा की योजना चला रही है।

उसमें अब इसे और बढ़ाने का वादा किया है, जिसमें हर महिला को हर महीने 2100 रुपए, बुजुर्गो को इलाज का पूरा खर्च पुजारियों-ग्रांथियों को हर महीने 18 हजार रुपए की सम्मान राशि और छात्रों को भी बसों में मुफ्त यात्रा जैसे कईं वादे किए हैं। आप ने दिल्ली मेट्रो में छात्रों को 50 फीसदी छूट देने का भी वादा किया है। कांग्रोस ने महिलाओं के लिए प्यारी दीदी योजना, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जीवन रक्षा योजना, युवाओं के लिए युवा उड़ान योजना, इसके अलावा महंगाईं मुक्ति योजना जैसे कईं वादे किए हैं।

अब देखना यह है कि दिल्ली के वोटरों को कौन-सी रेविड़यां लेनी पसंद हैं।

Tuesday, 21 January 2025

इजरायल-गाजा जंग खत्म होगी



इजरायल और हमास के बीच गाजा में युद्ध विराम अगर वाकई में ही हो गया है तो यह पूरी दुनिया के लिए राहत देने वाली खबर है। बताया जा रहा है कि इजरायली कैबिनेट ने अंतिम मंजूरी दे दी है और अब 470 दिनों बाद क्षेत्र में शांति होगी। दोनों पक्षों के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद इजरायल और फिलस्तीन के डेढ़ करोड़ लोगों के चहरों पर खुशियां लौटने लगी हैं। हालांकि अभी भी दोनों तरफ से मान-मनोव्वल की जरूरत चल पड़े तो समझौते पर अमल शुरू हो जाएगा। इस सहमति के बीच अमेरिका की भूमिका तो है ही, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी दिलचस्पी लेना भी खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। उन्होंने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि उनके पद ग्रहण करने से पहले बंधक छोड़ दिए जाने चाहिए। सहमति बनने की घोषणा भी सबसे पहले ट्रंप ने ही की है। इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम पर सहमति की घोषणा निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन तब तक यह वास्तव में जमीन पर नहीं उतरेगी, तब तक फिर से जंग की आशंका बनी रहेगी। पिछले वर्ष मई के बाद कई बार तात्कालिक या अस्थायी युद्ध विराम को लेकर पहलकदमी हुई, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद हमलों में लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहीं। जाहिर है कि यह कुछ दिनों के लिए भी युद्ध विराम देने को लेकर प्रतिबद्धता में कमी और शांति के प्रति अपेक्षा का भाव ही रहा कि अब तब इजरायली हमलों से फिलस्तीनी लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही है। फिलहाल समझौते का जो स्वरूप सामने आया है उसके मुताबिक हमास की ओर से चरणबद्ध तरीके से इजरायली बंधकों और इजरायल में सैंकड़ों फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही गाजा में विस्थापित लोगों को वापस लौटने की भी अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा युद्ध से प्रभावित इलाकों में मानवीय सहायता पहुंचाने की व्यवस्था होगी। यह शांति अच्छी वासी कीमत देने के बाद हासिल हो रही है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल में किए गए जिस आतंकी हमले से यह जंग शुरू हुई उसमें 1200 लोग (इजरायली) मारे गए थे और 250 इजरायलियों को बंधक बना लिया गया था। उसके बाद गाजा पर की गई इजरायली कार्रवाई में 46000 लोग मारे जा चुके हैं। गाजा की 90 फीसदी आबादी विस्थापित हो चुकी है। लेबनान, सीरिया, यमन और इराक तक इस संघर्ष की चपेट में आ चुके हैं। इस बात का डर लगता है कहीं इजरायल और ईरान में सीधा युद्ध न शुरू हो जाए। सीजफायर 92 दिन तक चलेगा। लेकिन इस डील में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि इसके बाद क्या होगा? क्या युद्ध हमेशा के लिए थम जाएगा? यह भी साफ नहीं है कि इजरायली सेना कब तक बंधक जोन में रहेगी? वहीं, कौन-कौन से बंधक जीवित हैं और कौन से मृत इसको लेकर भी सूचना नहीं है। पर जो कुछ भी है अगर युद्ध रूकता है चाहे कुछ समय के लिए ही सही पर गाजा के लोगों के लिए बड़ी राहत है। उन्हें अपना जीवन पुन जीने का समय मिलेगा और बर्बादी के समय से राहत मिलेगी। हम इस युद्ध विराम का स्वागत करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

सैफ अली खान पर जानलेवा हमला



अभिनेता सैफ अली खान पर जानलेवा हमले ने सभी को सकते में डाल दिया है। घर में घुसकर वह भी जो अति सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है कोई सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती। मुंबई में अगर इस स्तर की बड़ी हस्तियां भी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर आम शहरी किस तरह खुद को सुरक्षित माने। सैफ अली खान बांद्रा के पॉश इलाके में रहते हैं। इसी बांद्रा में शाहरुख खान भी रहते हैं और सलमान खान भी रहते हैं। इसी इलाके में हाल ही में बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई। सैफ पर हमले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उदाहरण के तौर पर हमलावर सैफ के घर सतगुरु शरण बिल्डिंग में घुसने में कैसे कामयाब रहा, जहां सैफ और उनका परिवार रहता है। एक हाई प्रोफाइल आवासीय इमारत में सुरक्षा संबंधी खामियों का समाधान क्यों नहीं किया गया? क्या सुरक्षाकर्मी लापरवाह थे या उन्हें ठीक से प्रशिक्षित नहीं किया गया था? क्या सुरक्षा प्रणाली जैसे कि सीसीटीवी कैमरे या इंटरकाम खराब थी या फिर उनकी निगरानी ठीक से नहीं की जा रही थी? हमलावर के चले जाने के बाद भी सीसीटीवी फुटेज का नहीं होना गंभीर सवाल खड़े करता है। हमलावर किस समय सैफ के घर घुसा यह अब तक साफ नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि वह दो घंटे पहले से ही सैफ के घर में घुस चुका था। इस इलाके में आमतौर पर पुलिस सख्त निगरानी करने के दावे करती है। गश्त करती है। जब हमलावर बिल्डिंग में घुसने की कोशिश कर रहा था तब मुंबई पुलिस की रात्रि कालीन गश्ती टीमें क्या कर रही थी? यह सवाल गंभीर है। यह तथ्य कि हमलावर बिना किसी रोक-टोक के इमारत में घुस गया, सुरक्षा और निगरानी में चूक का संकेत देता है। सैफ अली खान के घर के सदस्यों, जिनमें नौकर और घरेलू सहायिकाएं भी शामिल हैं। वो हमलावर पर काबू पाने में इतना समय क्यों लगा? यह इमारत के भीतरी सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है। पुलिस बार-बार अपना बयान बदल रही है। जिस शख्स को केवल शारीरिक समानता के आधार पर हिरासत में लिया गया था उसे बाद में छोड़ दिया गया। अब किसी बांग्लादेशी को हिरासत में लेने की बात कही जा रही है। मुंबई पुलिस या तो असलियत को छिपाने की कोशिश कर रही है या तथ्यों को दबाने के लिए गलत नेरेटिव बना रही है। अगर हमलावर चोरी करने के मकसद से आया था तो उसने कमरे में सामने पड़ी करीना की डायमंड ज्वैलरी क्यों नहीं उठाई। यह बयान खुद करीना ने दिया है। क्या यह महज इत्तिफाक है कि कुछ दिने पहले ही बैंड स्टैंड इलाके में शाहरुख खान के बंगले मन्नत के अंदर देखने की कोशिश कर रहा था एक शख्स। इस व्यक्ति का कद काठी के मामले में सैफ पर हमला करने वाले अपराधी जैसा ही लग रहा है। पहले सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग, फिर उनके करीबी बाबा सिद्दीकी की हत्या, फिर शाहरुख खान के घर के बाहर रैकी और अब सैफ अली खान पर कातिलाना हमला? क्या कोई चुन-चुन कर खानों पर हमला कर रहा है, ताकि बॉलीवुड में एक बार फिर दहशत का युग लौटे? क्या मुंबई फिर अंडरवर्ल्ड के कब्जे में आ रहा है? महाराष्ट्र की डबल इंजन की सरकार क्यों मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है?

Saturday, 18 January 2025

राहुल और केजरीवाल के एक-दूसरे पर हमले

दिल्ली के सीलमपुर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली रैली के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रणनीति को भाजपा जैसा बताया। क्षेत्रीय स्तर पर कांग्रेस नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बोलते रहे हैं लेकिन ये पहला मौका था जब राहुल गांधी ने सीधे-सीधे केजरीवाल पर वार किया। पिछले कई दिनों से दोनों ही राजनीतिक दल एक-दूसरे पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं। इस पर अरविंद केजरीवाल ने भी पलटवार किया और कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें गाली दी। केजरीवाल ने ये भी कहा है कि उन्होंने राहुल गांधी पर एक लाइन बोली लेकिन जवाब भाजपा वालों की ओर से आ रहा है। करीब सात महीने पहले ही दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव एक ही गठबंधन में रहकर लड़ी थीं। हालांकि उसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव दोनों अलग-अलग लड़े, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर ऐसे जुबानी हमले पहली बार सुनाई पड़े हैं। केजरीवाल ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर लिखा, क्या बात है... मैंने राहुल गांधी जी पर एक ही लाइन बोली और जवाब भाजपा से आ रहा है। भाजपा को देखिए कितनी तकलीफ हो रही है। सीलमपुर में अपनी पहली दिल्ली विधानसभा चुनावी सभा में राहुल गांधी ने कहा केजरीवाल जी आए और कहा कि दिल्ली साफ कर दूंगा, भ्रष्टाचार मिटा दूंगा, पेरिस बना दूंगा। अब हालात ऐसे हैं कि भयानक प्रदूषण है, लोग बीमार रहते हैं, बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। अब मैं जातिगत जनगणना की बात करता हूं तो नरेन्द्र मोदी जी और केजरीवाल जी के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता। ऐसा इसलिए है कि दोनों चाहते हैं देश में पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को भागीदारी न मिले। इस बयान के कुछ देर बाद ही अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, आज राहुल गांधी जी दिल्ली आए। उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। पर मैं उनके बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उनकी लड़ाई कांग्रेस बचाने की है। मेरी लड़ाई देश बचाने की है। दोनों नेताओं के बीच एक वाद-प्रतिवाद में भाजपा भी प्रतिक्रिया देने से नहीं चूकी थी भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, देश की चिंता बाद में करना अभी नई दिल्ली की सीट बचा लो। राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस की खोई हुई जमीन को फिर से समेटने की कोशिश कर रहे हैं। शीला जी के जाने के बाद से दिल्ली में कांग्रेस धरातल पर आ गई है। पिछले 10-11 सालों से कांग्रेस का दिल्ली से सफाया हो गया है। इसलिए हम राहुल गांधी की रणनीति को समझ सकते हैं। फिर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह केजरीवाल ने शीला दीक्षित पर निम्न स्तर के हमले किए थे और उन्हें बेइज्जत, जलील किया था। उनके पुत्र संदीप दीक्षित अब गिन-गिन कर बदला ले रहे हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि किस तरह आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा, गोवा, गुजरात इत्यादि राज्यों में अपने उम्मीदवार जबरदस्ती खड़े करके कांग्रेस को हरवा दिया था। अब लगता है कि कांग्रेस को न तो इंडिया गठबंधन की परवाह है और न ही इस बात की चिंता है कि अगर दिल्ली में कांग्रेस और आप के वोटों में विभाजन होता है तो इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। अब दिल्ली की चुनावी बिसात दिलचस्प होती जा रही है। -अनिल नरेन्द्र

भागवत के बयान पर राहुल का पलटवार

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सच्ची आजादी वाले बयान पर भारी विवाद खड़ा हो गया है। पहले बताते हैं कि सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा क्या था? मोहन भागवत सोमवार को इंदौर में थे। वहां वो रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार देने के लिए मौजूद थे। इस पुरस्कार समारोह में भागवत ने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए। इसे ही भारत का सच्चा स्वतंत्रता दिवस मानना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा था, प्रतिष्ठा द्वादशी, पौष शुक्ल द्वादशी का नया नामकरण हुआ। भारत स्वतंत्र हुआ 15 अगस्त 1947 को जिससे राजनीतिक स्वतंत्रता आपको मिल गई। उन्होंने आगे जो कहा उसका भाव यह था कि असल आजादी तो हमें प्रभु राम के मंदिर की प्रतिष्ठा के साथ मिली। मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया आई। राहुल गांधी ने नई दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर भागवत के इस बयान का जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, हमें ये मुख्यालय एक खास समय में मिला है। मेरा मानना है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत 1947 में आजाद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत की सच्ची आजादी उस दिन मिली जब राम मंदिर बना। वो कहते हैं कि संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि मोहन भागवत में ये दुस्साहस है कि हर दो तीन दिन में वो देश को ये बताते हैं कि आजादी के आंदोलन को लेकर वह क्या सोचते हैं। राहुल गांधी ने कहा, मोहन भागवत तो कह रहे थे कि संविधान बेमानी है, उनके बयान का मतलब ये है की ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़कर हासिल की गई हर जीत बेमानी है और उनके अंदर इतना दुस्साहस है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बात कर रहे है। मोहन भागवत ने अगर ये बयान किसी और देश में दिया होता तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती। ये देशद्रोह करार दिया जाता और वो गिरफ्तार हो जाते। भागवत कह रहे हैं कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। ऐसा कहना हर भारतीय का अपमान है, स्वतंत्रता के लिए लड़े शहीदों का अपमान है। आगे राहुल गांधी ने कहा कि हमारी विचारधारा हजारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ती आ रही है पर आप समझते हैं कि हम सिर्फ भाजपा या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से लड़ रहे हैं, तो आप ये समझ नहीं पा रहे हैं आखिर हो क्या रहा है। हम भाजपा और आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत ने राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी का दिन बताकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। भागवत ने कुछ समय पहले कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। इसके बाद कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजना बंद कर देना चाहिए। लेकिन अब भागवत मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी बताकर अपनी गलती सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। इस बयान से भागवत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तरफ भागवत ने भाजपा से संघ के कथित तनाव को कम करने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ हिंदुत्व समर्थकों को ये बता दिया है कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही भाजपा को चुनावी सफलता मिली है। इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो इस लहर को धीमा न पड़ने दें।

Thursday, 16 January 2025

आस्था के महाकुंभ हर-हर गंगे


प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था का कुंभ मेला शुरू हो गया है। तंबुओं का एक पूरा शहर यहां रूप ले चुका है, जिसकी आबादी अगले कुछ दिनों में दुनिया के बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ देगी। आस्था के इस संगम में डुबकी लगाने को लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। त्रिवेणी से नज़र उठाओ तो एक तरफ नौकाओं की लंबी कतारें, दूसरी तरफ तंबुओं का अनंत संसार दिखता है। और बीच-बीच में जहां नज़र ठहरे, वहां मुस्तैद खड़े पुलिस वाले दिखाई देते हैं। प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ कुंभ, सिर्फ आस्था का ही संगम नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशासनिक क्षमता का भी इम्तिहान है। कुंभ का समापन महाशिवरात्रि के दिन, 26 फरवरी को होगा। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इस बार कुंभ में 40 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई है। वज्रवाहन, ड्रोन, बम निरोधक दस्तों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) तक को तैनात किया गया है। अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत राजसी शानो-शौकत के साथ कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं। इस दौरान उनके साथ हाथी, घोड़े, ऊंट और नाच गाना करते सैकड़ों की संख्या में भक्त हैं। सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग अखाड़ों ने अपने भव्य टेंट लगाए हैं। जहां रहकर वे पूजा पाठ कर रहे हैं। पंच दशनाम जूना अखाड़ा में नागा साधु शरीर पर भस्म और गले में रुद्राक्ष की मालाएं पहने बैठे हैं। बीबीसी से बातचीत में एक नागा साधु कहते हैं, जब साधना में आ जाते हैं तो ठंड की कोई बात ही नहीं रह जाती। भक्ति में बहुत शक्ति होती है, फिर ठंड नहीं लगती। वे कहते हैं, हम अघोरी बाबा हैं। हम कपड़ों की जगह शरीर पर भस्म लगाते हैं। इससे ठंड थोड़ी कम लगती है। भस्म ही हमारा अंग वस्त्र है। कई ऐसे बाबा भी कुंभ में आए हैं, जिनका दावा है कि उन्होंने कई सालों से अपना एक हाथ ऊपर उठा रखा है। वे खुद को उर्ध्वबाहु कहते हैं। ऐसे ही एक असम के कामाख्या पीठ से आए गंगापुरी महाराज हैं, जो 3 फीट 8 इंच कद के हैं। उनका कहना है कि वे 32 सालों से नहीं नहाए हैं। शहर के एडीजी भानु भास्कर के मुताबिक मेला क्षेत्र में प्रवेश के लिए अलग-अलग दिशाओं से आने वाले कुल सात मुख्य मार्ग तय किए गए हैं। इन रूटों पर वाहनों के लिए मेला क्षेत्र के करीब 100 से ज्यादा पार्किंग बनाई गई है। हजार विशेष ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। कुंभ में ठहरने के लिए कई लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इनमें फ्री रैन बसेरों से लेकर पांच सितारा लग्जरी कैंप तक मौजूद हैं, जिनका एक रात का किराया लाख रुपये से भी ज्यादा है। भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने अरैल क्षेत्र के अंदर सेक्टर 25 में महाकुंभ ग्राम नाम से एक टेंट सिटी बसाई गई है। यहां श्रद्धालुओं के लिए सुपर डीलक्स कमरे और विला बनाए गए हैं। इन कमरों का प्रतिदिन किराया 16 हजार से 20 हज़ार रुपये है। यहां नाश्ता, लंच और डिनर की सुविधा के साथ-साथ गर्म पानी की व्यवस्था है। इसके अलावा अरैल घाट के पास एक डोम सिटी बनाया गया है। यहां शीशे के गुंबदनुमा कमरे बनाए गए हैं, जो जमीन से करीब 18 फीट ऊपर हैं। एक पांच सितारा होटल में जो सुविधा होती हैं, वो सभी सुविधाएं इसमें मिलेंगी। देश-विदेश से श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। भीड़ की वजह से वो घाट तक नहीं आ पाते। इसलिए हमने इस प्रोजेक्ट को डिजाइन किया है। बीबीसी से बातचीत में प्रबंधक सिंह बताते हैं, हमारे यहां शाही स्नान के दिन एक कमरे का प्रतिदिन किराया 1 लाख 11 हजार, वहीं आम दिनों में 81 हजार रुपये है। इसमें महाराजा बेड के साथ-साथ टीवी और अलग से अटैच बाथरूम भी बनाया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट में हमारे करीब 51 करोड़ रुपये लगे हैं। कुंभ में सात दिन शाही स्नान होंगे। उन दिनों में हमारे यहां एक डबल बेड वाले कमरे का किराया 20,000 और आम दिनों में 10,000 रुपए रखा है। वहीं दूसरी तरफ शहर में नगर निगम ने जगह-जगह पर अस्थाई रैन बसेरे बनाए हैं। यहां निःशुल्क रहने की व्यवस्था की गई है। कुंभ में लाखों लोग कल्पवास करते हैं, जिन्हें कल्पवासी कहते हैं। पिछले कई दिनों से भक्तों का प्रयागराज पहुंचने का सिलसिला जारी है। ये लोग माघ के पूरे महीने तंबू लगाकर पूजा पाठ करते हैं और अपने साथ जरूरत का सभी सामान घर से लेकर आते हैं। हम सांसारिक माया मोह और भौतिक चीजों से दूर रहें। बस भोजन और भजन करें, ठंडी और गर्मी का अहसास ना हो, यही कल्पवास है। प्रयागराज की रहने वाली श्यामलि तिवारी पिछले सात सालों से कल्पवास कर रही हैं। वे मां गंगा का नाम लेते हुए रोने लगती हैं। श्यामलि कहती हैं, यहां गंगा जी नहाने आए हैं, जो गलतियां हुई हैं, उन्हें गंगा मां माफ करेंगी। हम यहां एक महीने रहेंगे। शुद्ध भोजन करेंगे। लहसुन, प्याज और सरसों के तेल का इस्तेमाल तो दूर हम नमक भी सेंधा खाते हैं।

- अनिल नरेन्द्र

Saturday, 11 January 2025

ट्रंप का अखंड अमेरिका का सपना

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को भौगोलिक रूप से महान बनाने की योजना बना रहे हैं। उनकी महत्वकांक्षाएं ग्रीनलैंड को खरीदने, पनामा नहर पर कंट्रोल वापस लेने, कनाडा को अमेरिका में शामिल करने और मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए सेना उतारने तक पहुंच गई है। उनके मुताबिक अगर यह सब हो गया तो अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा। पहले भी ट्रंप ऐसी मांगे उठाते रहे हैं, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे ट्रंप की ये बातें मजाक से कुछ ज्यादा समझी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने के बाद कनाडा और ग्रीनलैंड को अमेरिकी राज्य बनाने की बात कह चुके है। उनके कनाडा, संबंधित बयान पर कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बुधवार तड़के जस्टिस ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि ऐसा होना मुमकिन नहीं है कि कनाडा अमेरिका का हिस्सा बनेगा। उन्होंने आगे लिखा, हमारे दोनों देशों के श्रमिक और समुदाय हम दोनों के बीच सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा साझेदार होने से लाभांवित होते हैं। हालांकि इस पोस्ट के बहाने ट्रूडो के नेतृत्व वाली एनडीपी-लिबरल सरकार की भी निंदा की। पियरे ने एक्स पर लिखा, हम एक महान और स्वतंत्र मुल्क हैं। हम अमेरिका के सबसे अच्छे दोस्त हैं। हमने 9/11 हमले के बाद अल-कायदा के खिलाफ कार्रवाई में अमेरिकयों की मदद के लिए अरबों डॉलर और सैकड़ों जाने दी हैं। हम अमेरिका को बाजार मूल्य से कम कीमतों पर अरबों डॉलर की उच्च गुणवत्ता वाली और पूरी तरह से विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं। हम अरबों डॉलर का अमेरिकी सामान खरीदते हैं। इसके बाद कनाडा के प्रमुख विपक्षी नेता पियरे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके जस्टिस ट्रूडो की एनडीपी-लिबरल सरकार को कमजोर बताया। उन्होंने लिखा हमारी कमजोरी एनडीपी-लिबरल सरकार इन साफ बिंदुओं को बताने में विफल रही। मैं कनाडा के लिए लडूंगा। जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा तो हम अपनी सेना को दोबारा से खड़ा करेंगे और सीमा को वापस कब्जे में लेंगे, ताकि कनाडा अमेरिका सुरक्षित रहे। ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस लेने वाली एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है। उन्होंने एक्स पर लिखा बस करो डोनाल्ड कोई कनाडावासी आपको ज्वाइन नहीं करना चाहता। हम प्राउड कनैडियन हैं। एक तरह से हम एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और अपने देश की हिफाजत करते हैं, हमें उस पर नाज है। दरअसल जस्टिन ट्रूडो को तभी सावधान हो जाना चाहिए था जब डोनाल्ड ट्रंप ने आमने-सामने की भेंट में ही कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया था। शायद तभी अगर ट्रूडो ने कड़ा व दो टूक जवाब दिया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। अब बचाव या जवाब देने उतरी ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने नया नक्शा जारी करके बताया है कि कौन-सा क्षेत्र अमेरिका में है और कौन अमेरिका का हिस्सा नहीं है, अब कनाडा को अपने बचाव के लिए अलग ही रणनीति के साथ कूटनीति के मैदान में उतरना होगा। अब यह बात स्पष्ट बता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक वृहद अमेरिका का स्वप्न देख रखा है, ठीक वैसे ही चीन देखता आ रहा है। हालांकि अपने साम्राज्य के विस्तार में चीन फिलहाल कुछ आगे है। बहरहाल ट्रंप ने अगर अपने सपने पूरे करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाए तो दुनिया में जगह-जगह उसका असर देखने के लिए तैयार रहना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र