Saturday, 11 January 2025
ट्रंप का अखंड अमेरिका का सपना
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को भौगोलिक रूप से महान बनाने की योजना बना रहे हैं। उनकी महत्वकांक्षाएं ग्रीनलैंड को खरीदने, पनामा नहर पर कंट्रोल वापस लेने, कनाडा को अमेरिका में शामिल करने और मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए सेना उतारने तक पहुंच गई है। उनके मुताबिक अगर यह सब हो गया तो अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा। पहले भी ट्रंप ऐसी मांगे उठाते रहे हैं, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे ट्रंप की ये बातें मजाक से कुछ ज्यादा समझी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने के बाद कनाडा और ग्रीनलैंड को अमेरिकी राज्य बनाने की बात कह चुके है। उनके कनाडा, संबंधित बयान पर कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बुधवार तड़के जस्टिस ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि ऐसा होना मुमकिन नहीं है कि कनाडा अमेरिका का हिस्सा बनेगा। उन्होंने आगे लिखा, हमारे दोनों देशों के श्रमिक और समुदाय हम दोनों के बीच सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा साझेदार होने से लाभांवित होते हैं। हालांकि इस पोस्ट के बहाने ट्रूडो के नेतृत्व वाली एनडीपी-लिबरल सरकार की भी निंदा की। पियरे ने एक्स पर लिखा, हम एक महान और स्वतंत्र मुल्क हैं। हम अमेरिका के सबसे अच्छे दोस्त हैं। हमने 9/11 हमले के बाद अल-कायदा के खिलाफ कार्रवाई में अमेरिकयों की मदद के लिए अरबों डॉलर और सैकड़ों जाने दी हैं। हम अमेरिका को बाजार मूल्य से कम कीमतों पर अरबों डॉलर की उच्च गुणवत्ता वाली और पूरी तरह से विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं। हम अरबों डॉलर का अमेरिकी सामान खरीदते हैं। इसके बाद कनाडा के प्रमुख विपक्षी नेता पियरे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके जस्टिस ट्रूडो की एनडीपी-लिबरल सरकार को कमजोर बताया। उन्होंने लिखा हमारी कमजोरी एनडीपी-लिबरल सरकार इन साफ बिंदुओं को बताने में विफल रही। मैं कनाडा के लिए लडूंगा। जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा तो हम अपनी सेना को दोबारा से खड़ा करेंगे और सीमा को वापस कब्जे में लेंगे, ताकि कनाडा अमेरिका सुरक्षित रहे। ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस लेने वाली एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है। उन्होंने एक्स पर लिखा बस करो डोनाल्ड कोई कनाडावासी आपको ज्वाइन नहीं करना चाहता। हम प्राउड कनैडियन हैं। एक तरह से हम एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और अपने देश की हिफाजत करते हैं, हमें उस पर नाज है। दरअसल जस्टिन ट्रूडो को तभी सावधान हो जाना चाहिए था जब डोनाल्ड ट्रंप ने आमने-सामने की भेंट में ही कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया था। शायद तभी अगर ट्रूडो ने कड़ा व दो टूक जवाब दिया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। अब बचाव या जवाब देने उतरी ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने नया नक्शा जारी करके बताया है कि कौन-सा क्षेत्र अमेरिका में है और कौन अमेरिका का हिस्सा नहीं है, अब कनाडा को अपने बचाव के लिए अलग ही रणनीति के साथ कूटनीति के मैदान में उतरना होगा। अब यह बात स्पष्ट बता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक वृहद अमेरिका का स्वप्न देख रखा है, ठीक वैसे ही चीन देखता आ रहा है। हालांकि अपने साम्राज्य के विस्तार में चीन फिलहाल कुछ आगे है। बहरहाल ट्रंप ने अगर अपने सपने पूरे करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाए तो दुनिया में जगह-जगह उसका असर देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
-अनिल नरेन्द्र
शीशमहल बनाम राजमहल
दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) में चल रही जुबानी जंग में दिल्ली का चुनाव शीशमहल बनाम राजमहल बन गया है। बुधवार को दिनभर भाजपा और आप नेताओं के बीच जुबानी जंग का दौरा जारी रहा। इस दौरान जो सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात सामने आई वो ये कि दिल्ली में शीशमहल बनाम राजमहल पर सियासत गरमा गई है। एक ओर आम आदमी पार्टी भाजपा पर दिल्ली की सीएम आतिशी को मुख्यमंत्री के लिए अलाट बंगले से निकालने का आरोप लगा रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा ने दिल्ली के सीएम के लिए अलॉट बंगले को मरम्मत में कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए उसे शीशमहल करार दे रही है। शीशमहल का मामला क्या है? दरअसल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सीएम रहते हुए अपने लिए सरकारी आवास की मरम्मत कराई। भाजपा का आरोप है कि सीएम रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने अपने तैयार किए गए सरकारी आवास का पूरा नक्शा बदल दिया। इसमें करीब 80 से 90 करोड़ रुपए खर्च कर इसे 7 स्टार रिसॉर्ट में बदल दिया। हालांकि चुनाव से पहले सामने आई सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि इस बंगले की मरम्मत पर दिल्ली सरकार ने करीब 45 करोड़ रुपए खर्च दिखाया है। भाजपा ने केजरीवाल के लिए तैयार किए गए इसी बंगले को शीशमहल नाम दिया है। भाजपा आम आदमी पार्टी पर शीशमहल को लेकर हमलावर हुई तो आप ने प्रधानमंत्री आवास का मुद्दा उठा दिया। आप सांसद संजय सिंह ने पीएम आवास को 2700 करोड़ रुपए का राजमहल बताया है। बुधवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर संजय सिंह ने कहा, दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को लेकर नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के बड़े नेता एक ही प्रचार कर रहे हैं कि उसमें मिनी बार बना हुआ है। उसमें सोने का टॉयलेट बना हुआ है, स्विमिंग पूल बना हुआ है, जबकि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री का राजमहल है जो 2700 करोड़ में बना है। आप सांसद संजय सिंह ने आगे कहा, पीएम ने फैशन डिजाइनर्स को फेल कर दिया है। दिन में तीन-तीन बार कपड़े बदलते हैं। 10-10 लाख का पैन रखते हैं। 6700 जूते की जोड़ियां, 5000 सूट हैं। उनके घर में 300 करोड़ रुपए के कालीन बिछे हैं। उसमें सोने के तार लगे हुए हैं। 200 करोड़ रुपए का झूमर लगा हुआ है। राजमहल में कहां-कहां हीरे लगे हुए हैं, ये पूरे देश को दिखाना चाहिए। पीएम मोदी इस देश की जनता को, मीडिया को अपना राजमहल दिखाएं। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि तुम्हारा झूठ कल उजागर होता। बुधवार को संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। यहां उन्होंने मीडिया के साथ अंदर जाने की कोशिश की पर पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। आप सरकार के आरोपों का भाजपा ने पलटवार किया। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, क्या दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री चुनाव आचार संहिता का इंतजार कर रहे थे? कल तब सब कुछ पीडब्ल्यूडी मंत्री के हाथ में था तब आपने सब क्यों नहीं देखा। ये लाचारी है या बाजीगीरी है। दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा सीएम आतिशी के आवास पर पहुंचे। सचदेवा ने कहा, आज जब आचार संहिता लग रही तब आप ड्रामा कर रहे हैं। आतिशी के पास दो बंगले हैं, उन्हें शीशमहल भी चाहिए। भाजपा नेता अनिल विज ने कहा में गरीब आम आदमी पार्टी का बंगला शीश महल है। ये आम आदमी पार्टी को ले डूबेगा। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आम आदमी पार्टी से सवाल पूछा आज खुद को आम आदमी कहते है। आपने जिस तरीके का मकान बनाया है क्या वह आम आदमी का मकान जैसा है? देखना यह है कि किस पार्टी का मुद्दा ज्यादा चलता है या फिर आई-गई बात हो जाएगी और नए-नए मुद्दे सामने आ जाएंगे।
Thursday, 9 January 2025
शपथ से पहले ट्रंप मुश्किल में फंस सकते हैं
शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हश मनी मामले में 10 जनवरी को उनके खिलाफ सजा सुनाई जाएगी। मामले में ट्रंप को अदालत में सुनवाई के लिए उपस्थित होना होगा। हालांकि जज ने जेल न जाने के संकेत दिए हैं। अदालत का यह आदेश राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से दो सप्ताह से भी कम समय पहले आया है। ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले उन्होंने पोर्न स्टार को पैसे देने के आरोपों को खारिज किया था और इसे राजनीतिक साजिश बताया था। उधर न्यूयार्क के जज जुआन मर्चेन ने संकेत दिया कि वह ट्रंप को जेल की सजा या जुर्माना नहीं देंगे बल्कि उन्हें सशर्त रिहाई देंगे। जज ने अपने आदेश में लिखा कि नवनिवार्चित राष्ट्रपति सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या वर्चुअल रूप से उपस्थित हो सकते हैं। बता दें कि यह अमेरिका के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है। उनसे पहले किसी भी पूर्व या वर्तमान राष्ट्रपति पर किसी अपराध का आरोप नहीं लगा। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में नियंत्रण वापस हासिल कर लिया है, जहां उनके पास 52 सीटें हैं, जबकि डेमोक्रेट्स के पास 47 सीटें हैं। आरोप है कि पोर्न स्टार स्ट्रॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप ने 2006 में यौन संबंध बनाए थे। यह मामला 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी खूब चर्चा में आया था। स्ट्रॉर्मी इस वाकये को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं जिसके बाद ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से मुंह बंद करने के लिए पैसे दिए थे। ट्रंप को स्ट्रॉर्मी को 1 लाख 30 हजार डालर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यवसायिक रिकार्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है। ट्रंप के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने एक बयान में कहा कि इस मामले में कोई सजा नहीं सुनाई जानी चाहिए। संविधान की मांग है कि इस मामले को तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए था। इससे पहले ट्रंप ने अपने मामले को खारिज करवाने के लिए तर्क दिया था कि वे राष्ट्रपति चुनाव में जीते हैं। वहीं, जस्टिस जुआन मर्चेन ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के कारण मामले को खारिज करने के ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और सजा के लिए तारीख की घोषणा कर दी। मर्चेन ने लिखा कि जूरी के फैसले को दरकिनार करने से कानून का खासा कमजोर हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप को अब तक तीन और मामले में चार्ज किया गया है। एक केस वगीकृत दस्तावेजों से संबंधित है, वहीं दो मामले वर्ष 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार को पलटने के उनके कथित कोशिशों से संबंधित है।
-अनिल नरेन्द्र
रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल
बीते एक साल से चर्चाओं में रहने वाले भाजपा नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी एक बार फिर चर्चाओं में हैं। चाहे संसद में एक मुस्लिम सांसद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना हो या 2024 लोकसभा में टिकट कटना हो या फिर दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों में विधायकी का टिकट दिया जाना हो, वो चर्चाओं में बने रहते हैं। अब रमेश बिधूड़ी कांग्रेस नेता व सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर विवादित टिप्पणी को लेकर चर्चा में हैं। उनके बयान की कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने निंदा की है। कांग्रेस ने जहां भाजपा से माफी की मांग की हैं वहीं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि महिला मुख्यमंत्री के अपमान का बदला दिल्ली की सभी महिलाएं लेंगी। साल 2014 और 2019 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद रहे रमेश बिधूड़ी को भाजपा ने कालकाजी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी सीट से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी विधायक हैं और वो फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता अल्का लांबा को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। रमेश बिधूड़ी का हाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक जनसभा को संबोधित करते हुए वह कहते हैं कि मैं बेहतरीन सड़क बनाने का वादा करता हूं। उन्होंने संबोधन में कथित तौर पर बिहार की सड़कों और हेमा मालिनी को लेकर दिए गए बयान का भी जिक्र किया और इसी बयान में बिधूड़ी ने बेहतरीन सड़क बनाने का वादा किया और इस बीच प्रियंका गांधी के बारे में विवादास्पद बात कही। इन्होंने हेमा मालिनी के बिहार में लालू के बयान का जिक्र किया और प्रियंका गांधी के बारे में जो अत्यंत अश्लील बात कही मैं उसे दोहराना नहीं चाहता। इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बिधूड़ी के भाषण का यह वीडियो साझा करते हुए लिखा... ऊपर से नीचे तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार आपको भाजपा के इन ओछे नेताओं में दिख जाएंगे। सुप्रिया श्रीनेत्र ने इस बयान को बेहद शर्मनाक बताया। इस महिला विरोधी भाषा और सोच का जनक भाजपा का नेतृत्व है। आतिशी पर बयान के लिए आम आदमी पार्टी ने एक्स पर लिखाö भाजपा ने फिर अपना महिला विरोधी चेहरा दिखाया। भाजपा के गालीबाज नेता रमेश बिध़ूड़ी ने महिला मुख्यमंत्री आतिशी जी के खिलाफ भद्दी और गंदी भाषा का इस्तेमाल किया। भाजपा नेताओं ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी। एक महिला मुख्यमंत्री का अपमान दिल्ली की जनता सहन नहीं करेगी। हालांकि रमेश बिधूड़ी ने जब हाईकमान का दबाव बना तो उन्होंने रविवार को दोनों महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने पर माफी मांग ली। बिधूड़ी ने एक्स पर लिखाöमेरा मकसद किसी को अपमानित करने का नहीं था। किसी संदर्भ में मेरे द्वारा दिए गए बयान पर कुछ लोग गलत धारणा से राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया पर बयान दे रहे हैं। मेरा आशय किसी को अपमानित करने का नहीं था। परंतु फिर भी अगर किसी भी व्यक्ति को दुख हुआ है तो मैं खेद प्रकट करता हूं। सवाल यह है कि तीर तो कमान से निकल चुका है, मुहं से शब्द तो निकल चुके हैं। अब माफी मांगने का क्या फायदा? जो नुकसान होना था हो गया है। रमेश बिधूड़ी का बयान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर क्या असर डालेगा यह सवाल भी देखने वाला होगा। अफवाह तो यह भी है कि शायद भाजपा कालकाजी से अपना उम्मीदवार ही बदल दे। देखें, आने वाले दो-चार दिनों में बिधूड़ी जी का क्या हश्र होता है।
Tuesday, 7 January 2025
एक और खोजी पत्रकार शहीद हुआ
छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित बीजापुर के टीवी पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव 3 जनवरी को एक सैप्टिक टैंक से बरामद किया गया है। 33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी 2025 की रात से ही अपने घर से लापता थे। मुकेश स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर एनडीटीवी के लिए काम करते थे, इसके अलावा वो यूट्यूब पर एक लोकप्रिय चैनल बस्तर जंक्शन का भी संचालन करते थे, जिसमें वे बस्तर की अंदरूनी खबरें प्रसारित करते थे। बस्तर में माओवादियों की ओर से अपहृत पुलिसकर्मियों या ग्रामीणों की रिहाई में मुकेश ने कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा की और मांग की है कि निश्चित समय के भीतर जांच पूरी की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने कहा, पत्रकार मुकेश चंद्राकर के भाई की शिकायत के बाद से ही पुलिस की विशेष टीम जांच कर रही थी। शुक्रवार की शाम हमने चट्टान पारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक सैप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया है। इस मामले से संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। मुकेश के मोबाइल के अंतिम लोकेशन ओर फोन काल के आधार पर जांच चल रही है। इसी दौरान ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की ओर से अपने मजदूरों के लिए बनाए गए आवासीय परिसर में पुलिस ने खोजबीन शुरू की तो उन्हें एक ताजा कंक्रीट की ढलाई नजर आई। पता चला कि यह पुराना सैप्टिक टैंक है, जिसके ढक्कन को बंद करके दो दिन पहले ही कंक्रीट की ढलाई की गई है। पुलिस ने शव के आधार पर उस सैप्टिक टैंक को तोड़ा तो उन्हें पानी के भीतर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव मिला। उनके शर पर गहरी चोट थी। यूकेश चंद्राकर के बड़े भाई और टीवी पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने बताया कि मुकेश चंद्राकर बुधवार (1 जनवरी 2025) की शाम को घर से लापता हुए थे। लेकिन घरवालों को अगली सुबह पता चला। शुरू में तो यूकेश ने सोचा कि उनके भाई किसी खबर के लिए आसपास के किसी इलाके में चले गए होंगे। लेकिन जब उनका फोन बंद मिला तो उन्हें चिन्ता हुई। मुकेश के अनुसार मैं और यूकेश अलग-अलग रहते हैं। यूकेश ने कहा, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की ओर से बनवाई गई सड़क के निर्माण में भ्रष्टाचार की एक खबर एनडीटीवी पर प्रसारित हुई थी जिसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच की घोषणा कर दी थी। बताया जा रहा है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर इस खबर के छपने से बहुत परेशान के और उन्होंने मुकेश चंद्राकर को अपने घर मिलने के लिए बुलाया। सोशल मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पहले तो मुकेश मुलाकात टालता रहा पर अतत पहली जनवरी शाम को सुरेश चंद्राकर से मिलने उनके घर गया। वहीं से वह गायब हो गया और फिर 3 जनवरी को सुरेश चंद्राकर द्वारा बनाए गए मजदूरों के लिए आवासों में बने एक सैप्टिक टैंक से उनका शव बरामद हुआ। एक और खोजी पत्रकार अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुआ। हम मुकेश चंद्राकर को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी खोजी पत्रकारिता को सलाम करते हैं। उम्मीद करते हैं कि पुलिस हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करेगी और उन्हें अदालत से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगी। राज्य सरकार से भी अनुरोध है कि यह इस मामले को राजनीति से दूर रखे और मुकेश चंद्राकर और उनके परिवार को न्याय दिलवाने में पूरी मदद करे।
-अनिल नरेन्द्र
नीतीश कुमार पर फिर अटकलें
कहा जाता है कि राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है न कोई स्थायी दुश्मन, स्थायी होता है तो राजनीतिक स्वार्थ। यह भी कहा जाता है कि राजीति में कुछ भी बेवजह नहीं होता। संभव है कि वजह बाद में पता चले। बिहार में नीतीश कुमार कुछ भी खेला करने वाले होते हैं तो उसके संकेत पहले से ही मिलने लगते हैं। कई बार लगता है कि ये तो सामान्य बात है लेकिन कुछ समय बाद ही असामान्य हो जाती है। नीतीश कुमार की एक तस्वीर पर खूब चर्चा हो रही है। इस तस्वीर में नीतीश कुमार ने हंसते हुए तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखा है और तेजस्वी हाथ जोड़कर थोड़ा झुककर कर हंस रहे हैं। हालांकि यह एक सरकारी कार्यक्रम की तस्वीर है जहां पक्ष और विपक्ष का आना एक औपचारिक रस्म होती है। दरअसल आरिफ मोहम्मद खान राज्यपाल की शपथ ले रहे थे और इसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार भी मौजूद थे और प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव तीनो नेताओं की यह तस्वीर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के उस बयान के बाद आई है। जिसमें उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा था कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हुए हैं। बिहार में इसी साल में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य के सियासी गलियारों में पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। इन अटकलों को नीतीश कुमार की चुप्पी ने भी हवा दी है। दरअसल बिहार की राजनीति के धुरंधर नेताओं की पुरानी केमेस्ट्री ने एक बार फिर राजनीतिक सुगबुगाहट पैदा कर दी है। जहां राष्ट्रीय जनता दल और इंडिया गठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार को फिर से साथ आने का निमंत्रण दे दिया, वहीं नीतीश ने भी सीधा खंडन करने के बजाए इसे हंसकर टाल दिया है। इसके बाद कयासबाजी का यह दौर शुरू हुआ, जिसने राजनीति के सभी धड़ों के कान खड़े कर दिए। समकालीन राजनीति में नीतीश कुमार महज उनमें से एक नेता हैं जो पिछले एक दशक में चार बार पाला बदलकर बिहार की सत्ता में बने हुए हैं। यही नहीं वह आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। लालू के इस बयान के बाद बिहार में कांग्रेस नेता शकील अहमद ने भी कहा, गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करने वाले लोग गोडसेवासियों से अलग हो जाएंगे, सब साथ हैं। नीतीश कुमार तो गांधी जे के सात उपदेश अपने टेबल पर रखते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश राजनीतिक तौर पर मजबूत हैं। इसलिए उनकी चर्चा होती रहती है। अगर भाजपा ने नीतीश की पार्टी तोड़ी तो भी उनका वोट नहीं ले पाएंगे। नीतीश के भरोसे ही केंद्र सरकार चल रही है यह बात भाजपा को भी मालूम है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नीतीश अगर पलटी मारते हैं तो उनकी जदयू को भाजपा वाले तोड़ देंगे और उनके बड़ी संख्या में सांसद और विधायक नीतीश का साथ छोड़ देंगे। बिहार के उपमुख्यमंत्री भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि बिहार में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई जाए। हालांकि जल्द ही उन्होंने इस बयान से किनारा कर दिया, लेकिन तब तक नुकसान भी हो चुका था। यह परसेटशन पहले से ही बना हुआ है कि भाजपा बिहार की राजनीति में जद यू और नीतीश की अनिवार्यता जल्द से जल्द समाप्त करना चाहती है। नीतीश की बेचैनी तब से और बढ़ गई जब एक चैनल में गृहमंत्री अमित शाह ने इस सवाल कि बिहार में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा के जवाब में कह दिया यह तो चुनाव बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा? इसी बयान से नीतीश बेचैन हो गए और उन्होंने सब ओर हाथ पांव मारने शुरू कर दिए। अब देखना यह है कि नीतीश केंद्र से सौदेबाजी कर रहे हैं या फिर एक बार पलटी मारने जा रहे हैं?
Saturday, 4 January 2025
एन वीरेन सिंह की माफी पर सवाल?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने मई, 2023 से जारी अशांति और हिंसा के दौर को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राज्य की जनता से माफी मांगी है। सिंह ने वर्ष के आखिरी दिन मंगलवार को कहा कि राज्य में जो कुछ हो रहा है, मुझे उस पर बेहद अफसोस है। मैं मणिपुर के लोगों से माफी मांगता हूं। साथ ही उम्मीद जताई कि अब नए साल में स्थिति में और सुधार होगा। उन्होंने लोगों से अतीत को भूलकर नया जीवन शुरू करने की अपील की। बता दें कि मणिपुर में 3 मई 2023 को मैतई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। तब से अब तक हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई। 5 हजार से ज्यादा घर जला दिए गए। करीब 60 हजार लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में नार्थ-ईस्ट हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत मणिपुर की थी। उस वर्ष 243 हिंसक घटनाएं उत्तर-पूर्व में हुई, इनमें 187 घटनाएं मणिपुर की हैं। आज भी जातीय हिंसा से त्रस्त घायल मणिपुर को समाधान का इंतजार है। मणिपुर जलता रहा और हल ढूंढने में न तो केंद्र ने और न हीं राज्य की वीरेन सिंह की सरकार ने कभी राजनीतिक इच्छा शfिक्त का इजहार किया। मणिपुर में जो भी भयावह घटा, जिस तरह से दो मुख्य समुदायों मैतई और कुकी के बीच खून-खराबा हुआ, हत्या, रेप और आगजनी की घटनाओं के बाद पलायन विस्थापित हुआ। उसने समूचे भारतीय लोकतंत्र को झकझोर दिया था। प्रदेश की वीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को इस डरावनी हिंसा पर नियंत्रण कर पाने के लिए प्राथमिकी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाना था, ठहराया भी। एक सहज सवाल जिस तरह जिंदा था, वह आज भी जिंदा है कि आखिर प्रदेश और केंद्र की शfिक्तमान मोदी सरकार हिंसा पर लगाम क्यों नहीं लगा सकी? यह याद रखा जाए की मणिपुर जल रहा था और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बना, तब वीरेन सिंह या केंद्र की सरकार के स्तर पर चुप्पी क्यों रही? आज तक प्रधानमंत्री मोदी एक बार भी मणिपुर वहां की जनता को शांत करने की कोशिश के लिए नहीं गए। वे दुनियाभर की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन मणिपुर जाने से परहेज क्यें करते हैं? ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री की इस माफी का राज्य के अलग-अलग समुदायों के लोगों पर कैसा और कितना असर पड़ेगा? सवाल अहम इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह आरोप संघर्ष शुरू होने के बाद से ही लगता है कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन की भूमिका निष्पक्ष नहीं है। आरोप अगर पूरी तरह गलत भी हों तब भी इतना तो स्पष्ट है कि प्रदेश के लोगों का एक खेमा उन्हें अविश्वास की नजरों से देखता है। हमारी समझ से यह भी बाहर है कि केंद्र और भाजपा आला कमान ने इतना समय बीतने के बाद भी हालात बद से बदतर होने के बावजूद मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को बदला क्यों नहीं? वह बुरी तरह फेल हो चुके हैं। स्वयं भाजपा के विधायक उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। पर पता नहीं केंद्र की क्या मजबूरी है? उन्हें अपने पद पर बैठाए रखने की? एन वीरेन सिंह जी आपकी माफी का कोई मतलब नहीं। अगर आप दिल से पछता रहे हैं तो अपने पद से खुद इस्तीफा दें और किसी नए मुख्यमंत्री को आने दें जो इस जलती हुई आग को शांत करे।
-अनिल नरेन्द्र
मौजूदा सियासत में क्यों हैं आंबेडकर जरूरी
बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर एक बार फिर पिछले कई दिनों से चर्चा में बने हुए हैं। वजह पिछले दिनों राज्यसभा में दिया गया केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक बयान है। इसने तमाम विपक्ष, दलितों और पिछड़े वंचित वर्गों को उनकी पार्टी पर हमलावर होने का एक मौका दिया है। हालांकि, अमित शाह का कहना है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। यही नहीं उनके बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस पर पलटवार किया। अमित शाह को इसके लिए बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी। इसी से पता चलता है कि भाजपा इस विवाद से कितनी बेचैन है। आखिर डॉ. आंबेडकर आज के वक्त और राजनीति में इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? डॉ. आंबेडकर ने एक समता मूलक समाज की स्थापना का स्वप्न देखा। वह शोfिषत वर्गें के अधिकार, आजादी और गरिमापूर्ण जिंदगी के लिए अलख जगाने वाले माने जाते हैं। एक विशेषज्ञ का कहना था कि डॉ. आंबेडकर ने दलित समाज के उत्थान के लिए जैसा काम किया है, ऐसे में अगर वह समाज उन्हें अपना मसीहा या भगवान मानता है तो इसमें कोई अतिश्योfिक्त भी नहीं है। आजादी से पहले या उसके बाद इस समाज के लिए डॉ. आंबेडकर ने जितना काम किया, उतना किसी और ने नहीं किया है। एक पूर्व आईएएस अधिकारी पीएल पुनिया का कहना है, अगर डॉ. आंबेडकर ने सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई न ल़ड़ी होती, तो हम लोग आईएएस अधिकारी न बनकर आज भी गुलामी की जिंदगी जी रहे होते। बाबा साहेब की मूल लड़ाई समाज में बराबरी के अधिकार की थी। साथ ही उनका संघर्ष इस बात के लिए भी था कि राजनीतिक शfिक्त के आखिरी व्यfिक्त तक कैसे पहुंचे। डॉ. आंबेडकर ने सिर्फ दलित वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि समाज के सभी दबे-कुचले लोगों की बेहतरी के लिए काम किया। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर ही भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस वजह से भी भाजपा अकेले बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी। आखिर अमित शाह ने राज्यसभा में कहा क्या था जिस पर इतना बवाल मचा हुआ है? अमित शाह ने राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान डॉ. भीमराव आंबेडकर की विरासत पर बोलते हुए कह गए कि अब यह एक फैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर .... इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। गृहमंत्री के भाषण के इसी चंद सेकेंडों के अंश पर विपक्षी दल आपत्ति जता रहे हैं। दरअसल एक विशेषज्ञ का मानना है कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर राजनीतिक दलों के बीच भले ही आरोप-प्रत्यारोप के केंद्र में अनुसूचित जाति के 20-22 प्रतिशत मतदाता हैं। असली लड़ाई वोट बैंक और संविधान बचाने की है। यह किसी से छिपा नहीं है कि भाजपा का एक वर्ग मनु स्मृति चाहता है और बाबा साहेब के संविधान को बदलना चाहता है। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा के कई नेताओं ने अपील भी की थी कि हमें इस बार 400 पार सीटें चाहिए ताकि हम संविधान बदल सकें। तमाम विपक्ष अमित शाह से माफी मांगने की बात कह रहा है। उनके इस्तीफे की बात कर रहा है। पर भाजपा नेतृत्व इसी बात पर अड़ा है कि विपक्ष अमित शाह के बयान को त़ोड़-मरोड़ कर उस पर सियासत कर रहा है। अमित शाह के इस बयान का जनता पर खासकर दलितों और पिछड़ों पर कितना असर पड़ा है यह आने वाला समय ही बताएगा। आज के परिप्रेक्ष्य में इसलिए जरूरी हैं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर।
Thursday, 2 January 2025
54 किलो सोने की कार
कुछ दिन पहले भोपाल के मेंडोरी में से 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नकदी के अलावा परिवहन विभाग की काली कमाई से जुड़ी एक डायरी भी मिली। यह गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात में एक इनोवा कार से मिली। भोपाल के दूर-दराज इलाके मेंडोरी के जंगल में खड़ी इस कार में 54 किलोग्राम सोना और 10 करोड़ रुपए नकद मिले थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ हथियार बंद लोग इसे छोड़कर जाते हुए देखे गए थे। इसके बाद आयकर अधिकारी मौके पर पहुंचे और कार, सोना और नकदी अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। मध्य प्रदेश के एक पूर्व अधिकारी (सरकारी कर्मचारी) के नेतृत्व में करोड़ों के लेन-देन का खुलासा हो रहा है। आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व, खुफिया निदेशालय और लोकायुक्त जैसी कई एजेंसियां मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही हैं। मध्यप्रदेश पfिरवहन विभाग में कांस्टेबल रहे सौरभ शर्मा जांच के केंद्र में हैं। उनके घर पर छापामारी में 2.87 करोड़ रुपए नकद और 234 किलो चांदी समेत 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली है जिस कार से पैसा बरामद हुआ वे चेतन गौर के नाम पर है। वह भी सौरभ शर्मा का साथी बताया जा रहा है, जिसकी जांच चल रही है। जानकारी के मुताबिक सौरभ अब दुबई भाग गया है। पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच एजेंसियें की कोशिशों में उसके बारे में यह कहानियां सामने आ रही हैं। परिवहन विभाग के कांस्टेबल के तौर पर काम करने वाले सौरभ शर्मा ने नौकरी छोड़कर रियल स्टेट के कारोबार में कदम रखा और उच्च अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आ रहे हैं। सौरभ के पिता आरके शर्मा सरकारी डाक्टर थे। 2015 में उनकी मृत्यु के बाद सौरभ को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी। उसने 2023 में नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उसने रियल स्टेट के क्षेत्र में कदम रखा और बड़े बिल्डरों से नजदीकियां बढ़ाई। इसके बाद उसने तेजी से तरक्की की। एक स्कूल, होटल और कई अन्य प्रतिष्ठान उसके, उसकी मां, पत्नी, करीबी रिश्तेदार और दोस्तों के नाम पर बनाए गए। आयकर विभाग ने करीब 100 करोड़ रुपए के अवैध लेन-देन का पता लगाया है। परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा ने सिर्फ सात साल की अनुकंपा नियुक्ति से इतनी अकूत संपत्ति जुटा ली, जिसे देखकर सभी हैरान हैं। एक सिपाही के घर से 232 किलो चांदी (कीमत पौने दो करोड़) और 1.32 करोड़ कैश मिले। फार्म हाउस के ऊपर कार से बरामद 54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश का लिंक भी उसी से जुड़ रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सौरभ ने अकेले दम पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया? या इसके पीछे किसी बड़े नेता का हाथ है? नेता, अफसरों का वरदान न हो तो एक सिपाही इतनी अकूत संपत्ति जुटा ही नहीं सकता। सौरभ फिलहाल फरार है। शायद ही पूरे किस्सों का पता चले। पूरे मामले को दबा दिया जाएगा ताकि इसके पीछे के राज कभी न खुलें।
-अनिल नरेन्द्र
निशाने पर मोहन भागवत
राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है, ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब देश में मंदिर-मस्जिद वाले नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। उपासना स्थल अधिनियम पर चल रही बहस के बीच देश में संभल, मथुरा, अजमेर और काशी समेत कई जगहों पर मस्जिदों के प्राचीन मंदिरों के होने का दावा किया जा रहा है और जगह-जगह खुदाई की जा रही है और बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। 19 दिसम्बर को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर बोलते हुए मोहन भागवत ने इस माहौल पर चिंता जाहिर करते हुए एक बार फिर मंदिर-मस्जिद विवाद वाले चैप्टर को बंद करने की बात कही है। उन्होंने कहा-तिरस्कार और शत्रुता के लिए हर रोज नए प्रकरण निकालना ठीक नहीं है और ऐसा नहीं चल सकता। मोहन भागवत के बयान के बाद न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है बल्कि कई साधु संतों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने निशाना साधते हुए सवाल उठाए और कहा कि ये मोहन भागवत का व्यक्तिगत बयान हो सकता है। ये बयान सबका नहीं है। वो किसी एक संगठन के प्रमुख हो सकते हैं, हिंदू धर्म के वह प्रमुख नहीं हैं कि हम उनकी बात मानते रहें। वो हमारे अनुशासक नहीं है। हम उनके अनुशासक हैं। आगे कहा-हिंदू धर्म की व्यवस्था के वो ठेकेदार नहीं हैं। हिंदू धर्म आचार्यों के हाथ में है। उनके हाथ में नहीं। ज्योतिमेई के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद भी मोहन भागवत के बयान के बाद गुस्से में दिखाई दे रहे हैं। एबीपी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, जो लोग आज कह रहे हैं कि हर जगह नहीं खोदना चाहिए इन्हीं लोगों ने तो बात बढ़ाई है और बढ़ाकर सत्ता हासिल कर ली। अब सत्ता में बैठने के बाद इन्हें कठिनाई हो रही है। शंकराचार्य ने आगे कहा-अब कह रहे हैं कि ब्रेक लगाओ। जब आपको जरूरत हो तो आप गाड़ी का एक्सीलेटर दबा दें और जब आपको जरूरत लगे तो ब्रेक दबाओ ये सुविधा की बात है। न्याय की जो प्रक्रिया है, वो सुविधा नहीं दिखती। इस मुद्दे पर बाबा रामदेव ने कहा, ये सच है कि आक्रांताओं ने हमारे मंदिर, धर्म स्थान, सनातन के गौरव चिह्नों को नष्ट किया है और इस देश को क्षति पहुंचाई है। रामदेव ने आगे कहा कि तीर्थ स्थलों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को खंडित करने वालों को दंड देने का काम अदालतों का है, लेकिन जिन्होंने ये पाप किए हैं उन्हें इसका फल मिलना चाहिए। ये पहली बार नहीं है जब संघ प्रमुख ने देश के मुसलमानों को साथ लेकर चलने और मस्जिदों में मंदिर न ढूंढने की सलाह दी है, याद है उनका वो बयान हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि जिस तरह से कथावाचक धर्मगुरु, मोहन भागवत के बयान पर असहमति जता रहे हैं। सोशल मीडिया पर अंधभक्त उन्हें संघ छोड़ने को कह रहे हैं। ये अब दिल्ली के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है। ये साफ है कि मोहन भागवत के खिलाफ खुलकर फ्रंट खोला गया है। ये दिल्ली की सत्ता और मोहन भागवत के बीच सीधी लड़ाई है। यह खींचतान कहां तक बढ़ती है देखना बाकी है।
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