Saturday, 12 April 2025

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि राज्यपाल के पास राज्य विधानमंडल से पारित विधेयकों को रोकने के लिए पूर्ण या आंशिक (पॉकेट वीटो) किसी तरह का वीटो पावर नहीं है। विधेयकों को लटकाए रखना अवैध है। राज्यपाल को निर्वाचित सरकार की सलाह से ही काम करना होगा। संविधान की अनुच्छेद-200 के तहत उनके पास अपना कोई विवेकाधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा, जनता की पसंद में बाधा बनना राज्यपाल की संवैधानिक शपथ का उल्लंघन होगा और उन्हें राजनीतिक विचारों से संचालित नहीं होना चाहिए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्यपालों को विधानमंडल से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय-सीमा भी तय कर दी, क्योंकि संविधान के प्रावधानों में अभी तक इसके लिए समय-सीमा तय नहीं थी। साथ ही पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से रोके गए 10 विधेयकों को पारित घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन विधेयकों को उसी दिन से पारित माना जाएगा जिस दिन राज्य विधानमंडल से इसे पुनर्विचार के बाद राज्यपाल को दोबारा भेजा गया था। राज्यपाल ने इन विधेयकों को राष्ट्रपति की राय के लिए भेजे जाने की बात कहकर मंजूरी रोक रखी थी। कोर्ट ने राज्यपाल के इस फैसले को अवैध, गलत और त्रुटिपूर्ण घोषित किया। राज्यपाल आरएन रवि की ओर से राज्य विधानसभा में पारित कई विधेयकों को मंजूरी देने से इंकार करने के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तमिलनाडु सरकार की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य और राज्यपालों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवादों के समाधान की दिशा में बेहद अहम कदम है। शीर्ष अदालत ने एक बार फिर से राज्यपालों की भूमिका स्पष्ट की है। यह फैसला आने वाले वक्त में एक नजीर बनेगा और उम्मीद है कि टकराव के रास्ते से हटकर राज्य सरकार और राज्यपाल मिलकर काम करेंगे। इस फैसले ने राज्यपालें द्वारा विशेषकर उन राज्यों में जहां केंद्र सरकार के विरोधी दलों की सरकारें हैं। सरकारों पर मनमानी तरीके से अपने अधिकारों द्वारा अंकुश लगाने के प्रयासों को लगभग समाप्त कर दिया है। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त कई राज्यपाल ऐसा बर्ताव करते हैं मानों वे केंद्र सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट हों यहां तक कि वह सरकारें बनाने और गिराने तक में शामिल हो जाते हैं। इसी तरह का विवाद पिछले साल केरल में हुआ था। तब राज्य की डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि तत्कालीन राज्यपाल ने कई बिल को दो साल तक लटकाए रखा और फिर उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। अब आगे से कोई राज्यपाल किसी भी पारित विधेयक को एक महीने से अधिक अपने पास लंबित नहीं रख सकता। अगर यह विधेयक राज्यपाल के द्वारा वापस कर दिया जाता है और पुनर्विचार के लिए पुन उसके पास आता है तो वह उसे राष्ट्रपति को भी नहीं भेज सकते। राष्ट्रपति को वह पहली बार में ही भेज सकें। अगर निश्चित अवधि के बाद कोई विधेयक लंबित रखा जाता है तो उसे स्वत स्वीकृत मान लिया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से यह तो तय है कि अब कोई विधेयक राज्यपाल की मानमानी की जकड़बंदी की गिरफ्त में नहीं रहेगा। शीर्ष अदालत ने इस समुचित प्रक्रिया को समयबद्ध और सीमाबद्ध करके निश्चित तौर पर एक ऐतिहासिक काम किया है। हम इसके लिए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन को तहfिदल से बधाई देना चाहते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि आज भी सुप्रीम कोर्ट जिंदा है और संविधान की रक्षा करने में वचनबद्ध है। तमाम दबावों के बावजूद ऐसा निर्णय लेना साधारण नहीं कहा जा सकता इसलिए इसे ऐतिहासिक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 10 April 2025

संघ की विचारधारा में भेदभाव नहीं

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने रविवार को वाराणसी में कहा कि संघ की शाखाओं में सभी भारतीयों का स्वागत है। देश में पंथ, जाति, संप्रदाय की पूजा पद्धति अलग-अलग है, लेकिन संस्कृति एक है। हालांकि औरंगजेब को आदर्श मानने वालों को छोड़कर सभी स्वीकार हैं। संघ में विचारधारा में पूजा पद्धति के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। अलदहिया स्थित लाजपत नगर पार्क में प्रभात शाखा में स्वयं सेवकों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने ये बातें कही। भागवत ने कहा कि शाखा में उन सभी लोगों के लिए द्वार खुले हैं जो `भारत माता की जय बोले और भगवा ध्वज के प्रति सम्मान प्रखर करे'। भागवत ने कहा कि जो लोग अखंड भारत अव्यावहारिक मानते हैं, उनको सिंध प्रांत की दुर्दशा देखनी चाहिए। पिछले दशकों में भारत से जो हिस्से कटे हैं। आज उनकी दुर्दशा हो रही है। इसलिए अखंड भारत व्यावहारिक है। भागवत ने कहा कि स्वयं और परिवार के साथ हमें समाज पर भी खर्च करना चाहिए। सामाजिक समरसता के लिए यह आवश्यक है। शाखा पर प्रोटोकॉल के तहत पहुंच नगर आयुक्त अक्षत वर्मा और सीडीओ हिमांश नागपाल से भी चर्चा की। भागवत ने कहा कि संघ समाज को कुछ देने की भावना को प्रमुखता देता है। संघ में जो लोग प्रकट करने की सोच के साथ आते हैं उनसे निवेदन है कि न आएं। रविवार को लाजपत नगर में स्वयं सेवक दीपक कपूर के आवास पर विवेकानंद शाखा के स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। मोहन भागवत ने कहा कि स्वयं सेवक के लिए शाखा के महत्व को खुद समझना सबसे जरूरी है। प्रतिदिन एक घंटे शाखा पर जाने से व्यक्तित्व का विकास होता है। -अनिल नरेन्द्र

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में विरोध

जहां लगभग सारी दुनिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध हो रहा है वहीं उनके अपने देश अमेरिका में भी अब जमकर प्रदर्शन हो रहे हैं। ट्रंप के खिलाफ आलम यह है कि पिछले दिनों एक डेपोट सीनेटर ने अमेरिकी कांग्रेस में सबसे लंबे भाषण का रिकॉर्ड बनाया। सीनेटर, कोरी बुकर सीनेट में लगातार 25 घंटे से अधिक समय तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ बोले। उन्होंने सोमवार शाम को अपना भाषण शुरू किया और मंगलवार शाम को समाप्त किया। बिना किसी ब्रेक के। एक व्याख्यान पीठ पर खड़े होकर दिए गए भाषण में असाधारण सहनशक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने सीनेट के उस नीयत का लाभ उठाया जो सीनेटरों को ट्रंप की नीतियों के खिलाफ अभियान चलाने और उनकी छवि बनाने के लिए समय सीमा के बिना अनुमति देना है। अपने भाषण में कई जगहों पर नागरिक अधिकार नेता जॉन लुईस का हवाला देते हुए उन्होंने अंत में अपने शब्दों को दोहराया, अपनी परेशानी में पड़े। जरूरी परेशानी में पड़ने और अमेरिका की आत्मा को बचाने में मदद करो। वहीं दो दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क के खिलाफ अमेरिका के सभी 50 राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी कनाडा और मैक्सिको में भी प्रदर्शन आयोजित किया गया। इसमें 150 कार्यकर्ता समूहों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया, जिसमें वाशिंगटन डीसी और राष्ट्रपति के फ्लोरिडा के पास बहुत संख्या में लोग शामिल हुए। हैंड्स ऑफ का नारा लगाते हुए भीड़ ट्रंप और सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) के निदेशक एलन मस्क के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हैंड्स ऑफ का मतलब हमारे अधिकारों से दूर रहो। इस नारे का मकसद यह जताना है कि प्रदर्शनकारी नहीं चाहते कि उनके अधिकारों पर किसी का नियंत्रण हो। ट्रंप प्रशासन और डीओजीई के आलोचकों ने बजट कटौती और कर्मचारी बर्खास्तगी के माध्यम से संघीय सरकार के अधिकार और आकार को कम करने के प्रयासों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। व्हाइट हाउस ने रविवार को कहा कि 50 से अधिक देशों ने टैरिफ को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत की मांग की है, ताकि अमेरिका का निर्यात टैरिफ को कम किया जा सके। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नई टैरिफ नीति के ऐलान के बाद दुनिया भर में खलबली मच गई है। प्रभावी देश इनसे निपटने की तैयारी में जुट गए हैं और उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस योजना की आलोचना की है। कुल मिलाकर अमेरिका के अंदर और बाहर सभी जगह ट्रंप की नीतियों का विरोध हो रहा है। अमेरिका के प्रदर्शनों में लाखों लोगों ने सड़कों पर आकर प्रदर्शन किए। नारे करने की बात यह है कि इतनी संख्या में सड़कों पर उतरने के बाद भी कहीं भी हिंसा नहीं हुई और न ही कोई गिरफ्तारी ही हुई। सब शांति से निपट गया। अमेरिका के अंदर ट्रंप और एलन मस्क का विरोध बढ़ता जा रहा है और लोग अपने को कोस रहे हैं कि उन्होंने कैसे खुराफाती इंसान को अपने देश की बागडोर संभाल दी है।

Tuesday, 8 April 2025

जम्मू क्षेत्र में बढ़ती आतंकी घटनाएं

भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में पिछले दो हफ्ते से चरमपंथ विरोधी अभियान जारी है। इस चरमपंथ विरोधी अभियान में अब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस के 4 जवान शहीद हो चुके हैं और 5 घायल हो चुके हैं। दो चरमपंथियों को मार गिराया गया है। अभियान कठुआ के कई इलाकों में सुरक्षाकर्मी चला रहे हैं और इस अभियान की जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी और आईजी खुद निगरानी कर रहे हैं। ऑपरेशन के दूसरे दिन पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात की एक तस्वीर मीडिया में आई है। उस तस्वीर में डीजीपी खुद हाथ में एके-47 लेकर सर्च अभियान में शामिल नजर आए थे। बीते तीस सालों में ऐसा पहली बार देखा गया जब पुलिस के डीजीपी पद के अधिकारी ने खुद सर्च ऑपरेशन में हिस्सा लिया हो। जब तक सभी चरमपंथी मारे नहीं जाते तब तक यह अभियान जारी रहेगा। यह अभियान ऐसी जगह चलाया जा रहा है जो पूरा इलाका जंगलों से घिरा है, जिस वजह से समय लग रहा है और मुश्किलें आ रही हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक ये 5 चरमपंथियों का ग्रुप था जो पहले एक साथ थे और पहली मुठभेड़ के बाद से अलग हो गए। उनका कहना था कि दो तो मारे जा चुके हैं और तीन जो बाकी हैं उनके खिलाफ यह अभियान चलाया जा रहा है, उनका यह भी कहना था कि घने जंगलों और बड़ी-बड़ी चट्टानों की वजह से उन तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं और घने जंगलों की वजह से ड्रोन्स से भी कोई खास मदद नहीं मिल सकती है। ये पूछने पर कि अभी इस अभियान में और कितना समय लग सकता है तो उनका कहना था कि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। ये बात सच है कि पिछले दो सप्ताह से अभियान चलाया जा रहा है और अभी तक पूरी कामयाबी नहीं मिली है। जम्मू में बीते चार सालों से (साल 2021) से एक के बाद एक चरमपंथी घटनाएं हो रही हैं। इससे पहले जम्मू दशकों तक शांत रहा। लेकिन धीरे-धीरे चरमपंथ ने जम्मू के दूसरे इलाकों में भी अपना सिर उठाना शुरू कर दिया। हालांकि साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक पूरे जम्मू-कश्मीर में साल 2021 की तुलना में साल 2024 में घटनाएं कम हुई हैं, साल 2021 में जम्मू-कश्मीर में कुछ घटनाओं की संख्या 153 थी, जबकि साल 2024 में दो घटनाएं दर्ज हुई हैं। -अनिल नरेन्द्र

न्यायपालिका में पारदर्शिता जरूरी है

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने पर जो सहमति जताई है उसका हम स्वागत करते हैं। इसके पीछे कारण जो भी हो, वह सही दिशा में सही कदम है। इससे न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी जोकि पिछले कुछ दिनों में विवादों में आ गई है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उपायों में पारदर्शिता को एक लंबे समय से अहम कड़ी माना जाता रहा है। पीठ की एक बैठक में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने अपनी सहमति का खुलासा करने का निर्णय लिया और इसका विवरण सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा मामले के बाद उठाया गया है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद कथित तौर पर नकदी की जली हुई गड्डियां मिलीं थीं। विवाद के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनका तबादला नकदी मिलने के विवाद से संबंधित नहीं था। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की अतिरिक्त जांच समिति कर रही है। जिसमें तीन जज हैं। इसी बीच जले हुए कचरे में नकदी की मौजूदगी दिखने वाले वीडियों को भी सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक किया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशंस के पूर्व अध्यक्ष आदेश अग्रवाल ने न्यायाधीशों की संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करने के निर्णय की प्रशंसा की है। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कदम के बाद उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी इस तरह का कदम उठाएंगे। देश में सुप्रीम कोर्ट को ऐसी संस्था के रूप में देखा जाता है जो आम, गरीब, बेसहारा लोगों के लिए न्याय की आखिरी उम्मीद है। फिर भी जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित तौर पर जली हुई नोटों की गड्डियां मिलने जैसी घटनाओं और उनसे उपजे विवादों से कहीं न कहीं कुछ संदेह बनता है, पर विषय पुराना है कि न्यायाधीशों को भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करनी चाहिए। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसके अनुसार हर न्यायाधीशों को अपनी प्रापर्टी और देनदारी के बारे में मुख्य न्यायाधीशों को बताना होता है। बाद में एक और प्रस्ताव आया कि न्यायाधीश चाहें तो अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक कर सकते हैं। इस संबंध में एक संसदीय समिति भी अपनी एक रिपोट में यह कह चुकी है कि जजों की संपत्ति की घोषणा को अनिवार्य बनाने के लिए एक कानून लाना चाहिए। दरअसल, जब तक जजों की ओर से नियमित रूप से अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने की प्रािढया को संस्थागत रूप नहीं दिया जाएगा, तब तक इस संबंध में सिर्फ निजी स्तर पर की गई पहल या संकल्प के बूते इसमें निरंतरता बनाए रखना मुश्किल होगा। जहां हम मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के इस फैसले का स्वागत करते हैं वहीं यह भी कहना चाहेंगे कि न्यायपालिका के कामकाज में कई स्तर पर सुधार की जरूरत है। वर्तमान परिदृश्य में न्यायपालिका की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गई है।

Saturday, 5 April 2025

औरंगजेब मुद्दा गैर जरूरी है


पिछले कुछ दिनों से औरंगजेब की कब्र का मुद्दा राजनीतिक रूप से गरमाया हुआ है। इस पर सियासी दल खूब बयानबाजी कर रहे हैं। एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा नेता भी इस मुद्दे को लगातार हवा दे रहे हैं। लेकिन भाजपा के वैचारिक संगठन आरएसएस ने इस पर संयमति रुख अपनाया है। इस कड़ी में अब संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा है कि औरंगजेब की कब्र का मुद्दा अनावश्यक है। जोशी ने कहा कि औरंगजेब की मौत जहां हुई हो कब्र भी वहीं बनेगी, जिसे श्रद्धा है वे जाएंगे। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की कब्र बनवाकर एक मिसाल कायम की थी यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है। इससे पहले संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा से पहले संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील ने कहा था कि औरंगजेब प्रासंगिक नहीं है। फिर संघ के सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत के जो विरोध कर रहे हैं उनको आइकॉन बनना चाहिए, जो हमारी संस्कृति की बात करेगा, उसको हम लोग फालो करेंगे। दरअसल संघ पिछले काफी समय से मुस्लिम संवाद पर काम कर रहा है, जिसका मकसद है समाज में तनाव न हो और मतभेद के जो बिंदु हैं उन्हें बैठकर सुलझाया जाए। संघ के ये बयान उसी दिशा में हैं।

- अनिल नरेन्द्र

चीन-बांग्लादेश-पाक खतरनाक त्रिकोण


बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरे पर थे। 28 मार्च को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से उनकी द्विपक्षीय बातचीत के दौरान कई करार तो हुए ही, साथ ही यूनुस ने ये भी कहा कि चीन का विकास बांग्लादेश के लिए प्रेरणादायक है। दोनों देशों के साझा बयान में बांग्लादेश में तीस्ता प्रोजेक्ट के लिए चीनी कंपनियों को न्यौता दिया। याद रहे कि पिछले साल जून में पूर्व पीएम शेख हसीना चीन गई थीं और दौरे को अधूरा छोड़ वह बांग्लादेश लौट आई थीं। उन्होंने कहा था कि वह चाहती हैं कि प्रोजेक्ट भारत की ओर से पूरा हो। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का हवाला देते हुए चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की अपील करके बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को लैंड लॉक्ड (जमीन से चारों ओर से घिरा) क्षेत्र बताया और बांग्लादेश को इस इलाके में समंदर का एकमात्र संरक्षक बताते हुए चीन से अपने यहां आर्थिक गतिविधि बढ़ाने की अपील की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मोहम्मद यूनुस के इस बयान को आपत्तिजनक बताया है। भारतीय राजनयिकों ने भी यूनुस के इस बयान पर हैरानी जताई है। हिमंत बिस्व सरमा ने एक्स पर लिखा, बांग्लादेश की तथाकथित अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस द्वारा दिया गया वह बयान घोर निदंनीय है, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को जमीन से घिरा बताया और बांग्लादेश को उनकी समुद्री पहुंच का संरक्षक बताया। यूनुस के ऐसे भड़काऊ बयानों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्यों ये (बयान) गहन राजनीतिक विचारों दीर्घकालिक एजेंडे को दर्शाते हैं। वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की विदेश नीति इस हद तक कमजोर हो गई कि भारत की मदद से स्वतंत्रता हासिल करने वाला बांग्लादेश भी उसके खिलाफ हो गया है। गोगोई मोहम्मद यूनुस के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उनहोंने अपने देश को इस क्षेत्र  में महासागर का एकमात्र संरक्षक बताया था। चीन-बांग्लादेश की ये नजदीकियां कई लिहाज से भारत के लिए चिंताजनक हैं। एक ओर तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं। साथ ही नार्थ-ईस्ट के मद्देनजर बांग्लादेश का चीन को प्रस्ताव भी भारत के लिए खतरे की घंटी की तरह है। जनवरी में यूनुस सरकार ने भारत के चिकेन नेक के नाम से मशहूर सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास रंगपुर में पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का  दौरा कराया था। इसी चिकन नेक के दूसरी ओर चीन की निगाहें लगी हुई हैं। यह कॉरिडोर भारत के लिए बेहद अहम है। दूसरी ओर अतीत की कड़वाहट को परे कर पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेशी मंत्री इशाक डार ने ऐलान किया है कि वह अगले महीने बांग्लादेश जाएंगे। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी मंत्री की पहली यात्रा होगी। इस बीच अप्रैल के शुरुआत में बीआईएमएसटीईसी समिट में पीएम मोदी और यूनुस का आमना-सामना होगा। चीन-बांग्लादेश-पाक त्रिकोण भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है जिसकी काट करना जरूरी है।

Thursday, 3 April 2025

दूर होंगी दिल्ली के मरीजों की तकलीफ



लगभग पौने दो करोड़ की सघन आबादी वाले दिल्लीवासियों की सेहत को बूस्टर डोज देने के लिए दिल्ली सरकार प्लान तैयार कर रही है। प्लान के तहत सरकार 10 बिंदुओं पर फोकस कर विभिन्न अस्पतालों, पॉलीक्लीनिक्स, अरोग्य मंदिरों सहित दूसरी स्तरीय अस्पतालों का ऑडिट कर रही है। एक अधिकारी के अनुसार इसका लक्ष्य जून 2025 रखा गया है। इसमें 10 बिंदुओं को फोकस किया गया है, जिसके तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंडर आने वाले 28 अस्पतालों मैडिकल कालेजों में तीन पॉवर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर सुनिश्चित करने की पहल होगी। सेहत सुधारने की पहल में मोशन और क्लीचर में आगे बढ़ने के अवसरों में वृ]िद्ध करना, सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना, जनकपुरी सुपर स्पेशल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी में विशेषज्ञ स्तरीय सर्जन्स कम्युनिटी मेडिसन व अन्य विभागों से जुड़े विशेषज्ञों की कमी को दूर करना रखा गया है। लोकनायक व जीटीबी अस्पताल के आईसीयू में बिस्तरों की संख्या में इजाफा करने का भी लक्ष्य रखा गया है। जरूरी दवाओं और उपकरणों को अपग्रेड करने के साथ ही किसी प्रकार की किल्लत को दूर करने के लिए क्रीनिंग कमेटी के गठन की भी योजना है। मरीजों की वेटिंग कम करने के लिए पेशेंट डॉक्टर्स डैशबोर्ड की स्थापना होगी। नए अस्पतालों के उनके अधूरे पड़े निर्माण कार्य कम से कम समय में पूरा करने उसकी लागत नियंत्रण करने के लिए लोक निर्माण विभाग और केन्द्राrय लोक निर्माण के एक्सपर्ट्स की मदद ली जाएगी। सर्जरी विभाग इमरजेंसी में औसत टाइम को कम करने का लक्ष्य भी रखा जाएगा। दिल्लीवासी उम्मीद करते हैं कि दिल्ली सरकार अपनी इन योजनाओं में सफल हो और इन्हें जमीन पर उतारे ताकि दिल्लीवासियों को इलाज में सहूलियतें मिलें जिनकी बहुत आवश्यकता है। दिल्ली सरकार की योजना तो सही है, उम्मीद रखें कि वह इन्हें पूरा करेंगी।

-अनिल नरेन्द्र

सवाल रॉ पर प्रतिबंध लगाने का



अमेरिका में भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) पर प्रतिबंध लगाने की मांग हुई है। पता नहीं अमेरिका भारत के साथ कौन सी दुश्मनी का बदला निकाल रहा है। एक के बाद एक झटका हमें देने पर तुला हुआ है। ताजा उदाहरण अमेरिका के यूएस कमीशन ऑन रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने साल 2025 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। रॉ पर प्रतिबंध लगाने की मांग इस रिपोर्ट का हिस्सा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही हैं क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले और भेदभाव के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि भारत ने यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित बताया है। पिछले कुछ सालों से यह संस्था लगातार भारत कि धार्मिक स्वतत्रता और अल्पसंख्यक उत्पीड़न पर चिंता जताता रही है और भारत हर बार इसे खारिज करता आया है। 96 पन्ने की इस रिपोर्ट में भारत को उन 16 देशों के साथ रखने का सुझाव दिया है। जहां कुछ खास चिंताएं हैं। रिपोर्ट में लिखा गया है कि भारत सरकार ने विदेशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष रूप से सिख समुदाय के सदस्यों और उनकी आवाज उठाने वालों को टारगेट करने के लिए अपनी दमनकारी रणनीति का विस्तार करना जारी रखा। भारत के धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनों का डॉक्यूमेंटेशन करने वाले पत्रकारों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज संगठनों ने कांसुलर सेवाएं न मिलने, ओवर सीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड को निरस्त करने के साथ-साथ हिंसा और निगरानी की धमकियों की सूचना दी है। रॉ के बारे में कहा गया, अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग और कनाडा सरकार की खुफिया जानकारी ने भारत के रॉ के एक अधिकारी और छह राजनयिकों के न्यूयार्क में 2023 में एक अमेरिकी सिख कार्यकर्ता की हत्या के प्रयास से जुड़े आरोपों की पुष्टि की है। संस्था ने अमेरिकी सरकार से रॉ पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश भी की है। रिपोर्ट में लिखा ः धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में दोषी पाए गए व्यक्तियों और संस्थाओं जैसे विकास यादव और रॉ पर टारगेटेड प्रतिबंध लगाएं। उनकी संपत्तियों को जब्त करें और/या संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाएं। अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने 17 अक्टूबर को भारतीय नागरिक विकास यादव के खिलाफ भाड़े पर हत्या और मनीलांड्रिंग का मामला दर्ज करने की घोषणा की थी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि साल 2023 में अमेरिकी धरती पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में विकास यादव की अहम भूमिका थी। जहां अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने यादव को भारत सरकार का कर्मचारी बताया था। वहीं भारत ने कहा था कि विकास यादव अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है। टारेगेटेड प्रतिबंध एक प्रकार का आर्थिक या व्यापारिक प्रतिबंध है जो एक या एक से अधिक देश या अंतर्राष्ट्रीय संगठन किसी देश के अंदर व्यक्ति विशेष संस्थाओं या सेक्टर के खिलाफ लगाया जा सकता है न कि पूरे देश पर। धार्मिक स्वतंत्रता की 2025 की इस रिपोर्ट पर भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा ः हमने अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की हाल ही में जारी भारत की वार्षिक रिपोर्ट देखी है जो एक बार फिर पूर्वाग्रह से भरी हुई और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि रिपोर्ट में बार-बार कुछ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है और भारत के बहुसांस्कृतिक समाज को गलत तरीके से दर्शाने की कोशिश करता है।

Tuesday, 1 April 2025

अंतत कांग्रेस कोयह समझ आई



सत्ता के बिना संगठन की विचारधारा लागू नहीं कर सकते यह बात लगातार चुनाव दर चुनाव हारने के बाद अंतत कांग्रेsस को अब समझ आई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यों में चुनाव जीतने के लिए दीर्घकालिक रणनीति के साथ एकजुट होकर काम करने के वास्ते पार्टी की जिला इकाई प्रमुखों को आह्वान किया और कहा कि संगठन की विचारधारा मजबूत है। लेकिन इसे सत्ता के बिना देश में लागू नहीं किया जा सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने एक होकर लड़ाई लड़ी, जिससे भाजपा 240 पर अटक गई। कांग्रेस पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव में लगभग 100 सीट हासिल की। अगर हमने अधिक मेहनत की होती, हमारा संगठन और मजबूत होता तो हम 20-30 सीटें और हासिल कर सकते थे। खरगे ने कहा कि इतनी सीट हासिल करने से देश में वैकल्पिक सरकार भी बना सकते थे। कांग्रेस फसल को तैयार कर लेती है पर उसे काटने वाला संगठन निहायत कमजोर है या यूं कहें है ही नहीं। राहुल गांधी जितना मर्जी देश में घूम लें, हर वर्ग से मिल लें, जब तक संगठन उनके सपने को साकार नहीं करेगा वह सपने ही रह जाएंगे। देखें खरगे जी जो कह रहे हैं उसे क्रियान्वयन करने की क्षमता भी रखते हैं या नहीं?

-अनिल नरेन्द्र


अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है


सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि असुरक्षित लोगों के आधार पर अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं आंका जा सकता। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा जरूरी है क्योंकि इसके बिना सम्मानजनक जीवन जीना असंभव है। सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी को लोकतंत्र का अहम अंग बताते हुए कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा, भले बड़ी संख्या में लोग किसी के विचार को नापसंद करते हों, पर उसके विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान व संरक्षण होना चाहिए। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा, 75 वर्ष पुराना लोकतंत्र इतना कमजोर नहीं कि किसी कविता या कॉमेडी से समाज में शत्रुता या घृणा फैले। यह कहना कि किसी कला या स्टैण्डअप कॉमेडी से नफरत फेल सकती है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल देगा। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ कांग्रेस से सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ सोशल मीडिया पर भड़काऊ गीत का संपादित वीडियो पोस्ट करने के मामले में गुजरात पुलिस की एफआईआर को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने जोर देकर कहा, भाषण व अभिव्यक्ति की आजादी प्रतिबंधों से ऊपर है। भारतीय न्याय संहिता की धारा-196 के तहत धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए अपराध के किसी व्यक्ति के बोल या लिखे गए शब्दों के प्रभाव को मजबूत दिमाग वाले दृढ़ व साहसी व्यक्ति के मानकों के आधार पर विचार करना होगा। इसे उन लोगों के समर्थन के आधार पर नहीं आंका जा सकता, जो कमजोर व अस्थिर दिमाग वाले हैं, जिनमें सदैव असुरक्षा की भावना होती है या जो हमेशा आलोचना को यानि ताकत व पद के लिए खतरा मानते हैं। पीठ ने कहा, लोगों या उनके समूहों के विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति स्वस्थ व सभ्य समाज का अभिन्न अंग है। विचारों व दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति की आजादी के बिना, संविधान के अनुच्छेद-21 में दी गई गारंटी वाला सम्मानजनक जीवन असंभव है। पीठ ने कहा, यह सुनिश्चित करना कोर्ट का परम कर्तव्य है कि संविधान व इसके आदर्शों का उल्लंघन न हो। गुजरात हाईकोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को इमरान ने चुनौती दी थी। जिसमें उन पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि जांच शुरुआती चरण में है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने अभिव्यक्ति की आजादी के संरक्षण को सर्वोपरि बताया और साफ किया कि किसी भी बयान या लेख की व्याख्या तार्किक और दृढ़ व्यक्ति की दृष्टि से होनी चाहिए न कि उन लोगों के अनुसार जो असुरक्षा के चलते आलोचना को खतरा मानते हैं। साथ ही धारा-196 के तहत जांच प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया ताकि अनावश्यक मुकदमों से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो। हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में सभी संबंधित पक्ष इसको ध्यान में रखेंगे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नाजायज तरीके से दबाने का प्रयास नहीं करेंगे।

Saturday, 29 March 2025

क्या स्टालिन विपक्ष का चेहरा बनना चाहते हैं?

लोकसभा सीटों के परिसीमन के संबंध में चेन्नई में आयोजित बैठक में सात राज्यों- तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और ओडिशा के नेताओं ने भाग लिया। चेन्नई में हुई बैठक में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और अन्य लोग शामिल हुए। स्टालिन ने कहा, केवल तभी सच्चा संघीय ढांचा बन सकता है जब राज्य स्वायत्तता से काम करेंगे और हम तभी विकास की ओर बढ़ सकते हैं। एक प्रस्ताव पारित किया गया कि लोकसभा सीटों का परिसीमन अगले 25 साल के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए। स्टालिन ने यह भी कहा कि यदि पुनर्गठन जनसंख्या के आधार पर किया जाता है, तो इसका दक्षिणी राज्यों पर बहुत ज़्यादा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हम पुनर्गठन का विरोध करते हैं, क्योंकि जिन राज्यों ने सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी जनसंख्या को नियंत्रित किया है, उन्हें लोकसभा में प्रतिनिधित्व के लिहाज से ऩुकसान होगा। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि केंद्र सरकार से मांग की जाए कि 25 साल तक परिसीमन को रोका जाए और इसकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद में की जानी चाहिए। निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन को पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए और साल 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय सीटों की संख्या बरकरार रखी जानी चाहिए। स्टालिन खुद को राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के ख़िल़ाफ एक राजनीतिक नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका अहसास होने से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में भाग नहीं लिया। स्टालिन पूरे देश को अपनी अहमियत दिखाने के लिए इस तरह का काम कर रहे हैं। वो इंडिया अलायंस की तरह अपनी बैठक में सबको आमंत्रित कर ख़ुद की छवि को ऊपर उठाना चाहते हैं। हाल ही में ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन के नेता के रूप में आगे बढ़ाने की मांग उठ रही है। फिलहाल स्टालिन भी खुद को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। -अनिल नरेन्द्र

मामला कुणाल कामरा का

स्टैंडअप कमेडियन कुणाल कामरा की कॉमेडी के दौरान गाए गए एक गाने पर भारी विवाद हो गया है। कामरा के इस गीत से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे पर तंज कसा और कथित तौर पर उन्हें गद्दार बताया। इससे खफा शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के उस होटल में बने स्टूडियो में तोड़फोड़ की जहां यह कॉमेडी शूट की गई। महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल शिवसेना, भाजपा और एनसीपी ने कुणाल कामरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि कामरा को माफी मांगनी चाहिए। वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहा है। बताते हैं, कामरा का यह वीडियो 2 फरवरी को शूट किया गया था। इसमें दिल तो पागल है की धुन पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर कथित तौर पर तंज कसा गया है जो रविवार को सामने आया। इसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कामरा ने जहां यह शूट किया था उसमें जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस ने सोमवार सुबह दो एफआईआर दर्ज की। पहली कुणाल कामरा पर शिंदे के अपमान की, दूसरी स्टूडियो में तोड़फोड़ में 40 शिवसेना कार्यकर्ताओं पर। कुणाल कामरा मंगलवार को पूछताछ के लिए मुंबई पुलिस के सामने पेश नहीं हुए। यही नहीं कुणाल कामरा ने साथ कहा है कि वह माफी नहीं मागेंगे। हां अगर अदालत चाहेगी तो माफी मांग सकते हैं। वहीं एकनाथ शिंदे ने कहा किसी पर हास्य व्यंग्य करना, कटाक्ष करना गलत नहीं है, लेकिन इसकी भी एक मर्यादा होती है। कुणाल कामरा ने जो किया ऐसा लगता है कि उन्हेंने सुपारी लेकर ऐसा किया है। कटाक्ष करते समय एक शिष्टाचार बनाए रखा जाना चाहिए, नहीं तो एक्शन का रिएक्शन भी होता है। विवाद के बीच कामरा ने दूसरा पैरोडी गीत भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। पैरोडी के बोल हम होंगे कामयाब एक दिन...। कामरा ने नई पैरोडी में नाथुराम और आसाराम को जोड़कर अंधविश्वास, बेरोजगारी और गरीबी के साथ संघ के शिष्टाचार पर भी कटाक्ष किया है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, कुणाल कामरा जो सच है, उस जनमानस के सामने लाए है, इसलिए मैं उनके समर्थन में खड़ा हूं। कामरा के स्टूडियो में तोड़फोड़ शिव सैनिकों ने नहीं की। शिवसेना का तोड़फोड़ से कोई संबंध नहीं है। संभवत गद्दारों के गुट के कार्यकर्ताओं ने किया है। यू-ट्यूब पर पोस्ट की गई 36 वर्षीय कामरा की टिप्पणी 36 लाख बार से ज्यादा देखी जा चुकी है और सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रही है। बयान में कामरा ने इस टिप्पणी के लिए कहा है कि यह पहले अजित पवार कह चुके हैं। मैं भीड़ से नहीं डरता और पलंग के नीचे छिपकर मामला शांत होने का इंतजार नहीं करूंगा। कामरा ने मीडिया को भी निशाना बनाते हुए टिप्पणी की है कि ईमानदारी से इस तमाशे की रिपोर्टिंग करें, याद रखें, प्रेस की आजादी के मामले में भारत 159वें स्थान पर है। शिंदे ने व्यंग्य की सीमा तक करने की बात कहते हुए इसे किसी के खिलाफ बोलने की सुपारी लेने जैसा कहा। पैरोडी में किसी विशेष को संबोधित नहीं किया गया है। इसलिए इस कदर त्योरियां चढ़ाना सही नहीं होता। सत्ता और राजनीतिज्ञों की हालिया पौध में बर्दाश्त इस कदर खत्म हो चुकी है कि कोई भी आलोचना, व्यंग्य या मसखरी बर्दाश्त करने को राजी नहीं हैं। प्रेस या अभिव्यक्ति की आजादी पर बखान करना आसान है, मगर यह रचनात्मक आपातकाल सरीखा माहौल रचा जा रहा है। जो बोलने, लिखने, गाने, अभिनय पर कड़ी नजर रखी जा रही है। विरोधस्वरूप उपद्रव कानून को हाथ में लेना भी सरकार विरोधी काम ठहराया जा सकता है।

Thursday, 27 March 2025

धर्म आधारित आरक्षण असंवैधानिक: संघ

कर्नाटक के ठेके में मुस्लिम आरक्षण और औरगंजेब की क्रब को लेकर छिड़े विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दो टूक कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है। डा. बीआर आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान में भी इसे स्वीकार नहीं किया गया था। साथ ही बाहरी आक्रमणकारियों का महिमामंडन करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि आक्रांता जैसी मानसिकता रखने वाले लोग देश के लिए खतरा हैं। देश की संस्कृति के खिलाफ चलने वाला औरंगजेब आदर्श नहीं हो सकता। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा-स्वतंत्र भारत के लोगों को सोचना होगा कि देश के इतिहास, मिट्टी, संस्कृति और परंपरा के खिलाफ चलने वाले विदेशी आक्रांताओं को अपना आदर्श बनाना हो या नायकों को सम्मान देना है। देश का आदर्श वही हो सकता है, जो भारत के इतिहास, संस्कृति व परंपरा के साथ चले। औरंगजेब इस खांचे में फिट नहीं बैठता। इसमें उसके भाई दाराशिकोह फिट बैठते हैं, जिन्हें गंगा-जमुनी तहजीब की बात करने वालों ने कभी आगे नहीं किया। इन लोगों ने सामाजिक सदभाव में विश्वास करने वाले दाराशिकोह की जगह और औरंगजेब का महिमामंडन किया। सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर संघ ने कहा कि संविधान धर्म आधारित कोटे की इजाजत नहीं देता। होसबोले ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतों ने भी ऐसे आरक्षण के प्रावधानों को खारिज किया है। -अनिल नरेन्द्र

ग्रोक व एआई पर बहस

ग्रोक एआई तुम जैसी भाषा का इस्तेमाल करते हो, उसकी शैली कैसी है? ग्रोक एआई का जवाबः मुझे जटिल चीज़ों को आसान शब्दों में तोड़ना पसंद है, ताकि समझने में मुश्किल न हो। कभी-कभी मैं हल्का हास्य या अनोखा नज़रिया जोड़ता हूं। एलन मस्क की कंपनी का बनाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट ‘ग्रोक एआई’ बीते कई दिनों से चर्चा में है। कोई नेता हो या आम इंसान, ग्रोक एआई लगभग सबको जवाब देता नज़र आ रहा है। मगर ग्रोक एआई जैसे और जिस भाषा में जवाब दे रहा है वो कई लोगों को हैरत में डाल रहा है। कुछ म़ौकों पर ग्रोक एआई तथ्यों को सही से बताता दिखता है। कई बार चूक करता है और कई बार गालियों का इस्तेमाल भी करता है। ग्रोक एआई क्या दूसरे चैटबॉट्स से अलग है? और वो चर्चा में क्यों है? ग्रोक नाम कहां से आया और मस्क ने इस पर क्या कहा है? यानी आपको अगर किसी सवाल का जवाब जानना है तो एक्स पर टैग करके या फिर ग्रोक एआई की वेबसाइट पर जाकर पूछ सकते हैं। आपको ग्रोक बातचीत की तरह जवाब देगा। चैटबॉट तोते की तरह होते हैं। तोते हमारी नकल कर सकते हैं और कुछ म़ौकों पर पूरा संदर्भ समझे बिना सुने गए शब्दों को थोड़ी बहुत समझ के साथ दोहरा सकते हैं। चैटबॉट भी ऐसा ही करते हैं, लेकिन कहीं बेहतर समझ के साथ। चैटबॉट एआई का ही एक प्रकार है, जिन्हें बड़े भाषा मॉडल यानी एलएलएम के रूप में जाना जाता है। काफी ज़्यादा डेटा के साथ इन मॉड्यूल्स को ट्रैंड किया जाता है। ग्रोक एआई चैटबॉट को नवंबर 2023 में लांच किया गया था। एलन मस्क ने कहा था कि ग्रोक को व्यंग्य पंसद है और हल्का फुल्का मज़ाक करते हुए जवाब देगा। दूसरे एआई सिस्टम जैसे जवाबों को देने से बचता है, ग्रोक उनको भी जवाब देता है। ग्रोक एआई को ज़्यादा विस्तार इस कारण भी मिल रहा है, क्योंकि इसमें सवाल पूछने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता। एक्स की फीड को स्क्रॉल करते हुए बस एक ट्वीट और ग्रोक जवाब दे देगा। बदनाम होकर ज़्यादा नाम कमाया। ग्रोक एआई के मामले में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो इस कहावत को सच करते दिखते हैं। ग्रोक एआई अपने जवाबों में गालियों का इस्तेमाल भी कर रहा है। फिर चाहे बिहार के नेता तेज प्रताप यादव हों, भारतीय मीडिया के चैनलों के एंकर हों या फिर एलन मस्क हों या डोनाल्ड ट्रंप ही क्यों न हों। पीएम मोदी के इंटरव्यू, डिग्री से जुड़े सवालों पर भी ग्रोक एआई जवाब दे रहा है और इस पर हुए विवादों पर रोशनी डाल रहा है। उदाहरण के लिए एक यूज़र ने पूछा- क्या राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं? इस पर ग्रोक ने अभी लोकसभा में सीटों की स्थिति बताते हुए अपने जवाब में तथ्यों का जिक्र किया। एक्स पर आम यूज़र जैसे बात करते हैं, ग्रोक एआई वैसे ही जवाब दे रहा है। कई बार ये सीमा लांघता दिखता है तो कई बार सटीक जवाब भी दे रहा है। ग्रोक एआई के अलावा कई और चैटबॉट हैं, जैसे- चैट जीपीटी, डीपसेक, बार्ड, मेटा एआई, जेमिनी... हालांकि सिरी, एलेक्सा, गूगल असिस्टेंट भी वॉइस असिस्टेंट हैं, मगर ये तकनीकी तौर पर उतने आधुनिक या बुद्धिमान नहीं हैं, जितने नए एआई चैटबॉट हैं। चुनौतियां भले ही हो, मगर एआई अलग-अलग प्लेटफार्म तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और लोगों के बीच अपनी जगह बना रहे हैं। एलन मस्क ग्रोक को गूगल के विकल्प की तरह पेश कर रहे हैं। ऐसा ही अन्य चैटबॉट भी कर रहे हैं।

Tuesday, 25 March 2025

मणिपुर का मुश्किल दौर जल्द खत्म होगा

माननीय सुप्रीम कोर्ट का देश आभारी है कि आखिर किसी ने तो जलते मणिपुर की हालत पर मरहम लगाने का प्रयास किया। मणिपुर पिछले दो सालों से जल रहा है और देश के नेतृत्व ने इतनी जरूरत नहीं समझी कि वह इस अशांत क्षेत्र में शांति स्थापित करें। अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व में छह जजों की टीम खुद मणिपुर गई और वहां की fिस्थति का जायजा लिया। टीम ने मणिपुर में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर के चूड़चंदपुर जिले का दौरा किया और आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों से भी मुलाकात की। टीम ने जिले के मिनी सचिवालय से एक कानूनी शिविर, एक चिकित्सा शिविर और एक कानूनी सहायता fिक्लिनिक का वर्चुअल उद्घाटन भी किया। टीम ने सद्भवना मंडप राहत केंद्र का दौरा भी किया और वहां मौजूद विस्थापित लोगों से बातचीत की और उनका दुख-दर्द समझने की कोशिश भी की। इसके अलावा मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी कृष्णकुमार और जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलू भी मौजूद थे। मई 2023 से मैतई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। जज जस्टिस बीआर गवई ने उम्मीद जताई है कि जातीय संघर्ष से त्रस्त मणिपुर में मौजूदा मुश्किल दौर कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की सहायता से जल्द खत्म हो जाएगा। सारा देश चाहता है कि मणिपुर में जो आग वर्षों से लगी हुई है वह समाप्त हो। उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की इस टीम के दौरे के बाद मणिपुर में शांति हो पाएगी। -अनिल नरेन्द्र

एक्स ने केंद्र सरकार पर किया केस

एक तऱफ एलन मस्क की कंपनियां स्टारलिंक और टेस्ला भारत में प्रवेश करने की ओर क़दम बढ़ा रही हैं। वहीं दूसरी तऱफ उनकी कंपनी एक्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में भारत सरकार के ख़िल़ाफ एक याचिका दायर की है। 5 मार्च को दायर अपनी याचिका में एक्स ने कहा है कि भारत सरकार ग़ैर-क़ानूनी तऱीके से वेबसाइट से कंटेंट हटाने का आदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि ‘अनगिनत’ सरकारी अ़फसरों को अब ये अधिकार मिल गया है कि वो कंटेंट हटाने का आदेश दे सकें। एक्स ने कोर्ट से इस पर रोक लगाने की माँग की है। साथ ही यह भी कहा कि सरकार ने एक वेबसाइट बनाई है ‘सहयोग पोर्टल’, जिससे सरकार की अलग-अलग एजेंसियां कंटेंट हटाने का आदेश दे सकती हैं। एक्स का कहना है कि ये वेबसाइट भी क़ानून के ख़िल़ाफ है और इस वेबसाइट से जुड़ने से एक्स ने मना कर दिया है। अपनी याचिका में उन्होंने ये मांग की है कि इससे न जुड़ने से एक्स के ख़िल़ाफ कोई कार्रवाई न हो। क़ानून के विशेषज्ञों का मानना है कि ये एक अहम केस है, जिससे सरकार की इंटरनेट पर कंटेंट हटाने कि शक्ति के अहम मुद्दों पर फ़ैसला होगा। एक्स ने सूचना प्रोद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की केंद्र की व्याख्या विशेष रूप से उसके द्वारा धारा 79(3बी) के उपयोग पर चिंता जताई जिसके बारे में एक्स ने दलील दी है कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लघंन है और डिजिटल मंच पर अभिव्यfिक्ति की स्वतंत्रता को कमतर करता है। बाद में आरोप लगाया गया है कि सरकार धारा 69ए में उल्लिखित कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए एक समांतर सामग्री अवरोधक तंत्र बनाने के लिए उक्त धारा का इस्तेमाल कर रही है। एक्स ने दावा किया कि यह दृfिष्टकोण श्रेया सिंघल मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले के विरोधाभासी है जिसमें यह स्थापित किया गया था कि सामग्री को केवल उचित न्याय प्रक्रिया या धारा 69ए के तहत कानूनी रूप से परिभाfिषित किया जा सकता है। अपनी याचिका में एक्स ने यह भी कहा है कि प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने ढंग से सेंसरशिप लगाने की कोशिश की जा रही है। कंटेंट ब्लाक का अधिकार नहीं है। कंपनी ने कहा सरकार कंटेंट ब्लाक के लिए समांतर सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी की दलील है कि आईटी अधिनियम धारा 79(3) कानून सरकार को स्वतंत्र रूप से कंटेट ब्लॉक करने की इजाजत नहीं देती। सरकार निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बदले धारा 79(3बी) का गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल कर रही है। यह आनलाइन अfिभिव्यfिक्ति की स्वतत्रंता को कमजोर करता है। मुकदमा दायर करने की एक वजह यह भी है कि कंपनी किसी गैर कानूनी कंटेट को रोकने के लिए सरकार की तरफ से बनाए सहयोग पोर्टल का हिस्सा नहीं बनना चाहती है। कंटेंट हटाने से जुड़े कई और मुद्दे हैं जो अदालतों के सामने हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लंबित है जिसमें याचिकाकर्ताओं का ये कहना है कि धारा 69ए के अंतर्गत नियमों में दी गई प्रक्रिया का उल्लघंन करके सरकार कंटेंट हटाने का आदेश देती है। देखते हैं कि कर्नाटक हाईकोर्ट में यह केस कैसे आगे बढ़ता है।

Saturday, 22 March 2025

दर्ज 193 मामले, सजा सिर्फ दो को



प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सांसदों, विधायकों सहित नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की दर बेहद कम है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बुधवार को संसद में बताया कि पिछले 10 वर्ष में ईडी ने राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ 193 केस दर्ज किए जिनमें केवल दो में दोषसिद्धि हुई। इस अवधि में किसी भी मामले में आरोपित को निर्दोष करार नहीं दिया गया। माकपा सांसद एए रहीम ने राज्यसभा ने पूछा था कि ईडी ने दस वर्ष में कितने नेताओं पर केस दर्ज किए? क्या विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई बढ़ी है? ]िकतनों को सजा हुई और कितने निर्दोष करार हुए? उन्होंने जानकारी राज्य और वर्ष के अनुसार मांगी थी। हालांकि मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसा डेटा नहीं रखती। 2016-17 में और दूसरी 2019-20 में जिन दो मामलों में दोषसिद्धि हुई। उनमें एक 2016-17 में और दूसरी 2019-20 में हुई। सरकार ने कहा है कि ईडी जांच केवल विश्वसनीय साक्ष्यों और सामग्री के आधार पर करती है। ईडी की सभी कार्रवाई न्यायिक समीक्षा के लिए हमेशा खुली रहती है। दोषी करार दोनों नेता झारखंड के पूर्व मंत्री हरिनारायण राणा व पूर्व मंत्री अनीस एक्का हैं। राय को मनी लाड्रिंग मामले में सात वर्ष कैद और 5 लाख रुपए जुर्माना जबकि एक्का को सात साल कैद और 2 करोड़ रुपए जुर्माने की सजा हुई। हालांकि इस दौरान किसी मामले में कोई आरोपी बरी नहीं हुआ है। मनी लाड्रिंग के मामले में दोषसिद्धि दर पर कई क्षेत्रों में सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणी कर चुका है। नवम्बर 2023 तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ चटर्जी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहाö ईडी की दोषसिद्धि दर खराब है। किसी को अनिश्चित काल तक विचाराधीन बंदी नहीं रख सकते। अगस्त 2024 ः एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दस वर्षों में ईडी ने 5000 केस दर्ज किए, 40 में दोषसिद्धि हुई। ईडी अभियोजन सुधारे। दिसम्बर 2024 ः सरकार ने संसद में बताया कि ईडी ने 1 जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2024 के बीच 911 शिकायतें दर्ज की। 654 का ट्रायल हुआ, 42 में दोषसिद्धि हुई। हालिया चुनावों के बीच में हुआ ईडी का एक्शन। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच कथित क्रिष्टो फंड घोटाले से जुड़े मामले में 20 नवम्बर 2024 को छत्तीसगढ़ में ऑडिट फर्म के कर्मचारी के यहां ईडी के छापे। यह मामला एनसीपी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले से जुड़ा था। विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक एक दिन पहले ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले में 12 नवम्बर 2024 को कथित बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल में 17 स्थानों पर छापे मारे। समूचा विपक्ष बार-बार संसद के अंदर और बाहर यह आरोप लगाता रहता है कि ईडी सत्ता के हाथों विपक्ष को हैरान-परेशान का एक हथियार बन गया है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि ईडी चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास करती हैं।

-अनिल नरेन्द्र

क्या वास्तविक लाभार्थियों को मिल रहा है लाभ?



सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि राशन कार्ड पापुलरिटी कार्ड बन गया है और सवाल किया कि क्या गरीबों के लिए निर्धारित लाभ आम लोगों तक पहुंच रहे हैं? शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सब्सिडी का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ कोविड-19 महामारी के दौरान प्ररासी कामगारों की परेशानियां दूर करने के लिए शुरू किए गए एक स्वत संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हमारी चिंता यह है कि क्या वास्तविक गरीबों को मिलने वाले लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं जो इसके हकदार हैं? राशन कार्ड अब पापुलरिटी कार्ड बन गया है। उन्होंने कहा ये राज्य बस यही कहते हैं कि हमने कितने कार्ड जारी किए हैं। कुछ ऐसे राज्य हैं जो अपना विकास दिखाना चाहते हैं तो कहते हैं कि हमारी प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। जब हम गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों की बात करते हैं तो वे कहते हैं कि 75 प्रतिशत आबादी बीपीएल है। इन तथ्यों को कैसे जोड़ा जा सकता है? विरोधाभास अंतर्निहित है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें जब विकास सूचकांक पेश करती हैं तो प्रति व्यक्ति आय को हाई दिखाती हैं, लेकिन जैसे ही सब्सिडी की बात आती है तो वे 75 प्रतिशत आबादी को गरीबी रेखा (बीपीएल) के नीचे मानती है। सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वाकई 75 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, जबकि राज्यों का दावा है कि उनकी प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस कोटिश्वर सिंह की बैंच ने कहा सब्सिडी का लाभ सिर्फ गरीबों को मिलना चाहिए। हमारा मुख्य मुद्दा यह है कि क्या गरीबों को निर्धारित लाभ सही पात्रों तक पहुंच रहे हैं या वे उन लोगों तक जा रहे हैं जो उसके योग्य नहीं है? शीर्ष अदालत ने कहा राशन कार्ड अब एक लोकप्रियता कार्ड बन चुका है, क्योंकि कई राज्यों में गरीबों की जगह इसे पॉलिटिकल फायदे के लिए दिया जा रहा है। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि आय में असमानता के कारण यह विरोधाभास उत्पन्न हुआ है। कुछ मुट्ठीभर लोग बेहद अमीर हैं, जबकि बड़ी आबादी गरीब बनी हुई है। प्रति व्यक्ति आय की गणना कुल राज्य की आय का औसत निकालकर की जाती है। जिसमें असमानता की वास्तविक तस्वीर सामने नहीं आती है।

Thursday, 20 March 2025

चिंता न करें इंडसइंड के जमाकर्ता



रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, यानि आरबीआई ने शनिवार को ग्राहकों को आश्वस्त किया कि इडंसइंड बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है। केंद्रीय बैंक ने बैंक के निदेशक मंडल को निर्देश दिया कि वह अनुमानित 2100 करोड़ रुपए की लेखा विसंगित से संबंधित सुधारात्मक कार्रवाई इसी महीने पूरा कर लें। इंडसइंड बैंक ने इसी सप्ताह लेखांकन में गड़बड़ी का खुलासा किया था। इसका बैंक के निवल मूल्य पर 2.35 प्रतिशत असर पड़ने का अनुमान है। खुलासे के तुरन्त बाद, बैंक के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट देखी गई। आरबीआई ने एक बयान में कहा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध खुलासों के आधार पर बैंक ने पहले ही अपने मौजूदा तंत्र की व्यापक समीक्षा करने और वास्तविक प्रभाव का आंकलन करने और इसका हिसाब लगाने के लिए एक बाहरी लेखा परीक्षा टीम को नियुक्त कर लिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा बोर्ड और प्रबंधन को रिजर्व बैंक द्वारा निर्देश दिया गया है कि वे सभी हितधारकों को आवश्यक खुलासे करने के बाद जनवरी-मार्च तिमाही में पूरी तरह से सुधारात्मक कार्रवाई पूरी कर लें। ग्राहकों की चिंताओं को दूर करते हुए आरबीआई ने कहा, जमाकर्ताओं को इस समय सवालों पर प्रतिक्रिया देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आरबीआई ने कहा इंडसइंड बैंक लिमिटेड से संबंधित कुछ अटकलें लगाई गई हैं, जो शायद बैंक से संबंधित हाल की घटनाओं से उत्पन्न हुई हैं। केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों और निदेशकों को आश्वासन दिया कि बैंक को वित्तीय स्थिति स्थिर बनी हुई है और वह इस पर बारीकी से नजर रखे हुए है। दरअसल, इंडसइंड बैंक ने लेखांकन में गड़बड़ी का इसी सप्ताह खुलासा किया था। इससे बैंक को निवल मूल्य पर 2.35 प्रतिशत असर पड़ने का अनुमान है। खुलासे के तुरन्त बाद बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। इससे शंका पैदा हो गई कि ग्राहकों और निवेशकों में अफरातफरी न फैल जाए। ऐसा होता तो समूचे बैंकिंग क्षेत्र पर नकारात्मक असर का अंदेशा होगा। बैंकिंग क्षेत्र की बुनियाद ही विश्वास है और इसी पर बैंकिंग के कार्यकलाप निष्पादित किए जाते हैं। यदि विश्वास डगमगाया तो मानकर चलिए कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र इसकी चपेट में आ सकते हैं। कई देशों में ऐसा हुआ है कि बैंक पर विश्वास डगमगाते ही बैंक के बाहर ग्राहकों की लाइन लग जाती है। ग्राहक का मन विचलित होते ही जो हालात बनते हैं, उन्हें उनमें विश्वास बनाने में अरसा लग जाता है। केंद्रीय बैंक की भूमिका ऐसी परिस्थिति को बनाए रखने की होती है जो नॉन बैंकिंग क्षेत्र को विकासवान रख सके। यही रिजर्व बैंक कर रहा है। वह हर हाल में बैंक के हितधारकों का बैंक में विश्वास बनाए रखना चाहता है। इंडसइंड बैंक के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए स्थितियों को सहज बनाए रखना चाहता है। अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्र परस्पर निर्भर होते हैं। बैंकिंग ंभी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें घबराहट और अटकल बाजियों का माहौल कहर बरपा सकता है।

-अनिल नरेन्द्र

 

अब लीजिए दिल्ली में गहरी सांस



एनसीआर में खुलकर सांस लेने के दिन अंतत आ गए हैं। एयर क्वॉलिटी बताने वाला इंडेक्स शनिवार को दिल्ली में 85 रहा। यह 1 जनवरी से 15 मार्च के बीच पिछले तीन वर्षों में सबसे साफ दिन रहा। प्रदूषण के लिहाज से देखें तो इस सीजन में पहली बार दिल्ली और आसपास के शहरों में इसका स्तर संतोषजनक पर पहुंचा है। एक्यूआई जब 50 से 101 के बीच रहे तो उसे संतोषजनक माना जाता है। प्रदूषण में कमी के बाद शनिवार को ग्रैप-1 की बंदिशें तुरन्त प्रभाव से वापस ले ली गई हैं। इस तरह अब यह पूरा इलाका ग्रैप-फ्री हो गया है। साथ ही यह साल का पहला मौका है जब सूचकांक 100 से नीचे आया है। बीते दो वर्षों की तुलना में इस बार संतोषजनक स्तर के दिन का इंतजार कम करना पड़ा। इससे पहले 29 अक्टूबर 2024 को एक्यूआई 79 रहा था। तेज हवाओं और बूंदाबांदी के कारण भी प्रदूषण के स्तर पर कमी आई है। दिल्ली के अलीपुर में शनिवार को एक्यूआई महज 50 रहा। अगर एक्यूआई 1 से 50 के बीच हो तो हवा साफ मानी जाती है। मौसम विभाग का अनुमान है कि रविवार को भी हवा संतोषजनक रहेगी। सोमवार और मंगलवार के प्रदूषण में थोड़ा इजाफा होगा। उधर दिल्ली सरकार ने राजधानी में वायू प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण सुधार के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता में और सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। दरअसल दिल्ली को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए विभिन्न विभागों को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। रेखा गुप्ता ने बताया कि इस योजना के तहत दिल्ली की पूरी रिंग रोड को साफ करने वाली मशीनों का नियमित उपयोग किया जाएगा और सड़क किनारे धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी के फव्वारे लगाए जाएंगे। इसके अलावा निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण प्रकोष्ठ को सख्ती से लागू किया जाएगा। साथ ही पीयूसी जांच की सघनता बढ़ाई जाएगी। हम मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली सरकार को बधाई देते हैं कि उन्होंने पदभार संभालते ही इस ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान दिया। पिछले दस सालों से इस समस्या का कोई संतोषजनक परिणाम नहीं निकल सका। दिल्ली की भाजपा सरकार ने पदभार संभालते ही इस ज्वलंत समस्या पर ध्यान दिया और सही दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

Tuesday, 18 March 2025

अभिनेत्री रान्या और सोना तस्करी



प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोना तस्करी गिरोह की बड़ी साजिश से संबंध धनशोधन जांच के तहत गुरुवार को बंगलुरू और कुछ अन्य स्थानों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। कर्नाटक के राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने हाल में सोना तस्करी के मामले में एक फिल्म अभिनेत्री रान्या को गिरफ्तार किया है। सूत्रों ने बताया कि हाल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी और डीआरआई के एक मामले का संज्ञान लेते हुए धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले को दर्ज किया गया है। डीआरआई के मामले में रान्या राव को सोना तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि जांच का उद्देश्य हवाई अड्डों के माध्यम से सोने की तस्करी की बड़ी साजिश और प्रभावशाली व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों एवं राजनीतिक व्यक्तियों सहित विभिन्न लोगों द्वारा अपराध से धन अर्जित करने की पड़ताल करना है। सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में बंगलुरू सहित कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। डीआरआई ने तीन मार्च को दुबई से लौटने के बाद यहां केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अभिनेत्री रान्या राव के पास से 12.56 करोड़ रुपए मूल्य की सोने की छड़ें जब्त की थी। जिसके बाद रान्या को गिरफ्तार किया गया। अभिनेत्री वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी हैं जो वर्तमान में कर्नाटक राज्य पुलिस आवास और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। पुलिस अधिकारी ने रान्या की कथित अवैध गतिविधियों से किसी भी तरह के संबंध से इंकार किया है। रान्या ने बताया कि उसने सोने को अपनी जींस और जूतों में छिपाया था, कुछ सोने को शरीर में भी छिपाया था। उसे तस्करी का सोना हवाई अड्डे के पास इंतजार कर रहे व्यक्ति को देना था। गौरतलब है कि रान्या की गिरफ्तारी के बाद 6 मार्च को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से दुबई से आए दो विदेशियों (ओमान और यूएई) के नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। जो 18 करोड़ 92 लाख रुपए मूल्य के 21.28 किलोग्राम सोने की भारत में तस्करी करने की कोशिश कर रहे थे। दुबई से सोना लाने वाले कथित तस्करों की गिरफ्तारी से तस्करी सिंडिकेट का संकेत मिलता है।

-अनिल नरेन्द्र

स्टार लिंक...सीमा से स्पेस तक जोखिम



देश में उपग्रह कम्युनिकेशन के लिए अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को एंट्री देने के लिए दो दूरसंचार दिग्गजों - एयरटेल और रिलायंस जियो ने करार पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। स्टारलिंक सैटेलाइट इंटनेट सर्विस है, जिसका संचालन एलन मस्क की कंपनी स्पेस करती है। सैटेलाइट ब्राडबैंड, सैटेलाइट कवरेज के अंदर कहीं भी इंटरनेट की सुविधा मुहैया करा सकता है। स्टार लिंक हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस मुहैया करानी है और इससे दूरदराज के उन इलाकों में भी इंटरनेट सर्विस पहुंच सकती है। जहां पारम्परिक इंटरनेट सर्विस पहुंचने में दिक्कत आती है। स्टारलिंक की सेवाएं फिलहाल 100 से ज्यादा देशों में उपलब्ध हैं। भारत के पड़ोसी देश में भी इसकी सेवाएं हैं। इससे भारत में मोबाइल कम्युनिकेशन में ाढांति का दावा किया जा रहा है। हालांकि इस तरह के कम्युनिकेशन के लिए अमेरिकी कंपनी पर निर्भरता जोखिम भरा जरूर है। एयरटेल, जियो और स्पेस एक्स के बीच करार के विस्तृत बिंदु अभी सार्वजनिक होने बाकी हैं और अभी इस करार को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलनी भी बाकी है। लेकिन ऐसी कई चिताएं हैं जिन पर चर्चा जरूरी है। सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है। पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा और चीन से लगी एलएसी का उपग्रह का अनियंत्रित एक्सेस मिला तो दुश्मन या विद्रोही तत्वों द्वारा इसका बेजा फायदा उठाने की आशंका होगी। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी पुख्ता इंतजाम किए जाने जरूरी हैं। दूसरी चिंता डेटा की सुरक्षा को लेकर है। सैटेलाइट के जरिए बातचीत का पूरा डेटा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानी अमेरिकी कंपनी के पास रहेगा। ऐसे में संवेदनशील जानकारी लीक होने का खतरा रहेगा। अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट डिलीट कर दी उन्होंने लिखा था स्टारलिंक का भारत में स्वागत है। दूरदराज के इलाकों में रेलवे परियोजनाओं के लिए यह बेहद उपयोगी रहेगा। मस्क की कंपनी स्टारलिंक के पास फिलहाल आर्बिट में लगभग 7000 सैटेलाइट मौजूद हैं। इसको 100 देशों में 40 लाख सब्पाइबर्स हैं। मस्क ने कहा है कि वह हर पांच साल में नई टेक्नोलॉजी से इसे अपने नेटवर्क को अपग्रेड करते रहेंगे। इटली ने कुछ देशों में अपने दूतावास के लिए स्टारलिंक की सेवाएं ली थीं, लेकिन उसने नेशनल सिक्यूरिटी कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसी तरह कंपनी कई अफ्रीकी देशों में सेवाएं दे रही है। लेकिन नामिबिया ने हाल ही में बिना लाइसेंस इंटरनेट सुविधा देने पर स्टारलिंक को अपना आपरेशन समेटने को कहा था। भारत के 140 करोड़ लोगों में से लगभग 40 फीसदी लोगों के पास अब भी इंटरनेट की पहुंच नहीं है। इनमें ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से हैं। भारत में इंटरनेट अपनाने की दर अभी भी वै]िश्वक औसत से पीछे है। फिलहाल यह 66.28 फीसदी है। लेकिन हाल में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि देश इस अंतर को कम कर रहा है। अगर कीमत सही से तय की जाए और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए तो सैटेलाइट ब्रांडबैंड इस अंतर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

Sunday, 16 March 2025

हरियाणा में ट्रिपल इंजन की सरकार


हरियाणा विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने के छह महीने से भी कम समय में सत्तारूढ़ भाजपा ने बुधवार को राज्य के निकाय चुनावों में एकतरफा जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनाव के बाद यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही परीक्षा जैसा था, जिसमें कांग्रेस फिर से ट्रोल होती दिखी है। हालात यह रही है कि हरियाणा के कुल 10 नगर निगमों में से 9 पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इस तरह हरियाणा में ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई है। वहीं मानेसर नगर निगम में निर्दलीय मेयर प्रत्याशी डॉ. इंद्रजीत यादव विजयी रहे हैं। कांग्रेस का 10 में से किसी भी एक सीट पर खाता नहीं खुलासा है। इसके अलावा 21 नगर परिषदों के चुनाव में भी कांग्रेस को करारा झटका लगा है। कांग्रेस को अपने गढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में भाजपा फिर मेयर की कुर्सी पर काबिज हो गई है। वहीं कुमारी शैलजा का क्षेत्र सिरसा नगर परिषद में पहली बार भाजपा को जीत हासिल हुई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि फरीदाबाद में मेयर पद पर भाजपा प्रत्याशी प्रवीण बत्रा जोशी ने देश में सबसे बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने 3,16,852 वोटों से कांग्रेस की लता रानी को हराया है। प्रचार में भाजपा का नारा ट्रिपल इंजन की सरकार काम कर गई। विधानसभा की तरह बूथ स्तर पर संगठन की मजबूती नजर आई। मुख्यमंत्री सैनी की मेहनत भी रंग लाई। कांग्रेस का बिखराव जारी है।

-अनिल नरेन्द्र

आतंक पालने वाला पाकिस्तान खुद आतंकी शिकार


इमरान खान के पाकिस्तान के पीएम पद से हटने के बाद ब्लूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत वर्तमान पीएम शहबाज शरीफ के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। इन दोनों प्रांतों में पाक सेना और तेजी से बढ़ी है। पाकिस्तान हिंसाग्रस्त ब्लूचिस्तान प्रांत में दशकों से अलगाववादी संगठन ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने मंगलवार को करीब 400 यात्रियों से भरी जाफर एक्सप्रेस का अपहरण कर लिया। यह घटना पाकिस्तान की सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई। बीएलए ने दावा किया कि उसने करीब 180 यात्रियों को बंधक बना लिया है। हालांकि पाकिस्तान की सेना के हवाले से बताया गया कि 80 बंधकों को छुड़ा लिया गया जिनमें 26 महिलाएं और 22 बच्चे हैं। ब्लूचिस्तान से गुजरने वाली जाफर एक्सप्रेस पर यह कोई पहला हमला नहीं है। दरअसल इस ट्रेन पर अक्सर सरकारी कर्मचारी, सैनिक और अन्य अधिकारी चलते हैं, इसलिए बीएलए की इस ट्रेन पर नजर रहती है। उल्लेखनीय है कि बीएलए अफगानिस्तान के दक्षिण हिस्से में सक्रीय एक ब्लूच चरमपंथी संगठन है, जिसका उद्देश्य ब्लूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर स्वतंत्र राष्ट्र बनाना है। ब्लूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों की पुष्टि से भी समृद्ध प्रांत है और उसकी लड़ाई इस बात को लेकर है कि पाकिस्तान उसके संसाधनों का दोहन करता है लेकिन बदले में स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता। पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ यह पिछले करीब सात दशकों से लड़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2024 पाकिस्तान के लिए लगभग एक दशक में सबसे घातक था। इस दौरान आतंकी हमलों में 2526 लोगों ने जान गंवाई। यह 2023 के मुकाबले 90 प्रतिशत ज्यादा है। इनमें 700 पुलिसकर्मी, 900 से अधिक आम नागरिक और 900 तक सशस्त्र जवान शामिल थे। पाक सरकार के सूत्र बताते हैं कि ब्लूचिस्तान में बढ़ती सैन्य मौजूदगी और राज्य के राजनीतिक हालात इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। यहां के नवाब राजनीतिक हालातों पर पकड़ खो चुके हैं। दूसरी ओर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंकों ने सबसे तेजी से बढ़ने वाला आतंकी समूह करार दिया है। टीटीपी खैबर प्रांत में सबसे तेजी से फैल रहा है। पाकिस्तान इसमें अफगानिस्तान का हाथ बताता है। ब्लूचिस्तान ट्रेन हाईजैक के 34 घंटे बाद पाकिस्तान सेना ने ऑपरेशन पूरा होने का दावा किया है। सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने कहा, जाफर एक्सप्रेस पर हुए हमले में 21 यात्रियों और 4 सैनिकों की मौत हुई है। सेना ने सभी 33 हमलावरों को मारकर बंधकों को छुड़ा लिया है। वहीं बीएलए ने दावा किया, पाक सेना के आपरेशन के बाद हमने बंधक बनाए पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला। इससे पहले बीएलए ने कहा था कि उसके आत्मघाती हमलावर ट्रेन से बंधक बनाए सेना के 214 जवानों को लेकर खंदकों में छिपे हैं। यदि सेना बंधकों को छुड़ाने का ऑपरेशन करेगी तो आत्मघाती दस्ता खुद को उड़ा लेगा। बीएलए ने कुल 100 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया है। दोनों पक्षों के बयानों में विरोधाभास है। धीरे-धीरे सत्य का पता चलेगा। इतना तय है कि आतंक पालने वाला पाकिस्तान आज खुद आतंकवाद का शिकार बन चुका है।

Thursday, 13 March 2025

भारत शुल्क कटौती करने पर सहमत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत अपने शुल्क में पर्याप्त कटौती करने के लिए सहमत हो गया है, क्योंकि भारत अमेरिका पर बहुत अधिक शुल्क लगाता है, जिससे वहां के उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है। ट्रंप ने गत शुक्रवार को ओवल आफिस (अमेरिका के राष्ट्रपति का अधिकारिक कार्यालय) से दिए बयान में कहा, आर्थिक, वित्तीय और व्यापारिक दृष्टिकोण से हमारे को दुनिया के लगभग हर देश ने पूरी तरह से ठगा है। उन्होंने कहा, कनाडा में किसको और फिर आप सीधे लाइन में चले जाइए। भारत हम पर बहुत ज्यादा शुल्क लगाता है। बहुत ज्यादा आप भारत में कुछ भी नहीं बेच सकते। लगभग प्रतिबंधात्मक है। हम भारत के अंदर बहुत कम व्यापार करते हैं। ट्रंप ने कहा, वैसे वे इस बात पर सहमत हो गए हैं कि अब वे अपने शुल्क में कटौती करना चाहते हैं। क्योंकि अब कोई तो उनके किए की पोल खोल रहा है। उन्होंने कहा चीन के साथ भी यही बात है। अन्य कई देशों के साथ भी यही बात है तथा यूरोपीय संघ इन देशों का बहुत ज्यादा दुरुपयोग कर रहा है। ट्रंप की यह टिप्पणी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की उनकी अमेरिकी समकक्ष हार्वड लुटनिक के साथ व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका यात्रा के बाद आई है। ट्रंप ने इस सप्ताह तीसरी बार भारत द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क की आलोचना की है। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने को राजी हो गया है। इस बयान पर कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शनिवार को कहा कि अगर ट्रंप की बात सही है तो यह मोदी सरकार का आत्मसमर्पण है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था अधिक कुचल जाएगी। कांग्रेस ने पीएम से इस मुद्दे पर संसद में जवाब देने की मांग की है। पवन खेड़ा ने कहा कि पीएम मोदी के अमेरिका के आगे समर्पण करने से न सिर्फ भारत की छवि कमजोर हुई है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी नुकसान पहुंचा है। भारत सरकार को बताना चाहिए कि आखिर भारत ने क्या सहमति दी है? उधर सूत्र कहते हैं कि टैरिफ मुद्दे पर बातचीत शुरू हो चुकी है। ऐसे में इसके डिटेल्स पर बात करना जल्दबाजी होगी। भारत ने यूएई, स्विटजरलैंड, नार्वे, आस्ट्रेलिया के सभी द्विपक्षीय समझौते के तहत औसत तौर पर लगाए जाने वाले टैरिफ को काफी कम कर दिया है। ऐसी बातचीत यूरोपीय यूनियन और यूके के साथ भी हो रही है। -अनिल नरेन्द्र

भारत की जीत पर पाक की प्रतिक्रिया

भारत ने चैपियंस ट्राफी 2025 के फाइनल में न्यूजीलैंड को हराकर 12 साल बाद यह खिताब अपने नाम कर लिया है। रविन्द्र जडेजा ने 49वें ओवर की आखिरी गेंद पर चौका जड़कर जीत दिलाई। दुबई की धीमी पिच पर न्यूजीलैंड के 252 रनों के लक्ष्य का पीछा करना कोई आसान काम नहीं था लेकिन भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने 83 गेंद में 76 रन की शानदार पारी खेल मजबूत बुनियाद रख दी थी। बाकी काम भारत के स्पिनर्स वरुण चक्रवर्ती, कुलदीप यादव, रविन्द्र जडेजा ने पूरा कर दिया। इस बार की चैंपियंस ट्राफी की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा था। लेकिन भारत के पाकिस्तान जाने से इंकार के बाद कुछ मैच दुबई में शिफ्ट करने पड़े थे। भारत ने अपने सारे मैच दुबई में ही खेले। भारत के इस रुख को लेकर पाकिस्तान के लोग खासी नाराजगी जता रहे थे। भारत से खेलने के लिए पाकिस्तानी टीम के दुबई जाने से पहले पाक के पूर्व स्पिनर सकलैन मुस्ताक ने कहा था, मुझे उम्मीद है कि उन्हें ठीक से सबक सिखाएंगे लेकिन पाकिस्तान न तो भारत को हरा पाया, न ही टूर्नामेंट में टिक पाया और मेजबान होने के बावजूद फाइनल अपने घर में नहीं करा पाया। भारत की जीत पर पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर सकलैन मुश्ताक ने एक न्यूज चैनल में कहा, इस जीत का श्रेय मैं भारत से लेना नहीं चाहता था लेकिन दुनियाभर के जितने भी क्रिकेट बोर्ड हैं उन्हें आईसीसी से पूछना चाहिए कि क्या सारी चीजें निष्पक्ष तरीके से हुई हैं? कौन लाड़ला है, कौन नहीं। क्या इसी तरह भी आगे क्रिकेट चलेगा? आगे इसी तरह एशिया कप है। अब एशिया कप का मॉडल क्या होगा? खेल की भावना निकल जाएगी और क्रिकेट फिर पावर का गेम हो जाएगा। दरअसल सकलैन का कहना है कि टीम इंडिया को कहीं भी ट्रेवल्स नहीं करना पड़ा और सारे मैच दुबई के एक स्टेडियम में खेलने का फायदा मिला। वहीं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम-उल-हक ने कहा कि ठीक है कि कुछ चीजें भारत के पक्ष में थीं लेकिन इसके बावजूद सारी टीमों को हराना और इस तरह खेलना, क्रेडिट तो जाता है। रोहित ने खुद भी बढ़िया खेला और टीम को भी अच्छे से मैनेज किया। इंजमाम ने कहा जो सकमैन बात कह रहा है, उसमें सच्चाई है। पहले इन चीजों को लेकर केवल पाकिस्तान शोर मचाता था लेकिन अब दूसरे देशों के क्रिकेटरों ने भी आपत्ति जताई है। भारत की जीत में आलराउंडर प्रदर्शन अच्छा था। इसी शो में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वकार युनुस ने कहा कि मुझे लगता है कि कुलदीप यादव ने कमाल किया है। हम लोगों को लग रहा था कि कुलदीप को रोहित 20 ओवर के बाद लाएगा लेकिन उसको पहले लाकर सबको सरप्राइज कर दिया। मुझे नहीं लगता कि न्यूजीलैंड के ओपनर्स को उम्मीद रही होगी कि कुलदीप आएगा। कुलदीप को लाना वाकई बढ़िया रणनीति थी। वसीम अकरम ने रोहित शर्मा की तारीफ करते हुए कहा, रोहित ने पिछले चार सालों में पावर प्ले में 70 छक्के मारे हैं। आज भी रोहित बिलकुल बिना अतिरिक्त कोशिश के सहज बैटिंग कर रहे थे। पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और कमेंटेटर रमीज राजा ने कहा, भले आप कह ले कि भारत को एक पिच पर खेलने का फायदा मिला लेकिन जीत के लिए अच्छा खेलना होता है। भारत ने बिना कोई मैच हारे खिताब जीत लिया। भारत अब बहुत आगे निकल चुका है। चार-पांच स्पिनरों का इस्तेमाल करना इतना आसान नहीं होता। कुलदीप यादव ने कमाल किया है। रविंद्र जडेजा और कुलदीप ने न्यूजीलैंड की कमर तब तोड़ दी जब विलियम्सन को आउट कर दिया, इसके बाद न्यूजीलैंड अपने आप को संभाल नहीं पाया। हम रोहित शर्मा और तमाम भारतीय क्रिकेट टीम को इस शानदार जीत पर बधाई देते हैं।

Tuesday, 11 March 2025

निशाने पर राम मंदिर

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से ताल्लुक रखने वाले बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के फरार आतंकी लजर मसीह को कौशांबी से गिरफ्तार किया गया है। यूपी विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और पंजाब पुलिस ने संयुक्त अभियान में मसीह को दबोचा। आईएसआई व बीकेआई के इशारे पर मसीह ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ा हमला और देश को दहलने की साज़िश रची थी। हालांकि कड़े सुरक्षा इंतजाम के चलते वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हुआ। आतंकी के पास तीन हैंड ग्रेनेड, दो डेटोनेटर, ज़िलेटिन रॉड, एक रूसी पिस्टल, 13 कारतूस व सफेद विस्फोटक बरामद हुआ है। अमृतसर में रहने वाला लजर पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के हैडलरों के सम्पर्क में था। लजर से एक फर्जी पते बी-55 रामप्रस्थ कालोनी से चंदन नगर पर बना आधार कार्ड भी बरामद हुआ है। दर्शाए गए पते पर तीन मज़िला बिल्डिंग में रह रहे लोगों के अनुसार वहां लजर मसीह नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है। बीते दिनों अमेरिका में रह रहे खालिस्तानी आतंकवादी गुरुतवंत सिंह पन्नू ने महाकुंभ में आतंकी हमले की धमकी दी थी जिसके बाद से ही केंद्रीय एजेंसियों के साथ यूपी पुलिस चौकन्नी थी। डीजीपी प्रशांत कुमार के अनुसार लजर प्रयागराज भी गया था पर सघन चेकिंग से वह शहर में घुस नहीं सका। ताजा इनपुट के बाद उसे बुधवार रात करीब सवा तीन बजे कौशांबी से दबोच लिया गया। लजर बीकेआई के जर्मन माड्यूल के मुखिया स्वर्ण सिंह उर्फ जतिन फौजी का करीबी और असलह व ड्रग्स का बड़ा सप्लायर है। वह तस्करी के ही मामले में अमृतसर की जेल में बंद था। उसके पिता कुलविंदर ने मतांतरण कर ईसाई धर्म अपना लिया था। डीजीपी ने बताया पंजाब पुलिस ने सूचना दी थी कि मसीह को पाकिस्तान में बैठे उसके आका ड्रोन के जरिए गोला बारूद व असलहा मुहैया कराते थे। इनका इस्तेमाल मसीह और उसके साथी आतंकी हमलों में करते थे। पंजाब पुलिस ने उसकी तस्वीर के साथ सूचना दी थी कि पंजाब में पुलिस चौकियों पर हुए ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी बब्बर खालसा इंटरनेशनल के जर्मनी आधारित माड्यूल के सरगना जीवन फौजी उर्फ स्वर्ण सिंह ने ली थी। संदिग्ध आतंकी के पकड़े जाने के बाद राम मंदिर परिसर के चारों और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। मंदिर में लगी लोहे की बैरिकेडिंग पर रात भर गश्त के साथ ही रोशनी भी बढ़ा दी गई है। इसी के साथ परिसर से सटे भवन स्वामियों को किसी भी संदिग्ध के दिखने पर पुलिस को तत्काल सूचित करने को कहा गया है। वर्ष 2005 में रामजन्म भूमि पर फिदायिन हमला हुआ था। आतंकी पंचकोसी परिक्रमा मार्ग से होते परिसर के समीप पहुंच गए और ब्लास्ट कर परिसर में प्रवेश कर गए थे। हालांकि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें मारकर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। हमले से सबक लेकर एक बार फिर सुरक्षा बंदोबस्त फुलप्रूफ किए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक परिसर के चारो तरफ खासकर रात के समय चौकसी बढ़ा दी गई है। पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को रात भर गश्त करने की व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है। पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई अपनी पुरानी हरकतों से बाज आने वाली नहीं है। हमें कड़ी चौकसी रखनी होगी। फुल अलर्ट पर रहना होगा। -अनिल नरेन्द्र

हम हर तरह की जंग के लिए तैयार हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के फैसले पर पलटवार करते हुए चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह किसी भी तरह के युद्ध के लिए तैयार है। ट्रंप ने सभी चीनी वस्तुओं पर टैऱिफ बढ़ाने की घोष़णा की है और इस घोषणा के बाद से दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं में ट्रेड वॉर का ख़तरा बढ़ गया है। इसके तुरंत बाद ही चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10-15ज्ञ् टैऱिफ लगाने की घोषणा की। चीनी दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, चाहे टैऱिफ वॉर हो, ट्रेड वॉर हो या कोई अन्य जंग, अमेरिका अगर जंग चाहता है तो हम इसके अंजाम तक जंग लड़ने को तैयार हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन की ओर से यह सबसे तीख़ी बयानबाज़ी है और ऐसे मौके पर आई है जब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के सालाना अधिवेशन में बीजिंग में चीन के नेता इकट्ठा हुए है। बुधवार को चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने घोषणा की कि चीन इस साल अपने रक्षा खर्च में 7.2ज्ञ् की बढ़ोतरी करेगा। उन्होंने कहा, पूरी दुनिया में तेज़ गति से ऐसे बदलाव हो रहे हैं जिन्हें एक सदी में कभी नहीं देखा गया। हालांकि रक्षा बजट में यह बढ़ोतरी उम्मीद के मुताबिक है और पिछले साल की घोषणा से मेल खाता है। बीजिंग में नेता चीन की जनता को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें भरोसा है कि देश की अर्थव्यवस्था ट्रेड वॉर के ख़तरों के बावजूद बढ़ सकती है। ऐसा लगता है कि चीन अमेरिका के म़ुकाबले अपनी छवि को स्थिर और शांत देश के रूप में पेश करना चाहता रहा है। चीन ने पहले भी कहा है कि वह जंग के लिए तैयार है। पिछले साल अत्तूबर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताईवान के चारों ओर मिलिट्री ड्रिल के दौरान सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने को कहा था। वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने एक दिन पहले विदेश मंत्रालय के बयान का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि ड्रग फ़ेंटानिल की तस्करी के लिए अमेरिका चीन पर बेवजह आरोप मढ़ रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, चीनी उत्पादों के आयात पर अमेरिकी टैऱिफ बढ़ाने के लिए फ़ेंटानिल का मुद्दा एक कमज़ोर बहाना है। बयान के अनुसार, धमकी से हम डरने वाले नहीं। दबंगई का हम पर कोई असर नहीं पड़ता। दबाव, ज़बरदस्ती या धमकियां, चीन से निपटने का सही तऱीका नहीं हैं। चीन की कड़ी प्रतिक्रिया पर अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेट ने फॉक्स न्यूज़ के एक कार्यक्रम में कहा, हम तैयार हैं। जो शांति चाहते हैं, उन्हें जंग के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, यही वजह है, अमेरिका अपनी सेना को मजबूत कर रहा है और डिटरेंस बहाल कर रहा है। हम एक ख़तरऩाक दुनिया में रह रहे हैं। टेक्नोलॉजी को अत्याधुनिक कर रहे हैं, वे अमेरिका की जगह लेना चाहते हैं। हेगसेट ने कहा कि सैन्य त़ाकत बनाए रखना, तनाव से बचने का मुख्य तऱीका है। उन्होंने कहा, अगर हम चीन या अन्य देशों के साथ युद्ध को रोकना चाहते हैं तो हमें त़ाकतवर होना होगा और राष्ट्रपति ट्रंप जानते हैं कि इसी से शांति आएगी। उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अच्छे संबंध हैं। हम चीन के साथ युद्ध नहीं चाहते और न ही युद्ध करना चाहते हैं और राष्ट्रपति ट्रंप ने इस ऐतिहासिक मौके को इसके लिए इस्तेमाल भी किया।

Saturday, 8 March 2025

ट्रंप की टैरिफ स्ट्राइक

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित अन्य देशों की ओर से उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) लगाए जाने की आलोचना करते हुए इसे बेहद अनुचित करार दिया है। ट्रंप ने साथ ही घोषणा की कि अगले महीने यानी 2 अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाए जाएंगे। राष्ट्रपति ने जवाबी शुल्क को लेकर अपना पक्ष रखा और कहा कि ये 2 अप्रैल से लगाए जाएंगे। वह अन्य देशों से आयात पर वही शुल्क (टैरिफ) लगाना चाहते हैं, जो वो देश अमेरिका से होने वाले निर्यात पर लगाते हैं। ट्रंप ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, अन्य देशों से हमारे खिलाफ शुल्क लगाए है और अब हमारी बारी है कि हम उन देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करें। यूरोपीय संघ (ईयू), चीन, ब्राजील, भारत, मेक्सिको और कनाडा क्या आपने उनके बारे में सुना है। ऐसे अनेक देश हैं जो हमारी तुलना में हमसे बहुत अधिक शुल्क वसूलते हैं। यह बिलकुल अनुचित है। अपने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस को पहली बार संबोधित करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भारत हमसे 100 प्रतिशत से अधिक ऑटो शुल्क वसूलता है। हम भी ऐसा करने जा रहे हैं। यानी 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू कर देगा। अपने 44 मिनट के भाषण में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने 43 दिन में जो किया वह कई सरकारें अपने 4 या 8 साल के कार्यकाल में नहीं कर सकीं। चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर रेसिप्रोकल शब्द का मतलब क्या होता है और यह कोई देश किसी दूसरे देश पर कब लगाता है? रेसिप्रोकल का मतलब होता है प्रति शोधात्मक यानी जैसे को तैसा वाली नीति। इसे ऐसे समझिए कि रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो देश दूसरे देश पर तब लगता है जब वह देश भी उसी तरह का टैक्स या प्रतिबंध पहले देश पर लगाता है, मतलब अगर एक देश दूसरे के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है इसका मकसद व्यापार में संतुलन बना होता है। व्यापार संतुलन में यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है। इसका मकसद व्यापार में संतुलन बनाना होता है। व्यापार संतुलन यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर ज्यादा टैक्स न लगाए। रेसिप्रोकल टैरिफ की शुरुआत 1‘वीं सदी में हुई। 1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबड़ेन शेवेलियर संधि हुई थी जिसमें टैरिफ कम किए गए, इसके बाद 1930 का दशक आया, जब अमेरिका ने स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट लागू किया जिससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ और महामंदी बढ़ी। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशें पर टैरिफ लगाए जिसके जवाब में उन देशों ने भी अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाए है। भारत इन ज्वलन्त समस्या से कैसे निपटेगा यह देखना बाकी है। अगर ट्रंप भारत पर 100 प्रतिशत टैक्स लगता है तो निश्चित रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका भारी असर पड़ेगा। देखना यह है कि भारत सरकार इस नई चुनौती का क्या समाधान निकालती है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। -अनिल नरेन्द्र

आकाश आनंद ः अर्श से फर्श पर

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को न केवल पार्टी के सभी पदों से हटाया बल्कि अब पार्टी से ही बाहर कर दिया है। उन्होंने सोमवार को एक्स पर इसकी जानकारी दी। मायावती ने कहा है कि एक दिन पहले सभी पदों से हटाए जाने पर आकाश ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया। आकाश के बयान को अपने ससुर के प्रभाव वाला स्वार्थी और गैर मिशनरी बताया है। आकाश आनंद को 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था और 2023 आते-आते रिश्तों में खटास बढ़ी और आकाश आनंद को न केवल पार्टी पदों से हटा दिया गया बल्कि पार्टी से बाहर कर fिदया गया है। आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। वो 2017 में लंदन से पढ़ाई करने के बाद ही बीएसपी के कामकाज में जुड़े थे। मई 2017 में सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष के समय वो मायावती के साथ वहां गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद आकाश को बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था लेकिन वह पार्टी को जीत की रेस में लाने में नाकाम रहे थे। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आकाश पार्टी के प्रभारी थे लेकिन सीट जीतना तो दूर की बात है, पार्टी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई थी। मायावती ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया था। हटाने का तर्क दिया गया था कि अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है। लेकिन आकाश को तब हटाया गया था जब वह सत्ताधारी भाजपा पर सीधा और तीखा हमला बोल रहे थे। लखनऊ में रविवार को बसपा की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है ः कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है। अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को पूरे देश में दो गुटों में बांटकर कमजोर किया है। मायावती को पलटकर जवाब देना वह भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर और उस पर तर्क यह कि तमाम संघर्षों के बाद सत्ताशीर्ष तक पहुंची मायावती को कठिन परीक्षा और लंबी लड़ाई होने का लुका-छिपा संदेश देना। पार्टी की मानें तो मायावती को आकाश आनंद की यह दोनों बातें अखर गई। यही आकाश आनंद के पार्टी से बाहर जाने का सबब भी बनी। बहुजन समाज पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मायावती के इस फैसले से न केवल उनकी पार्टी के लोगों को बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को भी अचरज में डाल दिया है। आकाश आनंद पार्टी के युवा चेहरा हैं। हालांकि जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए पार्टी का प्रदर्शन निचले स्तर पर रहा। मायावती के साथ एक नकारात्मक बात यह है कि वह कभी भी सड़क पर नहीं उतरती हैं। राजनीति की गहरी समझ रखने वाले और विपक्षी दलों के नेता भी मानते हैं कि अब खुलकर राजनीतिक करने के मायावती के दिन नहीं आने वाले। खासकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख रखने के स्वभाव को बहनजी ने बहुत पहले साइड लाइन कर रखा है। वह भाजपा के दवाब में हैं ऐसा लगता है। आज बहुजन समाज पार्टी की सियासत जमीन पर आ गई है। अपना वोट शेयर, वोट बैंक सब गिरता नजर आ रहा है। चुनाव पर चुनाव होने से बसपा की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। आकाश का यह कहना कि परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है, इस बात को भली-भांति स्पष्ट करती दिखाती है कि बीएसपी में अभी बहुत कुछ घटित होने वाला है। देखना है मायावती के हार्ड कोर समर्थक पार्टी के लिए कितने फायदेमंद रहते हैं या पार्टी के घमासान की शुरुआत है।

Thursday, 6 March 2025

शेयर बाजार धोखाधड़ीऔर माधवी बुच



शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियमावली उल्लंघन के आरोपों में आखिरकार कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। माधवी बुच पर पिछले काफी समय से आरोप लगते रहे हैं पर जब तक वे पद पर थीं किसी प्रकार की न तो जांच हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका की शीर्ष शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर एटिटीज में निवेश करने के आरोप लगाए थे, तो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा था जिसमें अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपत्ति ने सारे आरोपों को खारिज कर दिया था। ताजा मामला एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामवली उल्लंघन के संबंध में शेयर बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथ राव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा। प्रथम दृष्टया विनियमावली में चूक और मिलीभगत के सुबूत हैं जिनकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि कूनन प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की सक्रियता के कारण आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। बुच का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि वह आदेश को चुनौती देगा। इस मामले में शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव (47) का दावा है कि सेबी के अधिकारी वैधानिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे। बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कारपोरेट धोखाधड़ी होने दी। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। जहां अदालत के आदेश के बाद सेबी ने बयान जारी कर कहा, जिन अधिकारियों का जिक्र है वह कंपनी की लिस्टिंग के समय अपने संबंधित पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना नोटिस जारी किया था। सेबी को तथ्यों को रिकार्ड पर रखने का अवसर दिए बिना शिकायत को मंजूरी दे दी। सेबी ने कहा, आवेदक एक तुच्छ और आदतन वादी के रूप में जाना जाता है, उसके पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया है और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया है। इन अधिकारियों पर भी दर्ज होगा केस। निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदररंजन राममूर्ति। बीएसई के ही तत्कालीन अध्यक्ष व जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, श्रीमती कमलेश चंद्र वार्ष्णेय। अब देखना यह है कि कौन आगे कैसे बढ़ता है? क्या सच्चाई सामने आएगी या हर बार की तरह लीपापोती हो जाएगी। मुंबई स्टाक एक्सचेंज का बहुत बुरा हाल है। पिछले 28 साल के निचली स्तर पर स्टाक मार्किट गिर गया है। लाखों-करोड़ों का नुकसान हो चुका है। छोटे निवेशक तबाह हो गए हैं। क्या उन्हें न्याय मिलेगा? उम्मीद की जाती है कि सख्त कदमों से स्टाक मार्केट सुधरेगी।

-अनिल नरेन्द्र

एक अरब भारतीयों के पास खर्च करने को पैसे नहीं



भारत की जनसंख्या क़रीब एक अरब 40 करोड़ है लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से एक अरब लोगों के पास ख़र्च के लिए पैसे नहीं हैं। वेंचर कैपिटल फ़र्म ब्लूम वेंचर्स की इस ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में उपभोक्ता वर्ग जो कि ख़ास तौर पर व्यवसाय मालिकों या स्टार्ट अप का एक संभावित बाज़ार है, इसका आकार मेक्सिको की आबादी के बराबर या 13 से 14 करोड़ है। इसके अलावा 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें इमर्जिंग या आकांक्षी कहा जा सकता है, लेकिन वे ख़र्च करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अभी ख़र्च करने की शुरुआत की है। रिपोर्ट के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उपभोक्ता वर्ग का प्रसार उतना नहीं हो रहा है जितना उसकी ख़रीद की क्षमता बढ़ रही है। इसका मतलब यह है कि भारत की संपन्न आबादी की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है, बल्कि जो पहले से ही संपन्न हैं और अमीर हो रहे हैं। ये सब मिलकर देश के उपभोक्ता बाज़ार को अलग तरह से आकार दे रहे हैं, ख़ासकर प्रीमियमाइजेशन का ट्रेंड बढ़ रहा है, जहां ब्रांड बड़े पैमाने पर वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश पर ध्यान देने के बजाय अमीरों की ज़रूरतों को पूरा करने वाले महंगे और उन्नत उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर विकास को गति देते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बहुत महंगे घरों और प्रीमियम स्मार्ट फ़ोन की बिक्री में बढ़ोत्तरी का होना, जबकि इनके सस्ते मॉडल संघर्ष कर रहे हैं। भारत के कुल बाज़ार में इस समय सस्ते घरों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है जबकि पांच साल पहले यह हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी। इसी तरह ब्रांडेड सामानों की बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ रही है। और एक्सपीरियंस इकोनॉमी फल फूल रही है, उदाहरण के लिए कोल्डप्ले और एड शीरान जैसे विदेशी अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के कंसर्ट के महंगे टिकटों का बिकना। भारत का मध्य वर्ग उपभोक्ता मांग का मुख्य स्रोत रहा है, लेकिन मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा की मानें तो वेतन के कमोबेश एक जैसे बने रहने के कारण इस मध्य वर्ग की हालत ख़राब हो रही है। जनवरी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में टैक्स देने वाली आबादी के बीच के 50 प्रतिशत लोगों की वेतन पिछले एक दशक में स्थिर रही हैं। इसका मतलब है कि वास्तविक अर्थों में उनकी आय (महंगाई को जोड़ने के बाद) आधी हो गयी है। वित्तीय बोझ ने मध्य वर्ग की बचत खत्म कर दी है। आरबीआई लगातार इस बात को कह रहा है कि भारतीय परिवारों की कुल वित्तीय बचत 50 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच रही है। इन हालात से पता चलता है कि मध्य वर्ग के घरेलू ख़र्च से जुड़े उत्पादों और सेवाओं को आने वाले सालों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एआई धीरे-धीरे क्लर्क, सेक्रेटरी और अन्य रोज़मर्रा के काम की जगह ले सकता है, ऐसे में सफेदपोश शहरी नौकरियां पाना मुश्किल होता जा रहा है। भारत की मैन्य़ुफैक्चरिंग इकाइयों में सुपरवाइज़रों की संख्या में अच्छी ख़ासी कमी आई है। सरकार के हालिया इकोनॉमिक सर्वे में भी इन चिंताओं को ज़ाहिर किया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के तकनीकी विकास की वजह से श्रमिक विस्थापन (लेबर डिस्प्लेसमेंट), भारत जैसी सेवा प्रधान अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का विषय है, जहां आईटी कार्यबल का एक अच्छा हिस्सा सस्ते सेवा क्षेत्र में कार्यरत है। यह सब देश की आर्थिक विकास को पटरी से उतार सकता है।

Tuesday, 4 March 2025

वो दस मिनट जब हुई तू-तू, मैं-मैं

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच पावार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में जबरदस्त तीखी बहस हो गई। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की शांति नहीं चाहते हैं और अगर वो समझौता नहीं करेंगे तो अमेरिका इस जंग से बाहर हो जाएगा। ट्रंप ने दावा भी किया कि पेन रूस के साथ जंग में जीत हासिल नहीं कर सकता है। ट्रंप ने जेलेंस्की पर अमेरिका और अमेरिकी लोगों का अनादर करने का भी आरोप लगाया। वहीं जेलेंस्की ने कहाö हम गारंटी के साथ युद्ध विराम चाहते हैं। ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जब बहस हो रही थी उस दौरान अमेरिका में पोन की राजदूत बेहद तनाव में थीं। ओवल ऑफिस से सामने आए वीडियो में पोनी राजदूत अपना हाथ माथे और चेहरे पर रखे हुए थे। ओवल ऑफिस में दोनों नेताओं की बहस मीडिया के कैमरे में कैद हो गई और सारी दुनिया ने ट्रंप के डांटने वाले लहजे को देखा और परेशान हो गई। वह जेलेंस्की को यूं डांट रहे थे जैसे कोई हुक्मरान अपने मुलाजिमों को डांटता है। पेश है बातचीत के अंश। जेडी वांस (उपराष्ट्रपति अमेरिका) शांति और तरक्की का रास्ता कूटनीति को जोड़ता है। प्रेसीडेंट ट्रंप यही काम कर रहे हैं। जेलेंस्की (बात करते हुए) ः तीन साल पहले हम पर हमला करने से पहले भी रूस ने हमारा इलाका छीना। तब किसी ने पुतिन को नहीं रोका। आज किस तरह की डिप्लोमेसी की बात कर रहे हैं जेडी वांस। आपका मतलब क्या है? जेडी वांस ः मैं उस डिप्लोमेसी की बात कर रहा हूं जो आपके देश का विनाश होने से बचाएगा। आप हमारी बेइज्जती कर रहे हो। अमेरिकी मीडिया के सामने आप हमें दोषी बता रहे हो। ट्रंप ने पुतिन से बातचीत का रास्ता खोला और तुरन्त युद्ध विराम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। जेलेंस्की को तो युद्ध लड़ने में कई तरह की दिक्कत हो रही थी। जेलेंस्की ः युद्ध के समय हर किसी को परेशानी होती है। यहां तक कि आपको भी। आपके पास बढ़िया समन्दर है। आपको अभी यह महसूस नहीं हो रहा होगा मगर भविष्य में आप यह महसूस करेंगे। जेलेंस्की ने यह बात कहकर इशारा किया कि आप रूस को खुश करने की कोशिश करोगे तो आप भी युद्ध की चपेट में आ सकते हो। (यह बात ट्रंप को चुभ गई और वह भी जेलेंस्की और वांस की बातचीत में कूद गए) ट्रंप (ऊंची आवाज में) ः हमें यह न बताओ कि हम क्या महसूस करेंगे। आप इस स्थिति में नहीं हो कि हमें यह बात सिखाओ, अभी आपके पास के दांव नहीं है। आप करोड़ों लोगों की जिन्दगियों के साथ जुआ खेल रहे हो। जेलेंस्की ः युद्ध की शुरुआत से ही हम अपनी जंग अकेले लड़ रहे थे और हमें इस पर गर्व है। (यह सुन ट्रंप और भड़क गए क्योंकि वह पोन युद्ध पर अमेरिकी खर्च को बड़ा नुकसान बताते रहे हैं)। ट्रंप ः आप अकेले नहीं थे। आप कभी अकेले नहीं थे। हमने आपको एक पूर्व राष्ट्रपति (बाइडन) के जरिए 350 अरब डॉलर की मदद की। जेडी वांस ः क्या आपने इस मदद के लिए कभी अमेरिका का आभार जताया? आपने अमेरिकी चुनाव में डेपोटिक के लिए कैपेनिंग की। अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले जेलेंस्की, जो बाइडन के गृह नगर गए थे, जिस पर ट्रंप की पार्टी बहुत नाराज हुई थी। जेलेंस्की ः प्लीज, अगर आपको लगता है कि युद्ध के बारे में ऊंची आवाज से बात करके आप...(तभी झुंझलाए ट्रंप बीच में बात काटते हैं) ट्रंप ः ऊंची आवाज में नहीं कर रहे। आपका देश एक बड़े संकट में है। आप इस जंग को नहीं जीत सकते। आपके पास इस सब से बाहर निकलने का एक मौका है। हमारी बदौलत इस तरह बिजनेस नहीं हो पाएगा। मिलकर काम करने के लिए एटिट्यूड बदलना होगा। (ट्रंप और जेडी के मुख से एटिट्यूड की बात सुनकर जेलेंस्की गुस्से से भर जाते हैं) जेडी वांस ः आप सिर्फ हमें धन्यवाद दीजिए। जेलेंस्की ः मैं धन्यराद दे चुका हूं और एक बार फिर अमेरिकी जनता का धन्यवाद देता हूं। वांस ः असहमति को भी स्वीकार कीजिए। मीडिया के सामने लड़ने की बजाए असहमति के मुद्दे पर बात कीजिए। जब आप गलत होते हो तो आप सिर्फ गलत होते हो। ट्रंप ः अच्छा ही हुआ कि अमेरिकी लोग आज यह देख रहे हैं कि क्या हुआ। आपको शुािढया कहना चाहिए। आपके पास कोई दांव नहीं है। आप खत्म हो चुके हो। आपके लोग मर रहे हैं। आपके पास सैनिक नहीं हैं। अगर आप युद्ध विराम के लिए मान जाते तो गोलियां बरसनी बंद हो जाती और आपके लोग न मरते। जेलेंस्की ः मैं युद्ध रोकना चाहता हूं पर जैसा कि मैंने आपसे कहाö कुछ गारंटियां भी चाहता हूं। युद्ध विराम के बारे में अपने लोगों की राय लेना चाहता हूं। यह थी ट्रंप-वांस-जेलेंस्की की पूरी बातचीत के प्रमुख अंश। डोनाल्ड ट्रंप, जेलेंस्की, वांस के बीच ओवल आफिस में जो हुआ उसे दुनिया ने देखा। इस तीखी नोंकझोक के बाद जहां रूस-पोन शांति समझौता खटाई में पड़ गया है। वहीं जेलेंस्की के लिए यूरोपीय नेताओं से लेकर सोशल मीडिया तक में सपोर्ट की बाढ़ आ गई है। एक अंतिम बात अब जो भी राष्ट्र अध्यक्ष राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेगा वह बड़ा चौकस रहेगा कि ट्रंप को गुस्सा आ गया तो... -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 20 February 2025

यमुना सफाईं अभियान शुरू

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की यमुना नदी की सफाईं का दावा किया था। भाजपा की दिल्ली में शानदार जीत के बाद सरकार के गठन से पहले ही इस पर काम शुरू हो चुका है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शनिवार को मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिचाईं एवं बाढ़ नियंत्रण) से मुलाकात की और उन्हें तुरन्त काम शुरू करने को कहा। इसके बाद रविवार को ट्रैश स्किमर्स, वीड हाव्रेस्टर्स और ड्रेज यूटिलिटी व््राफ्ट जैसी आधुनिक मशीनों को यमुना नदी में उतार दिया गया। इन मशीनों ने यमुना नदी में खर पतवार और कचरा को साफ करने का काम किया। यमुना नदी को साफ करने की महत्वाकांक्षी योजना के लिए लगभग 3 वर्षो को पूरा करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), सिचाईं एवं बाढ़ नियंत्रण (आईंएंडएफसी) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), पर्यांवरण विभाग, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) जैसी विभिन्न एजेंसियों और विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय की आवश्यकता होगी। इन कार्यो की निगरानी साप्ताहिक आधार पर उच्चतम स्तर पर की जाएगी। इसके अलावा, दिल्ली प्रादूषण नियंत्रण समिति, (डीपीसीसी) को शहर में औदृाोगिक इकाइयों द्वारा नालों में अनुप्राचरित अपशिष्ट के निर्वहन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। यमुना के कायाकल्प का काम जनवरी 2023 में मिशन मोड में शुरू हुआ था। इस चार स्तरीय रणनीति के तहत होगा यमुना का कायाकल्प। सबसे पहले यमुना नदी में जमा कचरा, गाद और अन्य गन्दगी को हटाया जाएगा। 2. साथ ही नजफगढ़ ड्रेन, सप्लीमेंट्री ड्रेन व अन्य बड़े नालों की सफाईं की जाएगी। 3. मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और कामकाज की रोज निगरानी होगी। 4. करीब 400 एमजीडी सीवेज ट्रीटमेंट की कमी पूरी करने नए एसटीपी और डीएसटीपी बनाने व चालू करने की समयबद्ध यह योजना लागू की जाएगी। उपराज्यपाल योजना की निगरानी कर रहे थे और इससे संबंधित कार्यो का मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे थे। ऐसे में यमुना के पानी में सीओडी/बीओडी का स्तर महीने दर महीने थोड़ा सुधरने लगा था। मगर इस कार्यं विरोध में अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 10 जुलाईं 2023 को तत्कालीन प्राधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ से एनजीटी के आदेश पर रोक लगवा दी। इसके बाद यमुना के कायाकल्प का काम फिर से रूक गया और इस साल की शुरुआत में रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के साथ पानी में सीओडी/बीओडी का स्तर और खराब हो गया। हम नईं सरकार और प्राधानमंत्री के इस तेज रफ्तार से यमुना सफाईं अभियान चलाने का वह भी जब नईं सरकार का गठन नहीं हुआ, स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वर्षो पुरानी दिल्ली वासियों की मांग कि यमुना साफ हो और दिल्ली वासियों को साफ पानी मिले जल्द हकीकत में बदले। ——अनिल नरेन्द्र

अमित शाह का नक्सलवाद मुक्त भारत मिशन

मुक्त भारत मिशन वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नक्सलवाद मुक्त भारत मिशन को भारी बहुमत मिलती दिखने लगी है। पिछले छह वर्षो में वामपंथी उग्रावाद प्राभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 38 रह गईं है। इसी अवधि में उग्रावादी हिसा में 81 फीसद की कमी आईं है। जबकि सुरक्षा बलों और नागरिकों की हताहत संख्या में 85 फीसद की गिरावट दर्ज की गईं है। यह आंकड़े इस बात का प्रामाण है कि सरकार की नीति न केवल कारगर सिद्ध हो रही है। बल्कि नक्सलवाद का जड़ से खात्मा भी सुनिाित कर रही है। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार केवल सैन्य कार्रवाईं तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन क्षेत्रों में विकास को भी प्राथमिकता दी, जहां नक्सलवाद की जड़े मजबूत थीं। सड़क निर्माण टेलीकॉम कनेक्टिविटी, बैकिग सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर स्थानीय जनता को मुख्यधारा में लाने के लिए कईं योजनाएं चलाईं गईं। पिछले 5 वर्षो में वामपंथी उग्रावाद प्राभावित राज्यों में 2384.17 करोड़ रुपए की विशेष सहायता दी गईं, जिससे वहां के नागरिकों को आधारभूत सुविधाएं मिल सकीं। एक समय था जब युवाओं के पास रोजगार के सीमित अवसर थे जिससे वे उग्रावादी संगठनों के चगुंल में पंस जाते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गईं है। केन्द्र सरकार ने कौशल विकास, स्टार्टअप प्राोत्साहन, आर्थिक समावेशन जैसी योजनाओं के जरिए युवाओं को एक नया भविष्य देने का काम किया है। इसमें वे अपने क्षेत्र में ही आत्मनिर्भर बन रहे हैं और नक्सलवाद से प्राभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन धीरे- धीरे लौट रहा है। वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद से निपटने की रणनीति आव््रामक लेकिन प्राभावी रही है। उन्होंने सुरक्षा बलों को प्राोत्साहित किया। खुफिया प्राणाली को मजबूत किया और वामपंथी उग्रावादियों के विभिन्न नेटवर्व को ध्वस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए। उनकी यह नीति अब रंग ला रही है और भारत जल्द ही नक्सलवाद के अभिशाप से मुक्त होगा। आज जब भारत वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रासर है तो आतंरिक सुरक्षा को मजबूत करना अनिवार्यं है। नक्सलवाद जैसे खतरे को जड़ से मिटाना केवल सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान का भी भविष्य है। हमें यह सुनिाित करना होगा कि कोईं भी नागरिक या क्षेत्र विकास से वंचित न रहे। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाईं में सरकार का यह संकल्प है कि आने वाले वर्षो में हर नागरिक को एक सुरक्षित और समृद्ध जीवन मिले। यह केवल युद्ध नहीं, बल्कि एक विचारधारा के अंत की शुरुआत है और वह दिन दूर नहीं जब भारत नक्सलवाद से पूर्णत: मुक्त होकर विकास और समृद्धि की नईं ऊंचाईंयों को छुएगा।

Tuesday, 18 February 2025

चुनाव आयोग ईंवीएम डाटा न हटाए

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि सत्यापन प्राव््िराया के दौरान ईंवीएम से डाटा मिटाया या फिर से अपलोड न किया जाए। शीर्ष अदालत ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोव््रोटिक रिफाम्र्स (एडीआर) की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआईं) संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एडीआर की ईंवीएम की जली हुईं मेमोरी और सिबल लोडिग मशीन यूनिट के सत्यापन की अनुमति की मांग करती याचिका पर यह निर्देश दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि ईंवीएम के सत्यापन के लिए उसकी ओर से तैयार की गईं मानक संचालन प्राव््िराया (एसओपी) ईंवीएम-वीवी पैट मामले में 26 अप्रौल 2024 के कोर्ट के पैसले के अनुरूप नहीं है। एडीआर की ओर से वकील प्राशांत भूषण ने कहा कि 1 जून और 16 जुलाईं 2024 को चुनाव आयोग की ओर से जारी एसओपी में ईंवीएम और सिबल लोडिग यूनिट की जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए पर्यांप्त दिशा-निर्देशों का अभाव है। एडीआर की याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में निर्धारित जांच और सत्यापन प्राव््िराया में जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर के मूल डाटा को साफ करना भी हटाना शामिल है। जो किसी या वास्तविक जांच और सत्यापन को असंभव बना देता है। आवेदन में कहा गया है कि अनुपालन संबंधी दिशा-निर्देशों की अनुपस्थिति ऐतिहासिक निर्णय के सार को पराजित करती है जिसका उद्देश्य यह सुनिाित करना था कि मतदान के दौरान कोईं दुर्भावना या बेईंमानी न हो। पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिदर सिह से कहा कि पैसले में निर्देश ईंवीएम में मतदान डाटा को मिटाने या फिर से लोड करने का नहीं था। पैसले का उद्देश्य केवल यह था कि मतदान के बाद ईंवीएम का सत्यापन और जांच निर्माण वंपनी के एक इंजीनियर की ओर से की जाए।पीठ ने वकील से पूछा— अगर मतदान के बाद कोईं पूछता है तो इंजीनियर को आकर यह प्रामाणित करना चाहिए कि उनकी मौजूदगी में उनके अनुसार जली हुईं मेमोरी या माइव््राो-चिप स्टॉक में कोईं छेड़छाड़ नहीं की गईं है। बस इतना ही। आप डाटा क्यों मिटाते हैं? ——अनिल नरेन्द्र

महावुंभ में रिकार्ड 50 करोड़ श्रद्धालु

50 करोड़ श्रद्धालु महावुंभ में स्नान करने वालों की संख्या 50 करोड़ पार कर चुकी है।यह अपने आप में एक रिकार्ड है। इसे पूर्व के किसी भी वुंभ, महावुंभ में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान नहीं किया। खास बात यह है कि 50 करोड़ का आंकड़ा मेला अवधि पूरे होने से पूर्व ही पार हो गया है, मेला अभी 26 फरवरी तक है, इस दिन महाशिवरात्रि का स्नान होगा। महाशिवरात्रि तक लगभग 60 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया जा रहा है। गुरुवार की रात आठ बजे तक 49.14 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। शुव््रावार को शाम छह बजे तक 92.84 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाईं। मेला क्षेत्र में हालात ऐसे हैं कि यहां पर आम दिनों में भी माघ महीने के प्रामुख स्नान जैसा नजारा दिखता है। लोग सिर पर गठरी बांधे हर दिशा से मीलों पैदल चलकर संगम पहुंच रहे हैं। शुव््रावार को भी स्थिति ऐसी हो गईं कि कईं बार मेला व पुलिस प्राशासन को जोनल प्लान लागू कर श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र की बैरिकेडिग से रोकना पड़ा। ि़जससे संगम क्षेत्र पर ज्यादा दबाव न बन सके। पूरे दिन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता रहा। काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने शुव््रावार को त्रिजटा स्नान मानकर डुबकी लगाईं। मान्यता है कि त्रिजटा स्नान पूर्व पर संगम में डुबकी लगाने से एक महीने का कल्पवास का पुण्य मिल जाता है। हालांकि तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि त्रिजटा स्नान शनिवार को है। संगम की रेती पर चल रहे महावुंभ में गुरुवार को अनूठा विश्व कीर्तिमान बनाया गया है। यह रिकार्ड नदी स्वच्छता का है। 300 से अधिक लोगों ने एक साथ गंगा सफाईं कर यह रिकार्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड और प्रायागराज मेला प्राधिकरण की टीम का कहना है कि अब तक इस जैसा रिकार्ड कभी नहीं बना। प्राशासन ने 300 सफाईं कर्मियों को एक साथ 30 मिनट तक गंगा स्वच्छता के अभियान का लक्ष्य दिया था। यह वुंभ कईं मायनों में अप््िरातम रहा है। उत्तर प्रादेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार भी अब तक प्रायागराज के इस महावुंभ में लगभग 50 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। शायद ही कोईं संत, महंत, साधु, नागा संन्यासी चाहे किसी अखाड़े या संप्रादाय से क्यों न जुड़ा हुआ हो। यहां न आया हो। राष्ट्रपति, प्राधानमंत्री से लेकर सत्ता, विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता वुंभ स्नान कर चुके हैं। अंबानी, अडानी सहित देश के शीर्षक उदृाोगपति परिवारों के लोग त्रिवेणी के जल में स्नान कर चुके हैं। फिल्म उदृाोग तथा अन्य गतिविधियों से जुड़े प्रासिद्ध और चर्चित चेहरे प्रायागराज की माटी चूम चुके हैं। सामान्य श्रद्धालुओं का जो उत्साह प्रारम्भ में उमड़ता हुआ दिखाईं दिया था उसकी उमड़ किसी भी दिन कम नहीं हुईं। मौनी अमावस्या के दिन दुखद दुर्घटना भी हो गईं। वुछ श्रद्धालुओं की मृत्यु भी हो गईं। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण था। प्रायागराज पहुंचने वाले हर मार्ग पर जो लंबी लाइने लगी हुईं हैं। श्रद्धालुओं को कईं-कईं घंटे लाइनों व जाम में पंसने से भी उनके उत्साह में कमी नहीं आईं। कईं मायनों में यह महावुंभ ऐतिहासिक रहा। हम मुख्यमंत्री योगी जी व उनके तमाम प्राशासनिक अधिकारियों को इस अत्यन्त सफल आयोजन की बधाईं देते हैं।

Saturday, 15 February 2025

ट्रंप के 6 फैसलों पर लगी रोक



20 जनवरी 2024 को जबसे डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वापसी की है, उन्होंने अपने बदलाव वाले एजेंडे को तूफानी रफ्तार से आगे बढ़ाया है। अमेरिकी सरकार के प्रमुख के तौर पर उन्होंने पहले ही दिन जो बाइडन के बनाए नियमों को 78 शासकीय अध्यादेशों के जरिए खत्म कर दिया। तबसे उन्होंने अपने एजेंडे को लागू करने के लिए जिन दर्जनों आदेशों को जारी किया है, वे अगर लागू होते हैं तो अमेरिका में कार्यपालिका के काम के तरीके और आकार को नहीं बदलेंगे बल्कि सरकार के अन्य विभागों की शक्तियों पर असर पड़ेगा। उनके कुछ कदमों का असर कुछ संवैधानिक अधिकारों पर भी पड़ेगा। हालांकि फिलहाल उनके आदेशों को उनके समर्थक कई बड़े उत्साह से ले रहे हैं। ट्रंप के इन कदमों से अमेरिका में लाखों सरकारी कर्मचारी चिंतित हैं, जिन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है। इसके अलावा हजारों कंपनियां, एनजीओ भी असमंजस में हैं जो फंड, कांट्रेक्ट और सहायता उन्हें मिल रही थी, वो जारी रहेगी या नहीं? ट्रंप के इन आदेशों में से कई को अदालत में चुनौती दी गई है, कुछ आदेशों को देश के अलग-अलग हिस्से में अदालतों ने निलंबित कर दिया है, जिसने ट्रंप प्रशासन में हताशा पैदा कर दी है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने गुस्से को जाहिर करते हुए कहा कि न्यायापालिका अपने फैसलों से हद पार कर रही है। जजों को कार्यपालिका की वैध शक्तियों को रोकने की इजाजत नहीं है। मंगलवार को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डॉज) के प्रमुख और अरबपति एलन मस्क भी एक फैसले के लिए एक जज को निशाने पर लेते हुए लिखते हैं ः एक जज की पूरी जिंदगी जज बने रहने देने का विचार भले ही फैसले कितने बुरे हों। यह बहुत बकवास बात है। हो सकता है कि उन जजों की जांच करने की जरूरत हो। ऐसे छह मामले हैं जिसमें अमेरिकी न्याय प्रणाली ने ट्रंप प्रशासन के फैसलों पर रोक लगा दी है। आप्रवासी के बच्चों की नागरिकता के आदेश पर कई राज्यों की अदालतों के फैसले आए। विदेशियों के होने वाले बच्चों के जन्मसिद्ध नागारिकता के आधार पर खत्म करने का ट्रंप के फैसलों को सबसे पहले सीएटएल के एक संघीय जज ने 23 जनवरी को दिया जिसमें इस आदेश पर अस्थाई रोक लगा दी गई। मैरी लैंड के एक जज ने पूरे देश में ट्रंप के इस आदेश पर रोक लगा दी। जबकि 10 जनवरी को एक तीसरे जज ने ऐसा ही फैसला सुनाया । जनवरी के अंत में इस प्रशासन ने 20 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को ऐसा नोटिस दिया, जिसमें मुआवजे के तौर पर 8 महीने के वेतन के बदले, उन्हें स्वेच्छा से इस्तीफा देने की पेशकश की गई। 6 फरवरी को एक संघीय जज ने इसे लागू होने पर रोक लगा दी और पेशकश स्वीकार करने की समय सीमा भी बढ़ा दी। नए प्रशासन ने यूएसएड के सभी तरह के अंतर्राष्ट्रीय सहायता कार्यक्रमों पर रोक लगा दी और अमेरिका से बाहर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को वापस आने का आदेश देते हुए हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निलंबित कर दिया। 7 फरवरी को एक संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन की योजना पर तत्कालिक रोक लगा दी। इसके अलावा एलन मस्क के डिर्पाटमेंट डाज और यूएसएड के 2,200 कर्मचारियों को निलंबित किए जाने पर रोक लगा दी। इसी तरह कई और तुगलकी आदेशों पर वहां की अदालतों ने रोक लगा दी। और भी कई फैसलों पर रोक लगाई गई है। 31 जनवरी के आदेश में ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अधिकारिक रूप से सिर्फ दो जेंडर को मान्यता दी जाएगी, इसमें ट्रांस लोगों के जीवन में भारी उथल-पुथल मच गया। ट्रंप प्रशासन के फैसलों पर अमेरिका में जमकर विरोध हो रहा है। कहा जा रहा है कि अमेरिका की सारी स्टेटों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। भारी उथल-पुथल मच गई है।

-अनिल नरेन्द्र

दिल्ली चुनाव और बिहार की राजनीति



दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस को परजीवी पार्टी कहा। उन्होंने कहा, बिहार में कांग्रेस जातिवाद का जहर फैलाकर अपनी सहयोगी आरजेडी की पेटेंट जमीन को खाने में लगी है। चूंकि इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पीएम मोदी के भाषण का यह अंश चर्चा में है। विश्लेषकों के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का बिहार में होने वाले चुनावों पर भी असर पड़ेगा। उनका मानना है कि दिल्ली की तरह बिहार में भी कांग्रेस अपनी खोई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है, इसलिए वह बिहार चुनाव अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। अगर वो ऐसा कर जाती है तो संभव है कि वह बारगेनिंग पावर बढ़ा सके। वैसे भी बिहार में कार्यकर्ताओं की पूरी डिमांड है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े ताकि पार्टी को दूरगामी राजनीति में फायदा हो। दिल्ली चुनाव में नतीजों ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टियों की स्थिति को लेकर कयास तेज कर दिए हैं। जानकारों की मानें तो दोनों ही गठबंधन यानि एनडीए और इंडिया गठबंधन की पार्टियों में सीट शेयरिंग को लेकर नए समीकरण बनेंगे। भाजपा प्रवक्ता आसित नाथ तिवारी कहते हैं, एनडीए ने 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और हम लोग अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए चट्टानी एकता के साथ लड़ेंगे। वही जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा भी कहती हैं जिस निर्णय से एनडीए के पक्ष में निर्णय आएंगे वही फैसला लिया जाएगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो जेडीयू 100, भाजपा 100, राजद 150 तो कांग्रेस 70 सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी ‘हम’ के लिए 20 सीटों की डिमांड पहले ही कर चुकी है। वहीं मुकेश साहनी की वीआईपी 40 सीटों पर दावेदारी कर रही है। जनसुराज ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही है। दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद सबसे ज्यादा पेंच कांग्रेस को मिलने वाली सीट पर हो सकता है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीट में से सिर्फ 19 सीट जीत पाई थी। हालांकि लोकसभा में पार्टी ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए 9 में से तीन सीट जीती। वरिष्ठ विश्लेषक का मानना है कि कांग्रेस बिहार में बारगेनिंग पोजीशिन में नहीं है, न तो उसके पास उम्मीदवार है न संगठन। राहुल गांधी इस साल दो बार पटना आ चुके हैं। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जातिगत सर्वे लेते रहे हैं। यहां ये दिलचस्प है कि ये दोनों ही कार्यक्रम कांग्रेस के नहीं थे। एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि इन कार्यक्रमों में शामिल होकर वो पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को लक्ष्य करके अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप देखिए तो मोटे तौर पर ये राजद का कोर वोट है। वहीं राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं, दिल्ली और बिहार में कुछ फर्क है। केजरीवाल और कांग्रेस के संबंध तल्ख हैं, लेकिन बिहार में राजद और कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं है। बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की तुलना भी आम आदमी पार्टी से की जाती है, वजह यह कि दोनों ही वैकल्पिक और साफ-सुथरी राजनीति की बात करते हैं। वहीं एक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, पीके केजरीवाल ही साबित होंगे। ये दोनों ही नई राजनीति की बात करते हैं और करते कुछ और हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। वह किस तरफ जाएंगे इस पर सवाल खड़े हैं। दूसरी ओर भाजपा अपनी पूरी ताकत से बिहार चुनाव लड़ेगी और चाहेगी कि इस बार बिहार का मुख्यमंत्री भाजपा का ही हो। अभी समय है, बिहार विधानसभा चुनाव साल के अंत तक होना है तब तक कई समीकरण बदलेंगे, परिस्थितियां बदलेंगी।

Thursday, 13 February 2025

कांग्रोस ने हारकर भी हिसाब चुकता किया


दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रोस हारकर भी जीत गईं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रोस पाटा को एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली हो, लेकिन उसने आप पाटा की हार सुनिाित करने में बड़ी भूमिका निभाईं। भले ही कांग्रोस पाटा को पराजय का सामना करना पड़ा हो लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में वह अपनी राह के बड़े कांटे को निकालने में सफल रही है। कारण यह है कि आम आदमी पाटा का जन्म कांग्रोस के विरोध से शुरू हुआ और धीरे-धीरे उसने देश के कईं हिस्सों में पाटा के जनाधार पर सेंध लगाने का काम किया। जहां पहले उसने दिल्ली की सत्ता से कांग्रोस को बेदखल किया तो उसके बाद कांग्रोस के एक अन्य गढ़ माने जाने वाले राज्य पंजाब में भी उसे हाशिए पर खड़ा कर दिया।

दो राज्यों में बेदखल करने के अलावा आम आदमी पाटा ने गुजरात, उत्तरांचल, गोवा, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रादेश के चुनाव में भी कांग्रोस को गहरी चोट दी। दिल्ली के विधानसभा परिणाम स्पष्ट दिखाते हैं कि कांग्रोस ने जो वोट लिए उसी की वजह से आम आदमी पाटा कम से कम 15-17 सीटों पर हार गईं। हार जीत में जितना वोटों का अंतर है उससे ज्यादा वोट कांग्रोस उम्मीदवारों को मिले। आज अगर केजरीवाल सत्ता से बाहर हैं तो इसके पीछे उनका अहंकार बड़ी वजह है। कांग्रोस तो हरियाणा में भी गठबंधन करना चाहती थी पर केजरीवाल ने न केवल मना कर दिया बल्कि सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। इनमें से अधिकतम की जमानत जब्त हो गईं। पर यह कांग्रोस को भी सत्ता में जीती बाजी हरवा गए। इसलिए वुछ विश्लेषक उन्हें भाजपा-आरएसएस की बी टीम कहते हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रोस को अकेले अपने दम पर उतरने के पीछे भी बड़ी वजह चुनाव जीतना नहीं बल्कि केजरीवाल के बढ़ते कदमों को रोकना था। पाटा के रणनीतिकार मानते थे कि यदि केजरीवाल की राह नहीं रोकी तो आने वाले दिनों में न केवल कईं अन्य राज्यों में वह कांग्रोस के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रोस का चुनाव कईं अवसर के रूप में सामने आया और पाटा ने अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। उल्लेखनीय है कि आम आदमी पाटा (आप) का जन्म ही कांग्रोस विरोध के नाम पर हुआ था। केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा दिल्ली से आगे बढ़कर अन्य राज्यों में भी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रोस को पहुंचाना रहा। पिछले वुछ दिनों से तो केजरीवाल राहुल गांधी के खिलाफ खुलकर आरोप लगाने लगे थे ताकि कांग्रोस को नुकसान पहुंचे और वह खुद विपक्ष की राजनीति में भी राहुल के सामने खड़े हो सके। केजरीवाल, ममता और अन्य इंडिया गठबंधन ने तो कांग्रोस को विपक्षी गठबंधन से ही बाहर करने की कोशिश की। कांग्रोस को लगने लगा कि अगर उसे सियासत में जिदा रहना है तो अकेला खड़ा होना पड़ेगा और इस रणनीति में सबसे पहला कदम था दिल्ली में आम आदमी पाटा को सियासी मात दिलवाने में मदद करना।

कांग्रोस जानती थी कि वह दिल्ली में जीत नहीं सकती थी पर उसका मकसद आम आदमी पाटा को सत्ता से बेदखल करना था जिसमें वह सफल भी हो गईं।

——अनिल नरेन्द्र 

मिल्कीपुर में भाजपा की जीत



भाजपा की जीत उत्तर प्रादेश उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत के कईं संदेश हैं।

पहली बात तो यह है कि यहां पिछड़ी जातियों के ज्यादातर मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया। इस सीट पर भाजपा के चंद्रभानू पासवान ने 61,719 वोट के अंतर से अपने निकटतम प्रातिद्वंद्वी सपा के अजीत प्रासाद को हराया। चंद्रभानू को 1,46,397 वोट मिले जबकि सपा उम्मीदवार को 84,000 से अधिक वोट हासिल हुए। पारंपरिक तौर पर ऐसा माना जाता है कि मुस्लिम वोटरों का प्राभाव समाजवादी पाटा की तरफ रहता है लेकिन इस उपचुनाव में सपा को लोकसभा चुनाव की तरह मुस्लिम मतदाताओं का साथ नहीं मिला। सपा के लिए प्राचार करने वाले अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडे भी पाटा के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए। माना जाता है कि पवन पांडे का ब्राrाण समुदाय में अच्छा आधार है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पीडीए का पैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में जो जादू चला था वो मिल्कीपुर उपचुनाव में नहीं चल सका। मगर जातीय आंकड़ों की बात करें तो मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में वुल मतदाताओं में से 30 प्रातिशत दलित समुदाय है।

वहीं यादव और मुस्लिम समुदाय लगभग बराबर संख्या में है। इसके अलावा ब्राrाण, ठावुर, बनिया समेत अगड़ी जाति के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। बाकी के वोटरो में धोबी, वुम्हार, लोधी, लोहार समेत अन्य जाति पिछड़े वर्ग से आते हैं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यादवों को अपनी तरफ मोड़ना था। भाजपा ने चुपचाप इस मिशन पर काम किया, पाटा के कार्यंकर्ताओं ने समुदाय के प्राधान, समुदाय के पूर्व प्राधानों से संपर्व किया और उन लोगों से संपर्व किया, जिन्होंने छोटेछोटे चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। यादवों को एकजुट करने में आरएसएस पदाधिकारी ने अहम भूमिका निभाईं और वो इसके लिए पिछले छह महीने से काम कर रहे थे। उधर एक स्थानीय नेता का कहना था कि समाजवादी पाटा ने ब्राrाणों के बीच कोईं ठीक काम नहीं किया। मिल्कीपुर में दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों की पहली पसंद इस चुनाव में भाजपा रही। इस निर्वाचन क्षेत्र में दो प्रामुख दलित समुदाय है, पासी और कोरी। भाजपा ने इन दोनों प्रामुख समूहों के बीच पाटा की पैठ बनाने में अहम भूमिका निभाईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारम्परिक तौर पर सपा को मुस्लिम वोट मिलता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उनका वोट टर्न आउट कम रहा। इनका यह भी कहना है कि उपचुनाव में सत्ताधारी पाटा को हटाना आसान नहीं होता क्योंकि सारी सरकारी मशीनरी उनके साथ होती है। वरिष्ठ पत्रकार हालांकि यह भी कहते हैं कि मिल्कीपुर में मिला जनादेश भाजपा को मिला जनादेश का मुकाबला अयोध्या में भाजपा की हार से पुख्ता नहीं होता। दिल्ली विधानसभा चुनाव और मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजों पर सपा प्रामुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर चुनाव में ईंमानदारी न बरतने का आरोप लगाते हुए कहा पीडीए की पहली शक्ति का सामना भाजपा वोट के बल पर नहीं कर सकती है। इसलिए वो चुनावी तंत्र का दुरुपयोग करके जीतने की कोशिश करती है। ऐसी चुनावी धांधली करने के लिए जिस स्तर पर अधिकारियों को हेरापेरी करनी होती है वो एक विधानसभा में तो भले किसी तरह संभव है, लेकिन 403 विधानसभाओं में से चार सौ बीस नहीं चलेगी। उन्होंने आगे कहा जो लोग ये कह रहे हैं कि मिल्कीपुर जीतकर अयोध्या का बदला ले लिया, अयोध्या का बदला कोईं नहीं ले सकता। इसमें कोईं संदेह नहीं कि उत्तर प्रादेश से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर को अपनी प्रातिष्ठा का प्राश्न बना लिया था।