Thursday 13 July 2023

27 साल बाद ब्लास्ट के दोषियों को उम्रवैद

27 साल पुराने लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रवैद की सजा सुनाईं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को ताउम्र जेल काटनी होगी, यानि उन्हें सजा में छूट नहीं मिलेगी। उन्होंने गंभीर अपराध किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाईं में काफी वक्त लगा। स्पीड ट्रायल समय की मांग है। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली बट और जावेद अहमद खान को उम्रवैद की सजा सुनाते हुए कहा कि मामले बेहद गंभीर है। बम ब्लास्ट में निदरेष लोगों की जान गईं थी और इसमें आरोपियों का रोल था। सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों को भी उम्रवैद की सजा दी है, जिन्हें हाईं कोर्ट ने बरी कर दिया था। जबकि इन दोनों को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी। 1996 में लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में अपील पर सुनवाईं के बाद दिए पैसले में जस्टिस बीआर गवईं की अगुवाईं वाली बैंच ने मोहम्मद नौशाद और जावेद अहमद की उम्रवैद की सजा को बहाल रखा। इन दोनों को भी उम्रवैद की सजा दी थी जिसके खिलाफ इन दोनों ने अपील दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने दो अन्य आरोपियों—मिर्जा निसार हुसैन और मोहम्मद अली बट को भी उम्रवैद की सजा देते हुए कहा कि वह सजा काटने के लिए सरेंडर करें। न्यायमूर्ति बीआर गवईं, न्यायमूर्ति विव््राम नाथ और न्यायमूर्ति संजय कौल की पीठ ने अपने 190 पन्नों के पैसले में चारों दोषियों-मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली बट और जावेद अहमद खान को पैसले में हुईं देरी के आधार पर मृत्युदंड नहीं सुनाया। न्यायालय ने कहा—निदरेषों की जान लेने वाले अपराध की गंभीरता और प्रात्येक आरोपी की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इन सभी आरोपियों को बिना किसी नरमी के जीवनपर्यंत उम्रवैद की सजा सुनाईं जाती है। आरोपी अगर जमानत पर बाहर है तो तत्काल संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करे और उनके जमानती मुचलके रद्द किए जाते हैं। लाजपत नगर सेंट्रल माव्रेट में बम ब्लास्ट से दिल्ली में सनसनी पैल गईं थी। 13 लोगों की मौत हुईं थी, जबकि 38 लोग घायल हुए थे। जेकेआईंएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। अप्रौल 2010 में दिल्ली की निचली अदालत ने छह में से तीन आरोपियों को फांसी का सजा सुनाईं थी। मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली बट और मिर्जा निसार हुसैन को फांसी की सजा देते हुए अदालत ने कहा था कि इनकी संलिप्तता और अपराध की गंभीरता के मद्देनजर फांसी की सजा दी जाती है। जावेद खान को उम्रवैद की सजा सुनाईं थी। साथ ही दो अन्य आरोपियों—फारुक अहमद खान और फरीदा डार को अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए जेल में बिताए गए समय को सजा माना।

No comments:

Post a Comment