Tuesday 4 July 2023

यूसीसी पर केजरीवाल का स्टैंड?

प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार मध्य प्रादेश के भोपाल में आयोजित एक जनसभा के दौरान यूसीसी यानि समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का जिव््रा कर एक तरह से अगले साल होने वाले आम चुनावों के लिए एजेंडा तय कर दिया है। प्राधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि ‘एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर वैसे चलेगा?’ मोदी ने कहा—सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है, कहता है कि कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन यह वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ-सबका विकास की भावना से काम कर रही है। पीएम के भाषण के बाद अलग-अलग पार्टियों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। पिछले हफ्ते पटना में एकजुट हुईं विपक्ष की ज्यादातर पार्टियों ने इसका विरोध किया लेकिन आम आदमी पाटा इस मामले में अलग लाइन लेती दिखी। पाटा ने कहा कि वह सैद्धांतिक रूप से समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है। लेकिन साथ ही कहा कि इसे सभी दलों के समर्थन से लागू होना चाहिए। आम आदमी पाटा के नेता संदीप पाठक ने कहा कि उनकी पाटा सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है। हमारा मानना है कि ऐसे मुद्दे पर आम सहमति के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए। एक ओर आम आदमी पाटा दिल्ली के आर्डिनेंस पर भाजपा पर हमलावर है, वहीं भाजपा के यूसीसी पर उसके साथ नजर आ रही है? हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले कश्मीर में धारा 370 हटाने का भी पाटा ने खुलकर समर्थन किया था। आखिर आम आदमी पाटा अपनी राजनीति को किस ओर ले जा रही है? कईं जानकार मानते हैं कि ऐसे मुद्दों पर भाजपा का समर्थन कर आम आमी पाटा राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की अपनी छवि को निखारना चाहती है। वो चाहती है कि भाजपा से नाराज हिन्दू उसकी ओर आएं। पाटा का सीधा निशाना आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हिन्दू वोटों को लुभाने का है। अगले वुछ महीनों में मध्य प्रादेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इसके अलावा लोकसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो गईं है। जहां-जहां कांग्रोस कमजोर हो रही है, वहां आम आदमी पाटा मजबूत हो रही है। लेकिन क्या यूसीसी पर आप का यह स्टैंड मुसलमानों और सिखों को उनसे दूर करेगा? पंजाब में उनकी सरकार है और अब निकट-भविष्य में 2020 में आम आदमी पाटा उन सभी पांच सीटों पर जीती जहां कि मुस्लिम आबादी 40 प्रातिशत से अधिक है। एमसीडी चुनावों में भी पाटा को ओखला और सीलमपुर जैसे मुस्लिम इलाकों में जमकर वोट मिले थे। अब पाटा को लगता है कि मुसलमानों का इतना प्राभाव नहीं है, इसलिए वो हिन्दुत्व की राजनीति कर भाजपा की बी पाटा बनना चाहती है। वुल मिलाकर उन्हें अब मुसलमान वोटों की परवाह नहीं उनका सारा ध्यान हिन्दू वोटरों में है।

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