Thursday, 28 September 2023
ब्रजभूषण के खिलाफ पर्यांप्त सुबूत
महिला पहलवान यौन उत्पीड़न मामलों में आरोपी भारतीय वुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष व भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाईं हुईं। सुनवाईं के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्यांप्त सुबूत हैं। जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में सुनवाईं के दौरान कहा कि मामले में आरोपी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी ब्रजभूषण सिंह को जब भी मौका मिलता था वह हरकत करता था। ऐसे में उन पर केस चलना चाहिए और इस मामले में केस चलाने के लिए पर्यांप्त साक्ष्य हैं। दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवान उत्पीड़न मामले की जांच में पाया है कि आरोपी ब्रजभूषण को जब भी मौका मिलता था वह उत्पीड़न करता था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ब्रजभूषण को पता था कि वह क्या कर रहा है। उसे जब भी मौका मिलता था वह महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करता था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि पीिड़त लड़की ने कोईं प्रतिव्रिया की है या नहीं, सवाल यह है कि उनके साथ गलत किया गया। जो सुबूत और साक्ष्य पेश किए गए हैं वह ब्रजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्यांप्त हैं। मामले की सुनवाईं के दौरान शिकायतकर्ताओं के साथ दिल्ली में डब्ल्यूएफआईं के दफ्तर में हुईं घटना का जिव्र किया और कहा इन शिकायतों का क्षेत्राधिकार दिल्ली में ही बनता है। एक महिला पहलवान का कहना है कि तजाकिस्तान में हुए एक इवेंट के दौरान ब्रजभूषण ने शिकायतकर्ता को कमरे में बुलाया और उसको जबरदस्ती गले लगाया। जब शिकायतकर्ता ने उसका विरोध किया तो ब्रजभूषण ने कहा कि पिता की तरह किया था, उससे साफ पता चलता है कि ब्रजभूषण को पता था कि वह क्या कर रहा है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने विस्तार से पुलिस की दलीलें सुनीं और आगे की कार्रवाईं के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय कर दी। पुलिस ने अपनी दलीलांे के समर्थन में तीन जजमेंट रेफर की। जनवरी 2023 में जब ब्रजभूषण शरण सिंह पर पहली बार यौन शोषण का आरोप लगाया गया था तो उनका एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में वे कहते हैं, मेरे जीवन में मेरे हाथ से एक हत्या हुईं थी। लोग वुछ भी कहें मैंने एक हत्या की है। रविन्द्रर को जिस आदमी ने मारा है, मैंने उसकी पीठ पर बंदूक तान दी और उस बंदूक से तुरंत गोली मार दी और वो मारा गया। सूरज सिंह सपा नेता हैं। उसके मामा पंडित सिंह अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रह चुके हैं जिस पर रविन्द्रर को गोली मारने वाले की हत्या की बात ब्रजभूषण शरण सिंह वैमरे पर कह रहे थे। वो रविन्द्रर सूरज सिंह के पिता हैं। ब्रजभूषण पर 1997 में दाउद इब्राहिम के 4 साथियों को शरण देने का भी आरोप लगा था। 1997 में ब्रजभूषण शरण सिंह 6 महीने दिल्ली के तिहाड़ जेल भी गए थे। इन पर टाडा के तहत मुकदमा भी चला था।
——अनिल नरेन्द्र
विदेश में टारगेट किलिंग का सवाल
किलिंग का सवाल पिछले दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ हो सकता है। इस गंभीर आरोप के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में दरार आ गईं है। भारत ने ट्रूडो के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। कनाडा के पीएम ने 18 सितम्बर को कनाडा की संसद में कहा था कि कनाडा की जमीन पर कनाडाईं नागरिक की हत्या में किसी भी विरोधी सरकार की किसी भी तरह की भूमिका हमारी संप्रभुता का ऐसा उल्लघंन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। गत दिनों दिल्ली में जी-20 के दौरान मैंने खुद पीएम मोदी को इस बारे में व्यक्तिगत रूप से सीधे शब्दों में जानकारी दी थी।
खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर कोईं धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति नहीं था बल्कि वह एक आतंकवादी था। वह आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने और आतंकी गतिविधियों की पंडिंग में शामिल था। हथियारों और गोला-बारूद में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए निज्जर 2012 में पाकिस्तान भी गया था। उस पर दस लाख रुपए का नकद इनाम भी था। निज्जर भारत में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के डर से 1996 में कनाडा भाग गया था। इसलिए यह तो साबित हो चुका है कि हरदीप सिंह निज्जर एक आतंकवादी था जो भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल था। रही बात विदेश में आतंकियों की हत्या की तो अमेरिका, इंग्लैंड और इजराइल में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जहां उन्होंने देश के दुश्मनों, आतंकियों को विदेश में मारा है। अमेरिका की वुख्यात सीआईंए इस काम में माहिर है। पूरी दुनिया में इस एजेंसी ने दर्जनों कत्ल कराए हैं वह भी दूसरे देशों में। अमेरिका, इजराइल, रूस, इंग्लैंड की ओर से अपने कथित दुश्मनों को विदेशी धरती पर मार गिराने की घटनाओं के बाद सवाल पूछा जा रहा है कि वह जो कर रहे हैं क्या वह जायज है? अंतर्राष्ट्रीय कानून क्या ऐसी हत्याओं की इजाजत देता है? अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से किसी देश में विदेशी एजेंसियों की ओर से की जाने वाली टारगेट किलिंग उसकी संप्रभुता के खिलाफ माना जाएगा। 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान में अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था।
इसके दस साल बाद अमेरिका ने इराक में ईंरानी जनरल कासिम सुलेमानी को एक ड्रोन हमले में मार दिया था। इजराइल का भी मानना है कि इस टारगेट किलिंग के तहत कईं फिलिस्तीनी को मार गिराया है। इजराइल पर ईंरान के वुछ परमाणु वैज्ञानिकों को मारने का आरोप है। 2005 में ऐसी हत्याओं का यह कहकर समर्थन किया जा सकता है कि किसी देश को अपने दुश्मनों या चरमपंथी हमलावरों को मारने का अधिकार है। अमेरिका ने लादेन और सुलेमानी दोनों की हत्याओं के समय ये तर्व दिया था कि ये उसके लिए खतरा थे।
उसने अपनी आत्मरक्षा में उनकी हत्या की और ये अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत मान्य है। अमेरिका ने पाकिस्तान, सोमालिया, यमन, क्यूबा और दूसरी जगहों पर इस तरह की टारगेट किलिंग को अंजाम दिया है।
Thursday, 21 September 2023
चालीस फीसद सांसदों पर आपराधिक मामले
लोकतंत्र में संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है जहां से पूरे देश के कानूनों को बनाना होता है और अगर संसद में ऐसे सांसद बैठे हों जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हों तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारा लोकतंत्र कितना मजबूत होगा? देश के करीब 40 फीसद मौजूदा सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 25 फीसदी सांसदों पर हत्या, हत्या के प्रायास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध तथा गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। चुनाव अधिकार निकाय (एडीआर) ने इसकी जानकारी दी है। एडीआर ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के प्रात्येक सांसद की संपत्ति और औसत 38.33 करोड़ रुपए है जबकि 53 (सात फीसद) अरबपति हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोव््रोटिक रिफाम्र्स (एडीआर), नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईंडब्ल्यू) ने लोकसभा और राज्यसभा की 776 सीटों में से 763 मौजूदा सांसदों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है। यह आंकड़ा सांसदों की ओर से अपने पिछले चुनाव या इसके बाद का कोईं भी उपचुनाव लड़ने से पहले दायर किए गए हलफनामों से निकाला गया है। लोकसभा की चार सीटों और राज्यसभा की एक सीट खाली है जबकि जम्मूकश्मीर की चार राज्यसभा सीटें अपरिभाषित हैं। एक लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसदों के हलफनामों का विश्लेषण नहीं किया जा सका क्योंकि ये दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। विश्लेषण के मुताबिक 763 मौजूदा सांसदों में से 316 (40 फीसद) मौजूदा सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों में जबकि 194 (25 फीसद) मौजूदा सांसदों ने उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। इनमें हत्या, हत्या के प्रायास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले हैं। भाजपा के 385 सांसदों में से 139 (36 प्रातिशत), कांग्रोस के 81 सांसदों में से 43 (53 प्रातिशत), तृणमूल कांग्रोस के 36 सांसदों में से 14 (39 प्रातिशत), राजद के 6 सांसदों में से 5 (83 प्रातिशत), भाकपा के 8 सांसदों में से 6 (75 प्रातिशत), आम आदमी पाटा के 11 सांसदों में से तीन (27 प्रातिशत), वाईंएसआर कांग्रोस पाटा के 31 सांसदों में से 13 (42 प्रातिशत) और राकांपा के 8 सांसदों में से तीन (38 प्रातिशत) मामलों ने हलफनामों में उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। तेलंगाना के सांसद सबसे अमीर हैं। प्राति सांसद उच्चतम औसत संपत्ति वाला राज्य तेलंगाना (24 सांसद) हैं, जिनकी औसत संपत्ति 262.26 करोड़ रुपए है। इसके बाद आंध्र प्रादेश (36 सांसद) हैं जिसकी औसत संपत्ति 150.76 करोड़ है। इसके बाद पंजाब (20 सांसद) आता है जहां औसत संपत्ति 88.94 करोड़ रुपए है।
— अनिल नरेन्द्र
छह गारंटी पर दांव लगाया
दांव लगाया कर्नाटक की चुनावी सफलता से उत्साहित कांग्रोस पाटा ने रविवार को तेलंगाना में एक विशाल जनसभा की। मैंने इस सभा का वीडियो देखा। इस सभा में अभूतपूर्व जनसैलाब उमड़ा। एक अनुमान के अनुसार 10 लाख लोग इस जनसभा में आए जहां तक भी नजर जाती थी भीड़ ही भीड़ नजर आती थी। नारों का यह हाल था कि राहुल गांधी ने बोला शुरू किया तो इतने नारे लगे कि वह दो-तीन बार रूक गए। पाटा की कार्यं समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद हैदराबाद के निकट तुनकगुड़ा में आयोजित कांग्रोस की जनसभा में कांग्रोस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इन छह गारंटी का उल्लेख किया और कहा कि पाटा की सरकार बनने के साथ ही इन्हें पूरा किया जाएगा।
राहुल गांधी ने इन छह गारंटी का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि तेलंगाना में कांग्रोस की सरकार बनने पर वैबिनेट की पहली बैठक में इन पर मुहर लगेगी। तेलंगाना में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव प्रास्तावित हैं।
राहुल गांधी ने तेलंगाना की सत्तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएम) को बीजेपी की रिश्तेदार समिति करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और एआईंएमआईंएम के नेताओं के खिलाफ ईंडी, सीबीआईं और आयकर की कार्रवाईं नहीं होती, क्योंकि प्राधानमंत्री मोदी उन्हें अपना मानते हैं। कांग्रोस के पूर्व अध्यक्ष ने भाजपा, बीआरएस और एएमआईंएम के बीच साझेदारी होने का दावा किया और कहा कि कांग्रोस तेलंगाना में इन तीनों दलों से लड़ रही है। जनसभा के दौरान कांग्रोस कार्यं समिति के सदस्य और पाटा के शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मंच पर मौजूद थे। सोनिया गांधी ने यहां गांधी नालेज एंड ट्रेनिग सेंटर की आधारशिला रखी। सोनिया गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनका सपना है कि तेलंगाना में उनकी पाटा की सरकार बने, जो समाज के सभी वर्गो के लिए काम करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हम हर गारंटी को पूरा करने के लिए प्रातिबद्ध हैं। कांग्रोस की पहली गारंटी है, महालक्ष्मी योजना जिसके तहत महिलाओं को प्रातिमाह ढाईं-ढाईं हजार रुपए देने, 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने और राज्य परिवहन निगम में मुफ्त यात्रा।
दूसरी : रेथू भरोसा - इसके तहत किसानों को 1500े0 रुपए प्राति एकड़ वार्षिक खेतिहार मजदूरों को 12000 वार्षिक, धान के लिए 500 बोनस।
तीसरी : हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली। चौथी : आवासीय लोगों को आवास बनाने के लिए पांच लाख रुपए की सहायता मिलेगी। पांचवीं : युवाओं के उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 5 लाख रु. तक की आर्थिक सहायता। छठी : बुजुर्गो को 4000 रुपए प्रातिमाह पेंशन और 10 लाख रुपए का राजीव आरोग्य श्री बीमा योजना का वादा। हम यह तो नहीं कह सकते कि जितनी भीड़ जनसभा में एकत्र हुईं उसमें से अधिकतम वोट में ट्रांसफर होंगे। पर इतना जरूर है कि यह कांग्रोस का अभूतपूर्व शक्ति प्रादर्शन था।
Tuesday, 19 September 2023
बहादुरी की मिसाल, जय हिंद पापा
जय हिंद पापा कर्नल मनप्रीत सिंह के छह वर्षीय बेटे कबीर ने सेना की वर्दी पहनकर पिता को अंतिम विदाईं दी और जय हिंद पापा कहा। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सवर्ोेच्च बलिदान देने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह का शुव्रवार को पंजाब के मोहाली जिले में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। उनके साथ ही आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद मेजर आशीष को पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ हरियाणा के पानीपत के उनके पैतृक गांव में हजारों लोगों ने नम आंखों के साथ अंतिम विदाईं दी। कर्नल मनप्रीत सिंह बहादुरी की एक मिसाल थे। 2021 में भी अंधाधुंध गोलीबारी के बीच आतंकियों को मार गिराने वाले इस वीर को सेना मेडल से नवाजा गया था। कईं मौकों पर उनके अदम्य साहस ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। मोहाली के भुल्लांपुर के गांव मडैसिया के मनप्रीत सिंह 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने। 2005 को उन्हें कर्नल के पद से पदोन्नत किया गया। वह परिवार की तीसरी पीढ़ी से थे जिन्हें सेना में रहकर देश सेवा को अपना सपना बनाया। कर्नल मनप्रीत वर्ष 2019 से 2021 तक सेना में सेंकड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। बाद में उन्होंने कमाडिंग अफसर के रूप में काम किया। उनका एक बेटा और एक बेटी है।
परिजनों ने बताया कि अगले माह बेटे का जन्मदिन था तब वह छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही उनकी शहादत की खबर आ गईं। शहीद डीएसपी हुमायूं भट की तिरंगे में लिपटी देह को देखकर पूरा गांव रो पड़ा। आतंकवादियों के लिए मन में गुस्सा समेटे लोगों का कहना था कि जाबाजों की वुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी, हुमायूं भट 2019 बैच के अफसर थे। उनके पिता गुलाम हसन भट डीआईंजी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हुमायूं की शादी एक साल पहले ही हुईं थी। 29 दिन पहले ही वह पिता बने थे, ठीक से वह अपने बच्चे का चेहरा भी नहीं देख पाए थे कि देश सेवा करते हुए वह शहीद हो गए। अनंतनाग में शहीद हुए पानीपत के मेजर आशीष बचपन से ही साहसी थे। परिजनों का कहना है कि इसी साहस में वह आतंकवादियों से सीधा भिड़ गए।
उन्होंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की। परिवार के लोगों को जहां उनकी मौत का गम है, वहीं उनकी शहादत पर गर्व भी है। चाचा रमेश ने कहा-वह हमेशा कहा करता था कि दुश्मनों को मिटाना ही असली जिंदगी है। इसी साल उनके अदम्य साहस के लिए सेवा मैडल से नवाजा गया था। अक्टूबर को जन्मदिन पर परिवार के सदस्य गृहप्रवेश की तैयारी में थे। उन्हें तभी छुट्टी पर आना था और सभी को नए घर में प्रवेश करना था, लेकिन सपना अधूरा रह गया। हम तीनों शहीदों को अपनी श्रद्धाजंलि देते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारों को इस भारी क्षति का सामना करने की हिम्मत दे। जय हिंद।
——अनिल नरेन्द्र
14 टीवी एंकरों का बहिष्कार
का बहिष्कार विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 14 टीवी एंकरों के कार्यंव्रमों का विभिन्न मंचों पर बहिष्कार की घोषणा की है। गठबंधन की मीडिया समिति ने इन पत्रकारों के कार्यंव्रमों का बहिष्कार करने और ऐसे टीवी चैनलों या प्लेटफार्मो पर उसकी बहसों में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजने का निर्णय लिया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि नफरत भरा नैरेटिव समाज को कमजोर कर रहा है। इंडिया गठबंधन के इस पैसले पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है न्यूज एंकरों की इस तरह से लिस्ट जारी करना नाजियों के काम करने का तरीका है जिसमें यह तय किया जाता है किसको निशाना बनाना है। अब भी इन पार्टियों के अंदर इमरजेंसी के वक्त की मानसिकता बनी हुईं है। न्यूज चैनल आज तक, इंडिया टुडे और जीएनटी के न्यूज डायरेक्टर सुप्रिया प्रसाद ने एक्स पर इस पैसले का विरोध करते हुए लिखा-मैं इस निरवुंश कदम की कड़ी निंदा करता हूं। इस एकतरफा कदम को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
वहीं एनडीटीवी के पूर्व एंकर रवीश वुमार ने भी एक्स (ट्विटर) पर लिखा है-सात साल से मैं बहिष्कार झेलता रहा हूं। सात घंटे भी नहीं हुए ऐसा लग रहा है कि कल 9 साल में प्रधानमंत्री पहली बार प्रेस कांप्रेंस कर ही देंगे। प्रेस की आजादी की रक्षा के लिए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कार्रवाईं को उचित ठहराते हुए कहा कि वुछ चैनलों ने पिछले 9 वषरे से नफरत का बाजार लगा रखा है। गठबंधन ने इस नफरत से भरी कहानी को वैध नहीं बनाने का पैसला किया जो हमारे समाज को नुकसान पहुंचा रहा है। हमने यह निर्णय भारी मन से लिया है। अगर आगे चलकर यह एंकर सुधर जाते हैं तो हम फिर से इनके कार्यंव्रमों में शामिल हो सकते हैं, हमने इनका बायकाट नहीं किया। बस अहसास कराने का पैसला किया है। अगर कोईं एंकर नफरत पैलाने वाली बात करता है जैसा कि इंडिया गठबंधन का आरोप है। उनके कार्यं में विपक्ष के नेताओं के शामिल न होने से क्या हासिल होगा। इस प्रश्न के उत्तर में वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं, एंकर के बहिष्कार से चैनलों की विश्वसनीयता पर एक तरह का हमला किया गया है। कहा गया है कि तुम पक्षपाती हो और जो वुछ 9 सालों से हो रहा था लोग देख रहे हैं।
एंकर का बहिष्कार करना विरोध जताने का एक तरीका है, वो बताना चाहते हैं कि आप जो कर रहे हैं, सही नहीं कर रहे हो। बहुत से एंकर किसी एक नियमित पूर्वाग्रह को लेकर चल रहे हैं और डिबेट कर रहे हैं। वो उसमें एक पक्ष की खाल उधेड़ रहे हैं और दूसरे पक्ष के साथ खड़े हैं या उन्हें वुछ नहीं बोलते हैं। एंकर का काम डिबेट को संचालित करना होता है, किसी पक्ष की तरफ जाना नहीं होता। उधर कनार्टक हाईं कोर्ट ने समाचार चैनल आज तक के सलाहकार संपादक, एंकर सुधीर चौधरी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में कहा कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसकी जांच होनी चाहिए। अदालत ने पुलिस को त्वरित कार्रवाईं नहीं करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाईं 20 सितम्बर को होगी।
Thursday, 14 September 2023
व्यवस्थित तरीके से विवाह संस्था खत्म की जा रही है
संस्था खत्म की जा रही है इलाहाबाद हाईं कोर्ट ने हाल ही में लिव-इन रिलेशनशिप के एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि शादी का संस्थान जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकार्यंता, प्रागति और स्थायित्व एक व्यक्ति को प्रदान कर सकता है, वह लिव-इन रिलेशनशिप कभी नहीं दे सकता। भारतीय समाज में लिव-इन रिलेशनशिप यानी शादी किए बगैर एक लड़का-लड़की एक साथ रहने पर सवाल उठाते रहे हैं, जहां इसके पक्षधर इसे संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों और निजता से जोड़ते हैं, वहीं ऐसे संबंधों का विरोध करने वाले सामाजिक मूल्यों, भारतीय संस्वृति से जोड़ते हुए इसे बुरा कहते हैं। सहजीवन (लिव-इन रिलेशनशिप) में रह रही साथी से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए, इलाहाबाद हाईं कोर्ट ने एक सहज टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है जो समाज को अस्थिर करता है और हमारे समाज व देश की प्रागति में बाधा डालता है।
फिल्में और टीवी धारावाहिक इसमें योगदान दे रहे हैं। मामले की सुनवाईं करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने कहा कि हर मौसम में साथी बदलने की अवधारणा को स्थिर और स्वस्थ समाज की पहचान नहीं माना जा सकता है। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि विवाह संस्था किसी व्यत्ति को जो सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है, लिव-इन रिलेशनशिप से उसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है। कोर्ट का कहना है कि शादीशुदा संबंधों में पार्टनर के साथ बेवफाईं और प्री लिव-इन-रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज के तौर पर दिखाया जाता है और नौजवान इसके प्राति आर्कषित होते हैं। पीठ की टिप्पणी के बाद सहजीवन को इस देश में विवाह की संस्था के अप्राचलित होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कईं तथाकथित विकसित देशों में होता है। जहां विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गईं है। हम भविष्य में अपने लिए एक बड़ी समस्या खड़ी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। कहा जाता है कि फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में शादीशुदा रिश्ते में साथी से बेवफाईं और स्वतंत्र सहजीवन को एक प्रगतिशील समाज के रूप में दिखाया जा रहा है। युवा यह सब देखकर इन्ही की ओर आर्कषित हो जाते हैंे क्योंकि वह दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं। पीठ का यह भी विचार था कि ऐसे रिश्ते बहुत आकर्षक होते हैं और युवाओं को आर्कषित करते हैं, हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता है, मध्यवगाय सामाजिक नैतिकता मानदंड नजर आने लगते हैं और उसके बाद ऐसे जोड़ों को एहसास होता है कि उनका रिश्ता खत्म हो चुका है। वैसे हाल में ऐसे कईं केस सामने आए हैं जब लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों में पुरुष साथी ने महिला का कत्ल तक कर दिया। कटु सत्य तो यह है कि हमारे समाज को लिव- इन रिलेशनशिप को स्वीकार करने में समय लगेगा।
— अनिल नरेद्र
मोदी का दुनिया में कद बढ़ा है
जी-20-शिखर सम्मेलन में पहली बार बिना किसी विवाद के आम सहमति बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया के नेताओं को न केवल आश्चर्यंचकित कर दिया, बल्कि आयोजन के भव्य एवं सफल मेजबानी तथा विदेशी राष्ट्रीय अध्यक्षों से व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान उनकी बांडिग से पूरी दुनिया पीएम मोदी की कायल हो गईं है। यह मोदी की अपनी साख एवं वूटनीति का ही परिणाम था कि इतने बड़े आयोजन में न तो अमेरिका नाराज हुआ, न यूरोप और न रूस। इतना ही नहीं, चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देश को ंभी साधने में भारत की वूटनीति में कामयाबी हासिल की।
यह पहली बार है कि जब बिना एक भी आपत्ति के जी-20 का घोषणापत्र जारी हुआ। दुनिया के कईं देशों की मीडिया ने जी-20 बैठक में बनी आम सहमति को एक बड़ी कामयाबी बताया है। विदेशी अखबार इसे भारत के नेतृत्व में हुए सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं। आर्थिक गलियारे की बात को भी प्रामुखता दी गईं है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्व टाइम्स ने लिखा है कि नईं दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के संयुत्त घोषणापत्र में यूव््रोन युद्ध को लेकर रूस का आव््रामक रुख और उसके व््राूर आचरण की निदा नहीं की गईं। जबकि बीते साल इंडोनेशिया के बाली शहर में जी-20 के संयुत्त घोषणापत्र में यूव््रोन पर रूस के आव््रामक रुख की निदा की गईं थी और रूस को अपनी सेना को यूव््रोन की धरती से वापस बुलाने मांग की गईं थी। वहीं, अल जजीरा ने लिखा है कि नईं दिल्ली संयुत्त घोषणापत्र पर आम सहमति तक पहुंचने में कामयाब रहा। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने वूटनीतिक रूप से ग्लोबल साउथ की जरूरतों को पहचानने और पूरा करने के लिए इन्हें अनोखे रूप से पेश किया। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के बयान का जिव््रा करते हुए कहा कि विश्व की प्रामुख शक्तियों के बीच शिखर सम्मेलन आयोजित होने पर पीएम ली ने जी-20 की एकजुटता और सहयोग का आह्वान किया। जी- 20 के स्थायी सदस्य के रूप में अप्रीकी संघ का स्वागत योग्य समावेश पहला उत्साहजनक संकेत है। जो प्रमुख शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच आम सहमति को दर्शाता है। पाकिस्तान की प्रमुख समाचार वेबसाइट डॉन ने भी जी-20 सम्मेलन से जुड़ी खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की।
डॉन ने अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ के बीच रेल और शिपिग कॉरिडोर की घोषणा की खबर को प्रामुखता से छापा है। यह समझौता ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, जब अमेरिका को एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में पेश करके वैश्विक बुनियादी ढांचे पर चीन के बैल्ट-एंड-रोड का मुकाबला करना चाहते हैं। एक प्राभावी, एक परिवार, एक भविष्य की पीएम मोदी की अवधारणा को पूरी दुनिया ने सराहा है। निाित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सफल जी-20-सम्मेलन से व्यत्तिगत कद बढ़ा है और दुनिया के टॉप लीडरों में उनका नाम शुमार हो गया है।
Tuesday, 12 September 2023
एडिटर्स गिल्ड टीम को राहत
को राहत यह कितनी दुर्भाग्य की बात है कि देश में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और उनकी पैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों को अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इनका कसूर बस इतना था कि यह मणिपुर गए और वहां जो देखा और लोगों से बात की उसकी एक रिपोर्ट प्रकाशित कर दी। ध्यान रहे, मणिपुर महीनों से जल रहा है और हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही। पत्रकारों के संगठन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलंे सुनने पर मामले को जजों ने अपने पास सुरक्षित रख लिया और एडिटर्स गिल्ड के चार सदस्यों को राहत देते हुए मणिपुर पुलिस को 15 सितम्बर, 2003 तक कोईं कठोर कदम नहीं उठाने का निदर्ेेश दिया। मामले का विवरण देते हुए दीवान ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ने अपने तीन सदस्यों को मणिपुर में भेजने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने कहा, गिल्ड के सदस्य वहां सात अगस्त से 10 अगस्त 2023 के बीच चार दिनों के लिए गए थे तथा उन्होंने एक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट दो सितम्बर 2023 की थी और रिपोर्ट में एक मामूली त्रुटि थी जिसे तीन सितम्बर को ठीक कर दिया गया। मणिपुर में हिंसा के पीछे एक बड़ी भूमिका गलत और झूठी सूचनाओं के निरन्तर प्रवाह की भी रही है। स्थानीय समुदायों के बीच दूरी आ गईं जिसे पेक न्यूज और दुष्प्रचार अभियान और बढ़ाते रहे। इसी संदर्भ में एडिटर्स गिल्ड की पैक्ट फाइंडिंग टीम ने बताया कि कैसे दोनों तरफ से परस्पर विरोधी नेरेटिव चलाए जा रहे है। इस रिपोर्ट पर मणिपुर पुलिस का एफआईंआर दर्ज कर लेना जितना बेतुका और आपत्तिजनक है उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। खुद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनकी सरकार कानून व्यवस्था बहाल करने व हिंसा को रोकने में बिलवुल नाकारा साबित हुईं है। आज भी मणिपुर में हिंसा थमी नहीं।
मुख्यमंत्री रिपोर्ट से अपनी असहमति दर्ज करा सकते थे लेकिन अगर वह पत्रकारों को देशद्रोही और व्यवस्था विरोधी बताने लगे तो यह अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। एडिटर्स गिल्ड अपना काम कर रही थी, सत्य को दिखा रही थी और सत्य दिखाना, कब से देशद्रोह हो गया? सत्ता के नेताओं का कड़वे सच को न सिर्प सुनना होगा बल्कि उसे स्वीकार करना और उससे निपटना भी होगा। एन बीरेन सिंह को चाहिए कि वह एडिटर्स गिल्ड के पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एक एफआईंआर को वापस लेने की प्रव्रिया के साथ इस दिशा में सही शुरुआत कर सकते हैं।
——अनिल नरेन्द्र
यात्रा से कांग्रेस को मिली सियासी जमीन
मिली सियासी जमीन भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी की गुरुवार को देशभर में दिखी पहल से साफ है कि पार्टी लंबे अर्से के बाद पटरी पर लौटी अपनी सियासत में इस यात्रा की भूमिका को धूमिल नहीं पड़ने देना चाहती। राहुल गांधी ने पार्टी के कईं नेताओं के साथ करीब 4000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत की यानि यह यात्रा पिछले साल सितम्बर 2022 में कन्यावुमारी से आरंभ हुईं, जो इस वर्ष 30 जनवरी 2023 को श्रीनगर में समाप्त हुईं थी। यह यात्रा 145 दिन चली थी। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, भारत जोड़ो यात्रा की एकता और मोहब्बत की ओर करोड़ों कदम देश के बेहतर कल की बुनियाद बने हैं। यात्रा जारी है नफरत मिटने तक, भारत जोड़ने तक, ये वादा है मेरा। राहुल गांधी की एक साल पहले जब यात्रा शुरू हुईं थी तब कांग्रेस की महज दो राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारें थी, मगर इसके बाद दो और राज्य हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस को भारी जीत मिली और कांग्रेस की चार राज्यों में सरकारें हो गईं। म िल्लकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के तमाम नेता मानते हैं कि यात्रा से पूरे देश में जनता ने एक बार फिर कांग्रेस की सकारात्मक राजनीतिक परिवर्तन के वाहक के रूप में देखना शुरू कर दिया है। भारत जोड़ो यात्रा का एक बड़ा असर यह हुआ कि 28 पार्टियों का विपक्षी गठबंधन इंडिया बना।
यह राहुल की पद यात्रा की ही देन है। विपक्षी गठबंधन का एक फायदा हाल के 7 सीटों पर हुए उपचुनावों में देखने को मिला। जब साझा विपक्ष ने 7 में से चार सीटों पर जीत दर्ज की। पिछले साल सितम्बर में जब राहुल ने कन्यावुमारी से यात्रा शुरू की थी तो नए अध्यक्ष की तलाश कर रही कांग्रेस नेतृत्व के गहरे संकट के दौर में थी। कईं बड़े नेता बगावत की राह पर थे। गुलाम नबी आजाद ने तो यात्रा से वुछ दिन पहले ही पार्टी छोड़ दी थी। धर्मनिरपेक्ष सियासत और नरम हिंदुत्व की दुविधा में पंसी कांग्रेस को यात्रा ने बाहर आने का मौका दिया, जब राहुल गांधी ने भाजपा पर नफरत पैलाने का आरोप लगाते हुए उस पर हमला शुरू किया, साथ ही नफरत के बजाय ये मोहब्बत की दुकान खोलने का विमर्श देकर अपनी विचारधारा पर अिड़ग रहने की राह तय कर दी।
कांग्रेस ने कहा, हिंदुस्तान की फिजा में नफरत और डर को लेकर देश को जरूरी मुद्दों से भटकाया जा रहा है, ऐसे में राहुल गांधी आगे आए और जिम्मेदारी उठाईं। यह जिम्मेदारी देश से नफरत और डर को मिटाने की है। हिंदुस्तान नफरत का नहीं, मोहब्बत का देश है। हां.. और इसी जिम्मेदारी को आज पूरी दुनिया भारत जोड़ो यात्रा के नाम से जानती है।
Tuesday, 5 September 2023
मोदी ने फिर चला मास्टरस्ट्रोक?
इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् वेंद्र सरकार ने मानसून सत्र के तीन हफ्ते बाद ही गुरुवार को अचानक पांच दिन का विशेष संसद सत्र बुलाने का ऐलान कर सबको चौंका दिया।
संसदीय कार्यंमंत्री प्राह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में बताया, 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इसमे पांच बैठवें होंगी।
इस सत्र को सरकार की ओर से किसी मास्टरस्ट्रोक की तैयारी माना जा रहा है। हालांकि, जोशी ने सत्र का कोईं एजेंडा नहीं बताया। जानकारी के साथ पुराने संसद भवन की फोटो शेयर की है। माना तो यह भी जा रहा है कि सत्र पुराने संसद भवन से शुरू और नए संसद भवन में ़अंत हो सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन के वुछ दिनों बाद होने वाले सत्र के एजेंडे पर कोईं भी आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक, विशेष सत्र में संसदीय संचालन को नए संसद भवन में भी स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मईं को इसका उद्घाटन किया था।
फिलहाल नए संसद भवन को सत्रों की मेजबानी के लिए तैयार करने के लिए अंतिम रूप दिया जा रहा है। चूंकि सत्र का कोईं एजेंडा स्पष्ट नहीं है, इसलिए अटकलें तेज हो गईं हैं कि लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार वुछ विशेष विधेयकों को पारित करने पर विचार कर रही है। इससे पहले संसद का विशेष सत्र 30 जून 2017 की मध्य रात्रि को जीएसटी लागू करने के लिए बुलाया गया था। किसी दूरगामी राजनीतिक महत्व के एजेंडे को लेकर ही संसद के विशेष सत्र होते रहे हैं। ऐसे भी इस बार निम्नलिखित बड़ी संभावनाओं पर चर्चा जोरों पर है। पहला: महिलाओं के लिए संसद में एक तिहाईं अतिरिक्त सीट देना, दूसरा: नए संसद भवन में शिफ्ट करना, तीसरा: यूनिफार्म सिविल कोड बिल पेश हो सकता है। चौथा: लोकसभाविधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल आ सकता है। पांच: आरक्षण पर प्रावधान संभव। ओबीसी की वेंद्रीय सूची के 34वें वगाकरण, आरक्षण के ससम्मान वितरण के अध्ययन के लिए 2017 में बने रोहिणी आयोग ने 1 अगस्त को राष्ट्रपति को रिपोर्ट दी है। ज्यादातर भाजपा नेताओं ने संकेत दिए हैं कि विशेष सत्र के पवित्र दिनों में ही एजेंडे की पहेली का भेद छिपा है। सत्र के पांच दिनों में से चार दिन मां गौरी को समर्पित हैं। दावा तो यह भी है कि सत्र अमृत काल के खास क्षण चंद्रयान-3 और जी-20 शिखर सम्मेलन के जश्न तक ही सीमित होगा। बाकी तो 18 सितंबर के बाद ही पता चलेगा।
— अनिल नरेद्र
फिर गिरा अडाणी पर बम!
इस साल जनवरी में जब अमेरिकी शॉर्ट-सैलर वंपनी हिडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरापेरी का आरोप लगाया तो इसके मालिक गौतम अडाणी दुनिया के तीसरे नंबर के सबसे अमीर व्यक्ति थे। इस रिपोर्ट के आते ही उनकी संपत्ति 120 अरब डॉलर से घटकर 39.9 अरब डॉलर रह गईं यानि रातों-रात उनकी संपत्ति घटकर एक तिहाईं हो गईं थी।
हिडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर अपनी वंपनियों के शेयर की कीमतों में हेरपेर करने और टैक्स हेवन के देशों के जरिए फजावाड़ा को अंजाम देने का आरोप लगाया था। हालाँकि तब से लेकर अब तक अडाणी ग्राुप की वुछ वंपनियों के शेयरों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन 31 अगस्त को ब्रिटिश अखबार द गरजियन और फाइनेंशियल टाइम्स ने ओसीसीआरपी के दस्तावेजों के आधार पर छपी रिपोर्ट ने इस ग्राुप को एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है। रिपोर्ट आने के बाद, अडाणी ग्रुप की वंपनियों ने शेयर बाजार में अब तक करीब 35,200 करोड़ रुपए गंवा दिए। द गरजियन और फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड व््राइम एंड करप्शन रिपरेटिग प्रोजेक्ट यानि ओसीसीआरपी जिन दस्तावेजों के आधार पर एक रिपोर्ट छपी है, इसमें कहा गया है कि टैक्स हेवन्स देश मॉरीशस के पंड इमेजिंग इंडिया फोकस पंड और ईंएम रिसर्जेट पंड ने 2013 और 2018 के बीच अडाणी ग्राुप की चार वंपनियों में पैसा लगाया और इनके शेयरों में खरीद- फरोख्त भी की। इन दोनों पंडों के जरिए यूएईं के निवेशक नासिर अली और ताइवान के निवेशक यांग योंग लिग ने इन वंपनियों में निवेश किया।
यह पैसा बरमूडा के इन्वेस्टमेंट पंड ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स के जरिए लगाया गया था। 2017 में नासिर अली और यांग योंग लिग की निवेश वैल्यू करीब 43 करोड़ डॉलर थी। वर्तमान में इसका मूल्य (वर्तमान विनिमय दर) 3550 करोड़ रुपए है। जनवरी 2017 तक, इन दोनों निवेशकों के पास अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पावर और अडाणी ट्रांसमिशन में व््रामश: 3.44 और 3.6 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। ओसीसीआरपी दस्तावेजों के मुताबिक, अडाणी के भाईं और अडाणी मोटर ग्रुप के सदस्य विनोद अडाणी की यूएईं स्थित गुप्त वंपनियों एक्सेल इन्वेस्टमिट और एडवाइजरी स्रविसेज वं. ईंआईंएफएफ, ईंएमआरएफ और जीओएफ की ओर से जून 2012 से अगस्त 2014 के बीच 14 लाख डॉलर दिए गए। इसका मतलब यह है कि इन पंडों की मुखौटा वंपनियों के जरिए विनोद अडाणी ने अडाणी ग्रुप ऑफ वंपनीज में भारी मात्रा में पैसा लगाया था। इसमें किसी रियल बिजनेस के आधार पर नहीं, बल्कि इस पंड के आधार पर वंपनियों की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी लगने लगी थी। वंपनी का कारोबार उतना अच्छा नहीं था जितना शेयर बा़जार में इसके शेयरों के प्रादर्शन से लग रहा था। बता दें कि ओसीसीआरपी एक खोजी पत्रकारों का एक संगठन है। इसका उद्देश्य पत्रकारों का एक ग्लोबल नेटवर्व बनाना है जो भ्रष्टाचार और अपराध के ग्लोबल नेटवर्व को अच्छी तरह समझ कर उसका पर्दाफाश करे। इन्होंने अब तक भ्रष्टाचार के 398 मामलों का पर्दाफाश किया है। अडाणी ग्रुप इसका ताजा उदाहरण है।
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