Saturday, 30 December 2023

क्या फिर फंसने जा रहे हैं राहुल गांधी?

रहे हैं राहुल गांधी? दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए की गईं कथित जेबकतरे वाली टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जारी किए गए नोटिस पर आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें। कांग्रेस नेता ने पिछले महीने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए जेबकतरे और अन्य टिप्पणियां की थी। अदालत ने उस जनहित याचिका पर सुनवाईं कर रही थी जिसमें राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाईं के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं द्वारा इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का अनुरोध किया गया है। कार्यंवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हालांकि कथित बयान उचित नहीं है और निर्वाचन आयोग मामले की जांच कर रहा है और यहां तक कि गांधी को नोटिस भी जारी किया गया है। न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने आदेश दिया कि यह मानते हुए कि जवाब दाखिल करने की समय सीमा समाप्त हो गईं है और कोईं जवाब नहीं मिला है, अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर यथासंभव शीघ्रता से आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें। अदालत ने कहा कि 23 नवम्बर को भेजे गए नोटिस में निर्वाचन आयोग ने खुद कहा था कि वह इस मामले में उचित कार्रवाईं करेगा। याचिकाकर्ता भरत नागर ने हाईं कोर्ट को बताया कि राहुल गांधी ने 22 नवम्बर को एक भाषण दिया था जिसमें प्रधानमंत्री सहित उच्चतम सरकारी पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे और उन्हें जेबकरते के रूप में संदर्भित किया गया था। उधर दिल्ली हाईंकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुरुवार को आदेश दिया कि वह 2021 में बलात्कार का शिकार 50 नाबालिग दलित पीिड़ता की पहचान का खुलासा करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को हटाएं ताकि बच्ची की पहचान दुनियाभर में उजागर न हो। गांधी ने एक्स पर उस बच्ची के माता-पिता के साथ एक तस्वीर साझा की थी जिसकी एक अगस्त 2021 को संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गईं थी। बच्ची के मातापिता ने आरोप लगाया था कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नगल गांव के एक शमशान घाट के पुरोहित ने बच्ची से बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी और फिर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। गांधी ने एक्स की इस पोस्ट को अवरुद्ध कर दिया है। दिल्ली हाईं कोर्ट में जो केस जेबकतरे बयान को लेकर चल रहा है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अगर अदालत ने इसे दंडात्मक माना तो राहुल गांधी को वुछ भी सजा हो सकती है। चुनाव आयोग भी हरकत में आ सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अगर राहुल पर कोईं सख्त कार्रवाईं होती है तो उससे उन्हें, कांग्रेस पार्टी और इंडिया एलायंस को नुकसान हो सकता है। राहुल और उनके वकीलों को इस केस को गंभीरता से लेना चाहिए और हाईंकोर्ट में केस प्रभावी ढंग से लड़ना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि आगामी तीन-चार महीने अत्यंत महत्वपूर्ण है और राहुल गांधी को चुनावी मैदान से हटाने के लिए बहुत लोग तत्पर हैं। ——अनिल नरेन्द्र

समुद्री जहाजों पर कौन हमला कर रहा है?

हमला कर रहा है? अरब सागर में संदिग्ध ड्रोन हमले का शिकार जहाज एमवी केम प्लूटो जब 25 दिसम्बर को मुंबईं पहुंचा तो भारतीय नौसेना की विस्फोटक डिस्पोजल टीम ने इसकी शुरुआती जांच की। जहाज पर लाइबेरिया का झंडा लगा था और इसके चालक दल में 21 भारतीय और एक वियतनामी शामिल था। जहाज के जिस हिस्से पर हमला हुआ था उसे और वहां पड़े मलबे को देखने के बाद ऐसा लग रह है कि शायद इस पर ड्रोन से हमला किया गया है। हालांकि इसकी जांच की जा रही है। सऊदी अरब से मंगलुरू आ रहे इस जहाज पर शनिवार को अरब सागर में हमला किया गया था। इस बीच भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों पर हमलों की घटनाओं के बाद अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में आईंएनएस मोर्मुगाओ, आईंएनएस कोच्चि और आईंएनएच कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक तैनात कर दिए हैं। इससे पहले अप्रीकी देश गैबॉन का झंडा लगाकर जा रहे जहाज पर हमला हुआ था, इस पर तेल लदा हुआ था। एम साईं बाबा नाम का ये जहाज भारत की ओर आ रहा था और इसमें चालक दल के 25 सदस्य सवार थे। ये सभी भारतीय थे। रविवार को इस जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया था। अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमान का कहना था कि रविवार को गैबान का झंडा लगाकर जा रहे जहाज पर हमला हुती विद्रोहियों ने किया था। वहीं शनिवार को एमवी केम प्लूटो पर हमला ईंरान की तरफ से आए ड्रोन से हुआ था। हालांकि ईंरान ने कहा था कि भारत आ रहे जहाज पर उसके इलाके की ओर से हमला नहीं किया गया। भारत आ रहे जहाजों पर हमले ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब पहले से ही लाल सागर में यमन के हुती विद्रोहियों को यूएवी और मिसाइल हमले जारी है। यह हमले इजरायल और हमास युद्ध के बाद इजरायल की ओर से जाने वाले समुद्री जहाजों पर हो रहे हैं। ये हमले सात अक्टूबर को हमास की ओर से इजरायल पर हमले और फिर उसकी जवाबी कार्रवाईं के बाद शुरू हुए थे, कहा जहा रहा है कि हमास का समर्थन कर रहे ईंरान की ओर से हुती व्रिदोहियों को ड्रोन, बैलिस्टिक और व्रूज मिसाइल चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है और अब पिछले दो-तीन दिनों के अंदर भारत आ रहे दो जहाजों पर हमलों से हालात काफी गंभीर हो गए हैं। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में प्रतिव्रिया देते हुए कहा, भारत की बढ़ती आर्थिक और सामारिक ताकत ने वुछ ताकतों को ईंष्र्यां से भर दिया है। हमलों को भारत सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। जिन्होंने भी इस हमले को अंजाम दिया है, उन्हें सागर तल से ढूंढ़ निकालकर सजा दी जाएगी। एक सेना अधिकारी का कहना है कि हमास और इजरायल का संघर्ष अब अरब सागर की ओर आता दिख रहा है। इस तरह के युद्ध के मोर्चे खुलने से भारत पर बड़ा असर पड़ सकता है। बल्कि यह कहें कि भारत पर असर पड़ने लगा है। यही वजह है कि भारत ने मिसाइल विध्वंसक जहाज तैनात कर दिए हैं। भारत का ज्यादातर आयातनि र्यांत कोच्चि, मंगलुरू, गोवा और मुंबईं से होकर आता-जाता है। इसलिए भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। भारत का 80 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है, इसके साथ 90 फीसदी ईंधन समद्री मार्ग से आता है। ऐसे में समुद्री रास्ते में कोईं भी हमला सीधे भारत के कारोबार और इसकी सप्लाईं चेन के लिए खतरा बना जाएगा।

Thursday, 28 December 2023

जम्मू-कश्मीर में कम नहीं हो रही आतंकी हिंसा!

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर लगातार हमले हो रहे हैं और तमाम दावों के बावजूद हिंसा की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही है. ताजा मामला ये है कि कश्मीर के बारामूला में आतंकियों ने रिटायर वरिष्ठ पुलिस एसपी शफी मीर की गोली मारकर हत्या कर दी. जब वह मस्जिद में नमाज पढ़ने जा रहा था तो उसे पीट-पीट कर मार डाला गया. पुलिस के मुताबिक, वह मस्जिद की सीढ़ियों पर खड़े होकर फज्र की नमाज पढ़ रहा था. उसी वक्त आतंकियों ने उसे गोलियों से भून डाला. कुछ दिन पहले इससे पहले सेना सीमावर्ती जिले में दाखिल हुई थी. आतंकियों ने दो गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे और 2 घायल हो गए थे. एक दिन बाद विशेषज्ञों ने कहा कि इलाके में आतंकियों की बढ़ती सक्रियता के कारण सुरक्षा व्यवस्था और गुप्त सुरक्षा व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है. जम्मू में एलओसी। मशीनरी को मजबूत करने की जरूरत है। 2023 में इस क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में 24 सुरक्षाकर्मियों और 28 आतंकवादियों सहित 69 लोग मारे गए थे, लेकिन ये ताजा घटनाएं बताती हैं कि सख्ती के तमाम दावों के बावजूद। की विफलता आतंकियों का पूरी तरह से हतोत्साहित होना ऐसे हमलों में एक नए चलन को भी दर्शाता है, जहां आतंकी अब विशेष रूप से सेना और अर्धसैनिक बलों को निशाना बना रहे हैं। जी हां, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक नए तरीके से जटिल स्थिति बन गया है। सुरक्षा बलों द्वारा जानकारी प्राप्त की जा सकती है। स्थानीय लोग भी सुरक्षित हैं। पथराव बंद हो गया है और यह भी सच है कि पड़ोसी देश ने अपनी नीति बदल दी है और उसे निशाना बनाकर मारा जा रहा है। इस वजह से कई आतंकवादी मारे गए हैं और आतंकी स्थिति को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई है। तदनुसार, सेना और नए सैन्य बल को भी इस क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ एक नई रणनीति पर विचार करने की आवश्यकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात गुप्त तंत्र को मजबूत करना है और हमारे सुरक्षा बल अधिक हैं वे तभी सफल होते हैं जब उनके पास मजबूत ज्ञान होता है और वे उसे नष्ट करने में भी सफल होते हैं۔ अनिल नरेंद्र.

टैंकरमिनल बिल का आम लोगों पर क्या होगा असर!

राज्यसभा ने 21 दिसंबर को तीन आपराधिक विधेयक पारित किए। ये विधेयक हमारे मौजूदा अपराध कानूनों को बदल देंगे। आईपीसी, भारतीय नागरिक सुरक्षा न्यायालय और भारतीय गरीब विधेयक को अब उनकी सहमति के लिए राष्ट्रीय पति के पास भेजा गया है। ये तीन विधेयक ही कानून बनेंगे उन पर हस्ताक्षर होने के बाद। कई कानूनी विशेषज्ञों ने इन कानूनों की आवश्यकता पर सवाल उठाया है क्योंकि वे काफी हद तक पिछले कानूनों की नकल करते हैं। कई लोगों ने लोकतंत्र पर उनके प्रभाव पर भी सवाल उठाया है। उठाया गया है क्योंकि हाल ही में विपक्षी संसद के 146 सदस्यों को गृह से एक बयान की मांग करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। संसद की सुरक्षा के उल्लंघन पर मंत्री अमित शाह. घोलमी के सभी निशानों को हटाकर एक पूर्ण भारतीय कानून बनाया जाएगा। इसके बाद शाह ने कानून में नस्लवादी गतिविधियों, मॉब लिंचिंग और भारत की सर्वोच्चता के लिए खतरों जैसे अपराधों को जोड़कर कोड में किए गए बदलावों की एक सूची पेश की है। और उन्होंने अभद्रता जैसे कई गंभीर अपराधों के लिए सजा बढ़ाने की भी बात कही। परिचितों के मुताबिक नए नियमों में 80 फीसदी से ज्यादा की सुविधा बराबर है। इसके बाद भी कुछ अहम बदलाव हुए हैं। धमकी देने वाले कृत्य भारत की एकता और अखंडता को एक नई श्रेणी में रखा गया है। जबकि तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस नए प्रावधान को व्यापक बनाया गया है। अधिकार प्राप्त कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह विधेयक पुलिस और अपराध और न्याय प्रणाली सभी स्तरों पर राजनीतिक नेतृत्व को - केंद्रीय, राज्य और स्थानीय - राजनीतिक लाभ के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने के अधिक अवसर देती है। यह भी माना जाता है कि एक गिरफ्तार व्यक्ति से बायोमेट्रिक्स के संग्रह की आवश्यकता के द्वारा एक निगरानी राज्य बनाया जाएगा , जबकि विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि संदिग्धों की पहचान करने में क्या मदद मिलेगी। जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल है, लेकिन यह कितना प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे लागू किया जाता है। वरिष्ठ वकील अभिषेक मूनसिंघवी ने भी कहा कि यह कानून लुजाहाद को धोखाधड़ी से जब्त करने के लिए दंडित करेगा। संपत्ति। इसलिए उन्होंने सोचा कि इसका इस्तेमाल लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा। हमारी न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव यह है कि यह देश में पूरे आपराधिक कानून पैनल को उलट देगा। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday, 26 December 2023

विपक्ष के लिए करो या मरो!

आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए करो या मरो की स्थिति है। जिस तरह से संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सदस्यों को बाहर कर दिया गया, उससे अब सत्तारूढ़ बीजेपी के इरादे साफ हो गए हैं। अब उसका लक्ष्य 2024 लोकसभा है। .चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है.संसद में हंगामे के बीच विपक्ष की आखिरी बैठक में पहली बार प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर किसी नेता का नाम आगे किया गया है. एलायंस ऑफ इंडिया। विपक्षी गठबंधन स्थापित हो गया है। इंडियन नेशनल डोलमेंट एक्स कलेक्टिव (इंडिया) में फूट के कारण ज्यादा दिक्कत की उम्मीद नहीं है। पीके को मध्य प्रदेश में 29, गुजरात में 26, गुजरात में 28 सीटों पर सीधे विरोध का सामना करना पड़ेगा। कर्नाटक में 11, छत्तीसगढ़ में 11, असम में 11, हरियाणा में 11, उत्तराखंड में 10, हिमांचल में 5, अरुणाचल में 4 और गोवा में 2 सीटें हैं। प. में सीधा मुकाबला है। यहां बीजेपी ने तीसरे चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। विपक्ष की अगली बैठक मुंबई में होनी है और यह बैठक गणतंत्र दिवस के बाद होने की संभावना है. बैठक में सीट बंटवारे पर नहीं बल्कि गठबंधन दलों पर चर्चा होने की उम्मीद है. भारत बीजेपी के खिलाफ एकजुटता को लेकर गंभीर है. एक वरिष्ठ पार्टी के मुताबिक नेता जी, बिहार, चारखंड, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कांग्रेस एकजुट है. इन 5 राज्यों में जेडीयू के पास 161 सीटें हैं. महाराष्ट्र में चुनाव के बाद गठबंधन में शिवसेना भी शामिल हो गई, इसके बावजूद सीटों को लेकर कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए वितरण। त्रिमुल कांग्रेस असम और गोवा में मौजूद रहेगी, लेकिन इन दोनों राज्यों में गठबंधन पश्चिम बंगाल की तरह ही गुजरात में भी सूट करेगा। दिल्ली पंजाब में आदमी पार्टी की हिस्सेदारी तय होगी। वरिष्ठ नेता के मुताबिक, सीटवार विचार किया जाएगा। पहले उन राज्यों में किया जाएगा जहां गठबंधन दल पहले से ही गठबंधन में हैं। 31 राज्यों, यूपी, बंगाल, पंजाब दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की 400 सीटों पर विचार करने के बाद बहस होगी। इन चार राज्यों में 147 लोकसभा सीटें हैं। पटना और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सकारात्मक रुख से बेंगलुरु में एकता की उम्मीद बढ़ गई है. वहीं, बीजेपी के मुकाबले की बात करें तो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इन दोनों के बीच सीधी टक्कर थी. कांग्रेस को इस बात को स्वीकार करना होगा. अगर कांग्रेस की वजह से सीटों के बंटवारे में दखल नहीं होगा तो सीटों पर तालमेल हो सकता है. सीटें जीतने का लक्ष्य रखने वाली सभी पार्टियों को याद रखना चाहिए कि 2024 में अगर बीजेपी भारी बहुमत से जीतती है तो वे इन सभी राजनेताओं को सड़क पर ला देंगे या उन्हें जेल भेजो, तो यह इन दलों के लिए है। करो या मरो की सूरत हकीकत बन गई है। उम्मीद है कि विपक्षी दलों को यह बात समझ में आ गई होगी। (अनिल नरेंद्र)

Saturday, 23 December 2023

पाक में चुनाव की उल्टी गिनती शुरू

लंबे इंतजार के बाद आखिर पाकिस्तान में 8 फरवरी को होने वाले आम चुनावों का कार्यंव््राम जारी कर दिया गया। कार्यंव््राम जारी होने के बाद राजनीतिक दलों ने राहत की सांस ली है। पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईंसीपी) ने शुव््रावार देर रात चुनाव कार्यंव््राम जारी किया। इससे वुछ ही घंटों पहले उच्चतम न्यायालय ने आम चुनावों के लिए नौकरशाहों को निर्वाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के निर्वाचन आयोग के पैसले को स्थगित करने वाले लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के निर्णय को खारिज कर दिया था। ईंसीपी की अपनी सूचना के अनुसार, उम्मीदवार 20 दिसम्बर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों के नाम 23 दिसम्बर को प्राकाशित किए जाएंगे और उनके दस्तावेजों की जांच 24 दिसम्बर से 30 दिसम्बर तक की जाएगी। नामांकन पत्रों को खारिज या स्वीकार करने के निर्वाचन अधिकारी के पैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अंतिम तिथि 3 जनवरी होगी। उम्मीदवारों की संशोधित सूची 11 जनवरी को प्राकाशित की जाएगी और उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 12 जनवरी है। मतदान 8 फरवरी को होगा। बता दें कि पाकिस्तान में नए परिसीमन के बाद नेशनल असेंबली में वुल 336 सीटें होंगी, इससे पहले इनकी संख्या 342 थी। पूरे पाकिस्तान में प्रांतीय असेंबली और संसद का चुनाव कराने की प्राव््िराया को पूरा करने में 54 दिन का वक्त लगेगा। हालांकि पहले की तरह पाकिस्स्तान में चुनावी माहौल ठंडा पड़ा हुआ है। तोशाखाना मामले में पूर्व प्राधानमंत्री इमरान खान को अगले 5 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया है। पिछले वुछ महीनों से चुनाव आयोग ने पीटीआईं (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) को निशाने पर ले रखा था और अंतर पाटा चुनाव को विवादित घोषित कर रद्द कर दिया। आयोग ने आतंरिक चुनाव कराने के लिए पाटा को 20 दिन का समय दिया और वो भी इस हिदायत के साथ कि अगर वो ऐसा करने में असफल रहती है तो इनका चुनाव चिह्न् व््िराकेट बैट खो देगी। माना जा रहा है कि इमरान की पाटा टूट चुकी हैं और शायद ही चुनाव में खड़ी हो पाए। पाकिस्तान की दो पार्टियां कानूनी मोच्रे पर अपने वजूद का संघर्ष कर रही हैं। इमरान खान के अलावा नवाज शरीफ को कईं मामलों में 2018-19 में दोषी ठहराया जा चुका है और वे अपनी क्लीन चिट की कोशिश में जुटे हुए हैं। सिर्प हालात बदले हैं। पिछली बार नवाज शरीफ सेना के खिलाफ खड़े थे, इस बार निशाने पर इमरान खान हैं। सेना को पाकिस्तानी राजनीति का असली किग मेकर माना जाता है।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इमरान खान का भविष्य धुंधला है जबकि नवाज शरीफ अगले प्राधानमंत्री हो सकते हैं। अक्तूबर में जब से नवाज शरीफ पाकिस्तान लौटे हैं। कोईं बड़ी रैली नहीं की है, चुनाव से पहले वो अपने सारे केस रफा-दफा कराने में लगे हैं। चुनाव आयोग लगातार कह रहा है कि चुनाव तय समय पर होंगे लेकिन लगता है कि लोगों ने भरोसा खो दिया है हमने पहले की संसद भंग होने के 90 दिनों के अन्दर चुनाव कराए जाने की सीमा को तोड़ दिया है, इसलिए लोगों को भरोसा नहीं है। एक विश्लेषक का कहना है कि राज्य और इसके विषय के बीच भरोसे का बांध टूट चुका है, लोगों का मोह भंग है। हो सकता है कि चुनाव करीब आते-आते सियासी माहौल गर्म हो जाए पर फिलहाल तो यह ठंडा है। —— अनिल नरेन्द्र

विपक्ष मुक्त संसद

सोमवार को विपक्ष के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। मंगलवार को एक बार फिर लोकसभा से 49 सांसदों को सस्पैंड कर दिया गया। पिछले हफ्ते निलंबित किए गए 14 सांसदों को मिला लें, तो संसद के शीतकालीन सत्र में निलंबित सांसदों की वुल संख्या 141 हो गईं। इन सभी सांसदों को मौजूदा सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित किया गया। सरकार का कहना है कि इन सांसदों ने अपनी मांग के समर्थन में संसद में हंगामा किया और कामकाज में अड़ंगा डाला। सदन का कामकाज न होने की वजह से इन सांसदों को निलंबित किया गया। हालांकि विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार मनमानी पर उतर आईं है। वो बेहद अहम बिलों को बगैर बहस के मनमाने ढंग से पारित कराना चाहती है। इसलिए वे संसद में विपक्षी सांसदों को नहीं देखना चाहती। मोदी सरकार विपक्ष मुक्त देश की बात इसलिए करती है ताकि अपनी मनमानी कर सके। कांग्रोस ने इसे संसद और लोकतंत्र पर हमला बताया। विपक्ष का कहना है कि सरकार विपक्ष मुक्त संसद चाहती है ताकि अहम बिलों को मनमानी ढंग से पारित करा सके। सरकार संसद की सुरक्षा को नजरअंदाज कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रही है। दूसरी ओर भारतीय जनता पाटा (भाजपा) का कहना है कि ये सरकार को अहम बिलों को पारित करने से रोकने के लिए विपक्ष की सोची-समझी साजिश है। उसने कांग्रोस और उसके सहयोगी दलों पर लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के अध्यक्ष का अपमान करने का भी आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रोस प्रामुख और प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनजा ने कहा कि मोदी सरकार बेहद अधिनायकवादी रवैया दिखा रही है। उसे सदन चलाने का कोईं नैतिक अधिकार अब नहीं रह गया है। सरकार डरी हुईं है।उन्होंने कहा, अगर उनके पास बहुमत है तो विपक्ष से क्यों डर रहे हैं।सांसदों के न रहने पर लोगों की आवाज कौन उठाएगा। सरकार इस तरह के कदम उठा कर जनता का व लोकतंत्र का गला घोंट रही है।मोदी और शाह लोगों को डराकर लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं।डिपल यादव का मामला नजीर है। वो तो अपनी सीट से भी हिली नहीं थीं। वो सिर्प वहां खड़ी थीं लेकिन उन्हें निलंबित कर दिया। बात इतनी सी है कि विपक्ष 13 दिसम्बर को संसद हमले की बरसी पर फिर से इतिहास दोहराए जाने की मॉक कवायद पर सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा था। सरकार जो प्राचंड बहुमत में है और विधानसभाओं में भी जिसकी लहर चल रही है। वही संसद में संवाद को लेकर बहुत कम चितित दिखाईं देती है। इसे विपक्ष सरकार का अराजक आचरण कहता है। संसदीय इतिहास का यह सबसे बड़ा निलंबन है। संसद संवाद का साकार विग्राह होती है, जो सत्ता एक प्रातिपक्ष के सहयोग से ही संभव होता है। पर बहुमत की जिम्मेदारी इसमें सबसे अधिक आंकी गईं है, लेकिन जिस तरह से नियमित तौर पर निलंबन हुआ है। उससे इस जिम्मेदारी से पलायन ही दिखता है। यह तर्व सीमित मायने में ठीक हो सकता है कि लोकसभा अध्यक्ष ने जब कह दिया कि इसकी जांच की जा रही है तब विपक्ष को शांत हो जाना चाहिए। पर इससे सरकार की जवाबदेही समाप्त नहीं हो जाती। अगर संसद में प्राधानमंत्री या गृहमंत्री दो लाइन का बयान दे देते तो सारा मामला टल सकता था।

Thursday, 21 December 2023

असंतुष्ट सीजीआई ने कहा, 'दोष देना आसान है

मामलों की सूची पर विवाद से नाखुश भारत के मुख्य न्यायाधीश डीएस चंद्रचूड़ ने कहा कि आरोप लगाना और पत्र लिखना बहुत आसान है। आप नेता सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका 2 वरिष्ठों के मामले में न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी। सुनवाई के मामलों की सूची में कथित अनियमितताओं के संबंध में बार के सदस्यों दुशांत दुबे, प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति चंद्र चोर को अलग-अलग पत्र लिखे। मामला उठाया गया है और याचिकाएं उस पीठ को वापस भेजी जा रही हैं जिसके द्वारा उन्हें सुना जाना है। इनकार कर दिया दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका को न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ ने स्थगित करने की याचिका स्वीकार कर ली है। दोषारोपण करना और पत्र लिखना बहुत आसान है। न्यायमूर्ति एएस भूपना के कार्यालय से एक पत्र आया है जिसमें उन्होंने कहा है खराब स्वास्थ्य के कारण अदालत नहीं आऊंगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, लेकिन इसे अफवाह के रूप में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, इसलिए जैन की जमानत याचिका न्यायमूर्ति त्रिवेदी को सौंपी गई थी जिन्होंने मामले की आखिरी सुनवाई की थी क्योंकि यह अंतरिम जमानत के विस्तार की याचिका है। मैंने सोचा के.के. मैं साफ़ कर दूँगा न्यायमूर्ति चंद्र चोर ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, "बार के सदस्य कह रहे हैं कि यह अजीब है कि मुझे यह विशेष न्यायाधीश चाहिए। इसलिए, अदालत कक्ष में सार्वजनिक वकील तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह की दुर्भावनापूर्ण सामग्री से निपटने का यही एकमात्र तरीका है" .उन्हें नजरअंदाज किया जाना चाहिए। उन पर राय नहीं दी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने यह समझाने के लिए न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के बीच पिछले कुछ आदेशों का हवाला दिया कि वे चाहते थे कि जैन के मामले में इस पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि बार का कोई भी सदस्य कह रहा है कि इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति द्वारा की जानी चाहिए और किसी अन्य न्यायाधीश को इसकी सुनवाई नहीं करनी चाहिए। न्यायमूर्ति बोपन्ना को मेडिकल अवकाश पर जाना पड़ा। जैन के वकील ने कहा कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ द्वारा प्रस्तावित सुनवाई को न्यायमूर्ति बुपना की याचिका पर स्थगित कर दिया जाना चाहिए। चूंकि न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ ने मामले में पर्याप्त दलीलें सुनी थीं, अब मामला पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday, 19 December 2023

सिम्हा के विजिटर पास पर हंगामा!

कौन हैं प्रताप सिम्हा जिनसे वो लोकसभा पहुंचे और जिन्होंने रंजन धन्वा को छोड़ा? बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा का नाम अब भारत के संसदीय इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। बुधवार को संसद में प्रवेश करने वाले 2 लड़कों से मुलाकात हुई। बचपन से ही सांसद उन पर सख्त थे पत्रकार के रूप में उम्र और उसके बाद 2014 में मैसूर कोडागू सीट से सांसद बनने तक पिछले 9 सालों में उन्होंने कई कारनामे किए हैं। सांसदी में सिम्हा न सिर्फ विपक्ष से बल्कि विपक्ष से भी भिड़ चुके हैं। अपनी ही पार्टी के नेता. एस येदियुरप्पा और बसु राजबोमई ने सरकार पर उंगली उठाते हुए कहा कि पार्टी ने कांग्रेस नेताओं पर लगे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं की. नहीं, बुधवार को संसद में जो हुआ उससे संसद की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं .अब हर स्तर पर इसकी समीक्षा की जा रही है और नए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, चाहे वह सुरक्षा का मामला हो या विजिटर पास का, हालांकि यह पहली बार है. ऐसा कोई मौका नहीं है जब संसद का सुरक्षा प्रबंधन सवालों के घेरे में हो. विजिटर संसद के पास किसी भी सांसद का कोटा पूरा करने का अधिकार है। इसका फायदा उठाकर दोनों दर्शक दीर्घा तक पहुंच गए, जहां से वे दोनों लोकसभा सदन में कूद गए। और जांच के मुताबिक, हरे रंग के धनवे का इस्तेमाल किया गया था। अध्यक्ष सिम्हा ने कहा कि जो लड़के लोकसभा में कूदे, उनके पास भाजपा सांसद प्रताप सिन्हा के नाम से जारी आगंतुक पास थे। ऐसा कहा गया है कि ड्रिंडाज़मनुरंजन डी के पिता और उनके परिचित हैं, इसलिए उन्हें पास दिया गया था। यह स्वीकार किया गया है कि एक आरोपी मनोरंजन डीके तीन महीने से अपने विजिटर पास के लिए चक्कर लगा रहा था और पास काफी समय से सवालों के घेरे में है. पास को लेकर सवाल उठ रहे थे. कहा जा रहा था कि जिस तरह से नेता अपने लोगों को पास जारी कर रहे हैं. यह खतरनाक है।जी हां, जेपीसी की रिपोर्ट तो सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने 3-4 अहम सिफारिशें लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी हैं. लोकसभा स्कोर्टी? (अनिल नरेंद्र)

क्या बीजेपी में पीढ़ीगत युग है?

भोपाल स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ता मंगलवार को एक बार फिर चौंक गए। 11 दिसंबर को वे तब भी चौंक गए जब एक दिन पहले ही पार्टी ने मध्य प्रदेश में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के चुनाव ने सभी को चौंका दिया पार्टी आलाकमान में. मंगलवार को बारी राजस्थान की थी क्योंकि वहां मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने वाला था. जब खबर आ रही थी तो वसुंधरा राजे सिंधिया ने भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान कर दिया. नेता और कार्यकर्ता भोपाल ने कभी उनका नाम भी नहीं सुना था। लोग आपस में पूछ रहे थे कि ये भजनलाल शर्मा कौन हैं? छत्तीसगढ़ में विष्णु देव, फिर मध्य प्रदेश में मोहन यादव और अब राजस्थान में भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि अब भारतीय जनता पार्टी सदमे की राजनीति में महारत हासिल है। भारतीय जनता पार्टी ने खुद ही पदों की जिम्मेदारी सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, यह राजनीतिक पर्यवेक्षकों की समझ से परे है क्योंकि पार्टी के इस कदम की अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा रही है। मुझे राज्यों की कमान सौंपी गई है जिनका नाम किसी सूची में भी नहीं था, जो मुख्यमंत्री की दौड़ में भी नहीं थे. ये एक चमत्कार था क्योंकि कोई सोच भी नहीं सकता था कि जो नेता पहली बार विधानसभा का सदस्य बना, उसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री। राजस्थान में पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गए भजनलाल शर्मा को बनाकर बीजेपी ने सभी अटकलों को खत्म कर दिया। मध्य प्रदेश में जिन लोगों को मुख्यमंत्री बनाया गया है, उन्हें चुनाव लड़ने का पूर्व अनुभव हो सकता है, लेकिन भजनलाल के मामले में, सभी अटकलें खत्म हो गईं कि राजनीतिक दल आमतौर पर कैसे काम करते हैं या उनकी परंपरा क्या रही है। अब भाजपा, खासकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, परंपरा को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नई चीजों और कई प्रयोग कर रही है इसके फैसले अप्रत्याशित हैं। कांग्रेस ने कभी जोखिम नहीं लिया। वे जोखिम ले रहे हैं। कांग्रेस हमेशा पुराने नेताओं पर दांव लगाती रही है, नए नेताओं को पार्टी में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उदाहरण के लिए, कमल नाथ, अशोक गहलोत ,दिग्विजय सिंह नए नेतृत्व के उदाहरण हैं और नई पीढ़ी हमेशा पीछे रहती है। इसकी वजह यह भी है कि सिंधिया को कांग्रेस को अलविदा कहना पड़ा। पिछले 10 सालों में बीजेपी ने पीढ़ीगत बदलाव पर काफी जोर दिया है और वह इसीलिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और नए मुख्यमंत्री के नामों की घोषणा की गई। इसे इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जिन चेहरों का जिक्र नहीं है या जिनके नाम दौड़ में नहीं हैं, अगर उन्हें मौका दिया जाए सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, वे हमेशा काम के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं और वे दूर रहते हैं। इसे अभी से चलाया जा सकता है, भविष्य के वरिष्ठ नेताओं का भविष्य क्या होगा? (अनल नरेंद्र)

Saturday, 16 December 2023

क्या वसुंधरा और शिवराज की अपेक्षा करना आसान होगा?

मध्य प्रादेश, राजस्थान में बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व में जब मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों को चुना तो सवाल ये उठा कि पुराने चेहरों का अब क्या होगा? मध्य प्रादेश में 18 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिह चौहान की बजाए मोहन यादव को सीएम पद के लिए चुना गया।राजस्थान में 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे की बजाए भजनलाल शर्मा को चुना गया। इस पैसले के बाद इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का भविष्य क्या होगा? द इंडियन एक्सप्रोस की रिपोर्ट में लिखा है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालवृष्ण आडवाणी के चुने हुए शिवराज और वसुंधरा के भविष्य पर अनिाितता छाईं हुईं है। बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल पत्ते नहीं खोले हैं कि आखिर इन दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए क्या प्लान है। 64 साल के शिवराज और 70 साल की वसुंधरा अपने राज्यों में अब भी लोकप््िराय हैं। पाटा नेताओं का कहना है कि वेंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं को पाटा के भीतर या वेंद्र सरकार में मौका दे सकता है। राज्य की सत्ता संभालने से पहले शिवराज और वसुंधरा दोनों वेंद्र सरकार में रह चुके हैं। पाटा से जुड़े नेताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आईं तो वसुंधरा को केन्द्र की राजनीति में आने के लिए कहा गया था, मगर उन्होंने इससे इंकार कर दिया था। मोदी-शाह जब पाटा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे, तब वसुंधरा राजस्थान में स्थानीय नेताओं, विधायकों और वफादारों के बीच बनी रहकर राज्य में बीजेपी को संभाल रही थीं। इससे कोईं इंकार नहीं कर सकता कि आज भी राजस्थान में वसुंधरा राजे बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। हालांकि 2018 में वसुंधरा जब अशोक गहलोत के सामने सत्ता खोली हैं तो आलाकमान ने तभी नए नेतृत्व को आगे लाने का पैसला कर लिया था। सीएम रहने के दौरान शिवराज ने अपना प्रायास तेजी से बढ़ाया। ज्योतिरादित्य सिधिया के कांग्रोस छोड़ने और बीजेपी में आने के बाद भी शिवराज की लोकप््िरायता कम नहीं हुईं और महिलाओं के लिए शुरू की गईं स्कीम खासकर लाडली बहन योजना मध्य प्रादेश में भाजपा की अप्रात्याशित जीत का एक कारण बना।अब जब बीजेपी ने दोनों राज्यों में नेतृत्व को बदल दिया है तो इन नेताओं का क्या होगा। इसे लेकर अलग-अलग राय है। एक पाटा के नेता ने कहा कि ये असंभव है कि वसुंधरा और शिवराज को कोईं काम ना दिया जाए। एक अन्य वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वसुंधरा और शिवराज बिना जिम्मेदारी के नहीं रहेंगे। इनको क्या जिम्मेवारी दी जाएगी, उसे यह स्वीकार करते हैं या नहीं यह अलग बात है। शिवराज सिह चौहान उर्प मामाजी ने तो स्पष्ट कर दिया है कि वह मध्य प्रादेश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कईं लोगों का मानना है कि राज्य के चुनावों में बहुमत इन दोनों नेताओं को मिला। हाल ही में शिवराज सिह चौहान ने मीडिया में कहा था, मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि मैं अपने लिए वुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा। शिवराज के इस बयान से पाटा नेतृत्व परेशान हुआ होगा और अब इसकी संभावना कम ही है कि उन्हें दिल्ली में कोईं जिम्मेदारी दी जाएगी। बीजेपी ने राज्य सरकारों में जो नए चेहरे चुने हैं, वो एबीवीपी से जुड़े रहे हैं। वसुंधरा 2003 से 2008 और फिर 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी है। अब वे सिर्प एक विधायक बन गईं हैं। मामा भी एक विधायक रह गए हैं। —— अनिल नरेन्द्र

नए मुख्यमंत्रियों पर चले कईं और दांव

सिर्प उम्र और वोट बैंक नहीं, भाजपा ने तीन नए मुख्यमंत्रियों से कईं और दांव भी चले। भारतीय जनता पाटा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रादेश और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों के चुनाव से मानना पड़ेगा कि सबको चौंका दिया। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाईं में भाजपा पहले भी ऐसा कर चुकी है। लेकिन सवाल है कि आखिर भाजपा ऐसा क्यों करती है? इस सवाल के एक नहीं कईं जवाब हैं। भाजपा ने फिर एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चौंकाने वाले ऐसे चेहरे दिए हैं जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी और न ही इनके नामों की कहीं चर्चा थी। भाजपा दरअसल एक नहीं कईं तथ्यों पर नजर रखती है।इसका शीर्ष नेतृत्व अकसर रहस्यमयी तरीके से काम करता है। तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों का अप्रात्याशित चुनाव इसका एक उदाहरण है।छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साईं, मध्य प्रादेश में मोहन यादव और राजस्थान में मदन लाल शर्मा का चयन। इन स्पष्ट आार्यंजनक पैसलों के पीछे एक पैटर्न नजर आता है। क्या किसी को पता था कि 2001 में जब गुजरात में केशुभाईं पटेल के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में कईं नामों की चर्चा हो रही थी तो नरेन्द्र मोदी जैसे एक गुप्त संघ प्रातिभा को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? इसी तरह हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के चुनाव में सबको चौंकाया था। छत्तीसगढ़ में साईं, एमपी में यादव और राजस्थान में शर्मा को शामिल करने को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। इनमें यादव और शर्मा को लोकप््िराय दावेदारों व््रामश: शिवराज सिह चौहान और वसुंधरा राजे को दरकिनार करके गद्दी सौंपी गईं। अगर हम सोशल इंजीनियरिग की बात करें तो छत्तीसगढ़ के साईं एक आदिवासी हैं और उनके दो डिप्टी सीएम ओबीसी (अरुण साव) और ब्राrाण (विजय शर्मा) समुदाय से हैं। मध्य प्रादेश में उपमुख्यमंत्री राजेश शुक्ला और जगदीश दबेड़ा व््रामश: ब्राrाण और अनुसूचित जाति के हैं। जबकि सीएम मोहन यादव ओबीसी हैं। मध्य प्रादेश के सीएम मोहन यादव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रादेश के लिए भी एक संकेत हो सकते हैं, जहां ज्यादातर यादव भाजपा को वोट नहीं करते हैं। नरेन्द्र सिह तोमर, जो एक राजपूत हैं विधानसभा अध्यक्ष होंगे। राजस्थान में शर्मा एक ब्राrाण हैं और उनके दो डिप्टी सीएम राजपूत और दलित हैं।हालांकि विभिन्न समुदाय के चेहरों को संतुलित करने का यह पैटर्न भाजपा के लिए अटपटी बात नहीं है, बल्कि यह तो मंडल की राजनीति से शुरू होने के बाद सोशल इंजीनियरिग के साथ प्रायोग करने वाली पाटा में से एक रही है। हालांकि भाजपा के पास एक विशेष ताकत है, उसके पास सरकार और पाटा में पदों के लिए प्रातिभाओं की कमी नहीं है।अधिकांश पार्टियों के पास संभावित नेताओं के तीन स्नेत होते हैं। कोईं अंदरूनी सूत्र, बाहरी लोग और नौकरशाही या कापरेरेट क्षेत्र वैसी प्रातिभाएं जो पूर्व में राजनीति से दूर रही हों। भाजपा के पास एक और रत्रोत है और वह है संघ परिवार। वर्तमान मुख्यमंत्रियों और शीर्ष पदों के लिए संभावित शीर्ष दावेदारों पर नजर डालते हैं। यूपी में गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ बेशक संघ से न रहे हों पर अब पाटा का डर और संघ दोनों में बेहद लोकप््िराय हैं। असम में हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रोस से आए हैं। खट्टर, देवेन्द्र फर्णाडीस संघ से हैं। अकसर मौजूदा लोगों को बदलने में जोखिम रहता है लेकिन भाजपा आलाकमान का स्पष्ट रूप से मानना है कि मोदी का जादू राजस्थान और मध्य प्रादेश में किसी भी नुकसान की भरपाईं कर देगा।

Thursday, 14 December 2023

धीरज साहू पर क्या बोलेगी कांग्रेस

धीरज साहू कौन है? जिनके ठिकानों से मिले 350 करोड़ रुपए? आयकर विभाग ने ओडिशा और झारखंड में कईं जगहों पर छापेमारी कर कांग्रेस के एक नेता के यहां से 350 करोड़ (लगभग) नकद बरामद किए हैं। आयकर विभाग ने झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ओडिशा और झारखंड में कईं ठिकानों में छापेमारी की थी। यह वैश ओडिशा और झारखंड में उनके घर से बरामद हुआ है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों से बरामद नोटों की गिनती लगातार पांच दिन तक चौबीसों घंटे चली। गिनती खत्म होने के बाद एसबीआईं के क्षेत्रीय प्रबंधक भगत बहेरा ने रविवार को बताया कि गिनती में तीन बैंकों के अधिकारी लगे और 40 मशीनों का इस्तेमाल किया गया। आयकर विभाग जल्द ही वंपनी के प्रमोटरों को बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी करेगा। विभाग का मानना है कि बेहिसाब नकदी का पूरा भंडार देशी शराब की नकद बिव्री से जुटाया है। विभाग के मुताबिक साहू के रांची समेत अन्य ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे। सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग की किसी एक कार्रवाईं में यह सर्वाधिक बरामदगी है। 2019 में कानपुर के इत्र कारोबारी से 257 करोड़ रुपए की नकदी पकड़ी गईं थी। 1 जुलाईं, 2018 में तमिलनाडु में निर्माण फर्म से 163 करोड़ रुपए की नकदी पकड़ी गईं थी। नकदी को विभिन्न बैंकों में जमा करने के लिए करीब 200 बैग व संदूकों का उपयोग किया गया। 176 बैगों में बरामद रकम में अधिकतर 500 रुपए के नोट थे। 2000 रुपए का नोट बंद होने के बाद 500 का नोट ही चलन में सबसे बड़ा है। राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार 23 नवम्बर, 1955 को रांची में जन्मे धीरज प्रसाद साहू के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू है। वो 2009 में राज्यसभा सांसद बने थे। जुलाईं 2010 में वो एक बार फिर झारखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए। तीसरी बार वो मईं 2018 में राज्यसभा के लिए चुने गए।1977 में धीरज साहू ने राजनीति में कदम रखा। वो लोहरदगा जिले के यूथ कांग्रेस में शामिल रहे। इतने वैश की बरामदगी पर जनता में आव्रोश स्वाभाविक है। इसे देखकर लोग जानना चाहते हैं कि गांधी परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष अपने सांसद धीरज साहू पर क्या कहना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि इन पर कांग्रेस पार्टी क्या कार्रवाईं करती हैं? राहुल गांधी दिन-रात भ्रष्टाचार खत्म करने, भ्रष्टाचार से लड़ने की बात करते हैं और यहां तो उनका अपना ही सांसद इस भ्रष्टाचार में बुरी तरह से लिपटा हुआ है। अब राहुल क्या कहेंगे? इस पर भाजपा का आव्रामक होना स्वाभाविक ही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हमारा शुरू से मानना है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार, अनाचार भार और अपराधीकरण के लिए मानी जाती है। यह कांग्रेस की रीति-नीति है जिस पर वह काम करती है। आज राहुल गांधी से भाजपा पूछना चाहती है कि इस पर उनका क्या कहना है। सोनिया गांधी ईंडी, इनकम टैक्स पर कटाक्ष करती रही हैं, अब वह धीरज साहू पर क्या कहेंगी? भाजपा इस अवसर का पूरा फायदा उठा रही है और सभी मंचों पर प्रदर्शन कर रही है और कांग्रेस पर निशाना साध रही है। ——अनिल नरेन्

मायावती ने दानिश अली को क्यों निकाला

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित कर दिया है। दानिश अली अमरोहा से बसपा के सांसद हैं, लेकिन उनका राजनीतिक सफर कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) से शुरू हुआ था। वह पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के काफी करीबी थे। बसपा ने 2018 में जेडीएस के साथ कर्नाटक में गठबंधन किया था। इसके बाद देवगौड़ा के कहने पर 2019 में दानिश को बसपा ने अमरोहा से लोकसभा का टिकट दिया और वह जीत गए। लेकिन वह चर्चा में तब आए जब भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में उनको अशब्द कहे। इसके तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनके घर पहुंच गए। दानिश ने भी राहुल की खुलकर तारीफ की। राहुल गांधी के अलावा अन्य दलों के नेताओं ने भी उनके प्रति सहानुभूति जताईं थी। बिहार के सीएम नीतीश वुमार से भी उनकी मुलाकात चर्चा में रही। कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष बनने के बाद अजय राय ने भी दानिश से मुलाकात की और हमदर्दी जताईं। अब तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के समर्थन में दानिश का बयान भी चर्चा में आया। उन्होंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताईं। उन्होंने कहा कि बहुमत का मतलब यह नहीं कि किसी को भी फांसी पर लटका दिया जाए। वर्तमान लोकसभा के सत्र में वह कांग्रेस नेताओं के साथ ही देखे गए। ऐसी ही कईं वजहें हैं जो उनके निष्कासन का कारण बनीं। बात सिर्प दानिश तक ही सीमित नहीं है। बसपा के कईं सांसद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं। हाल ही में सहारनपुर से सांसद हाजी फजलर्रहमान की जगह बसपा ने वहां से दानिश अली को लोकसभा प्रभारी बना दिया था। माना जा रहा है कि उनका भी टिकट कट सकता है। बसपा ने सांसद वुंवर दानिश अली को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित करने संबंधी एक पत्र जारी कर इसकी वजह बताईं है। बसपा ने अमरोहा सांसद वुंवर दानिश अली को पार्टी से निकालने पर जारी एक पत्र में कहा है कि अमरोह सांसद को कईं बार मौखिक रूप से और शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी की नीतियों, विचारधारा और गतिविधियों के खिलाफ जाकर बयानबाजी न करने की नसीहत दी थी। लेकिन उन्होंने इसकी अनसुनी की। इसमें यह भी कहा गया है कि 2018 तक दानिश अली कर्नाटक की पार्टी जनता दल (एस) के संस्थापक एचडी देवगौड़ा के साथ मिलकर काम कर रहे थे। देवगौड़ा के कहने पर ही दानिश अली को बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में अमरोहा से टिकट देकर लोकसभा चुनाव में जितवाया। लेकिन दानिश अली लगातार पार्टी के आदेशों की अवहेलना कर पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त पाए गए।वुंवर दानिश अली बसपा से निकाले जाने के बाद कांग्रेस या सपा का दामन थाम सकते हैं। मुस्लिम बहुल इलाके में दानिश अली की मजबूत पकड़ मानी जाती है। अमरोहा में करीब 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है। सवाल है कि क्या वह भी इमरान मसूद की तरह कांग्रेस में जाएंगे? या भाजपा को सबसे बड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का दामन थामेंगे?

Tuesday, 12 December 2023

धीरज साहू के बारे में क्या कहेगी कांग्रेस?

कौन हैं धीरज साहू, जिनके ठिकाने हैं 350 करोड़ रुपये? आयकर विभाग ने ओडिशा, झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी की और एक कांग्रेस नेता के पास से करीब 350 करोड़ रुपये नकद बरामद किए. आयकर विभाग झारखंड से. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू ने कहा यहां से पैसे बरामद हुए थे. और इन नोटों की गिनती लगातार की जा रही थी और मशीनें भी थक चुकी थीं. गिनती में तीन बैंक अधिकारियों और चालीस मशीनों का इस्तेमाल किया गया था. आयकर विभाग जल्द ही कंपनी के प्रमोटरों को बयान दर्ज करने के लिए बुलाएगा. साहू की रांची समेत कई दफ्तरों और घरों पर छापेमारी हुई. सूत्रों ने बताया कि आयकर के किसी भी ऑपरेशन में इतनी बड़ी बरामदगी होती है. 2019 में कानपुर के परफ्यूम कारोबार से 257 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गयी थी. जुलाई 2018. तमिलनाडु से 163 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गयी थी. विभिन्न बैंकों में नकदी जमा करने के लिए निर्माण धन और लगभग 200 बैग और सूटकेस का उपयोग किया गया था। बरामद किए गए 176 बैगों में से अधिकांश में 500 रुपये के नोट और 2 हजार रुपये थे। 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद रुपये का प्रचलन बढ़ा। .500 का नोट सबसे बड़ा है। राज्यसभा की वेबसाइट के मुताबिक, धीरज साहू का जन्म 23 नवंबर 1955 को रांची में हुआ था और उनके पिता का नाम राय साहब वोल्डिब साहू है। वह सांसद बने और जुलाई 2010 में राज्यसभा के लिए चुने गए। मई 2018 में वह तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। धीरज साहू ने 1977 में राजनीति में प्रवेश किया और लोहार बाग जिले की युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। मामले के नतीजे पर जनता का नाराज होना स्वाभाविक है। यह देखकर लोग जानना चाहते हैं कि गांधी परिवार और अपने सांसद धीरज साहू के बारे में क्या कहेंगी और वे देखना चाहते हैं कि पार्टी उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी। राहुल गांधी दिन-रात भ्रष्टाचार खत्म करने और उससे लड़ने की बात करते हैं और यहां उनके ही सांसद इस भ्रष्टाचार में बुरी तरह शामिल हैं. अब राहुल गांधी क्या कहेंगे, इस पर बीजेपी का आक्रामक होना स्वाभाविक है. बीजे पीके के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि से शुरुआत, हम मानते हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार और अपराध स्वीकार हैं। यह कांग्रेस की परंपरा है जिस पर वह काम करती है। लेकिन वे क्या कहते हैं? सोनिया गांधी ईडी, इनकम टैक्स का मजाक उड़ाती रही हैं। अब वह धीरज साहू के बारे में क्या कहेंगी ?बीजेपी इस मौके का भरपूर फायदा उठा रही है और हर स्तर पर प्रदर्शन कर कांग्रेस पर निशाना साध रही है. (अनिल नरेंद्र)

गोगा मेडी का क़त्ल !

राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को जयपुर में दोपहर में गोली मार दी गई। सुखदेव सिंह गोगा माड़ी को गंभीर हालत में मंसूर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। जयपुर से वाल्मेर और कई लोग राजपूत करणी सेना से जुड़े हुए हैं। इस हत्या के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। गोलीबारी में मारा गया। अवार की पहचान नवीन सिंह के रूप में हुई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात भी सुर्खियों में रही। कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष बनने के बाद अजय राय ने दानिश अली से भी मुलाकात की और उनका आभार व्यक्त किया। अब तृणमूल कांग्रेस सांसद मेहवा मोइत्रा के समर्थन में दानिश अली का बयान भी सुर्खियों में रहा. उन्होंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कहा कि बहुमत का मतलब यह नहीं है कि किसी को फांसी दे दी जाए. नेताओं के साथ दिखे. ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से उन्हें बाहर निकाला गया बीएसपी. और सांसद तलाश रहे थे और अन्य भी आलोचना के घेरे में थे, लेकिन बात सिर्फ जानकारी तक ही सीमित नहीं है. 2024 के कई बीएसपी सांसद. लोकसभा चुनाव से पहले नए पते की तलाश में हैं. हाल ही में बीएसपी ने सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर्रहमान की जगह माजिद अली को लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है. माना जा रहा है कि उनका टिकट भी कट सकता है. बसपा ने सांसद कुंवर दानिश अली को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित करने का पत्र जारी कर दिया है. कारण बताया। उन्हें पार्टी की नीतियों और विचारधारा और गतिविधियों के खिलाफ बयानबाजी न करने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह भी कहा गया कि 2018 तक, दानिश अली कर्नाटक जनता दल के संस्थापक एसडी देवी गौड़ा के साथ मिलकर काम कर रहे थे। उनके अनुरोध पर, बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में दानिश अली को टिकट देकर अमरोहा से लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन दानिश अली लगातार पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए। क्या आप बीएसपी या एसपीए या कांग्रेस में जाएंगे ? बीएसपी से निकाले जाने के बाद कंवर दानिश अली कांग्रेस या एसपीए की कमान संभाल सकते हैं. दानिश अली की मुस्लिम बहुल इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है. अमरुहा में करीब 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है. सवाल ये है कि क्या वो भी ऐसा करेंगे इमरान मसूद की तरह. क्या आप कांग्रेस में जाएंगे या बीजेपी के सबसे बड़े विरोधी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का अनुसरण करेंगे? (अनिल नरेंद्र)

Saturday, 9 December 2023

किडनी (गुरदे) बेचने का रैकेट!

एक बार फिर अवैध किडनी खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है और एक बार फिर अपोलो हॉस्पिटल विवादों में घिर गया है. ये कारनामा जारी है. जानकारों का कहना है कि झूठे कागजात जमा कर जांच समिति से बचा जा सकता है क्योंकि झूठे कागजात की जांच करने का तरीका यही है हर जगह नहीं अपनाया जाता है और आजकल तो यह और भी आसान हो गया है. कि फोटोशॉप के जरिए फर्जी दस्तावेज बनाना आसान हो गया है. सफदरजंग अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अनुप कुमार कहते हैं कि कानून बहुत सख्त हैं लेकिन एक जगह जहां जाल फंस सकता है. बनाया गया दस्तावेज़ नकली है। या नहीं, सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं है, हम एक बहुत सख्त विधि का पालन करते हैं, हम ऑनलाइन जमा किए गए सभी दस्तावेजों की जांच करते हैं और आधार कार्ड से लेकर रक्त जांच रिपोर्ट की जांच तक उन्हें 2-3 बार जांचते हैं, यदि मरीज देश के बाहर से है, वे उनसे पूछते हैं और क्रॉस चेक करते हैं। अब अगर दूतावास गलत पेपर देता है तो कोई कुछ नहीं कर सकता। वहीं, फूटीज हॉस्पिटल शालीमार बाग के यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के प्रमुख डॉ. विकास जैन ने कहा कि धोखाधड़ी की गई है। झूठे दस्तावेज पेश करना। यदि किसी मरीज की बहनें डोनर हैं, तो पहले ये लोग बहन का फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड पासपोर्ट तैयार करते हैं। एचएलए सैंपल मिलान रिपोर्ट की जांच की जाती है। इसलिए, रिपोर्ट मरीज की असली बहन से जुड़ी होती है, जिससे पता चलता है कि दानकर्ता इसे पहन रहा है। अब समिति के पास इसे सत्यापित करने का कोई अन्य तरीका नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यहां एक थर्ड पार्टी एजेंसी को काम पर रखा जाता है। और इसके माध्यम से उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है। यह महंगा है लेकिन हर अस्पताल ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। यह। एक सवाल के जवाब में डॉ. जैन ने कहा कि डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर है। अगर 100 मरीज हैं तो किडनी। डोनर सिर्फ 10% हैं। जो भी सेंटर एक मानक से ज्यादा ट्रांसप्लांट करता है, उस पर नजर रखनी चाहिए और इस तरह के घोटालों पर अंकुश लगाने के लिए, लंदन के अखबार द टेलीग्राफ ने अपोलो हॉस्पिटल्स पर रिपोर्ट दी। नेशनल किडनी रॉकेट में शामिल होने के लिए अल्ज़ उन्होंने दावा किया कि म्यांमार में गरीब लोगों से किडनी खरीदकर मरीजों में प्रत्यारोपित की जा रही है। यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि अंग दान करने वाला व्यक्ति मरीज का रिश्तेदार है। कानून के मुताबिक, भारत में सामान्य परिस्थितियों में कोई मरीज अंग दान नहीं कर सकता है। किसी अज्ञात व्यक्ति का अंग. दिल्ली सरकार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है. (अनिल नरेंद्र)

कांग्रेस को तो आप ही ले डूबे!

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को 4 में से 3 राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। ये नतीजे 2024 के अहम चुनावों से पहले मायने रखते हैं। हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने कांग्रेस को हराया निर्णायक रूप से। इसने कांग्रेस को एक बार फिर से समीक्षा करने के लिए मजबूर कर दिया है। पार्टी हार के कारणों की जांच के लिए राज्य स्तर पर शीघ्र समीक्षा की तैयारी कर रही है। यह माना जाता है कि पार्टी हिंदी भाषी की नब्ज पकड़ने में विफल रही है। वोटर. अब इस हार के साथ ही इस हिंदी सीट पर कांग्रेस का सफाया लगभग हो गया है. उत्तर भारत में पार्टी सिर्फ हिमाचल प्रदेश में ही सत्ता में है, ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है. 1998 में जब सोनिया गांधी ने कमान संभाली थी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में, पार्टी एक राज्य सहित केवल 3 राज्यों में सत्ता में थी। मध्य प्रदेश, ओडिशा और मिजोरम में, उनकी सरकार कांग्रेस की हार में से एक थी। मुख्य कारण वरिष्ठ नेताओं के बीच समूह और समन्वय की कमी माना जाता है .साथ ही, बीजेपी ने मजबूत संगठन के जरिए कांग्रेस की रणनीति को बेअसर कर दिया है. कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष कमल नाथ, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री फुपेश बघेल और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मनमाने ढंग से छूट देने की इजाजत दे दी है. ये है इन तीन राज्यों के नतीजों का मुख्य कारण छत्तीसगढ़ की हार का कारण यह है कि जो राज्य पार्टी को संसाधन मुहैया कराने में सबसे आगे था वह राज्य कांग्रेस के हाथ से चला गया है और उसे अधिक रियायतें भी दी गई हैं। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की किचन कैबिनेट की वजह. तब से वह पार्टी से दूर हैं, यही वजह है कि वह राज्य में पार्टी चला रहे थे. आलाकमान चुप होकर देखता रहा. सत्ता विरोधी लहर थी मध्य प्रदेश में कई महीनों से चल रहा है, लेकिन कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा पाई. राजस्थान में मुफ्त इलाज जैसी आकर्षक योजनाओं के दम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव में लौट आए. हालांकि मंत्रियों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ सत्ता विरोधी बयानबाजी जारी है. शुरुआत से ही कांग्रेस पर भारी थे, फिर भी गहलोत ने अपने समर्थकों पर दबाव बनाया। जब सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं, तो उनके निर्देश पर अनुशासन तोड़ने वाले मंत्री शांति धारीवाल को पार्टी टिकट नहीं देना चाहती थी, लेकिन गहलोत ने उन्हें टिकट दे दिया। हाथ. बागी नेता सचिन ने कभी पायलट के साथ हथियार नहीं उठाए. राहुल ने सचिन और गहलोत के बीच समझौता कराने की बहुत कोशिश की, लेकिन ये दोस्ती जगजाहिर थी, लेकिन अंदरूनी कलह जारी रही. और पायलट हार गए. अब देखना ये है कि कांग्रेस आलाकमान इस पर गंभीरता से विचार करता है या नहीं इन स्थितियों पर विचार करता है या सिर्फ झूठ बोल रहा है? एक बार फिर कांग्रेस पकी फसल काटने में विफल रही है। राहुल गांधी की सारी मेहनत बर्बाद हो गई है। (अनिल नरेंद्र)

Thursday, 7 December 2023

कांग्रेस की हार I.N.D.I.A एत्तेहाद के लिए झटका !

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन अलायंस के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। 28 दलों ने मिलकर गठबंधन बनाया था। उन्हें सत्ता से हटाने के इरादे से. क्योंकि सवाल ये है कि इन नतीजों का इस गठबंधन और इसके भविष्य पर क्या असर होगा? ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नतीजों के बाद भारत की सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए हैं. नेशनल कांग्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस की आलोचना की है और कहा है कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान दो वादे किए थे, जो साबित हुए. खोखला। कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्ष की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया। ऐसा नहीं था और न ही है और ऐतिहासिक रूप से इन राज्यों में समाजवादी पार्टियाँ थीं लेकिन कांग्रेस ने कभी भी इंडिया अलायंस के अपने अन्य सहयोगियों के साथ सामंजस्य नहीं बनाया और उनकी राय नहीं ली। भाजपा की सफलता इससे कहीं अधिक दिखती है। उन्होंने कांग्रेस की विफलता पर कहा कि पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनाया जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में घोष ने कहा कि केटीएमसी वह पार्टी है जिसने बीजेपी को हराया है. कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह अच्छी बात है अगर कांग्रेस यह चुनाव हारती है तो उसका घमंड टूट जाएगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस अब हावी होने की स्थिति में नहीं है. उसे सीटों का तालमेल बिठाना होगा. कहा जा रहा था कि कांग्रेस इस पर विचार करना चाहिए कि यह भाजपा से सीधे मुकाबले से कम नहीं है। यह इंडिया अलायंस की हार नहीं है, बल्कि कांग्रेस की हार है। कांग्रेस ने पहले ही सोच लिया है कि वह जीत गई है और उसे हराया नहीं जा सकता। यही सोच है इसके पतन का कारण। जिससे भारत के मिशन को मजबूती मिलती। गठबंधन से जो राजनीतिक स्वरूप सामने आया वह नहीं आया। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अगर कांग्रेस छोटी पार्टियों को साथ लेकर सीटें मिला लेती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इस हार से कोई सबक लेगी और बाकी पार्टियों को साथ लेने की कोशिश करेगी? (अनिल नरेंद्र)

उल्टा पड़ा दांव ....

चन्द्रशेखर राव की सीआर ने राज्य की सत्ता की कमान संभालने के बावजूद राष्ट्रीय राजनीति की आकांक्षाओं में अल्पसंख्यकों के वोट हासिल करने के लिए कई चापलूसी योजनाओं का इस्तेमाल किया और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईए को अपने साथ लिया। यहां तक ​​कि पार्टी का नाम भी बदल दिया। तेलंगाना राष्ट्र समिति से लेकर भारत राष्ट्र समिति तक को कोई फायदा नहीं मिला और सीटें पिछले चुनाव की तुलना में आधी से भी कम रह गईं। चटका दिया है अलग से आईटी पार्क शादी मुबारक जेसी योजनाओं के बावजूद, राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने बीआरएस को किनारे कर दिया। जैसा कि कर्नाटक में जेडीएस के साथ हुआ था। बहुमत वोटों में समान ध्रुवीकरण हुआ। और कांग्रेस को मुसलमानों के लगभग एकतरफा समर्थन और बीआरएस की तुलना में सबसे मजबूत पार्टी होने का सीधा फायदा मिला। किसी भी चुनाव में जन कल्याण और विकास के मुद्दे एक महत्वपूर्ण एजेंडे के रूप में सामने आते हैं। असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कल्याण और प्रगतिशीलता में से किस पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, इस वर्ष एक व्यक्ति, उसका परिवार और उसके काम करने का तरीका 2014 में भारत का 29वां रास्ता वाला राज्य और सबसे युवा राज्य बन गया। तेलंगाना का एक और अजीब पहलू यह है कि वोट बैंक भाजपा पिछले कुछ वर्षों में जो निर्माण कर पाई थी, वह कमजोर हो गई है। कमल की जगह अब कांग्रेस को एक मजबूत एमटी रामा राव मिल गए हैं, जिन्हें केटीआर के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए जब उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय चैनलों से बात की तो उनके नाम की ध्वनि उनके मुख्यमंत्री पिता केसीआर से मेल खाती है। उन्होंने विकास के विवरणों का उल्लेख किया और ऐसा प्रतीत होता है कि यह आंकड़ों का हवाला देता है और कुछ क्षेत्रों में रास्ता दिखाता है लेकिन वह मानव विकास और साक्षरता के संकेतों का उल्लेख करता है लेकिन उसने तेलंगाना को आर्थिक रूप से लेकिन मानवीय रूप से मजबूत बनाया है। कल्याण के मामले में इसका रिकॉर्ड खराब है। नवीनतम आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, राजनीति चरम पर है 3.08 लाख सालाना प्रति व्यक्ति आय के साथ देश में शीर्ष पर. कई मतदाता कुछ नया चाहते हैं. वहीं, सबसे अहम बात है केसीआर और उनके परिवार का रवैया. विपक्ष ने इसे केसीआर परिवार के शासन के अहंकारी रवैये के तौर पर पेश किया. रोजगार के कारण युवाओं में बीआरएस के प्रति मोहभंग के बारे में सबसे गंभीर बात यह है कि बीआरएस ने रोजर के लिए अवसर पैदा करने पर बहुत कम ध्यान दिया है। राज्य में राजनीतिक हालात ऐसे थे कि जो मतदाता कभी भाजपा के प्रति वफादार थे, वे अब बदल गए हैं। कांग्रेस के लिए। कांग्रेस ने बार-बार बीआरएस और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाया है, यह संदेश पूरे राज्य में तेजी से फैल गया है। भाजपा की ताकत खत्म हो गई है। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday, 5 December 2023

मौत की सज़ा पाए पूर्व भारतीय सैनिकों को राहत!

कतर की एक अदालत में जिस तरह से भारतीय नौसेना के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई, वह पहले से ही सवालों से घिरा हुआ था। इसलिए उम्मीद थी कि भारत सरकार की ओर से कोई ठोस पहल की जाएगी। कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। इस संबंध में भारत ने औपचारिक रूप से कतर की अदालत में फैसले के खिलाफ अपील की और इस संबंध में आई खबरों के मुताबिक, अब कतर की अदालत ने भारत की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और इसकी समीक्षा करेगी। इस दौरान जल्द ही सुनवाई शुरू की जाएगी। गुरुवार को हुई सुनवाई में कतर की अदालत ने मामले पर विचार करने के लिए जल्द सुनवाई शुरू करने का फैसला लिया है. एक अपील दायर की गई है. विदेश मंत्रालय ने मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण सभी से अटकलों से बचने का अनुरोध किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरुंडम बागची ने पहले कहा था कि कतर की अदालत अल दारा कंपनी के 8 कर्मचारियों से संबंधित मामले में है। भारत ने 62 अक्टूबर को फैसला सुनाए जाने के अगले दिन अपील दायर की। विदेश विभाग के प्रवक्ता बागची का कहना है कि पूर्व नौसेना अधिकारियों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों पर मौत की सजा सुनाई थी जिनकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। आगे नहीं लाया जा सका। निर्णय गोपनीय है और केवल कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। हम इसके साथ चर्चा कर रहे हैं इस मामले पर कतर के वरिष्ठ अधिकारी। हालांकि ये गिरफ्तारियां सुरक्षा संबंधी आरोप में की गई हैं। आपको बता दें कि भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी कतर में देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नामक कंपनी के लिए काम कर रहे थे। ये सभी थे अगस्त 2002 में गिरफ्तार किया गया। कतर सरकार। पूर्व नौसेना अधिकारियों के खिलाफ आरोपों का खुलासा नहीं किया गया है। 62 अक्टूबर, 2012 को कतर की अदालत ने इन पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई। इस बीच, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार ने कहा शुक्रवार को कतर से भारत सरकार के एडमिरल आर. हरिकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि भारत सरकार उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। परिवार त्वरित राहत की उम्मीद कर रहे हैं। कतर में मामले पर ठोस जानकारी का अभाव है। परिवार के सदस्यों को लगता है कि इस मुद्दे पर पश्चिम एशियाई मीडिया में बहुत गलतफहमी है। उन्होंने कहा कि आठ सेवानिवृत्त नौसैनिक। सर्वोच्च ईमानदारी और उन्होंने सम्मान के साथ देश की सेवा की है.'' उन्होंने कहा कि जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा आहत किया है वह यह है कि हिरासत की शर्तों को गलत तरीके से पेश किया गया है. (अनिल नरेंद्र)

गिरफ़्तारी का डर या सियासी चाल?

क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए या जेल से सरकार चलानी चाहिए? ये वो अहम सवाल है जिसका जवाब ढूंढने के लिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में घर-घर जाकर लोगों को अरविंद केजरीवाल के समर्थन में एकजुट करने का फैसला किया है. क्योंकि केजरीवाल गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं इसलिए आम आदमी पार्टी इस तरह का अभियान चला रही है. पार्टी ने 1 दिसंबर से मई वी केजरीवाल हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. पहले चरण में यह अभियान 20 दिसंबर तक चलाया जाएगा. इस अभियान में आम आदमी पार्टी के विधायक, मंत्री, पार्षद और सभी पदाधिकारी सभी 0062 मतदान केंद्रों को कवर करेंगे. दिल्ली में. अभियान का दूसरा चरण 12 से 42 दिसंबर तक चलेगा जिसमें जनता से संवाद कार्यक्रम होगा और इसमें जैसे सवाल उठाए जाएंगे. फिलहाल कई लोगों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्यवाही चल रही है पार्टी के बड़े नेता. दिल्ली में कथित शराब घोटाले में केजरीवाल सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, सांसद संजय सिंह जेल में हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता सतेंद्रजन अभी जेल से रिहा नहीं हुए हैं, लेकिन बीमारी के कारण वह जमानत पर हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर बढ़ाता रहता है. ऐसे में पार्टी के इस अभियान का क्या मतलब है? सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि क्या वह वाकई गिरफ्तारी के डर से ऐसी तैयारी कर रही हैं? दूसरा अहम सवाल यह है कि यह मुहिम उनके लिए कितनी कारगर हो सकती है. दिल्ली सरकार में मंत्री और प्रदेश संयोजक गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की तैयारी की जा रही है. होई में केजरीवाल हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया गया है. उनका कहना है, बीजेपी साजिश रच रहे हैं और अब केजरीवाल को गिरफ्तार कर दिल्ली को बंद करना चाहते हैं. उन्हें एक पत्रक दिया जाना चाहिए और इसमें उनकी राय ली जाएगी. इस अभियान में केंद्र की ओर से एक पेज का पत्रक है जिसका शीर्षक है. नरेंद्र मोदी क्यों चाहते हैं अरविन्द केजरीवाल को गिरफ़्तार करने के लिए? अरविंद केजरीवाल की तस्वीर के साथ एक शीट में चार सवाल और उनके जवाब लिखे हैं. ये सवाल है: शराब घोटाला कैसे फर्जी है? मोदी जी, केजरीवाल जी से काम नहीं संभल रहा? क्या मोदी जी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हैं? केजरीवाल जी की गिरफ्तारी के बाद क्या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए या जेल से सरकार चलानी चाहिए? इस पूरे पेपर में आम आदमी पार्टी ने यह दिखाने की कोशिश की है कि अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से निर्दोष हैं। केंद्र की मोदी सरकार उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। अरविंद केजरीवाल, लोकपाल आंदोलन से दिल्ली की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले एक बार फिर जनता के बीच हैं. (अनिल नरेंद्र)

Sunday, 3 December 2023

ISI और तालिबान बने दुश्मन!

पाकिस्तान, जो हमेशा आतंकवादी शासन का समर्थन करता है और अपनी फैक्ट्री से दुनिया भर में आतंकवादी उत्पादों की आपूर्ति करता है, आज खुद आतंकवाद से प्रभावित है और इसके खिलाफ लड़ रहा है। और पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादी तालिबान सरकार बनाने के लिए तालिबान की हर संभव मदद की थी अफगानिस्तान में। आज इसी दोस्त की वजह से पाकिस्तान में लाशों के ढेर लगे हैं। जी हां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होने के बाद वहां के हुक्मरान कह रहे हैं कि पाकिस्तान में 60 फीसदी आतंकी घटनाएं छात्रों की वजह से होती हैं। याद रहे कि 15 अगस्त 2021 को, जिस दिन तालिबान ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, अफगानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे का जश्न मनाया था. तत्कालीन इमरान सरकार ने किया था स्वागत तत्कालीन इमरान सरकार ने तालिबान लड़ाकों को पाकिस्तान का दोस्त बताया था, लेकिन अब पाकिस्तान अपने दोस्तों को अपना दुश्मन बता रहा है. आईएसआई ने हुक्मरानों को अपनी रिपोर्ट देकर इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है. हाल की आतंकवादी घटनाएं। बाद में, पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में 60% की वृद्धि हुई और आत्मघाती बम विस्फोटों में 500% की वृद्धि हुई। आईएसआई, जो कभी भारत के खिलाफ आतंक फैलाती थी, अब कह रही है कि वे अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देंगे आतंकवाद। बस इतना ही। प्रधान मंत्री ने दावा किया कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, आतंकवादी अब अपने हथियारों का उपयोग कर रहे हैं, खासकर आईएसआई और तालिबान, लश्कर-ए-ताबिया, जैश-ए जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों की मिलीभगत के कारण -मोहम्मद और हिज्बुल-उल-मुजाहिदीन। खतरनाक आतंकी संगठनों तक अमेरिकी हथियार पहुंच चुके हैं। सोचने वाली बात यह है कि 2 साल में अफगानिस्तान से हुए आतंकी हमलों में 2267 लोगों की मौत हो चुकी है। इन हमलों में 15 अफगानी नागरिक भी मारे जा चुके हैं। अब तक सूत्रों के मुताबिक आईएसआई की एजेंसियों से लड़ते हुए 10 अफगानी नागरिक मारे गए हैं, आईएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आतंकी अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल अपने देश के खिलाफ कर रहे हैं. (अनिल नरेंद्र)

अनुभवी रेट माइनर्स टीम को सलाम!

उत्तराखंड के सिल्कियारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने वाले रेट खनिकों का कहना है कि यांत्रिक प्रयास विफल होने पर मजदूरों को आखिरकार उनके श्रमिक भाइयों ने बचाया जो 17 दिनों तक फंसे रहे थे।खनिकों को काम पर रखा गया था, जिन्होंने सुरंग में फंसे मजदूरों को खोदकर बाहर निकाला हाथ से। एक अखबार से बातचीत में सातवीं कक्षा के छात्र और बागपत निवासी 35 वर्षीय मुहम्मद रशीद ने बताया कि मजदूरों को मजदूर भाइयों ने बाहर निकाला। टीम ने 26 घंटे तक हाथ से सुरंग खोदी। अत्यंत कठिन परिस्थितियों में। अधिकांश दर खनिक दलित और मुस्लिम समुदायों से हैं। टीम ने हाथ से 18 मीटर तक मलबा खोदा। टीम ने हथौड़ों और छेनी से 800 मिमी चौड़े ढेर खोदे और एक छोटी ट्रॉली से मलबे को पाइप से निकाला। हाई-टेक मशीनें भी विफल रहीं। दर खनिकों का यह समूह बदले में कोई पैसा नहीं चाहता था जान बचाने के उनके प्रयासों के लिए, हालांकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी ने प्रत्येक रेट माइनर को 50,000 रुपये का इनाम देने की पेशकश की। क्या घोषणा की गई है? 45 वर्षीय रेट माइनर मुहम्मद इरशाद ने कहा कि मैं बस इतना समझना चाहता हूं कि हर इंसान को इंसान और मेरठ के लोगों का दर्द समझना चाहिए जो देश में प्यार का माहौल पैदा कर रहे हैं। इरशाद 2001 से रेट माइनर हैं। और अब एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं इरशाद अभी तक घर नहीं गए हैं भारत में रेट हॉल खनन को खतरनाक और एक वैज्ञानिक तकनीक माना जाता है, लेकिन कोयला खनन क्षेत्रों और कई लोगों में भी इसका अभ्यास किया जाता है, एक अन्य 35 वर्षीय रेट खननकर्ता मन कुरेशी कहती हैं, "जब भी मैं थका हुआ महसूस करती हूं, तो मुझे अपने शब्द याद आते हैं 10 साल का बेटा फैज़। उसने कहा, 'आपको इन लोगों को बाहर निकालना होगा और वापस आना होगा, पिताजी।' 21 वर्षीय सुरवु भाई इस टीम के सबसे कम उम्र के सदस्य हैं। बुलंद शहर के एक छोटे से गांव से आए इन लड़कों ने भी राहत और बचाव कार्य में भाग लिया। मेरे छोटे भाई सोरो ने कहा, क्या हमें इसके तहत एक पक्का घर मिल सकता है? प्रधानमंत्री की मुक्ति योजना? ख़राब, अगर सरकार सड़क बनाये तो अच्छा होगा। वह अपने बिल के अंदर खुदाई करती है और मिट्टी निकालती है और आगे बढ़ती है। जिस तरह से रेट माइनर सुरंग के अंदर काम करते हैं, इस तकनीक को रेट माइनिंग कहा जाता है। (अनिल नरेंद्र)