Tuesday, 16 April 2024

मतदाताओं के लिए बड़े चुनावी मुद्दे


स्टेट फॉर द स्टडी ऑफ डेवलEिपग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के लोकनीति कार्यक्रम के तहत मतदान से पहले सर्वेक्षण में मतदाताओं के मन को समझने की कोशिश की गई। सर्वेक्षण में लोगों ने माना की बीते पांच सालों में रोजगार के अवसरों में गिरावट आई है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इनकी वजह से लोगों को जीवन स्तर संतुलित रखने में परेशानी हो रही है। सर्वेक्षण में शामिल 62 फीसदी मानते हैं कि आज के दौर में नौकरी पाना सबसे कठिन है। शहर से लेकर गांव तक लोगों के पास रोजगार का संकट है। महिलाओं के लिए तो मौके और भी कम हो गए हैं। बेरोजगारी के मुद्दे पर कुल 62ज्ञ् लोगों का मानना है कि लोकसभा 2024 चुनाव में जनता की नजरों में यह सबसे बड़ा मुद्दा है। 62ज्ञ् गांव में, 65ज्ञ् शहरों में और कस्बों में 59ज्ञ् का मानना है कि बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। वहीं 65ज्ञ् पुरुष और 59ज्ञ् महिलाएं यह मानती हैं। सर्वेक्षण में लोगों ने माना कि बेरोजगारी और महंगाई के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। उनका मानना था कि सभी वर्गों की बेहतरी के लिए राज्य सरकारों को देश की आर्थिक स्थिति संतुलित रखने के लिए आगे आना चाहिए। जहां तक महंगाई का सवाल है 76ज्ञ् जनता इससे बुरी तरह प्रभावित है। गरीब वर्ग के 76ज्ञ् लोग, कमजोर वर्ग 70ज्ञ्, मध्य 66ज्ञ्, उच्च मध्यम 68ज्ञ् ऐसा मानते हैं। जहां तक क्षेत्रों का सवाल है 72ज्ञ् गांव, शहर 66ज्ञ्, कस्बा 69ज्ञ् यह मानते हैं। दलित, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक हैं। 67 फीसदी मुस्लिम लोग मानते हैं कि उनके लिए नौकरी खोजना दूर की कौड़ी है। इसी तरह मुस्लिम समुदाय के 76ज्ञ् लोग महंगाई को लेकर ज्यादा गंभीर हैं। सर्वेक्षण में विकास के मुद्दे पर मतदाता भाजपा के साथ दिखते हैं। हालांकि बेरोजगारी और महंगाई को लेकर भाजपा के सामने चुनौती है। सर्वेक्षण में शामिल 50 फीसदी लोगों का मानना है कि भाजपा के लिए ये दोनों मुद्दे गंभीर हो सकते हैं। उच्च वर्ग इन मुद्दों में ज्यादा रूचि नहीं दिखाते पर ग्रामीण बेरोजगारी और कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर ज्यादा आक्रामक हैं। कम पढ़े-]िलखे लोग महंगाई तो अधिक पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारी के मुद्देs को लेकर सजग हैं। चुनाव में जो मुद्दे हावी रहे ः बेरोजगारी 27ज्ञ्, महंगाई 23ज्ञ्, विकास 13ज्ञ्, भ्रष्टाचार 8ज्ञ्, राम मंदिर 8ज्ञ्, हिन्दुत्व 2ज्ञ्, भारत की छवि 2ज्ञ्, आरक्षण 2ज्ञ्, अन्य जवाब 9ज्ञ्, और 6ज्ञ् को पता नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल सिर्फ आठ फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार और राम मंदिर पर खुद से जोर दिया। अधिकांश मुद्दे चुनावी प्रचार व रैलियों के जरिए ही लोगों में जगह बना रहे हैं। लोकनीति सीएसडीएस ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान समेत कुल 19 राज्यों की 100 संसदीय सीटों के 400 पोलिंग बूथों पर ये सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण 28 मार्च से आठ अप्रैल के बीच हुआ। इसमें कुल 19019 लोगों ने भाग लिया। जिनमें अलग-अलग मुद्दे से जुड़े सवालों पर लोगों की राय जानी गई है। सर्वेक्षण से इतना तो तय हुआ ]िक जनता इस बार न तो मंदिर-मस्जिद, राम मंदिर इत्यादि मुद्दे पर अपना वोट देगी वे आर्थिक मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देगी बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार यह सब बड़े मुद्दे होंगे।

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