Saturday, 6 April 2024

चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस


सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती का अनुरोध करने वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग और केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। वर्तमान में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से केवल रैंडम रूप से चयनित पांच ईवीएम (इलेक्ट्रिनिकल वोटिंग मशीन) के सत्यापन का नियम है। याचिका में सभी मतदाता सत्यापित पेपर ट्रेल (वीवीपैट) पेपर पर्चियों की गिनती की मांग की गई थी। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने इसी तरह की राहत की मांग करते हुए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दायर एक अन्य याचिका के साथ इस याचिका को टैग करते हुए आदेश पारित किया। याचिका में निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश को भी चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानि एक के बाद एक जिससे अनावश्यक देरी होगी। याचिका में दलील दी गई है fिक यदि एक साथ सत्यापन किया जाए और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक संख्या में अधिकारियें को तैनात किया जाए तो पांच-छह घंटे के भीतर पूरा वीवीपैट सत्यापन किया जा सकता है। याचिकर्ताआंss ने तर्क दिया कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और वर्तमान में केवल 20000 वीवीपैट की पर्चियों का सत्यापन होता है। यह देखते हुए कि वीवीपैट और ईवीएम के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा कई सवाल उठाए जा रहे हैं और यह तथ्य कि अतीत में ईवीएम और वीवीपैट वोटों की गिनती के बीच बड़ी संख्या में विसंगतियां सामने आई हैं। यह जरूरी है कि सभी वीवीपैट पार्चियों की गिनती की जाए और मतदाता को अपनी वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में मौलिक रूप से गिराने की अनुमति देकर यह ठीक से सत्यापित करने का अवसर दिया जाए कि मतपत्र में डाला गया उसका वोट भी गिना जाता है। याचिकाकर्ता ने चार राहत की मांग की है। एक यह कि ईसीआई अनिवार्य रूप से सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के माध्यम से मतदाता द्वारा दर्ज किए गए वोटों के साथ ईवीएम में गिनती को सत्यापित करता है। दो-चुनाव आयोग की ओर से अगस्त 2023 को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट पर मैनुअल के दिशानिर्देश संख्या 14.7 (एच) को रद्द कर दिया जाना चाहिए। यह वीवीपैट पर्चियों में केवल क्रमिक सत्यापन की अनुमति देता है जिसके परिणामस्वरूप सभी वीवीपैट पर्चियों की fिगनती में अनुचित देरी होती है। तीन यह कि ईसीआई और मतदाता की वीवीपैट द्वारा उत्पन्न वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता का मत रेकार्ड के अनुसार गिना गया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए यह अति आवश्यक है कि चुनाव में पारदर्शिता लाई जाए और वोटरों में विश्वास पैदा किया जा सके कि उनकी वोट उसी उम्मीदवार या पार्टी को गई है जिसे उसने वोट दिया है। ईवीएम से जनता का विश्वास उठ चुका है। देखें, चुनाव आयोग इसका क्या जवाब देता है और सुप्रीम कोर्ट आगे क्या कार्रवाई करता है।

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