Thursday, 30 January 2025

40 साल में सबसे ज्यादा महिलाएं चुनावी मैदान में



इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने 9-9 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने 7 महिलाओं को मैदान में उतरा है। 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में मैदान में उतरे 699 उम्मीदवारों में से 96 महिलाएं हैं। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। तीनों पार्टियों ने 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार ज्यादा महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बता दें कि इस बार चुनाव में पिछले चार दशकों में सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। आप ने महिला उम्मीदवारों में आतिशी, पूजा बालियान, प्रमिला टोकस और राखी बिड़लान के साथ अन्य पांच महिला उम्मीदवारों को उतारा है, जिसमें से आतिशी, प्रमिला टोकस, धनवंती चंदेला, वंदना कुमारी और सरिता सिंह फिर से मैदान में उतरी हैं। वहीं भाजपा की महिला उम्मीदवारों में रेखा गुप्ता, शिखा राय और प्रियंका गौतम हैं। ये तीनों एमसीडी की पार्षद का चुनाव भी जीत चुकी हैं। कांग्रेस की सात महिला उम्मीदवारों में प्रमुख रूप से अल्का लांबा, अरिबा खान, रागिनी नायक और अरुणा कुमार शामिल हैं। 1993 में 316 उम्मीदवारों की सूची में केवल 88 महिलाएं थीं जो सिर्फ 4 प्रतिशत था और इनमें सिर्फ 3 महिलाएं चुनाव जीत पाई थीं। महिलाओं की सफलता को देखते हुए 1998 तक महिलाओं की भागीदारी थोड़ा कम हो गई और 57 महिलाएं मैदान में उतरीं। लेकिन सफलता दर में सुधार हुआ और पांच फीसदी से बढ़कर 16 तक पहुंच गई। अब तक का रिकार्ड बना हुआ है। इसी तरह 2003 में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 78 हो गई लेकिन सिर्फ 9 प्रतिशत उम्मीदवार ही चुनाव में जीत हासिल कर पाईं। इसी तरह 2008 में भागीदारी बढ़कर 81 हो गई, सफलता दर घटकर 4 फीसदी रह गई। 2013 में महिला उम्मीदवारों की संख्या घटकर 71 हो गई, जबकि सफलता पर कोई बदलाव नहीं आया। 2015 में 66 महिलाएं मैदान में उतरीं जिसमें 9 फीसदी ने जीत हासिल की। 2020 में 79 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, 8 उम्मीदवारों यानि अपनी करीब 10 प्रतिशत ने जीत हासिल की। आप ने लगातार महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाई है। पार्टी में महिला उम्मीदवारों का जीत का प्रतिशत काफी अच्छा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 2013 में 6 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और तीन ने जीत हासिल की। वहीं 2015 में भी सभी 6 महिलाएं जीतीं। 2020 में पार्टी ने 9 महिलाओं को मैदान में उतारा, जिसमें से 8 जीतीं। जीत के प्रतिशत को देखते हुए इस साल पार्टी ने फिर से 9 महिलाओं को मैदान में उतारा है।

-अनिल नरेन्द्र

फैजाबाद की हार का बदला मिल्कीपुर से


5 फरवरी को होने जा रहे अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव पर भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद इस सीट पर चुनावी कमान संभाल ली है। वे चुनाव की घोषणा के पहले ही मिल्कीपुर विधानसभा इलाके में तीन सभाएं कर चुके हैं। अयोध्या का भी दौरा आधा दर्जन बार दो माह के बीच किया, जिसमें चुनावी एंगल पर भाषण भी दिया। इसके साथ ही प्रदेश सरकार के सात मंत्री यहां चुनाव प्रचार में लगे हैं। भाजपा के प्रदेश संगठन और जिला संगठन का एक ही लक्ष्य है... हर हाल में मिल्कीपुर उपचुनाव जीतना। वास्तव में भाजपा लोकसभा चुनाव में यहां मिली हार का बदला लेकर यह बताना चाहती है कि समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद सपा और इंडिया गठबंधन के झूठे प्रचार व लोगों में भ्रम पैदा करके अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट जीते हैं। सपा ने सारे देश में फैजाबाद में जीत का प्रचार कर भाजपा की फजीहत की थी। ऐसे में भाजपा उन कमियों को नहीं दोहराना चाहती जो लोकसभा के चुनाव में हार के कारण बनी थी। पार्टी के ही सूत्र बताते हैं कि पिछले चुनाव की हार की समीक्षा कर, अब घर-घर संपर्क का कार्यक्रम चल रहा है। भाजपा उम्मीदवार चंद्रभान पासवान खुद भी वोट मांग रहे हैं। मुलायम सिंह की पुत्रवधु और भाजपा नेता अपर्णा यादव, यादव समुदाय की वोट मांग रही हैं। समाजवादी पार्टी के प्रचार में जुटे पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे पवन व क्षेत्रीय सपा नेता कमलासन पांडे ब्राह्मण वोटों को पक्का करने के लिए संपर्क कार्यक्रम चला रहे हैं। पवन ने बताया कि इस समय सपा की रोजाना 6 चौपाल लगाई जा रही है। सांसद अवधेश प्रसाद भी अपने पुत्र के चुनाव प्रचार में जुटे हैं। प्रचार कार्यक्रम में भाजपा शासन की तानाशाही, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था की गिरावट को मुद्दा बनाया जा रहा है। सुरक्षित सीट होने के कारण मिल्कीपुर में दलितों की संख्या अधिक है। 70 हजार के करीब ब्राह्मण, 65 हजार यादव व 25 हजार ठाकुर, 20 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। यहां पाशी, कोरी, ब्राह्मण व यादव चुनाव में प्रभावकारी भूमिका निभाते हैं। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा की जीत के पीछे बीएसपी के उम्मीदवार के वोट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने 86960 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद को 58684 और बीएसपी के राम गोपाल को 46027 वोट मिले थे। जबकि पिछले चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को हराकर जीत दर्ज की थी। 5 फरवरी को होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा से चंद्रभान पासवान और सपा से अजित प्रसाद उम्मीदवार है। बीएसपी ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने संतोष कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एसपी के अवधेश प्रसाद के करीबी हैं और नाराज होकर आसपा में शामिल हो गए। वे दलितों के वोटों में कितनी सेंध लगाते हैं, इसका भी चुनाव परिणाम पर असर पड़ेगा। भाजपा ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। अयोध्या की हार से पार्टी की पूरे देश में कितनी किरकिरी हुई थी कि श्रीराम के मंदिर के निर्माण के बाद भी भाजपा यहां से हार गई। अब बदला लेने का मौका है। देखें, मतदाताओं का क्या रुख रहता है।

Tuesday, 28 January 2025

लालू ने सौंप दी तेजस्वी को विरासत


पटना में हुई कुछ दिनों पहले राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश कर पार्टी के सारे फैसले लेने के लिए लालू प्रसाद यादव के साथ तेजस्वी यादव को भी अधिकृत कर दिया गया। इसके साथ ही पार्टी में तेजस्वी यादव युग की शुरुआत हो गई है। पार्टी के गठबंधन से लेकर चुनाव सिंबल बांटने तक का कार्य अब तेजस्वी करेंगे। इस प्रस्ताव पर 5 जुलाई 2025 को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुहर लगाई जाएगी। साथ ही तय किया गया कि गठबंधन और पार्टी की ओर से बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी ही होंगे। बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका बखूबी निर्वाह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान करेंगे। इसके लिए उन्होंने सभी के प्रति आभार जताया। लालू प्रसाद के नेतृत्व में ही उनके संघर्ष को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि पार्टी का खुला अधिवेशन 5 जुलाई 2025 को बापू सभागार में आयोजित करने का फैसला हुआ है। बैठक में आने वाले चुनाव और सदस्यता अभियान पर भी की चर्चा की गई। बिहार की राजनीति में इस वक्त दो ही युवा चेहरे की चर्चा हो रही है। चिराग पासवान और तेजस्वी यादव। चिराग फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में उनके उतरने की संभावना नहीं है। ऐसे में तेजस्वी यादव को कमान सौंपकर आरजेडी की कोशिश है कि बिहार में युवा वोटर्स को अपने साथ जोड़ा जा सके। डिप्टी सीएम रहते बिहार सरकार की ओर से हुई नियुक्तियों का श्रेय भी तेजस्वी को ही दिया जाता है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि युवाओं के बारे में उन्हें चुनाव में फायदा मिलेगा। बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाले हैं और ऐसे वक्त में पार्टी के अंदर बगावत या परिवार के मतभेद सामने आने से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए तेजस्वी यादव को घोषित तौर पर उत्तराधिकारी बना दिया गया है।

-अनिल नरेन्द्र

अमेरिका में 538 अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला


डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के चार दिन मात्र ही अवैध प्रवासियों को लेकर अपने वादे पर अमल करना शुरू कर दिया। अमेरिका ने सैन्य विमानों के जरिए अवैध प्रवासियों के लिए निर्वासन उड़ाने शुरू भी कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में रह रहे कितने भारतीय प्रभावित होंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रंप की सीमा नीतियों के कारण पहले ही 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ट्रंप प्रशासन ने 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार कर निर्वासित कर दिया है। इनमें एक संदिग्ध आतंकवादी भी है। राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को एक कड़ा और स्पष्ट संदेश देते हैं कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ट्रंप के इस आदेश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार का भी समर्थन मिल गया है। सोशल मीडिया पर अमेरिका से अवैध प्रवासी डिपोर्ट करने की तस्वीर सामने आने के बाद तत्काल बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह उन भारतीयों को वापस लाएंगे जो बिना उचित दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं। हालांकि भारत ने इसमें एक शर्त भी लगाई है कि वे भारतीय वापस लाए जाएंगे जिनकी राष्ट्रीयता का सबूत देश यूएस। 1 नवम्बर 2024 तक ट्रंप प्रशासन के निर्वासन के कदम से 20,000 से अधिक बिना दस्तावेज वाले भारतीय प्रभावित हो सकते हैं। ये भारतीय या तो अतिम निष्कासन आदेश का सामना कर रहे हैं। जिसका अर्थ है कि उन्हें देश छोड़ना होगा का संभावित हिरासत और भविष्य में पुन प्रवेश में बाधाओं सहित कानूनी परिणामों का सामना करना होगा या वर्तमान में आईसीई के हिरासत केंद्र में हैं। इनमें से 17,940 बिना दस्तावेज वाले भारतीय हिरासत में नहीं हैं और अंतिम आदेस के तहत हैं। नियमों के अनुसार विदेशी के रूप में वर्गीकृत एक गैर नागरिक जो अन्यथा त्वरित निष्कासन के अधीन है, जो शरण के लिए आवेदन करने का इरादा रखता हो या किसी विशेष उत्पीड़न का किसी को डर है, हटाए जाने से पहले उस दावे को प्रशासनिक समीक्षा का हकदार है। अपुष्ट खबरों के अुसार इस समय भारतीय मूल के अप्रवासियों की संख्या दो लाख से ऊपर बताई जा रही है जो मुश्किल में पड़ सकते हैं। इमिग्रेशन एक्टिविस्ट और एनडीओ के अनुसार 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण तक लगभग 6 लाख अवैध भारतीय प्रवासी इलिनाम, वोस्टन, कैलिफोर्निया और न्यूयार्क जैसे दो दर्जन राज्यों में जा बसे हैं। अवैध प्रवासी इन राज्यों को सेफ कहते हैं क्योंकि ये बाइडेन-कमला की पार्टी डेमोक्रेटिक में शामिल हैं। ये अमेरिकी राज्य अवैध प्रवासियों पर सख्त नहीं है। कई अमेरिकी राज्यों में अवैध प्रवासियों को ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है। इसके आधार पर वे सोशल सिक्युरिटी नंबर तो पाते हैं। अवैध प्रवासी ट्रंप वाले रिपब्लिकन राज्यों में जाने से बचते हैं। बगैर रजिस्ट्रेशन के अनुरूप कनाडा बार्डर से 2.75 लाख, मैक्सिको बार्डर से 2.25 लाख और वीजा ओवर स्टे पर 2.25 लाख भारतीय अमेरिका आए। अमेरिका में अवैध प्रवासियों भारतीयों की वर्कफोर्स लगभग 2 फीसदी हिस्सेदारी है। ये कंस्ट्रक्शन वर्कर, होटल, रेस्तरां, ग्रासरी स्टोर और ड्राइवर का जॉब करते हैं। ड्राइवर के जॉब में भी भारतीयों को सैलरी लगभग साढ़े तीन लाख रुपए मिल जाती है। जॉब पर रखने वाले भी अवैध प्रवासी को मार्केट रेट से कम सैलरी देकर खुद भी फायदा उठाते हैं।

Saturday, 25 January 2025

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में बगावत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद ग्राहण करते ही आनन- फानन में अनेक पैसले लिए और ऐलान कर डाला उससे स्वाभाविक ही अमेरिका में और दुनिया भर में तरह-तरह के प्राश्न उठने लगे हैं और प्रातिव््िराया भी सामने आने लगी है। अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ एक तरह से बगावती स्वर सुनाईं देने लगे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यंकारी आदेशों का देश भर में विरोध शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा विरोध ट्रंप के उस आदेश का हो रहा है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका में जन्मे व्यक्ति को स्वत: नागरिकता नहीं मिलेगी, यदि उनकी मां अवैध रूप से देश में रह रही हो और पिता नागरिक या वैध स्थाईं निवासी न हों। राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा इस पैसले पर हस्ताक्षर करने के 24 घंटे से भी कम समय में अमेरिका के ही 22 से ज्यादा डेमोव््रोट राज्य खुलकर ट्रंप के विरोध में उतर आए। उनका तर्व है कि ट्रंप के पास संवैधानिक अधिकारों को छीनने का कोईं अधिकार नहीं है, इनमें से 4 मामलों की सुनवाईं हो रही है। सबसे बड़ी परेशानी उन महिलाओं को हो रही है जो अमेरिका में शरणाथा या अवैध प्रावासी के रूप में रह रही हैं। उनका कहना है कि उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा? उनका कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप ही बताएं कि उनकी कोख में पल रहे मासूम बच्चे का क्या कसूर है? भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका में पैदा हुए किसी भी व्यक्ति के लिए स्वत: नागरिकता के नियम के परिवर्तन संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश का विरोध करते हुए कहा कि इस कदम से न केवल विश्व भर से आए अवैध अप्रावासी प्राभावित होंगे, बल्कि भारत से आए छात्र और पेशेवर भी प्राभावित होंगे। जैसा मैंने कहा कि अब डेमोव््रोटिक पाटा के प्राभाव वाले वहां के 22 राज्यों ने इस पैसले को अदालत में चुनौती दी है। भारतीय मूल के सांसदों ने भी इसका विरोध किया है। इसके अलावा ट्रंप प्राशासन के अधीन काम करने वाली कईं संस्थाओं ने इसे अदालत में चुनौती दी है। जाहिर है, ट्रंप प्राशासन के लिए इस पैसले पर आगे कदम बढ़ाना आसान नहीं रह गया है। जन्म के साथ नागरिकता का कानून अमेरिका संविधान में वर्णित है, इसलिए उसे बदलने पर विरोध की आशंका पहले से ही जताईं जाने लगी थी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी कानून को लागू करने या बदलने को लेकर असीमित अधिकार प्राप्त हैं, पर वहां की कानून व्यवस्था ऐसी है कि राष्ट्रपति भी उससे ऊपर नहीं हैं। ——अनिल नरेन्द्र

सैफ के जल्द ठीक होने पर उठे सवाल

चावू से हमले में घायल होने के बाद अभिनेता सैफ अली खान ठीक होकर अस्पताल से घर लौट चुके हैं। लेकिन अब उनके इतनी गंभीर चोटों से इतनी जल्दी फिट होने पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। लोग पीठ में इतने गहरे घाव के बाद इतनी जल्दी वैसे चलने लगे और इतने फिट वैसे हो सकते हैं प्राश्न पूछ रहे हैं? सवाल करने वालों में महाराष्ट्र के मंत्री और सरकार में शामिल शिवसेना के नेता हैं। महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने सैफ अली खान पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या उन पर सच में चावू से हमला हुआ था या फिर वह सिर्प एाक्टग कर रहे थे। इससे पहले शिव सेना नेता संजय निरुपम ने भी कहा था कि सैफ अली खान पांच दिन में इतने फिट वैसे हो गए? सैफ अली खान पर हमले के आरोप में पुलिस ने ठाणे से अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। अभियुक्त का नाम मोहम्मद शरीपुल इस्लाम शहजाद बताया गया है। साथ ही पुलिस ने अभियुक्त के बांग्लादेशी होने का भी संदेह जाहिर किया था। महाराष्ट्र सरकार में पोर्टस एंड फिशरीज मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले नितेश राणे ने बुधवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा— देखिए बांग्लादेशी बांग्लादेशी मुंबईं में क्या कर रहे हैं। वे सैफ अली खान के घर में घुस गए। पहले वो सड़क-चौराहे पर खड़े हुए चोरी करते थे, अब ये लोग घरों में घुसने लगे हैं, हो सकता है कि वह उन्हें (सैफ) ले जाने आया हो, अच्छा है। नितेश राणे ने कहा— मैंने उन्हें अस्पताल से बाहर निकलते देखा। मुझे संदेह हुआ कि उन पर चावू से हमला हुआ था या वह एाक्टग कर रहे थे। वो चल रहे थे तो डांस कर रहे थे। जब भी शाहरुख खान या सैफ अली खान जैसे किसी खान को चोट आती है तो हर कोईं उनके बारे में बात करना शुरू कर देता है, उधर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने सैफ अली खान की रिकवरी के बारे में सवाल किया कि क्या मेडिकल सेक्टर ने इतनी तरक्की कर ली है कि हमले के बाद सैफ वूदते-डांस करते हुए घर पहुंच गए। उन्होंेने समाचार एजेंसी एएनआईं से कहा, जब उन पर (सैफ) हमला हुआ था तब डाक्टरों ने बताया था कि उनकी पीठ में ढाईं इंच का चावू घुस गया था। डाक्टरों ने ये भी बताया कि छह घंटे तक ऑपरेशन चला। उसके बाद ऑटो वाले ने बताया कि लहुलुहान अवस्था में ये स्ट्रैचर पर अस्पताल पहुंचाए गए थे। संजय निरुपम ने पूछा— मेडिकल सेक्टर इतना तरक्की कर गया है कि चार दिन बाद मैं देखता हूं कि सैफ अली खान साहब एकदम उछलते-वूदते अपने घर लौट आते हैं। मेरे मन में सवाल उठा कि क्या सैफ फिजीकली इतने फिट हैं, उसकी वजह से इतना फास्ट रिकवर किया? या वह जिम जाते हैं इसलिए रिकवर किया इतना फास्ट? या कोईं और कारण है। निरुपम ने कहा कि परिवार को इस हमले के बारे में सामने आकर सभी बातें बतानी चाहिए। हमले के बाद ऐसा माहौल बनाया गया कि पूरे मुंबईं में कानून व्यवस्था पेल हो चुकी है। जबकि चार दिन बाद सैफ अली खान जिस तरह से बाहर आए उसे देखकर ऐसा लगा ही नहीं कि वुछ हुआ था। सैफ पर हमले में मुंबईं पुलिस रोज-रोज बयान बदल रही है। अब तक तीन अभियुक्तों के बारे में कहानी आ चुकी है। ताजा उदाहरण मोहम्मद शरीपुल इस्लाम शहजाद का है। इस शख्स की न तो शक्ल ही सीसीटीवी में दिखाए गए व्यक्ति जो 2.32 मिनट पर भागता दिखा, उससे मिलती है और न ही कद काठी। देखने से तो यही लगता है कि सैफ इससे ज्यादा फिट हैं। मुंबईं पुलिस या तो सच्चाईं बता नहीं रही है या फिर सच्चाईं को ढकने की कोशिश कर रही है। सैफ और उनका परिवार भी खुलकर सामने नहीं आ रहा है।

Thursday, 23 January 2025

आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या का मामला



इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डाक्टर के साथ बलात्कार और हत्या में कोर्ट ने संजय रॉय को उम्र वैद की सजा सुनाईं है। अदालत ने शनिवार को संजय रॉय को इस मामले में दोषी करार दिया था। कोलकाता की सियालदाह कोर्ट ने सोमवार को संजय रॉय को सजा सुनाईं और कहा कि दोषी संजय रॉय को उसकी मौत होने तक जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा संजय रॉय पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जज अनिर्बान दास ने अभियुक्त को मौत की सजा नहीं दी, हालांकि उन्होंने माना कि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है। जज ने राज्य सरकार को पीिड़ता के परिवार को 17 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का आदेश भी दिया। पिछले साल अगस्त में हुईं इस घटना ने पूरे देश व पश्चिम बंगाल में एक जनआव््राोश को जन्म दिया था। 9 अगस्त 2024 को 31 साल की एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का अस्पताल के कांप्रोंस हाल में शव मिला था। जांच में पता चला कि इस डॉक्टर का पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गईं थी। इस घटना के बाद कोलकाता में प्रादर्शन शुरू हो गए थे और दो महीने से भी ज्यादा समय तक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही थीं। 18 जनवरी को कोलकाता के सियालदाह कोर्ट ने इस मामले में पैसला सुनाया था। पैसला सुनाते हुए कोर्ट के स्पेशल जज अनिर्बान दास ने कहा कि सीबीआईं ने यौन शोषण और बलात्कार के जो सुबूत पेश किए हैं उससे उनका अपराध साबित होता है, यह पैसला बीते साल नवम्बर में शुरू हुईं सुनवाईं के लगभग दो महीने बाद और इस अपराध के 162 दिन बाद सुनाया गया है। सत्र न्यायाधीश ने आरोपी संजय को बोलने का मौका दिया। संजय का दावा है उसे पंसाया गया है। मृतका के मां-बाप ने उसे दोषी ठहराने पर खुशी व्यक्त की मगर दोहराया कि वे अकेला नहीं था, उसके साथ और भी लोग थे, जिन्हें सजा मिलने तक वह संघर्ष जारी रखेंगे। मृतका के पिता ने कहा, अभी बहुत से सवालों के जवाब बाकी हैं क्योंकि जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि घटना जितनी वीभत्स थी, उसमें अन्य लोग भी शामिल थे। हालांकि अस्पताल से जुड़े तमाम अन्य पैसलों व आि़र्थक घपलों का भी खुलासा हुआ जिन पर अब तक कोईं कार्रवाईं नहीं की गईं है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनजा पर दोषियों का पक्ष लेने जैसे गंभीर आरोपों के बाद अस्पताल प्राबंधन में मामूली पेरबदल करने से सरीखे कवायद भले ही हुईं मगर समस्याओं के समाधान का प्रायास होते नजर नहीं आया। तमाम कड़े कानूनों के बाद भी देश में महिलाओं को प्रातिदिन असुरक्षा के माहौल से जूझने को मजबूर होना पड़ता है। दो बड़ दावों के अलावा और वुछ अतिरिक्त उन्हें नहीं मिलता। आरजी कर अस्पताल के डाक्टरों ने कहा है कि अभी हमारा विरोध खत्म नहीं होने वाला। अब भी वारदात में शामिल कईं लोग न्याय के कटघरे से बाहर हैं।

पूरा इंसाफ मिलने तक हमारा प्रादर्शन जारी रहेगा। जूनियर डाक्टर अनिकेत महतो ने कहा कि संजय रॉय को दोषी बताया गया है, लेकिन अन्य दोषियों का क्या? यह अकेले इस अपराध को वैसे अंजाम दे सकते हैं, उन्होंने पूछा कि पूरक आरोप पत्र कहा हैं? सीबीआईं ने कहा था कि वे जल्द ही एक आदेश दाखिल करेंगे। रैली के दौरान डाक्टरों ने मामले में 20 प्रामुख सवाल उठाए जिनका जवाब अभी तक संतोषजनक नहीं मिला। सवाल यह है कि इतने बड़े मामले में सीबीआईं ने सिर्प संजय रॉय को आरोपी बनाया? ——अनिल नरेन्द्र

दिल्ली में मुफ्त रेविड़यों की होड़



रेविड़यों की होड़ देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल पूरी ताकत के साथ चुनाव प्राचार में जुटे हुए हैं। इन चुनावों में आप, भाजपा और कांग्रोस तीनों ही मुफ्त की कईं योजनाओं के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनावों के लिए वोटिग होनी है। इन चुनावों में दिल्ली की सत्ता को बनाए रखना आम आदमी पाटा के लिए बेहद अहम है तो वहीं तीन दशकों से राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा भी जी जान से जुटी हुईं है। जबकि कांग्रोस पाटा भी दिल्ली में अपनी खोईं हुईं राजनीतिक जमीन को दोबारा हासिल करने की कोशिश में है और तीनों ही प्रामुख दलों के लिए लोकलुभावन वादे चुनाव प्राचार का अहम हिस्सा बनते दिख रहे हैं।

देश में कल्याणकारी योजनाएं पुराने समय से चलाईं जा रही हैं। देश के कईं इलाकों में पैली गरीबी और लोगों की जरूरत के लिए इसे काफी जरूरी भी माना गया है। ऐसी योजनाओं में गरीबों के लिए राशन, पीने का स्वच्छ पानी, बेसहारा और बुजुर्गो के लिए पेंशन, चिकित्सा सुविधा जैसी कईं योजनाएं शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर मुफ्त की कही जाने वाली इन रेविड़यों से वोट मिलता है तो इसका सीधा मतलब है कि देश में वो गरीबी मौजूद है जो लोगों को दुख देती है और इन रेविड़यों से उन्हें कहीं न कहीं आर्थिक लाभ होता है। हालांकि वुछ का मानना यह भी है कि इन योजनाओं का बड़ा नुकसान यह है कि लोग आज के घाटे फायदे के लिए कल का बड़ा नुकसान कर रहे हैं। लोगों को सुविधाएं देने के मामले में सियासी दलों में ऐसी होड़ देखी जा रही है कि अगर आम आदमी पाटा (आप) ने महिलाओं के लिए 2100 रुपए देने का वादा किया तो भाजपा ने 2500 रुपए देने का वादा कर दिया है। आप 200 यूनिट बिजली प्री देती है तो कांग्ग्रोस ने इसे 300 यूनिट का वादा किया है। आप सरकार ने महिलाओं को मुफ्त बस सेवा, वुछ तबकों को 300 यूनिट प्री बिजली दी है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में हर गरीब महिला को हर महीने 2500 रुपए देने का वादा किया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली पेंशन 2 हजार से बढ़ाकर 2500 करने का वादा किया गया है। भाजपा ने अन्य वादों के अलावा हर गर्भवती महिला को 21 हजार रुपए की आर्थिक मदद और 6 पोषण किट देने का वादा किया है। इसमें हर गरीब परिवार की महिला को 500 रुपए में एलपीजी गैस सिलेंडर और होली-दिवाली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त देने का संकल्प भी किया है, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पाटा के संयोजक अरविद केजरीवाल ने भाजपा के संकल्प पत्र पर प्रातिव््िराया देते हुए कहा— भाजपा ने सरेआम खुले शब्दों में यह स्वीकार किया कि दिल्ली में केजरीवाल की ढेरों कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं जिसका लाभ भाजपा वालों के परिवारों को भी मिल रहा है। हमें राजनीति करनी नहीं आती, काम करना आता है और काम ऐसा करते हैं कि हमारे विरोधी भी उसकी तारीफ करते हैं। आम आदमी पाटा की सरकार दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, इलाज, शिक्षा, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, बुजुर्गो को मुफ्त तीर्थ यात्रा की योजना चला रही है।

उसमें अब इसे और बढ़ाने का वादा किया है, जिसमें हर महिला को हर महीने 2100 रुपए, बुजुर्गो को इलाज का पूरा खर्च पुजारियों-ग्रांथियों को हर महीने 18 हजार रुपए की सम्मान राशि और छात्रों को भी बसों में मुफ्त यात्रा जैसे कईं वादे किए हैं। आप ने दिल्ली मेट्रो में छात्रों को 50 फीसदी छूट देने का भी वादा किया है। कांग्रोस ने महिलाओं के लिए प्यारी दीदी योजना, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जीवन रक्षा योजना, युवाओं के लिए युवा उड़ान योजना, इसके अलावा महंगाईं मुक्ति योजना जैसे कईं वादे किए हैं।

अब देखना यह है कि दिल्ली के वोटरों को कौन-सी रेविड़यां लेनी पसंद हैं।

Tuesday, 21 January 2025

इजरायल-गाजा जंग खत्म होगी



इजरायल और हमास के बीच गाजा में युद्ध विराम अगर वाकई में ही हो गया है तो यह पूरी दुनिया के लिए राहत देने वाली खबर है। बताया जा रहा है कि इजरायली कैबिनेट ने अंतिम मंजूरी दे दी है और अब 470 दिनों बाद क्षेत्र में शांति होगी। दोनों पक्षों के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद इजरायल और फिलस्तीन के डेढ़ करोड़ लोगों के चहरों पर खुशियां लौटने लगी हैं। हालांकि अभी भी दोनों तरफ से मान-मनोव्वल की जरूरत चल पड़े तो समझौते पर अमल शुरू हो जाएगा। इस सहमति के बीच अमेरिका की भूमिका तो है ही, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी दिलचस्पी लेना भी खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। उन्होंने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि उनके पद ग्रहण करने से पहले बंधक छोड़ दिए जाने चाहिए। सहमति बनने की घोषणा भी सबसे पहले ट्रंप ने ही की है। इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम पर सहमति की घोषणा निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन तब तक यह वास्तव में जमीन पर नहीं उतरेगी, तब तक फिर से जंग की आशंका बनी रहेगी। पिछले वर्ष मई के बाद कई बार तात्कालिक या अस्थायी युद्ध विराम को लेकर पहलकदमी हुई, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद हमलों में लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहीं। जाहिर है कि यह कुछ दिनों के लिए भी युद्ध विराम देने को लेकर प्रतिबद्धता में कमी और शांति के प्रति अपेक्षा का भाव ही रहा कि अब तब इजरायली हमलों से फिलस्तीनी लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही है। फिलहाल समझौते का जो स्वरूप सामने आया है उसके मुताबिक हमास की ओर से चरणबद्ध तरीके से इजरायली बंधकों और इजरायल में सैंकड़ों फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही गाजा में विस्थापित लोगों को वापस लौटने की भी अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा युद्ध से प्रभावित इलाकों में मानवीय सहायता पहुंचाने की व्यवस्था होगी। यह शांति अच्छी वासी कीमत देने के बाद हासिल हो रही है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल में किए गए जिस आतंकी हमले से यह जंग शुरू हुई उसमें 1200 लोग (इजरायली) मारे गए थे और 250 इजरायलियों को बंधक बना लिया गया था। उसके बाद गाजा पर की गई इजरायली कार्रवाई में 46000 लोग मारे जा चुके हैं। गाजा की 90 फीसदी आबादी विस्थापित हो चुकी है। लेबनान, सीरिया, यमन और इराक तक इस संघर्ष की चपेट में आ चुके हैं। इस बात का डर लगता है कहीं इजरायल और ईरान में सीधा युद्ध न शुरू हो जाए। सीजफायर 92 दिन तक चलेगा। लेकिन इस डील में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि इसके बाद क्या होगा? क्या युद्ध हमेशा के लिए थम जाएगा? यह भी साफ नहीं है कि इजरायली सेना कब तक बंधक जोन में रहेगी? वहीं, कौन-कौन से बंधक जीवित हैं और कौन से मृत इसको लेकर भी सूचना नहीं है। पर जो कुछ भी है अगर युद्ध रूकता है चाहे कुछ समय के लिए ही सही पर गाजा के लोगों के लिए बड़ी राहत है। उन्हें अपना जीवन पुन जीने का समय मिलेगा और बर्बादी के समय से राहत मिलेगी। हम इस युद्ध विराम का स्वागत करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

सैफ अली खान पर जानलेवा हमला



अभिनेता सैफ अली खान पर जानलेवा हमले ने सभी को सकते में डाल दिया है। घर में घुसकर वह भी जो अति सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है कोई सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती। मुंबई में अगर इस स्तर की बड़ी हस्तियां भी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर आम शहरी किस तरह खुद को सुरक्षित माने। सैफ अली खान बांद्रा के पॉश इलाके में रहते हैं। इसी बांद्रा में शाहरुख खान भी रहते हैं और सलमान खान भी रहते हैं। इसी इलाके में हाल ही में बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई। सैफ पर हमले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उदाहरण के तौर पर हमलावर सैफ के घर सतगुरु शरण बिल्डिंग में घुसने में कैसे कामयाब रहा, जहां सैफ और उनका परिवार रहता है। एक हाई प्रोफाइल आवासीय इमारत में सुरक्षा संबंधी खामियों का समाधान क्यों नहीं किया गया? क्या सुरक्षाकर्मी लापरवाह थे या उन्हें ठीक से प्रशिक्षित नहीं किया गया था? क्या सुरक्षा प्रणाली जैसे कि सीसीटीवी कैमरे या इंटरकाम खराब थी या फिर उनकी निगरानी ठीक से नहीं की जा रही थी? हमलावर के चले जाने के बाद भी सीसीटीवी फुटेज का नहीं होना गंभीर सवाल खड़े करता है। हमलावर किस समय सैफ के घर घुसा यह अब तक साफ नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि वह दो घंटे पहले से ही सैफ के घर में घुस चुका था। इस इलाके में आमतौर पर पुलिस सख्त निगरानी करने के दावे करती है। गश्त करती है। जब हमलावर बिल्डिंग में घुसने की कोशिश कर रहा था तब मुंबई पुलिस की रात्रि कालीन गश्ती टीमें क्या कर रही थी? यह सवाल गंभीर है। यह तथ्य कि हमलावर बिना किसी रोक-टोक के इमारत में घुस गया, सुरक्षा और निगरानी में चूक का संकेत देता है। सैफ अली खान के घर के सदस्यों, जिनमें नौकर और घरेलू सहायिकाएं भी शामिल हैं। वो हमलावर पर काबू पाने में इतना समय क्यों लगा? यह इमारत के भीतरी सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है। पुलिस बार-बार अपना बयान बदल रही है। जिस शख्स को केवल शारीरिक समानता के आधार पर हिरासत में लिया गया था उसे बाद में छोड़ दिया गया। अब किसी बांग्लादेशी को हिरासत में लेने की बात कही जा रही है। मुंबई पुलिस या तो असलियत को छिपाने की कोशिश कर रही है या तथ्यों को दबाने के लिए गलत नेरेटिव बना रही है। अगर हमलावर चोरी करने के मकसद से आया था तो उसने कमरे में सामने पड़ी करीना की डायमंड ज्वैलरी क्यों नहीं उठाई। यह बयान खुद करीना ने दिया है। क्या यह महज इत्तिफाक है कि कुछ दिने पहले ही बैंड स्टैंड इलाके में शाहरुख खान के बंगले मन्नत के अंदर देखने की कोशिश कर रहा था एक शख्स। इस व्यक्ति का कद काठी के मामले में सैफ पर हमला करने वाले अपराधी जैसा ही लग रहा है। पहले सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग, फिर उनके करीबी बाबा सिद्दीकी की हत्या, फिर शाहरुख खान के घर के बाहर रैकी और अब सैफ अली खान पर कातिलाना हमला? क्या कोई चुन-चुन कर खानों पर हमला कर रहा है, ताकि बॉलीवुड में एक बार फिर दहशत का युग लौटे? क्या मुंबई फिर अंडरवर्ल्ड के कब्जे में आ रहा है? महाराष्ट्र की डबल इंजन की सरकार क्यों मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है?

Saturday, 18 January 2025

राहुल और केजरीवाल के एक-दूसरे पर हमले

दिल्ली के सीलमपुर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली रैली के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रणनीति को भाजपा जैसा बताया। क्षेत्रीय स्तर पर कांग्रेस नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बोलते रहे हैं लेकिन ये पहला मौका था जब राहुल गांधी ने सीधे-सीधे केजरीवाल पर वार किया। पिछले कई दिनों से दोनों ही राजनीतिक दल एक-दूसरे पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं। इस पर अरविंद केजरीवाल ने भी पलटवार किया और कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें गाली दी। केजरीवाल ने ये भी कहा है कि उन्होंने राहुल गांधी पर एक लाइन बोली लेकिन जवाब भाजपा वालों की ओर से आ रहा है। करीब सात महीने पहले ही दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव एक ही गठबंधन में रहकर लड़ी थीं। हालांकि उसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव दोनों अलग-अलग लड़े, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर ऐसे जुबानी हमले पहली बार सुनाई पड़े हैं। केजरीवाल ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर लिखा, क्या बात है... मैंने राहुल गांधी जी पर एक ही लाइन बोली और जवाब भाजपा से आ रहा है। भाजपा को देखिए कितनी तकलीफ हो रही है। सीलमपुर में अपनी पहली दिल्ली विधानसभा चुनावी सभा में राहुल गांधी ने कहा केजरीवाल जी आए और कहा कि दिल्ली साफ कर दूंगा, भ्रष्टाचार मिटा दूंगा, पेरिस बना दूंगा। अब हालात ऐसे हैं कि भयानक प्रदूषण है, लोग बीमार रहते हैं, बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। अब मैं जातिगत जनगणना की बात करता हूं तो नरेन्द्र मोदी जी और केजरीवाल जी के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता। ऐसा इसलिए है कि दोनों चाहते हैं देश में पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को भागीदारी न मिले। इस बयान के कुछ देर बाद ही अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, आज राहुल गांधी जी दिल्ली आए। उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। पर मैं उनके बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उनकी लड़ाई कांग्रेस बचाने की है। मेरी लड़ाई देश बचाने की है। दोनों नेताओं के बीच एक वाद-प्रतिवाद में भाजपा भी प्रतिक्रिया देने से नहीं चूकी थी भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, देश की चिंता बाद में करना अभी नई दिल्ली की सीट बचा लो। राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस की खोई हुई जमीन को फिर से समेटने की कोशिश कर रहे हैं। शीला जी के जाने के बाद से दिल्ली में कांग्रेस धरातल पर आ गई है। पिछले 10-11 सालों से कांग्रेस का दिल्ली से सफाया हो गया है। इसलिए हम राहुल गांधी की रणनीति को समझ सकते हैं। फिर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह केजरीवाल ने शीला दीक्षित पर निम्न स्तर के हमले किए थे और उन्हें बेइज्जत, जलील किया था। उनके पुत्र संदीप दीक्षित अब गिन-गिन कर बदला ले रहे हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि किस तरह आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा, गोवा, गुजरात इत्यादि राज्यों में अपने उम्मीदवार जबरदस्ती खड़े करके कांग्रेस को हरवा दिया था। अब लगता है कि कांग्रेस को न तो इंडिया गठबंधन की परवाह है और न ही इस बात की चिंता है कि अगर दिल्ली में कांग्रेस और आप के वोटों में विभाजन होता है तो इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। अब दिल्ली की चुनावी बिसात दिलचस्प होती जा रही है। -अनिल नरेन्द्र

भागवत के बयान पर राहुल का पलटवार

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सच्ची आजादी वाले बयान पर भारी विवाद खड़ा हो गया है। पहले बताते हैं कि सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा क्या था? मोहन भागवत सोमवार को इंदौर में थे। वहां वो रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार देने के लिए मौजूद थे। इस पुरस्कार समारोह में भागवत ने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए। इसे ही भारत का सच्चा स्वतंत्रता दिवस मानना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा था, प्रतिष्ठा द्वादशी, पौष शुक्ल द्वादशी का नया नामकरण हुआ। भारत स्वतंत्र हुआ 15 अगस्त 1947 को जिससे राजनीतिक स्वतंत्रता आपको मिल गई। उन्होंने आगे जो कहा उसका भाव यह था कि असल आजादी तो हमें प्रभु राम के मंदिर की प्रतिष्ठा के साथ मिली। मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया आई। राहुल गांधी ने नई दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर भागवत के इस बयान का जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, हमें ये मुख्यालय एक खास समय में मिला है। मेरा मानना है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत 1947 में आजाद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत की सच्ची आजादी उस दिन मिली जब राम मंदिर बना। वो कहते हैं कि संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि मोहन भागवत में ये दुस्साहस है कि हर दो तीन दिन में वो देश को ये बताते हैं कि आजादी के आंदोलन को लेकर वह क्या सोचते हैं। राहुल गांधी ने कहा, मोहन भागवत तो कह रहे थे कि संविधान बेमानी है, उनके बयान का मतलब ये है की ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़कर हासिल की गई हर जीत बेमानी है और उनके अंदर इतना दुस्साहस है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बात कर रहे है। मोहन भागवत ने अगर ये बयान किसी और देश में दिया होता तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती। ये देशद्रोह करार दिया जाता और वो गिरफ्तार हो जाते। भागवत कह रहे हैं कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। ऐसा कहना हर भारतीय का अपमान है, स्वतंत्रता के लिए लड़े शहीदों का अपमान है। आगे राहुल गांधी ने कहा कि हमारी विचारधारा हजारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ती आ रही है पर आप समझते हैं कि हम सिर्फ भाजपा या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से लड़ रहे हैं, तो आप ये समझ नहीं पा रहे हैं आखिर हो क्या रहा है। हम भाजपा और आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत ने राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी का दिन बताकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। भागवत ने कुछ समय पहले कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। इसके बाद कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजना बंद कर देना चाहिए। लेकिन अब भागवत मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी बताकर अपनी गलती सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। इस बयान से भागवत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तरफ भागवत ने भाजपा से संघ के कथित तनाव को कम करने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ हिंदुत्व समर्थकों को ये बता दिया है कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही भाजपा को चुनावी सफलता मिली है। इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो इस लहर को धीमा न पड़ने दें।

Thursday, 16 January 2025

आस्था के महाकुंभ हर-हर गंगे


प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था का कुंभ मेला शुरू हो गया है। तंबुओं का एक पूरा शहर यहां रूप ले चुका है, जिसकी आबादी अगले कुछ दिनों में दुनिया के बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ देगी। आस्था के इस संगम में डुबकी लगाने को लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। त्रिवेणी से नज़र उठाओ तो एक तरफ नौकाओं की लंबी कतारें, दूसरी तरफ तंबुओं का अनंत संसार दिखता है। और बीच-बीच में जहां नज़र ठहरे, वहां मुस्तैद खड़े पुलिस वाले दिखाई देते हैं। प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ कुंभ, सिर्फ आस्था का ही संगम नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशासनिक क्षमता का भी इम्तिहान है। कुंभ का समापन महाशिवरात्रि के दिन, 26 फरवरी को होगा। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इस बार कुंभ में 40 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई है। वज्रवाहन, ड्रोन, बम निरोधक दस्तों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) तक को तैनात किया गया है। अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत राजसी शानो-शौकत के साथ कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं। इस दौरान उनके साथ हाथी, घोड़े, ऊंट और नाच गाना करते सैकड़ों की संख्या में भक्त हैं। सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग अखाड़ों ने अपने भव्य टेंट लगाए हैं। जहां रहकर वे पूजा पाठ कर रहे हैं। पंच दशनाम जूना अखाड़ा में नागा साधु शरीर पर भस्म और गले में रुद्राक्ष की मालाएं पहने बैठे हैं। बीबीसी से बातचीत में एक नागा साधु कहते हैं, जब साधना में आ जाते हैं तो ठंड की कोई बात ही नहीं रह जाती। भक्ति में बहुत शक्ति होती है, फिर ठंड नहीं लगती। वे कहते हैं, हम अघोरी बाबा हैं। हम कपड़ों की जगह शरीर पर भस्म लगाते हैं। इससे ठंड थोड़ी कम लगती है। भस्म ही हमारा अंग वस्त्र है। कई ऐसे बाबा भी कुंभ में आए हैं, जिनका दावा है कि उन्होंने कई सालों से अपना एक हाथ ऊपर उठा रखा है। वे खुद को उर्ध्वबाहु कहते हैं। ऐसे ही एक असम के कामाख्या पीठ से आए गंगापुरी महाराज हैं, जो 3 फीट 8 इंच कद के हैं। उनका कहना है कि वे 32 सालों से नहीं नहाए हैं। शहर के एडीजी भानु भास्कर के मुताबिक मेला क्षेत्र में प्रवेश के लिए अलग-अलग दिशाओं से आने वाले कुल सात मुख्य मार्ग तय किए गए हैं। इन रूटों पर वाहनों के लिए मेला क्षेत्र के करीब 100 से ज्यादा पार्किंग बनाई गई है। हजार विशेष ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। कुंभ में ठहरने के लिए कई लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इनमें फ्री रैन बसेरों से लेकर पांच सितारा लग्जरी कैंप तक मौजूद हैं, जिनका एक रात का किराया लाख रुपये से भी ज्यादा है। भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने अरैल क्षेत्र के अंदर सेक्टर 25 में महाकुंभ ग्राम नाम से एक टेंट सिटी बसाई गई है। यहां श्रद्धालुओं के लिए सुपर डीलक्स कमरे और विला बनाए गए हैं। इन कमरों का प्रतिदिन किराया 16 हजार से 20 हज़ार रुपये है। यहां नाश्ता, लंच और डिनर की सुविधा के साथ-साथ गर्म पानी की व्यवस्था है। इसके अलावा अरैल घाट के पास एक डोम सिटी बनाया गया है। यहां शीशे के गुंबदनुमा कमरे बनाए गए हैं, जो जमीन से करीब 18 फीट ऊपर हैं। एक पांच सितारा होटल में जो सुविधा होती हैं, वो सभी सुविधाएं इसमें मिलेंगी। देश-विदेश से श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। भीड़ की वजह से वो घाट तक नहीं आ पाते। इसलिए हमने इस प्रोजेक्ट को डिजाइन किया है। बीबीसी से बातचीत में प्रबंधक सिंह बताते हैं, हमारे यहां शाही स्नान के दिन एक कमरे का प्रतिदिन किराया 1 लाख 11 हजार, वहीं आम दिनों में 81 हजार रुपये है। इसमें महाराजा बेड के साथ-साथ टीवी और अलग से अटैच बाथरूम भी बनाया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट में हमारे करीब 51 करोड़ रुपये लगे हैं। कुंभ में सात दिन शाही स्नान होंगे। उन दिनों में हमारे यहां एक डबल बेड वाले कमरे का किराया 20,000 और आम दिनों में 10,000 रुपए रखा है। वहीं दूसरी तरफ शहर में नगर निगम ने जगह-जगह पर अस्थाई रैन बसेरे बनाए हैं। यहां निःशुल्क रहने की व्यवस्था की गई है। कुंभ में लाखों लोग कल्पवास करते हैं, जिन्हें कल्पवासी कहते हैं। पिछले कई दिनों से भक्तों का प्रयागराज पहुंचने का सिलसिला जारी है। ये लोग माघ के पूरे महीने तंबू लगाकर पूजा पाठ करते हैं और अपने साथ जरूरत का सभी सामान घर से लेकर आते हैं। हम सांसारिक माया मोह और भौतिक चीजों से दूर रहें। बस भोजन और भजन करें, ठंडी और गर्मी का अहसास ना हो, यही कल्पवास है। प्रयागराज की रहने वाली श्यामलि तिवारी पिछले सात सालों से कल्पवास कर रही हैं। वे मां गंगा का नाम लेते हुए रोने लगती हैं। श्यामलि कहती हैं, यहां गंगा जी नहाने आए हैं, जो गलतियां हुई हैं, उन्हें गंगा मां माफ करेंगी। हम यहां एक महीने रहेंगे। शुद्ध भोजन करेंगे। लहसुन, प्याज और सरसों के तेल का इस्तेमाल तो दूर हम नमक भी सेंधा खाते हैं।

- अनिल नरेन्द्र

Saturday, 11 January 2025

ट्रंप का अखंड अमेरिका का सपना

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को भौगोलिक रूप से महान बनाने की योजना बना रहे हैं। उनकी महत्वकांक्षाएं ग्रीनलैंड को खरीदने, पनामा नहर पर कंट्रोल वापस लेने, कनाडा को अमेरिका में शामिल करने और मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए सेना उतारने तक पहुंच गई है। उनके मुताबिक अगर यह सब हो गया तो अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा। पहले भी ट्रंप ऐसी मांगे उठाते रहे हैं, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे ट्रंप की ये बातें मजाक से कुछ ज्यादा समझी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने के बाद कनाडा और ग्रीनलैंड को अमेरिकी राज्य बनाने की बात कह चुके है। उनके कनाडा, संबंधित बयान पर कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बुधवार तड़के जस्टिस ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि ऐसा होना मुमकिन नहीं है कि कनाडा अमेरिका का हिस्सा बनेगा। उन्होंने आगे लिखा, हमारे दोनों देशों के श्रमिक और समुदाय हम दोनों के बीच सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा साझेदार होने से लाभांवित होते हैं। हालांकि इस पोस्ट के बहाने ट्रूडो के नेतृत्व वाली एनडीपी-लिबरल सरकार की भी निंदा की। पियरे ने एक्स पर लिखा, हम एक महान और स्वतंत्र मुल्क हैं। हम अमेरिका के सबसे अच्छे दोस्त हैं। हमने 9/11 हमले के बाद अल-कायदा के खिलाफ कार्रवाई में अमेरिकयों की मदद के लिए अरबों डॉलर और सैकड़ों जाने दी हैं। हम अमेरिका को बाजार मूल्य से कम कीमतों पर अरबों डॉलर की उच्च गुणवत्ता वाली और पूरी तरह से विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं। हम अरबों डॉलर का अमेरिकी सामान खरीदते हैं। इसके बाद कनाडा के प्रमुख विपक्षी नेता पियरे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके जस्टिस ट्रूडो की एनडीपी-लिबरल सरकार को कमजोर बताया। उन्होंने लिखा हमारी कमजोरी एनडीपी-लिबरल सरकार इन साफ बिंदुओं को बताने में विफल रही। मैं कनाडा के लिए लडूंगा। जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा तो हम अपनी सेना को दोबारा से खड़ा करेंगे और सीमा को वापस कब्जे में लेंगे, ताकि कनाडा अमेरिका सुरक्षित रहे। ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस लेने वाली एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है। उन्होंने एक्स पर लिखा बस करो डोनाल्ड कोई कनाडावासी आपको ज्वाइन नहीं करना चाहता। हम प्राउड कनैडियन हैं। एक तरह से हम एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और अपने देश की हिफाजत करते हैं, हमें उस पर नाज है। दरअसल जस्टिन ट्रूडो को तभी सावधान हो जाना चाहिए था जब डोनाल्ड ट्रंप ने आमने-सामने की भेंट में ही कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया था। शायद तभी अगर ट्रूडो ने कड़ा व दो टूक जवाब दिया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। अब बचाव या जवाब देने उतरी ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने नया नक्शा जारी करके बताया है कि कौन-सा क्षेत्र अमेरिका में है और कौन अमेरिका का हिस्सा नहीं है, अब कनाडा को अपने बचाव के लिए अलग ही रणनीति के साथ कूटनीति के मैदान में उतरना होगा। अब यह बात स्पष्ट बता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक वृहद अमेरिका का स्वप्न देख रखा है, ठीक वैसे ही चीन देखता आ रहा है। हालांकि अपने साम्राज्य के विस्तार में चीन फिलहाल कुछ आगे है। बहरहाल ट्रंप ने अगर अपने सपने पूरे करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाए तो दुनिया में जगह-जगह उसका असर देखने के लिए तैयार रहना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

शीशमहल बनाम राजमहल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) में चल रही जुबानी जंग में दिल्ली का चुनाव शीशमहल बनाम राजमहल बन गया है। बुधवार को दिनभर भाजपा और आप नेताओं के बीच जुबानी जंग का दौरा जारी रहा। इस दौरान जो सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात सामने आई वो ये कि दिल्ली में शीशमहल बनाम राजमहल पर सियासत गरमा गई है। एक ओर आम आदमी पार्टी भाजपा पर दिल्ली की सीएम आतिशी को मुख्यमंत्री के लिए अलाट बंगले से निकालने का आरोप लगा रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा ने दिल्ली के सीएम के लिए अलॉट बंगले को मरम्मत में कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए उसे शीशमहल करार दे रही है। शीशमहल का मामला क्या है? दरअसल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सीएम रहते हुए अपने लिए सरकारी आवास की मरम्मत कराई। भाजपा का आरोप है कि सीएम रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने अपने तैयार किए गए सरकारी आवास का पूरा नक्शा बदल दिया। इसमें करीब 80 से 90 करोड़ रुपए खर्च कर इसे 7 स्टार रिसॉर्ट में बदल दिया। हालांकि चुनाव से पहले सामने आई सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि इस बंगले की मरम्मत पर दिल्ली सरकार ने करीब 45 करोड़ रुपए खर्च दिखाया है। भाजपा ने केजरीवाल के लिए तैयार किए गए इसी बंगले को शीशमहल नाम दिया है। भाजपा आम आदमी पार्टी पर शीशमहल को लेकर हमलावर हुई तो आप ने प्रधानमंत्री आवास का मुद्दा उठा दिया। आप सांसद संजय सिंह ने पीएम आवास को 2700 करोड़ रुपए का राजमहल बताया है। बुधवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर संजय सिंह ने कहा, दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को लेकर नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के बड़े नेता एक ही प्रचार कर रहे हैं कि उसमें मिनी बार बना हुआ है। उसमें सोने का टॉयलेट बना हुआ है, स्विमिंग पूल बना हुआ है, जबकि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री का राजमहल है जो 2700 करोड़ में बना है। आप सांसद संजय सिंह ने आगे कहा, पीएम ने फैशन डिजाइनर्स को फेल कर दिया है। दिन में तीन-तीन बार कपड़े बदलते हैं। 10-10 लाख का पैन रखते हैं। 6700 जूते की जोड़ियां, 5000 सूट हैं। उनके घर में 300 करोड़ रुपए के कालीन बिछे हैं। उसमें सोने के तार लगे हुए हैं। 200 करोड़ रुपए का झूमर लगा हुआ है। राजमहल में कहां-कहां हीरे लगे हुए हैं, ये पूरे देश को दिखाना चाहिए। पीएम मोदी इस देश की जनता को, मीडिया को अपना राजमहल दिखाएं। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि तुम्हारा झूठ कल उजागर होता। बुधवार को संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। यहां उन्होंने मीडिया के साथ अंदर जाने की कोशिश की पर पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। आप सरकार के आरोपों का भाजपा ने पलटवार किया। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, क्या दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री चुनाव आचार संहिता का इंतजार कर रहे थे? कल तब सब कुछ पीडब्ल्यूडी मंत्री के हाथ में था तब आपने सब क्यों नहीं देखा। ये लाचारी है या बाजीगीरी है। दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा सीएम आतिशी के आवास पर पहुंचे। सचदेवा ने कहा, आज जब आचार संहिता लग रही तब आप ड्रामा कर रहे हैं। आतिशी के पास दो बंगले हैं, उन्हें शीशमहल भी चाहिए। भाजपा नेता अनिल विज ने कहा में गरीब आम आदमी पार्टी का बंगला शीश महल है। ये आम आदमी पार्टी को ले डूबेगा। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आम आदमी पार्टी से सवाल पूछा आज खुद को आम आदमी कहते है। आपने जिस तरीके का मकान बनाया है क्या वह आम आदमी का मकान जैसा है? देखना यह है कि किस पार्टी का मुद्दा ज्यादा चलता है या फिर आई-गई बात हो जाएगी और नए-नए मुद्दे सामने आ जाएंगे।

Thursday, 9 January 2025

शपथ से पहले ट्रंप मुश्किल में फंस सकते हैं


शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हश मनी मामले में 10 जनवरी को उनके खिलाफ सजा सुनाई जाएगी। मामले में ट्रंप को अदालत में सुनवाई के लिए उपस्थित होना होगा। हालांकि जज ने जेल न जाने के संकेत दिए हैं। अदालत का यह आदेश राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से दो सप्ताह से भी कम समय पहले आया है। ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले उन्होंने पोर्न स्टार को पैसे देने के आरोपों को खारिज किया था और इसे राजनीतिक साजिश बताया था। उधर न्यूयार्क के जज जुआन मर्चेन ने संकेत दिया कि वह ट्रंप को जेल की सजा या जुर्माना नहीं देंगे बल्कि उन्हें सशर्त रिहाई देंगे। जज ने अपने आदेश में लिखा कि नवनिवार्चित राष्ट्रपति सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या वर्चुअल रूप से उपस्थित हो सकते हैं। बता दें कि यह अमेरिका के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है। उनसे पहले किसी भी पूर्व या वर्तमान राष्ट्रपति पर किसी अपराध का आरोप नहीं लगा। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में नियंत्रण वापस हासिल कर लिया है, जहां उनके पास 52 सीटें हैं, जबकि डेमोक्रेट्स के पास 47 सीटें हैं। आरोप है कि पोर्न स्टार स्ट्रॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप ने 2006 में यौन संबंध बनाए थे। यह मामला 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी खूब चर्चा में आया था। स्ट्रॉर्मी इस वाकये को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं जिसके बाद ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से मुंह बंद करने के लिए पैसे दिए थे। ट्रंप को स्ट्रॉर्मी को 1 लाख 30 हजार डालर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यवसायिक रिकार्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है। ट्रंप के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने एक बयान में कहा कि इस मामले में कोई सजा नहीं सुनाई जानी चाहिए। संविधान की मांग है कि इस मामले को तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए था। इससे पहले ट्रंप ने अपने मामले को खारिज करवाने के लिए तर्क दिया था कि वे राष्ट्रपति चुनाव में जीते हैं। वहीं, जस्टिस जुआन मर्चेन ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के कारण मामले को खारिज करने के ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और सजा के लिए तारीख की घोषणा कर दी। मर्चेन ने लिखा कि जूरी के फैसले को दरकिनार करने से कानून का खासा कमजोर हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप को अब तक तीन और मामले में चार्ज किया गया है। एक केस वगीकृत दस्तावेजों से संबंधित है, वहीं दो मामले वर्ष 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार को पलटने के उनके कथित कोशिशों से संबंधित है।

-अनिल नरेन्द्र

रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल



बीते एक साल से चर्चाओं में रहने वाले भाजपा नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी एक बार फिर चर्चाओं में हैं। चाहे संसद में एक मुस्लिम सांसद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना हो या 2024 लोकसभा में टिकट कटना हो या फिर दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों में विधायकी का टिकट दिया जाना हो, वो चर्चाओं में बने रहते हैं। अब रमेश बिधूड़ी कांग्रेस नेता व सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर विवादित टिप्पणी को लेकर चर्चा में हैं। उनके बयान की कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने निंदा की है। कांग्रेस ने जहां भाजपा से माफी की मांग की हैं वहीं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि महिला मुख्यमंत्री के अपमान का बदला दिल्ली की सभी महिलाएं लेंगी। साल 2014 और 2019 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद रहे रमेश बिधूड़ी को भाजपा ने कालकाजी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी सीट से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी विधायक हैं और वो फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता अल्का लांबा को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। रमेश बिधूड़ी का हाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक जनसभा को संबोधित करते हुए वह कहते हैं कि मैं बेहतरीन सड़क बनाने का वादा करता हूं। उन्होंने संबोधन में कथित तौर पर बिहार की सड़कों और हेमा मालिनी को लेकर दिए गए बयान का भी जिक्र किया और इसी बयान में बिधूड़ी ने बेहतरीन सड़क बनाने का वादा किया और इस बीच प्रियंका गांधी के बारे में विवादास्पद बात कही। इन्होंने हेमा मालिनी के बिहार में लालू के बयान का जिक्र किया और प्रियंका गांधी के बारे में जो अत्यंत अश्लील बात कही मैं उसे दोहराना नहीं चाहता। इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बिधूड़ी के भाषण का यह वीडियो साझा करते हुए लिखा... ऊपर से नीचे तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार आपको भाजपा के इन ओछे नेताओं में दिख जाएंगे। सुप्रिया श्रीनेत्र ने इस बयान को बेहद शर्मनाक बताया। इस महिला विरोधी भाषा और सोच का जनक भाजपा का नेतृत्व है। आतिशी पर बयान के लिए आम आदमी पार्टी ने एक्स पर लिखाö भाजपा ने फिर अपना महिला विरोधी चेहरा दिखाया। भाजपा के गालीबाज नेता रमेश बिध़ूड़ी ने महिला मुख्यमंत्री आतिशी जी के खिलाफ भद्दी और गंदी भाषा का इस्तेमाल किया। भाजपा नेताओं ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी। एक महिला मुख्यमंत्री का अपमान दिल्ली की जनता सहन नहीं करेगी। हालांकि रमेश बिधूड़ी ने जब हाईकमान का दबाव बना तो उन्होंने रविवार को दोनों महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने पर माफी मांग ली। बिधूड़ी ने एक्स पर लिखाöमेरा मकसद किसी को अपमानित करने का नहीं था। किसी संदर्भ में मेरे द्वारा दिए गए बयान पर कुछ लोग गलत धारणा से राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया पर बयान दे रहे हैं। मेरा आशय किसी को अपमानित करने का नहीं था। परंतु फिर भी अगर किसी भी व्यक्ति को दुख हुआ है तो मैं खेद प्रकट करता हूं। सवाल यह है कि तीर तो कमान से निकल चुका है, मुहं से शब्द तो निकल चुके हैं। अब माफी मांगने का क्या फायदा? जो नुकसान होना था हो गया है। रमेश बिधूड़ी का बयान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर क्या असर डालेगा यह सवाल भी देखने वाला होगा। अफवाह तो यह भी है कि शायद भाजपा कालकाजी से अपना उम्मीदवार ही बदल दे। देखें, आने वाले दो-चार दिनों में बिधूड़ी जी का क्या हश्र होता है।

Tuesday, 7 January 2025

एक और खोजी पत्रकार शहीद हुआ

छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित बीजापुर के टीवी पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव 3 जनवरी को एक सैप्टिक टैंक से बरामद किया गया है। 33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी 2025 की रात से ही अपने घर से लापता थे। मुकेश स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर एनडीटीवी के लिए काम करते थे, इसके अलावा वो यूट्यूब पर एक लोकप्रिय चैनल बस्तर जंक्शन का भी संचालन करते थे, जिसमें वे बस्तर की अंदरूनी खबरें प्रसारित करते थे। बस्तर में माओवादियों की ओर से अपहृत पुलिसकर्मियों या ग्रामीणों की रिहाई में मुकेश ने कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा की और मांग की है कि निश्चित समय के भीतर जांच पूरी की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने कहा, पत्रकार मुकेश चंद्राकर के भाई की शिकायत के बाद से ही पुलिस की विशेष टीम जांच कर रही थी। शुक्रवार की शाम हमने चट्टान पारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक सैप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया है। इस मामले से संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। मुकेश के मोबाइल के अंतिम लोकेशन ओर फोन काल के आधार पर जांच चल रही है। इसी दौरान ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की ओर से अपने मजदूरों के लिए बनाए गए आवासीय परिसर में पुलिस ने खोजबीन शुरू की तो उन्हें एक ताजा कंक्रीट की ढलाई नजर आई। पता चला कि यह पुराना सैप्टिक टैंक है, जिसके ढक्कन को बंद करके दो दिन पहले ही कंक्रीट की ढलाई की गई है। पुलिस ने शव के आधार पर उस सैप्टिक टैंक को तोड़ा तो उन्हें पानी के भीतर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव मिला। उनके शर पर गहरी चोट थी। यूकेश चंद्राकर के बड़े भाई और टीवी पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने बताया कि मुकेश चंद्राकर बुधवार (1 जनवरी 2025) की शाम को घर से लापता हुए थे। लेकिन घरवालों को अगली सुबह पता चला। शुरू में तो यूकेश ने सोचा कि उनके भाई किसी खबर के लिए आसपास के किसी इलाके में चले गए होंगे। लेकिन जब उनका फोन बंद मिला तो उन्हें चिन्ता हुई। मुकेश के अनुसार मैं और यूकेश अलग-अलग रहते हैं। यूकेश ने कहा, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की ओर से बनवाई गई सड़क के निर्माण में भ्रष्टाचार की एक खबर एनडीटीवी पर प्रसारित हुई थी जिसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच की घोषणा कर दी थी। बताया जा रहा है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर इस खबर के छपने से बहुत परेशान के और उन्होंने मुकेश चंद्राकर को अपने घर मिलने के लिए बुलाया। सोशल मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पहले तो मुकेश मुलाकात टालता रहा पर अतत पहली जनवरी शाम को सुरेश चंद्राकर से मिलने उनके घर गया। वहीं से वह गायब हो गया और फिर 3 जनवरी को सुरेश चंद्राकर द्वारा बनाए गए मजदूरों के लिए आवासों में बने एक सैप्टिक टैंक से उनका शव बरामद हुआ। एक और खोजी पत्रकार अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुआ। हम मुकेश चंद्राकर को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी खोजी पत्रकारिता को सलाम करते हैं। उम्मीद करते हैं कि पुलिस हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करेगी और उन्हें अदालत से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगी। राज्य सरकार से भी अनुरोध है कि यह इस मामले को राजनीति से दूर रखे और मुकेश चंद्राकर और उनके परिवार को न्याय दिलवाने में पूरी मदद करे। -अनिल नरेन्द्र

नीतीश कुमार पर फिर अटकलें

कहा जाता है कि राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है न कोई स्थायी दुश्मन, स्थायी होता है तो राजनीतिक स्वार्थ। यह भी कहा जाता है कि राजीति में कुछ भी बेवजह नहीं होता। संभव है कि वजह बाद में पता चले। बिहार में नीतीश कुमार कुछ भी खेला करने वाले होते हैं तो उसके संकेत पहले से ही मिलने लगते हैं। कई बार लगता है कि ये तो सामान्य बात है लेकिन कुछ समय बाद ही असामान्य हो जाती है। नीतीश कुमार की एक तस्वीर पर खूब चर्चा हो रही है। इस तस्वीर में नीतीश कुमार ने हंसते हुए तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखा है और तेजस्वी हाथ जोड़कर थोड़ा झुककर कर हंस रहे हैं। हालांकि यह एक सरकारी कार्यक्रम की तस्वीर है जहां पक्ष और विपक्ष का आना एक औपचारिक रस्म होती है। दरअसल आरिफ मोहम्मद खान राज्यपाल की शपथ ले रहे थे और इसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार भी मौजूद थे और प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव तीनो नेताओं की यह तस्वीर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के उस बयान के बाद आई है। जिसमें उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा था कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हुए हैं। बिहार में इसी साल में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य के सियासी गलियारों में पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। इन अटकलों को नीतीश कुमार की चुप्पी ने भी हवा दी है। दरअसल बिहार की राजनीति के धुरंधर नेताओं की पुरानी केमेस्ट्री ने एक बार फिर राजनीतिक सुगबुगाहट पैदा कर दी है। जहां राष्ट्रीय जनता दल और इंडिया गठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार को फिर से साथ आने का निमंत्रण दे दिया, वहीं नीतीश ने भी सीधा खंडन करने के बजाए इसे हंसकर टाल दिया है। इसके बाद कयासबाजी का यह दौर शुरू हुआ, जिसने राजनीति के सभी धड़ों के कान खड़े कर दिए। समकालीन राजनीति में नीतीश कुमार महज उनमें से एक नेता हैं जो पिछले एक दशक में चार बार पाला बदलकर बिहार की सत्ता में बने हुए हैं। यही नहीं वह आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। लालू के इस बयान के बाद बिहार में कांग्रेस नेता शकील अहमद ने भी कहा, गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करने वाले लोग गोडसेवासियों से अलग हो जाएंगे, सब साथ हैं। नीतीश कुमार तो गांधी जे के सात उपदेश अपने टेबल पर रखते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश राजनीतिक तौर पर मजबूत हैं। इसलिए उनकी चर्चा होती रहती है। अगर भाजपा ने नीतीश की पार्टी तोड़ी तो भी उनका वोट नहीं ले पाएंगे। नीतीश के भरोसे ही केंद्र सरकार चल रही है यह बात भाजपा को भी मालूम है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नीतीश अगर पलटी मारते हैं तो उनकी जदयू को भाजपा वाले तोड़ देंगे और उनके बड़ी संख्या में सांसद और विधायक नीतीश का साथ छोड़ देंगे। बिहार के उपमुख्यमंत्री भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि बिहार में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई जाए। हालांकि जल्द ही उन्होंने इस बयान से किनारा कर दिया, लेकिन तब तक नुकसान भी हो चुका था। यह परसेटशन पहले से ही बना हुआ है कि भाजपा बिहार की राजनीति में जद यू और नीतीश की अनिवार्यता जल्द से जल्द समाप्त करना चाहती है। नीतीश की बेचैनी तब से और बढ़ गई जब एक चैनल में गृहमंत्री अमित शाह ने इस सवाल कि बिहार में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा के जवाब में कह दिया यह तो चुनाव बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा? इसी बयान से नीतीश बेचैन हो गए और उन्होंने सब ओर हाथ पांव मारने शुरू कर दिए। अब देखना यह है कि नीतीश केंद्र से सौदेबाजी कर रहे हैं या फिर एक बार पलटी मारने जा रहे हैं?

Saturday, 4 January 2025

एन वीरेन सिंह की माफी पर सवाल?

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने मई, 2023 से जारी अशांति और हिंसा के दौर को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राज्य की जनता से माफी मांगी है। सिंह ने वर्ष के आखिरी दिन मंगलवार को कहा कि राज्य में जो कुछ हो रहा है, मुझे उस पर बेहद अफसोस है। मैं मणिपुर के लोगों से माफी मांगता हूं। साथ ही उम्मीद जताई कि अब नए साल में स्थिति में और सुधार होगा। उन्होंने लोगों से अतीत को भूलकर नया जीवन शुरू करने की अपील की। बता दें कि मणिपुर में 3 मई 2023 को मैतई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। तब से अब तक हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई। 5 हजार से ज्यादा घर जला दिए गए। करीब 60 हजार लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में नार्थ-ईस्ट हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत मणिपुर की थी। उस वर्ष 243 हिंसक घटनाएं उत्तर-पूर्व में हुई, इनमें 187 घटनाएं मणिपुर की हैं। आज भी जातीय हिंसा से त्रस्त घायल मणिपुर को समाधान का इंतजार है। मणिपुर जलता रहा और हल ढूंढने में न तो केंद्र ने और न हीं राज्य की वीरेन सिंह की सरकार ने कभी राजनीतिक इच्छा शfिक्त का इजहार किया। मणिपुर में जो भी भयावह घटा, जिस तरह से दो मुख्य समुदायों मैतई और कुकी के बीच खून-खराबा हुआ, हत्या, रेप और आगजनी की घटनाओं के बाद पलायन विस्थापित हुआ। उसने समूचे भारतीय लोकतंत्र को झकझोर दिया था। प्रदेश की वीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को इस डरावनी हिंसा पर नियंत्रण कर पाने के लिए प्राथमिकी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाना था, ठहराया भी। एक सहज सवाल जिस तरह जिंदा था, वह आज भी जिंदा है कि आखिर प्रदेश और केंद्र की शfिक्तमान मोदी सरकार हिंसा पर लगाम क्यों नहीं लगा सकी? यह याद रखा जाए की मणिपुर जल रहा था और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बना, तब वीरेन सिंह या केंद्र की सरकार के स्तर पर चुप्पी क्यों रही? आज तक प्रधानमंत्री मोदी एक बार भी मणिपुर वहां की जनता को शांत करने की कोशिश के लिए नहीं गए। वे दुनियाभर की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन मणिपुर जाने से परहेज क्यें करते हैं? ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री की इस माफी का राज्य के अलग-अलग समुदायों के लोगों पर कैसा और कितना असर पड़ेगा? सवाल अहम इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह आरोप संघर्ष शुरू होने के बाद से ही लगता है कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन की भूमिका निष्पक्ष नहीं है। आरोप अगर पूरी तरह गलत भी हों तब भी इतना तो स्पष्ट है कि प्रदेश के लोगों का एक खेमा उन्हें अविश्वास की नजरों से देखता है। हमारी समझ से यह भी बाहर है कि केंद्र और भाजपा आला कमान ने इतना समय बीतने के बाद भी हालात बद से बदतर होने के बावजूद मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को बदला क्यों नहीं? वह बुरी तरह फेल हो चुके हैं। स्वयं भाजपा के विधायक उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। पर पता नहीं केंद्र की क्या मजबूरी है? उन्हें अपने पद पर बैठाए रखने की? एन वीरेन सिंह जी आपकी माफी का कोई मतलब नहीं। अगर आप दिल से पछता रहे हैं तो अपने पद से खुद इस्तीफा दें और किसी नए मुख्यमंत्री को आने दें जो इस जलती हुई आग को शांत करे। -अनिल नरेन्द्र

मौजूदा सियासत में क्यों हैं आंबेडकर जरूरी

बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर एक बार फिर पिछले कई दिनों से चर्चा में बने हुए हैं। वजह पिछले दिनों राज्यसभा में दिया गया केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक बयान है। इसने तमाम विपक्ष, दलितों और पिछड़े वंचित वर्गों को उनकी पार्टी पर हमलावर होने का एक मौका दिया है। हालांकि, अमित शाह का कहना है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। यही नहीं उनके बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस पर पलटवार किया। अमित शाह को इसके लिए बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी। इसी से पता चलता है कि भाजपा इस विवाद से कितनी बेचैन है। आखिर डॉ. आंबेडकर आज के वक्त और राजनीति में इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? डॉ. आंबेडकर ने एक समता मूलक समाज की स्थापना का स्वप्न देखा। वह शोfिषत वर्गें के अधिकार, आजादी और गरिमापूर्ण जिंदगी के लिए अलख जगाने वाले माने जाते हैं। एक विशेषज्ञ का कहना था कि डॉ. आंबेडकर ने दलित समाज के उत्थान के लिए जैसा काम किया है, ऐसे में अगर वह समाज उन्हें अपना मसीहा या भगवान मानता है तो इसमें कोई अतिश्योfिक्त भी नहीं है। आजादी से पहले या उसके बाद इस समाज के लिए डॉ. आंबेडकर ने जितना काम किया, उतना किसी और ने नहीं किया है। एक पूर्व आईएएस अधिकारी पीएल पुनिया का कहना है, अगर डॉ. आंबेडकर ने सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई न ल़ड़ी होती, तो हम लोग आईएएस अधिकारी न बनकर आज भी गुलामी की जिंदगी जी रहे होते। बाबा साहेब की मूल लड़ाई समाज में बराबरी के अधिकार की थी। साथ ही उनका संघर्ष इस बात के लिए भी था कि राजनीतिक शfिक्त के आखिरी व्यfिक्त तक कैसे पहुंचे। डॉ. आंबेडकर ने सिर्फ दलित वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि समाज के सभी दबे-कुचले लोगों की बेहतरी के लिए काम किया। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर ही भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस वजह से भी भाजपा अकेले बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी। आखिर अमित शाह ने राज्यसभा में कहा क्या था जिस पर इतना बवाल मचा हुआ है? अमित शाह ने राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान डॉ. भीमराव आंबेडकर की विरासत पर बोलते हुए कह गए कि अब यह एक फैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर .... इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। गृहमंत्री के भाषण के इसी चंद सेकेंडों के अंश पर विपक्षी दल आपत्ति जता रहे हैं। दरअसल एक विशेषज्ञ का मानना है कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर राजनीतिक दलों के बीच भले ही आरोप-प्रत्यारोप के केंद्र में अनुसूचित जाति के 20-22 प्रतिशत मतदाता हैं। असली लड़ाई वोट बैंक और संविधान बचाने की है। यह किसी से छिपा नहीं है कि भाजपा का एक वर्ग मनु स्मृति चाहता है और बाबा साहेब के संविधान को बदलना चाहता है। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा के कई नेताओं ने अपील भी की थी कि हमें इस बार 400 पार सीटें चाहिए ताकि हम संविधान बदल सकें। तमाम विपक्ष अमित शाह से माफी मांगने की बात कह रहा है। उनके इस्तीफे की बात कर रहा है। पर भाजपा नेतृत्व इसी बात पर अड़ा है कि विपक्ष अमित शाह के बयान को त़ोड़-मरोड़ कर उस पर सियासत कर रहा है। अमित शाह के इस बयान का जनता पर खासकर दलितों और पिछड़ों पर कितना असर पड़ा है यह आने वाला समय ही बताएगा। आज के परिप्रेक्ष्य में इसलिए जरूरी हैं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर।

Thursday, 2 January 2025

54 किलो सोने की कार

कुछ दिन पहले भोपाल के मेंडोरी में से 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नकदी के अलावा परिवहन विभाग की काली कमाई से जुड़ी एक डायरी भी मिली। यह गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात में एक इनोवा कार से मिली। भोपाल के दूर-दराज इलाके मेंडोरी के जंगल में खड़ी इस कार में 54 किलोग्राम सोना और 10 करोड़ रुपए नकद मिले थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ हथियार बंद लोग इसे छोड़कर जाते हुए देखे गए थे। इसके बाद आयकर अधिकारी मौके पर पहुंचे और कार, सोना और नकदी अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। मध्य प्रदेश के एक पूर्व अधिकारी (सरकारी कर्मचारी) के नेतृत्व में करोड़ों के लेन-देन का खुलासा हो रहा है। आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व, खुफिया निदेशालय और लोकायुक्त जैसी कई एजेंसियां मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही हैं। मध्यप्रदेश पfिरवहन विभाग में कांस्टेबल रहे सौरभ शर्मा जांच के केंद्र में हैं। उनके घर पर छापामारी में 2.87 करोड़ रुपए नकद और 234 किलो चांदी समेत 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली है जिस कार से पैसा बरामद हुआ वे चेतन गौर के नाम पर है। वह भी सौरभ शर्मा का साथी बताया जा रहा है, जिसकी जांच चल रही है। जानकारी के मुताबिक सौरभ अब दुबई भाग गया है। पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच एजेंसियें की कोशिशों में उसके बारे में यह कहानियां सामने आ रही हैं। परिवहन विभाग के कांस्टेबल के तौर पर काम करने वाले सौरभ शर्मा ने नौकरी छोड़कर रियल स्टेट के कारोबार में कदम रखा और उच्च अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आ रहे हैं। सौरभ के पिता आरके शर्मा सरकारी डाक्टर थे। 2015 में उनकी मृत्यु के बाद सौरभ को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी। उसने 2023 में नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उसने रियल स्टेट के क्षेत्र में कदम रखा और बड़े बिल्डरों से नजदीकियां बढ़ाई। इसके बाद उसने तेजी से तरक्की की। एक स्कूल, होटल और कई अन्य प्रतिष्ठान उसके, उसकी मां, पत्नी, करीबी रिश्तेदार और दोस्तों के नाम पर बनाए गए। आयकर विभाग ने करीब 100 करोड़ रुपए के अवैध लेन-देन का पता लगाया है। परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा ने सिर्फ सात साल की अनुकंपा नियुक्ति से इतनी अकूत संपत्ति जुटा ली, जिसे देखकर सभी हैरान हैं। एक सिपाही के घर से 232 किलो चांदी (कीमत पौने दो करोड़) और 1.32 करोड़ कैश मिले। फार्म हाउस के ऊपर कार से बरामद 54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश का लिंक भी उसी से जुड़ रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सौरभ ने अकेले दम पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया? या इसके पीछे किसी बड़े नेता का हाथ है? नेता, अफसरों का वरदान न हो तो एक सिपाही इतनी अकूत संपत्ति जुटा ही नहीं सकता। सौरभ फिलहाल फरार है। शायद ही पूरे किस्सों का पता चले। पूरे मामले को दबा दिया जाएगा ताकि इसके पीछे के राज कभी न खुलें। -अनिल नरेन्द्र

निशाने पर मोहन भागवत

राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है, ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब देश में मंदिर-मस्जिद वाले नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। उपासना स्थल अधिनियम पर चल रही बहस के बीच देश में संभल, मथुरा, अजमेर और काशी समेत कई जगहों पर मस्जिदों के प्राचीन मंदिरों के होने का दावा किया जा रहा है और जगह-जगह खुदाई की जा रही है और बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। 19 दिसम्बर को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर बोलते हुए मोहन भागवत ने इस माहौल पर चिंता जाहिर करते हुए एक बार फिर मंदिर-मस्जिद विवाद वाले चैप्टर को बंद करने की बात कही है। उन्होंने कहा-तिरस्कार और शत्रुता के लिए हर रोज नए प्रकरण निकालना ठीक नहीं है और ऐसा नहीं चल सकता। मोहन भागवत के बयान के बाद न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है बल्कि कई साधु संतों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने निशाना साधते हुए सवाल उठाए और कहा कि ये मोहन भागवत का व्यक्तिगत बयान हो सकता है। ये बयान सबका नहीं है। वो किसी एक संगठन के प्रमुख हो सकते हैं, हिंदू धर्म के वह प्रमुख नहीं हैं कि हम उनकी बात मानते रहें। वो हमारे अनुशासक नहीं है। हम उनके अनुशासक हैं। आगे कहा-हिंदू धर्म की व्यवस्था के वो ठेकेदार नहीं हैं। हिंदू धर्म आचार्यों के हाथ में है। उनके हाथ में नहीं। ज्योतिमेई के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद भी मोहन भागवत के बयान के बाद गुस्से में दिखाई दे रहे हैं। एबीपी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, जो लोग आज कह रहे हैं कि हर जगह नहीं खोदना चाहिए इन्हीं लोगों ने तो बात बढ़ाई है और बढ़ाकर सत्ता हासिल कर ली। अब सत्ता में बैठने के बाद इन्हें कठिनाई हो रही है। शंकराचार्य ने आगे कहा-अब कह रहे हैं कि ब्रेक लगाओ। जब आपको जरूरत हो तो आप गाड़ी का एक्सीलेटर दबा दें और जब आपको जरूरत लगे तो ब्रेक दबाओ ये सुविधा की बात है। न्याय की जो प्रक्रिया है, वो सुविधा नहीं दिखती। इस मुद्दे पर बाबा रामदेव ने कहा, ये सच है कि आक्रांताओं ने हमारे मंदिर, धर्म स्थान, सनातन के गौरव चिह्नों को नष्ट किया है और इस देश को क्षति पहुंचाई है। रामदेव ने आगे कहा कि तीर्थ स्थलों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को खंडित करने वालों को दंड देने का काम अदालतों का है, लेकिन जिन्होंने ये पाप किए हैं उन्हें इसका फल मिलना चाहिए। ये पहली बार नहीं है जब संघ प्रमुख ने देश के मुसलमानों को साथ लेकर चलने और मस्जिदों में मंदिर न ढूंढने की सलाह दी है, याद है उनका वो बयान हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि जिस तरह से कथावाचक धर्मगुरु, मोहन भागवत के बयान पर असहमति जता रहे हैं। सोशल मीडिया पर अंधभक्त उन्हें संघ छोड़ने को कह रहे हैं। ये अब दिल्ली के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है। ये साफ है कि मोहन भागवत के खिलाफ खुलकर फ्रंट खोला गया है। ये दिल्ली की सत्ता और मोहन भागवत के बीच सीधी लड़ाई है। यह खींचतान कहां तक बढ़ती है देखना बाकी है।