Thursday, 2 January 2025
निशाने पर मोहन भागवत
राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है, ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब देश में मंदिर-मस्जिद वाले नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। उपासना स्थल अधिनियम पर चल रही बहस के बीच देश में संभल, मथुरा, अजमेर और काशी समेत कई जगहों पर मस्जिदों के प्राचीन मंदिरों के होने का दावा किया जा रहा है और जगह-जगह खुदाई की जा रही है और बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। 19 दिसम्बर को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर बोलते हुए मोहन भागवत ने इस माहौल पर चिंता जाहिर करते हुए एक बार फिर मंदिर-मस्जिद विवाद वाले चैप्टर को बंद करने की बात कही है। उन्होंने कहा-तिरस्कार और शत्रुता के लिए हर रोज नए प्रकरण निकालना ठीक नहीं है और ऐसा नहीं चल सकता। मोहन भागवत के बयान के बाद न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है बल्कि कई साधु संतों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने निशाना साधते हुए सवाल उठाए और कहा कि ये मोहन भागवत का व्यक्तिगत बयान हो सकता है। ये बयान सबका नहीं है। वो किसी एक संगठन के प्रमुख हो सकते हैं, हिंदू धर्म के वह प्रमुख नहीं हैं कि हम उनकी बात मानते रहें। वो हमारे अनुशासक नहीं है। हम उनके अनुशासक हैं। आगे कहा-हिंदू धर्म की व्यवस्था के वो ठेकेदार नहीं हैं। हिंदू धर्म आचार्यों के हाथ में है। उनके हाथ में नहीं। ज्योतिमेई के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद भी मोहन भागवत के बयान के बाद गुस्से में दिखाई दे रहे हैं। एबीपी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, जो लोग आज कह रहे हैं कि हर जगह नहीं खोदना चाहिए इन्हीं लोगों ने तो बात बढ़ाई है और बढ़ाकर सत्ता हासिल कर ली। अब सत्ता में बैठने के बाद इन्हें कठिनाई हो रही है। शंकराचार्य ने आगे कहा-अब कह रहे हैं कि ब्रेक लगाओ। जब आपको जरूरत हो तो आप गाड़ी का एक्सीलेटर दबा दें और जब आपको जरूरत लगे तो ब्रेक दबाओ ये सुविधा की बात है। न्याय की जो प्रक्रिया है, वो सुविधा नहीं दिखती। इस मुद्दे पर बाबा रामदेव ने कहा, ये सच है कि आक्रांताओं ने हमारे मंदिर, धर्म स्थान, सनातन के गौरव चिह्नों को नष्ट किया है और इस देश को क्षति पहुंचाई है। रामदेव ने आगे कहा कि तीर्थ स्थलों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को खंडित करने वालों को दंड देने का काम अदालतों का है, लेकिन जिन्होंने ये पाप किए हैं उन्हें इसका फल मिलना चाहिए। ये पहली बार नहीं है जब संघ प्रमुख ने देश के मुसलमानों को साथ लेकर चलने और मस्जिदों में मंदिर न ढूंढने की सलाह दी है, याद है उनका वो बयान हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि जिस तरह से कथावाचक धर्मगुरु, मोहन भागवत के बयान पर असहमति जता रहे हैं। सोशल मीडिया पर अंधभक्त उन्हें संघ छोड़ने को कह रहे हैं। ये अब दिल्ली के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है। ये साफ है कि मोहन भागवत के खिलाफ खुलकर फ्रंट खोला गया है। ये दिल्ली की सत्ता और मोहन भागवत के बीच सीधी लड़ाई है। यह खींचतान कहां तक बढ़ती है देखना बाकी है।
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