Saturday, 4 January 2025
एन वीरेन सिंह की माफी पर सवाल?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने मई, 2023 से जारी अशांति और हिंसा के दौर को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राज्य की जनता से माफी मांगी है। सिंह ने वर्ष के आखिरी दिन मंगलवार को कहा कि राज्य में जो कुछ हो रहा है, मुझे उस पर बेहद अफसोस है। मैं मणिपुर के लोगों से माफी मांगता हूं। साथ ही उम्मीद जताई कि अब नए साल में स्थिति में और सुधार होगा। उन्होंने लोगों से अतीत को भूलकर नया जीवन शुरू करने की अपील की। बता दें कि मणिपुर में 3 मई 2023 को मैतई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। तब से अब तक हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई। 5 हजार से ज्यादा घर जला दिए गए। करीब 60 हजार लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में नार्थ-ईस्ट हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत मणिपुर की थी। उस वर्ष 243 हिंसक घटनाएं उत्तर-पूर्व में हुई, इनमें 187 घटनाएं मणिपुर की हैं। आज भी जातीय हिंसा से त्रस्त घायल मणिपुर को समाधान का इंतजार है। मणिपुर जलता रहा और हल ढूंढने में न तो केंद्र ने और न हीं राज्य की वीरेन सिंह की सरकार ने कभी राजनीतिक इच्छा शfिक्त का इजहार किया। मणिपुर में जो भी भयावह घटा, जिस तरह से दो मुख्य समुदायों मैतई और कुकी के बीच खून-खराबा हुआ, हत्या, रेप और आगजनी की घटनाओं के बाद पलायन विस्थापित हुआ। उसने समूचे भारतीय लोकतंत्र को झकझोर दिया था। प्रदेश की वीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को इस डरावनी हिंसा पर नियंत्रण कर पाने के लिए प्राथमिकी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाना था, ठहराया भी। एक सहज सवाल जिस तरह जिंदा था, वह आज भी जिंदा है कि आखिर प्रदेश और केंद्र की शfिक्तमान मोदी सरकार हिंसा पर लगाम क्यों नहीं लगा सकी? यह याद रखा जाए की मणिपुर जल रहा था और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बना, तब वीरेन सिंह या केंद्र की सरकार के स्तर पर चुप्पी क्यों रही? आज तक प्रधानमंत्री मोदी एक बार भी मणिपुर वहां की जनता को शांत करने की कोशिश के लिए नहीं गए। वे दुनियाभर की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन मणिपुर जाने से परहेज क्यें करते हैं? ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री की इस माफी का राज्य के अलग-अलग समुदायों के लोगों पर कैसा और कितना असर पड़ेगा? सवाल अहम इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह आरोप संघर्ष शुरू होने के बाद से ही लगता है कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन की भूमिका निष्पक्ष नहीं है। आरोप अगर पूरी तरह गलत भी हों तब भी इतना तो स्पष्ट है कि प्रदेश के लोगों का एक खेमा उन्हें अविश्वास की नजरों से देखता है। हमारी समझ से यह भी बाहर है कि केंद्र और भाजपा आला कमान ने इतना समय बीतने के बाद भी हालात बद से बदतर होने के बावजूद मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को बदला क्यों नहीं? वह बुरी तरह फेल हो चुके हैं। स्वयं भाजपा के विधायक उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। पर पता नहीं केंद्र की क्या मजबूरी है? उन्हें अपने पद पर बैठाए रखने की? एन वीरेन सिंह जी आपकी माफी का कोई मतलब नहीं। अगर आप दिल से पछता रहे हैं तो अपने पद से खुद इस्तीफा दें और किसी नए मुख्यमंत्री को आने दें जो इस जलती हुई आग को शांत करे।
-अनिल नरेन्द्र
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