Tuesday, 18 February 2025
चुनाव आयोग ईंवीएम डाटा न हटाए
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि सत्यापन प्राव््िराया के दौरान ईंवीएम से डाटा मिटाया या फिर से अपलोड न किया जाए। शीर्ष अदालत ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोव््रोटिक रिफाम्र्स (एडीआर) की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआईं) संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एडीआर की ईंवीएम की जली हुईं मेमोरी और सिबल लोडिग मशीन यूनिट के सत्यापन की अनुमति की मांग करती याचिका पर यह निर्देश दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि ईंवीएम के सत्यापन के लिए उसकी ओर से तैयार की गईं मानक संचालन प्राव््िराया (एसओपी) ईंवीएम-वीवी पैट मामले में 26 अप्रौल 2024 के कोर्ट के पैसले के अनुरूप नहीं है। एडीआर की ओर से वकील प्राशांत भूषण ने कहा कि 1 जून और 16 जुलाईं 2024 को चुनाव आयोग की ओर से जारी एसओपी में ईंवीएम और सिबल लोडिग यूनिट की जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए पर्यांप्त दिशा-निर्देशों का अभाव है। एडीआर की याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में निर्धारित जांच और सत्यापन प्राव््िराया में जली हुईं मेमोरी या माइव््राो वंट्रोलर के मूल डाटा को साफ करना भी हटाना शामिल है। जो किसी या वास्तविक जांच और सत्यापन को असंभव बना देता है। आवेदन में कहा गया है कि अनुपालन संबंधी दिशा-निर्देशों की अनुपस्थिति ऐतिहासिक निर्णय के सार को पराजित करती है जिसका उद्देश्य यह सुनिाित करना था कि मतदान के दौरान कोईं दुर्भावना या बेईंमानी न हो। पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिदर सिह से कहा कि पैसले में निर्देश ईंवीएम में मतदान डाटा को मिटाने या फिर से लोड करने का नहीं था। पैसले का उद्देश्य केवल यह था कि मतदान के बाद ईंवीएम का सत्यापन और जांच निर्माण वंपनी के एक इंजीनियर की ओर से की जाए।पीठ ने वकील से पूछा— अगर मतदान के बाद कोईं पूछता है तो इंजीनियर को आकर यह प्रामाणित करना चाहिए कि उनकी मौजूदगी में उनके अनुसार जली हुईं मेमोरी या माइव््राो-चिप स्टॉक में कोईं छेड़छाड़ नहीं की गईं है। बस इतना ही। आप डाटा क्यों मिटाते हैं?
——अनिल नरेन्द्र
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