Saturday, 8 March 2025
ट्रंप की टैरिफ स्ट्राइक
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित अन्य देशों की ओर से उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) लगाए जाने की आलोचना करते हुए इसे बेहद अनुचित करार दिया है। ट्रंप ने साथ ही घोषणा की कि अगले महीने यानी 2 अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाए जाएंगे। राष्ट्रपति ने जवाबी शुल्क को लेकर अपना पक्ष रखा और कहा कि ये 2 अप्रैल से लगाए जाएंगे। वह अन्य देशों से आयात पर वही शुल्क (टैरिफ) लगाना चाहते हैं, जो वो देश अमेरिका से होने वाले निर्यात पर लगाते हैं। ट्रंप ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, अन्य देशों से हमारे खिलाफ शुल्क लगाए है और अब हमारी बारी है कि हम उन देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करें। यूरोपीय संघ (ईयू), चीन, ब्राजील, भारत, मेक्सिको और कनाडा क्या आपने उनके बारे में सुना है। ऐसे अनेक देश हैं जो हमारी तुलना में हमसे बहुत अधिक शुल्क वसूलते हैं। यह बिलकुल अनुचित है। अपने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस को पहली बार संबोधित करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भारत हमसे 100 प्रतिशत से अधिक ऑटो शुल्क वसूलता है। हम भी ऐसा करने जा रहे हैं। यानी 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू कर देगा। अपने 44 मिनट के भाषण में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने 43 दिन में जो किया वह कई सरकारें अपने 4 या 8 साल के कार्यकाल में नहीं कर सकीं। चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर रेसिप्रोकल शब्द का मतलब क्या होता है और यह कोई देश किसी दूसरे देश पर कब लगाता है? रेसिप्रोकल का मतलब होता है प्रति शोधात्मक यानी जैसे को तैसा वाली नीति। इसे ऐसे समझिए कि रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो देश दूसरे देश पर तब लगता है जब वह देश भी उसी तरह का टैक्स या प्रतिबंध पहले देश पर लगाता है, मतलब अगर एक देश दूसरे के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है इसका मकसद व्यापार में संतुलन बना होता है। व्यापार संतुलन में यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगता है तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है। इसका मकसद व्यापार में संतुलन बनाना होता है। व्यापार संतुलन यह सुनिश्चित करना कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर ज्यादा टैक्स न लगाए। रेसिप्रोकल टैरिफ की शुरुआत 1‘वीं सदी में हुई। 1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबड़ेन शेवेलियर संधि हुई थी जिसमें टैरिफ कम किए गए, इसके बाद 1930 का दशक आया, जब अमेरिका ने स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट लागू किया जिससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ और महामंदी बढ़ी। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशें पर टैरिफ लगाए जिसके जवाब में उन देशों ने भी अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाए है। भारत इन ज्वलन्त समस्या से कैसे निपटेगा यह देखना बाकी है। अगर ट्रंप भारत पर 100 प्रतिशत टैक्स लगता है तो निश्चित रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका भारी असर पड़ेगा। देखना यह है कि भारत सरकार इस नई चुनौती का क्या समाधान निकालती है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
-अनिल नरेन्द्र
आकाश आनंद ः अर्श से फर्श पर
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को न केवल पार्टी के सभी पदों से हटाया बल्कि अब पार्टी से ही बाहर कर दिया है। उन्होंने सोमवार को एक्स पर इसकी जानकारी दी। मायावती ने कहा है कि एक दिन पहले सभी पदों से हटाए जाने पर आकाश ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया। आकाश के बयान को अपने ससुर के प्रभाव वाला स्वार्थी और गैर मिशनरी बताया है। आकाश आनंद को 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था और 2023 आते-आते रिश्तों में खटास बढ़ी और आकाश आनंद को न केवल पार्टी पदों से हटा दिया गया बल्कि पार्टी से बाहर कर fिदया गया है। आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। वो 2017 में लंदन से पढ़ाई करने के बाद ही बीएसपी के कामकाज में जुड़े थे। मई 2017 में सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष के समय वो मायावती के साथ वहां गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद आकाश को बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था लेकिन वह पार्टी को जीत की रेस में लाने में नाकाम रहे थे। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आकाश पार्टी के प्रभारी थे लेकिन सीट जीतना तो दूर की बात है, पार्टी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई थी। मायावती ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया था। हटाने का तर्क दिया गया था कि अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है। लेकिन आकाश को तब हटाया गया था जब वह सत्ताधारी भाजपा पर सीधा और तीखा हमला बोल रहे थे। लखनऊ में रविवार को बसपा की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है ः कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है। अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को पूरे देश में दो गुटों में बांटकर कमजोर किया है। मायावती को पलटकर जवाब देना वह भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर और उस पर तर्क यह कि तमाम संघर्षों के बाद सत्ताशीर्ष तक पहुंची मायावती को कठिन परीक्षा और लंबी लड़ाई होने का लुका-छिपा संदेश देना। पार्टी की मानें तो मायावती को आकाश आनंद की यह दोनों बातें अखर गई। यही आकाश आनंद के पार्टी से बाहर जाने का सबब भी बनी। बहुजन समाज पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मायावती के इस फैसले से न केवल उनकी पार्टी के लोगों को बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को भी अचरज में डाल दिया है। आकाश आनंद पार्टी के युवा चेहरा हैं। हालांकि जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए पार्टी का प्रदर्शन निचले स्तर पर रहा। मायावती के साथ एक नकारात्मक बात यह है कि वह कभी भी सड़क पर नहीं उतरती हैं। राजनीति की गहरी समझ रखने वाले और विपक्षी दलों के नेता भी मानते हैं कि अब खुलकर राजनीतिक करने के मायावती के दिन नहीं आने वाले। खासकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख रखने के स्वभाव को बहनजी ने बहुत पहले साइड लाइन कर रखा है। वह भाजपा के दवाब में हैं ऐसा लगता है। आज बहुजन समाज पार्टी की सियासत जमीन पर आ गई है। अपना वोट शेयर, वोट बैंक सब गिरता नजर आ रहा है। चुनाव पर चुनाव होने से बसपा की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। आकाश का यह कहना कि परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है, इस बात को भली-भांति स्पष्ट करती दिखाती है कि बीएसपी में अभी बहुत कुछ घटित होने वाला है। देखना है मायावती के हार्ड कोर समर्थक पार्टी के लिए कितने फायदेमंद रहते हैं या पार्टी के घमासान की शुरुआत है।
Thursday, 6 March 2025
शेयर बाजार धोखाधड़ीऔर माधवी बुच
शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियमावली उल्लंघन के आरोपों में आखिरकार कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। माधवी बुच पर पिछले काफी समय से आरोप लगते रहे हैं पर जब तक वे पद पर थीं किसी प्रकार की न तो जांच हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका की शीर्ष शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर एटिटीज में निवेश करने के आरोप लगाए थे, तो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा था जिसमें अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपत्ति ने सारे आरोपों को खारिज कर दिया था। ताजा मामला एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामवली उल्लंघन के संबंध में शेयर बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथ राव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा। प्रथम दृष्टया विनियमावली में चूक और मिलीभगत के सुबूत हैं जिनकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि कूनन प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की सक्रियता के कारण आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। बुच का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि वह आदेश को चुनौती देगा। इस मामले में शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव (47) का दावा है कि सेबी के अधिकारी वैधानिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे। बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कारपोरेट धोखाधड़ी होने दी। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। जहां अदालत के आदेश के बाद सेबी ने बयान जारी कर कहा, जिन अधिकारियों का जिक्र है वह कंपनी की लिस्टिंग के समय अपने संबंधित पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना नोटिस जारी किया था। सेबी को तथ्यों को रिकार्ड पर रखने का अवसर दिए बिना शिकायत को मंजूरी दे दी। सेबी ने कहा, आवेदक एक तुच्छ और आदतन वादी के रूप में जाना जाता है, उसके पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया है और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया है। इन अधिकारियों पर भी दर्ज होगा केस। निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदररंजन राममूर्ति। बीएसई के ही तत्कालीन अध्यक्ष व जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, श्रीमती कमलेश चंद्र वार्ष्णेय। अब देखना यह है कि कौन आगे कैसे बढ़ता है? क्या सच्चाई सामने आएगी या हर बार की तरह लीपापोती हो जाएगी। मुंबई स्टाक एक्सचेंज का बहुत बुरा हाल है। पिछले 28 साल के निचली स्तर पर स्टाक मार्किट गिर गया है। लाखों-करोड़ों का नुकसान हो चुका है। छोटे निवेशक तबाह हो गए हैं। क्या उन्हें न्याय मिलेगा? उम्मीद की जाती है कि सख्त कदमों से स्टाक मार्केट सुधरेगी।
-अनिल नरेन्द्र
एक अरब भारतीयों के पास खर्च करने को पैसे नहीं
भारत की जनसंख्या क़रीब एक अरब 40 करोड़ है लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से एक अरब लोगों के पास ख़र्च के लिए पैसे नहीं हैं। वेंचर कैपिटल फ़र्म ब्लूम वेंचर्स की इस ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में उपभोक्ता वर्ग जो कि ख़ास तौर पर व्यवसाय मालिकों या स्टार्ट अप का एक संभावित बाज़ार है, इसका आकार मेक्सिको की आबादी के बराबर या 13 से 14 करोड़ है। इसके अलावा 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें इमर्जिंग या आकांक्षी कहा जा सकता है, लेकिन वे ख़र्च करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अभी ख़र्च करने की शुरुआत की है। रिपोर्ट के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उपभोक्ता वर्ग का प्रसार उतना नहीं हो रहा है जितना उसकी ख़रीद की क्षमता बढ़ रही है। इसका मतलब यह है कि भारत की संपन्न आबादी की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है, बल्कि जो पहले से ही संपन्न हैं और अमीर हो रहे हैं। ये सब मिलकर देश के उपभोक्ता बाज़ार को अलग तरह से आकार दे रहे हैं, ख़ासकर प्रीमियमाइजेशन का ट्रेंड बढ़ रहा है, जहां ब्रांड बड़े पैमाने पर वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश पर ध्यान देने के बजाय अमीरों की ज़रूरतों को पूरा करने वाले महंगे और उन्नत उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर विकास को गति देते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बहुत महंगे घरों और प्रीमियम स्मार्ट फ़ोन की बिक्री में बढ़ोत्तरी का होना, जबकि इनके सस्ते मॉडल संघर्ष कर रहे हैं। भारत के कुल बाज़ार में इस समय सस्ते घरों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है जबकि पांच साल पहले यह हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी। इसी तरह ब्रांडेड सामानों की बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ रही है। और एक्सपीरियंस इकोनॉमी फल फूल रही है, उदाहरण के लिए कोल्डप्ले और एड शीरान जैसे विदेशी अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के कंसर्ट के महंगे टिकटों का बिकना। भारत का मध्य वर्ग उपभोक्ता मांग का मुख्य स्रोत रहा है, लेकिन मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा की मानें तो वेतन के कमोबेश एक जैसे बने रहने के कारण इस मध्य वर्ग की हालत ख़राब हो रही है। जनवरी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में टैक्स देने वाली आबादी के बीच के 50 प्रतिशत लोगों की वेतन पिछले एक दशक में स्थिर रही हैं। इसका मतलब है कि वास्तविक अर्थों में उनकी आय (महंगाई को जोड़ने के बाद) आधी हो गयी है। वित्तीय बोझ ने मध्य वर्ग की बचत खत्म कर दी है। आरबीआई लगातार इस बात को कह रहा है कि भारतीय परिवारों की कुल वित्तीय बचत 50 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच रही है। इन हालात से पता चलता है कि मध्य वर्ग के घरेलू ख़र्च से जुड़े उत्पादों और सेवाओं को आने वाले सालों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एआई धीरे-धीरे क्लर्क, सेक्रेटरी और अन्य रोज़मर्रा के काम की जगह ले सकता है, ऐसे में सफेदपोश शहरी नौकरियां पाना मुश्किल होता जा रहा है। भारत की मैन्य़ुफैक्चरिंग इकाइयों में सुपरवाइज़रों की संख्या में अच्छी ख़ासी कमी आई है। सरकार के हालिया इकोनॉमिक सर्वे में भी इन चिंताओं को ज़ाहिर किया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के तकनीकी विकास की वजह से श्रमिक विस्थापन (लेबर डिस्प्लेसमेंट), भारत जैसी सेवा प्रधान अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का विषय है, जहां आईटी कार्यबल का एक अच्छा हिस्सा सस्ते सेवा क्षेत्र में कार्यरत है। यह सब देश की आर्थिक विकास को पटरी से उतार सकता है।
Tuesday, 4 March 2025
वो दस मिनट जब हुई तू-तू, मैं-मैं
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच पावार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में जबरदस्त तीखी बहस हो गई। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की शांति नहीं चाहते हैं और अगर वो समझौता नहीं करेंगे तो अमेरिका इस जंग से बाहर हो जाएगा। ट्रंप ने दावा भी किया कि पेन रूस के साथ जंग में जीत हासिल नहीं कर सकता है। ट्रंप ने जेलेंस्की पर अमेरिका और अमेरिकी लोगों का अनादर करने का भी आरोप लगाया। वहीं जेलेंस्की ने कहाö हम गारंटी के साथ युद्ध विराम चाहते हैं। ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जब बहस हो रही थी उस दौरान अमेरिका में पोन की राजदूत बेहद तनाव में थीं। ओवल ऑफिस से सामने आए वीडियो में पोनी राजदूत अपना हाथ माथे और चेहरे पर रखे हुए थे। ओवल ऑफिस में दोनों नेताओं की बहस मीडिया के कैमरे में कैद हो गई और सारी दुनिया ने ट्रंप के डांटने वाले लहजे को देखा और परेशान हो गई। वह जेलेंस्की को यूं डांट रहे थे जैसे कोई हुक्मरान अपने मुलाजिमों को डांटता है। पेश है बातचीत के अंश। जेडी वांस (उपराष्ट्रपति अमेरिका) शांति और तरक्की का रास्ता कूटनीति को जोड़ता है। प्रेसीडेंट ट्रंप यही काम कर रहे हैं। जेलेंस्की (बात करते हुए) ः तीन साल पहले हम पर हमला करने से पहले भी रूस ने हमारा इलाका छीना। तब किसी ने पुतिन को नहीं रोका। आज किस तरह की डिप्लोमेसी की बात कर रहे हैं जेडी वांस। आपका मतलब क्या है? जेडी वांस ः मैं उस डिप्लोमेसी की बात कर रहा हूं जो आपके देश का विनाश होने से बचाएगा। आप हमारी बेइज्जती कर रहे हो। अमेरिकी मीडिया के सामने आप हमें दोषी बता रहे हो। ट्रंप ने पुतिन से बातचीत का रास्ता खोला और तुरन्त युद्ध विराम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। जेलेंस्की को तो युद्ध लड़ने में कई तरह की दिक्कत हो रही थी। जेलेंस्की ः युद्ध के समय हर किसी को परेशानी होती है। यहां तक कि आपको भी। आपके पास बढ़िया समन्दर है। आपको अभी यह महसूस नहीं हो रहा होगा मगर भविष्य में आप यह महसूस करेंगे। जेलेंस्की ने यह बात कहकर इशारा किया कि आप रूस को खुश करने की कोशिश करोगे तो आप भी युद्ध की चपेट में आ सकते हो। (यह बात ट्रंप को चुभ गई और वह भी जेलेंस्की और वांस की बातचीत में कूद गए) ट्रंप (ऊंची आवाज में) ः हमें यह न बताओ कि हम क्या महसूस करेंगे। आप इस स्थिति में नहीं हो कि हमें यह बात सिखाओ, अभी आपके पास के दांव नहीं है। आप करोड़ों लोगों की जिन्दगियों के साथ जुआ खेल रहे हो। जेलेंस्की ः युद्ध की शुरुआत से ही हम अपनी जंग अकेले लड़ रहे थे और हमें इस पर गर्व है। (यह सुन ट्रंप और भड़क गए क्योंकि वह पोन युद्ध पर अमेरिकी खर्च को बड़ा नुकसान बताते रहे हैं)। ट्रंप ः आप अकेले नहीं थे। आप कभी अकेले नहीं थे। हमने आपको एक पूर्व राष्ट्रपति (बाइडन) के जरिए 350 अरब डॉलर की मदद की। जेडी वांस ः क्या आपने इस मदद के लिए कभी अमेरिका का आभार जताया? आपने अमेरिकी चुनाव में डेपोटिक के लिए कैपेनिंग की। अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले जेलेंस्की, जो बाइडन के गृह नगर गए थे, जिस पर ट्रंप की पार्टी बहुत नाराज हुई थी। जेलेंस्की ः प्लीज, अगर आपको लगता है कि युद्ध के बारे में ऊंची आवाज से बात करके आप...(तभी झुंझलाए ट्रंप बीच में बात काटते हैं) ट्रंप ः ऊंची आवाज में नहीं कर रहे। आपका देश एक बड़े संकट में है। आप इस जंग को नहीं जीत सकते। आपके पास इस सब से बाहर निकलने का एक मौका है। हमारी बदौलत इस तरह बिजनेस नहीं हो पाएगा। मिलकर काम करने के लिए एटिट्यूड बदलना होगा। (ट्रंप और जेडी के मुख से एटिट्यूड की बात सुनकर जेलेंस्की गुस्से से भर जाते हैं) जेडी वांस ः आप सिर्फ हमें धन्यवाद दीजिए। जेलेंस्की ः मैं धन्यराद दे चुका हूं और एक बार फिर अमेरिकी जनता का धन्यवाद देता हूं। वांस ः असहमति को भी स्वीकार कीजिए। मीडिया के सामने लड़ने की बजाए असहमति के मुद्दे पर बात कीजिए। जब आप गलत होते हो तो आप सिर्फ गलत होते हो। ट्रंप ः अच्छा ही हुआ कि अमेरिकी लोग आज यह देख रहे हैं कि क्या हुआ। आपको शुािढया कहना चाहिए। आपके पास कोई दांव नहीं है। आप खत्म हो चुके हो। आपके लोग मर रहे हैं। आपके पास सैनिक नहीं हैं। अगर आप युद्ध विराम के लिए मान जाते तो गोलियां बरसनी बंद हो जाती और आपके लोग न मरते। जेलेंस्की ः मैं युद्ध रोकना चाहता हूं पर जैसा कि मैंने आपसे कहाö कुछ गारंटियां भी चाहता हूं। युद्ध विराम के बारे में अपने लोगों की राय लेना चाहता हूं। यह थी ट्रंप-वांस-जेलेंस्की की पूरी बातचीत के प्रमुख अंश। डोनाल्ड ट्रंप, जेलेंस्की, वांस के बीच ओवल आफिस में जो हुआ उसे दुनिया ने देखा। इस तीखी नोंकझोक के बाद जहां रूस-पोन शांति समझौता खटाई में पड़ गया है। वहीं जेलेंस्की के लिए यूरोपीय नेताओं से लेकर सोशल मीडिया तक में सपोर्ट की बाढ़ आ गई है। एक अंतिम बात अब जो भी राष्ट्र अध्यक्ष राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेगा वह बड़ा चौकस रहेगा कि ट्रंप को गुस्सा आ गया तो...
-अनिल नरेन्द्र
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