Tuesday, 18 March 2025

स्टार लिंक...सीमा से स्पेस तक जोखिम



देश में उपग्रह कम्युनिकेशन के लिए अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को एंट्री देने के लिए दो दूरसंचार दिग्गजों - एयरटेल और रिलायंस जियो ने करार पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। स्टारलिंक सैटेलाइट इंटनेट सर्विस है, जिसका संचालन एलन मस्क की कंपनी स्पेस करती है। सैटेलाइट ब्राडबैंड, सैटेलाइट कवरेज के अंदर कहीं भी इंटरनेट की सुविधा मुहैया करा सकता है। स्टार लिंक हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस मुहैया करानी है और इससे दूरदराज के उन इलाकों में भी इंटरनेट सर्विस पहुंच सकती है। जहां पारम्परिक इंटरनेट सर्विस पहुंचने में दिक्कत आती है। स्टारलिंक की सेवाएं फिलहाल 100 से ज्यादा देशों में उपलब्ध हैं। भारत के पड़ोसी देश में भी इसकी सेवाएं हैं। इससे भारत में मोबाइल कम्युनिकेशन में ाढांति का दावा किया जा रहा है। हालांकि इस तरह के कम्युनिकेशन के लिए अमेरिकी कंपनी पर निर्भरता जोखिम भरा जरूर है। एयरटेल, जियो और स्पेस एक्स के बीच करार के विस्तृत बिंदु अभी सार्वजनिक होने बाकी हैं और अभी इस करार को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलनी भी बाकी है। लेकिन ऐसी कई चिताएं हैं जिन पर चर्चा जरूरी है। सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है। पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा और चीन से लगी एलएसी का उपग्रह का अनियंत्रित एक्सेस मिला तो दुश्मन या विद्रोही तत्वों द्वारा इसका बेजा फायदा उठाने की आशंका होगी। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी पुख्ता इंतजाम किए जाने जरूरी हैं। दूसरी चिंता डेटा की सुरक्षा को लेकर है। सैटेलाइट के जरिए बातचीत का पूरा डेटा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानी अमेरिकी कंपनी के पास रहेगा। ऐसे में संवेदनशील जानकारी लीक होने का खतरा रहेगा। अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट डिलीट कर दी उन्होंने लिखा था स्टारलिंक का भारत में स्वागत है। दूरदराज के इलाकों में रेलवे परियोजनाओं के लिए यह बेहद उपयोगी रहेगा। मस्क की कंपनी स्टारलिंक के पास फिलहाल आर्बिट में लगभग 7000 सैटेलाइट मौजूद हैं। इसको 100 देशों में 40 लाख सब्पाइबर्स हैं। मस्क ने कहा है कि वह हर पांच साल में नई टेक्नोलॉजी से इसे अपने नेटवर्क को अपग्रेड करते रहेंगे। इटली ने कुछ देशों में अपने दूतावास के लिए स्टारलिंक की सेवाएं ली थीं, लेकिन उसने नेशनल सिक्यूरिटी कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसी तरह कंपनी कई अफ्रीकी देशों में सेवाएं दे रही है। लेकिन नामिबिया ने हाल ही में बिना लाइसेंस इंटरनेट सुविधा देने पर स्टारलिंक को अपना आपरेशन समेटने को कहा था। भारत के 140 करोड़ लोगों में से लगभग 40 फीसदी लोगों के पास अब भी इंटरनेट की पहुंच नहीं है। इनमें ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से हैं। भारत में इंटरनेट अपनाने की दर अभी भी वै]िश्वक औसत से पीछे है। फिलहाल यह 66.28 फीसदी है। लेकिन हाल में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि देश इस अंतर को कम कर रहा है। अगर कीमत सही से तय की जाए और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए तो सैटेलाइट ब्रांडबैंड इस अंतर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

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