Saturday, 29 March 2025

मामला कुणाल कामरा का

स्टैंडअप कमेडियन कुणाल कामरा की कॉमेडी के दौरान गाए गए एक गाने पर भारी विवाद हो गया है। कामरा के इस गीत से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे पर तंज कसा और कथित तौर पर उन्हें गद्दार बताया। इससे खफा शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के उस होटल में बने स्टूडियो में तोड़फोड़ की जहां यह कॉमेडी शूट की गई। महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल शिवसेना, भाजपा और एनसीपी ने कुणाल कामरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि कामरा को माफी मांगनी चाहिए। वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहा है। बताते हैं, कामरा का यह वीडियो 2 फरवरी को शूट किया गया था। इसमें दिल तो पागल है की धुन पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर कथित तौर पर तंज कसा गया है जो रविवार को सामने आया। इसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कामरा ने जहां यह शूट किया था उसमें जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस ने सोमवार सुबह दो एफआईआर दर्ज की। पहली कुणाल कामरा पर शिंदे के अपमान की, दूसरी स्टूडियो में तोड़फोड़ में 40 शिवसेना कार्यकर्ताओं पर। कुणाल कामरा मंगलवार को पूछताछ के लिए मुंबई पुलिस के सामने पेश नहीं हुए। यही नहीं कुणाल कामरा ने साथ कहा है कि वह माफी नहीं मागेंगे। हां अगर अदालत चाहेगी तो माफी मांग सकते हैं। वहीं एकनाथ शिंदे ने कहा किसी पर हास्य व्यंग्य करना, कटाक्ष करना गलत नहीं है, लेकिन इसकी भी एक मर्यादा होती है। कुणाल कामरा ने जो किया ऐसा लगता है कि उन्हेंने सुपारी लेकर ऐसा किया है। कटाक्ष करते समय एक शिष्टाचार बनाए रखा जाना चाहिए, नहीं तो एक्शन का रिएक्शन भी होता है। विवाद के बीच कामरा ने दूसरा पैरोडी गीत भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। पैरोडी के बोल हम होंगे कामयाब एक दिन...। कामरा ने नई पैरोडी में नाथुराम और आसाराम को जोड़कर अंधविश्वास, बेरोजगारी और गरीबी के साथ संघ के शिष्टाचार पर भी कटाक्ष किया है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, कुणाल कामरा जो सच है, उस जनमानस के सामने लाए है, इसलिए मैं उनके समर्थन में खड़ा हूं। कामरा के स्टूडियो में तोड़फोड़ शिव सैनिकों ने नहीं की। शिवसेना का तोड़फोड़ से कोई संबंध नहीं है। संभवत गद्दारों के गुट के कार्यकर्ताओं ने किया है। यू-ट्यूब पर पोस्ट की गई 36 वर्षीय कामरा की टिप्पणी 36 लाख बार से ज्यादा देखी जा चुकी है और सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रही है। बयान में कामरा ने इस टिप्पणी के लिए कहा है कि यह पहले अजित पवार कह चुके हैं। मैं भीड़ से नहीं डरता और पलंग के नीचे छिपकर मामला शांत होने का इंतजार नहीं करूंगा। कामरा ने मीडिया को भी निशाना बनाते हुए टिप्पणी की है कि ईमानदारी से इस तमाशे की रिपोर्टिंग करें, याद रखें, प्रेस की आजादी के मामले में भारत 159वें स्थान पर है। शिंदे ने व्यंग्य की सीमा तक करने की बात कहते हुए इसे किसी के खिलाफ बोलने की सुपारी लेने जैसा कहा। पैरोडी में किसी विशेष को संबोधित नहीं किया गया है। इसलिए इस कदर त्योरियां चढ़ाना सही नहीं होता। सत्ता और राजनीतिज्ञों की हालिया पौध में बर्दाश्त इस कदर खत्म हो चुकी है कि कोई भी आलोचना, व्यंग्य या मसखरी बर्दाश्त करने को राजी नहीं हैं। प्रेस या अभिव्यक्ति की आजादी पर बखान करना आसान है, मगर यह रचनात्मक आपातकाल सरीखा माहौल रचा जा रहा है। जो बोलने, लिखने, गाने, अभिनय पर कड़ी नजर रखी जा रही है। विरोधस्वरूप उपद्रव कानून को हाथ में लेना भी सरकार विरोधी काम ठहराया जा सकता है।

No comments:

Post a Comment