Saturday, 8 March 2025
आकाश आनंद ः अर्श से फर्श पर
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को न केवल पार्टी के सभी पदों से हटाया बल्कि अब पार्टी से ही बाहर कर दिया है। उन्होंने सोमवार को एक्स पर इसकी जानकारी दी। मायावती ने कहा है कि एक दिन पहले सभी पदों से हटाए जाने पर आकाश ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया। आकाश के बयान को अपने ससुर के प्रभाव वाला स्वार्थी और गैर मिशनरी बताया है। आकाश आनंद को 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था और 2023 आते-आते रिश्तों में खटास बढ़ी और आकाश आनंद को न केवल पार्टी पदों से हटा दिया गया बल्कि पार्टी से बाहर कर fिदया गया है। आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। वो 2017 में लंदन से पढ़ाई करने के बाद ही बीएसपी के कामकाज में जुड़े थे। मई 2017 में सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष के समय वो मायावती के साथ वहां गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद आकाश को बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था लेकिन वह पार्टी को जीत की रेस में लाने में नाकाम रहे थे। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आकाश पार्टी के प्रभारी थे लेकिन सीट जीतना तो दूर की बात है, पार्टी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई थी। मायावती ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया था। हटाने का तर्क दिया गया था कि अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है। लेकिन आकाश को तब हटाया गया था जब वह सत्ताधारी भाजपा पर सीधा और तीखा हमला बोल रहे थे। लखनऊ में रविवार को बसपा की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है ः कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है। अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को पूरे देश में दो गुटों में बांटकर कमजोर किया है। मायावती को पलटकर जवाब देना वह भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर और उस पर तर्क यह कि तमाम संघर्षों के बाद सत्ताशीर्ष तक पहुंची मायावती को कठिन परीक्षा और लंबी लड़ाई होने का लुका-छिपा संदेश देना। पार्टी की मानें तो मायावती को आकाश आनंद की यह दोनों बातें अखर गई। यही आकाश आनंद के पार्टी से बाहर जाने का सबब भी बनी। बहुजन समाज पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मायावती के इस फैसले से न केवल उनकी पार्टी के लोगों को बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को भी अचरज में डाल दिया है। आकाश आनंद पार्टी के युवा चेहरा हैं। हालांकि जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए पार्टी का प्रदर्शन निचले स्तर पर रहा। मायावती के साथ एक नकारात्मक बात यह है कि वह कभी भी सड़क पर नहीं उतरती हैं। राजनीति की गहरी समझ रखने वाले और विपक्षी दलों के नेता भी मानते हैं कि अब खुलकर राजनीतिक करने के मायावती के दिन नहीं आने वाले। खासकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख रखने के स्वभाव को बहनजी ने बहुत पहले साइड लाइन कर रखा है। वह भाजपा के दवाब में हैं ऐसा लगता है। आज बहुजन समाज पार्टी की सियासत जमीन पर आ गई है। अपना वोट शेयर, वोट बैंक सब गिरता नजर आ रहा है। चुनाव पर चुनाव होने से बसपा की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। आकाश का यह कहना कि परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है, इस बात को भली-भांति स्पष्ट करती दिखाती है कि बीएसपी में अभी बहुत कुछ घटित होने वाला है। देखना है मायावती के हार्ड कोर समर्थक पार्टी के लिए कितने फायदेमंद रहते हैं या पार्टी के घमासान की शुरुआत है।
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