शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियमावली उल्लंघन के आरोपों में आखिरकार कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। माधवी बुच पर पिछले काफी समय से आरोप लगते रहे हैं पर जब तक वे पद पर थीं किसी प्रकार की न तो जांच हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका की शीर्ष शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर एटिटीज में निवेश करने के आरोप लगाए थे, तो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा था जिसमें अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपत्ति ने सारे आरोपों को खारिज कर दिया था। ताजा मामला एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामवली उल्लंघन के संबंध में शेयर बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथ राव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा। प्रथम दृष्टया विनियमावली में चूक और मिलीभगत के सुबूत हैं जिनकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि कूनन प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की सक्रियता के कारण आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। बुच का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि वह आदेश को चुनौती देगा। इस मामले में शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव (47) का दावा है कि सेबी के अधिकारी वैधानिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे। बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कारपोरेट धोखाधड़ी होने दी। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। जहां अदालत के आदेश के बाद सेबी ने बयान जारी कर कहा, जिन अधिकारियों का जिक्र है वह कंपनी की लिस्टिंग के समय अपने संबंधित पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना नोटिस जारी किया था। सेबी को तथ्यों को रिकार्ड पर रखने का अवसर दिए बिना शिकायत को मंजूरी दे दी। सेबी ने कहा, आवेदक एक तुच्छ और आदतन वादी के रूप में जाना जाता है, उसके पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया है और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया है। इन अधिकारियों पर भी दर्ज होगा केस। निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदररंजन राममूर्ति। बीएसई के ही तत्कालीन अध्यक्ष व जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, श्रीमती कमलेश चंद्र वार्ष्णेय। अब देखना यह है कि कौन आगे कैसे बढ़ता है? क्या सच्चाई सामने आएगी या हर बार की तरह लीपापोती हो जाएगी। मुंबई स्टाक एक्सचेंज का बहुत बुरा हाल है। पिछले 28 साल के निचली स्तर पर स्टाक मार्किट गिर गया है। लाखों-करोड़ों का नुकसान हो चुका है। छोटे निवेशक तबाह हो गए हैं। क्या उन्हें न्याय मिलेगा? उम्मीद की जाती है कि सख्त कदमों से स्टाक मार्केट सुधरेगी।
-अनिल नरेन्द्र
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