Thursday 11 May 2023

आबकारी केस : भ्रष्टाचार के कोईं सुबूत नहीं हैं

आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े मामले में दो आरोपियों को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आम आदमी पाटा ने कोर्ट के आदेश के हवाले से दावा किया है कि इस मामले में सीबीआईं और ईंडी के पास कोईं सुबूत नहीं है। आम आदमी पाटा ने प्राधानमंत्री और भाजपा से मांग की कि पिछले एक साल से पूरे देश को गुमराह करने और आम आदमी पार्टी के साथ अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को बदनाम करने के लिए वह देश और जनता से माफी मांगें। सीएम अरविन्द केजरीवाल ने भी ट्वीट करके कहा—अब तो कोर्ट ने भी कह दिया है कि इस मामले में रिश्वत या मनी लांड्रिंग का कोईं ठोस सुबूत नहीं है। रविवार को दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने पाटा कार्यांलय में एक प्रोस कांप्रोंस की। उन्होंने दावा किया कि शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस केस के आरोपी राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत देते हुए 85 पेज का जो ऑर्डर जारी किया है, उससे यह बात सामने आईं है कि ईंडी के पास इस मामले में कोईं सुबूत नहीं हैं। आतिशी ने कहा कि इस केस में दो मुख्य आरोप थे। पहला आरोप था कि नईं शराब नीति बनाने की एवज में शराब कारोबारियों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली गईं। दूसरा यह कि 100 करोड़ रुपए आम आदमी पाटा ने गोवा के चुनाव में लगाए, लेकिन कोर्ट के ऑर्डर से पता चलता है और यह स्पष्ट हो गया कि सीबीआईं और ईंडी के पास एक नए पैसे के भ्रष्टाचार का सुबूत नहीं है। आतिशी के मुताबिक आदेश में बार-बार जज ने एक ही बात दोहराईं है कि ईंडी ने कोईं सुबूत सामने नहीं रखा है। यहां तक कि 100 करोड़ रुपए के अमाउंट की बात कहां से आईं, यह भी स्पष्ट नहीं है। क्योंकि ईंडी ने अपनी चार्जशीट में केवल 30 करोड़ रुपए की बात कही है और इसके लेनदेन का भी कोईं सुबूत ईंडी पेश नहीं कर पाईं है। उन्होंने दावा किया कि पर्चियों के माध्यम से 30 करोड़ रुपए के लेनदेन का आरोप भी कोर्ट में साबित नहीं हो पाया। इस रकम के गोवा चुनाव में इस्तेमाल करने का जो आरोप था, उसे लेकर ईंडी ने कोर्ट में कहा है कि आप ने गोवा के चुनाव में केवल 19 लाख रुपए वैश में खर्च किए। बाकी सारी पेमेंट चेक से हुईं। आतिशी ने कहा कि एक तरह से ईंडी ने साबित कर दिया कि आम आदमी पाटा देश की सबसे ईंमानदार पाटा है। साथ ही कोर्ट के आदेश ने सीबीआईं और ईंडी का भी पर्दाफाश कर दिया है। इससे साफ है कि यह चार्जशीट पीएमओ में लिखी जाती है और एजेंसियों को देकर आरोपों को साबित करने के लिए गवाह और सुबूत लाने को कहा जाता है। अदालत ने अपने ऑर्डर के पैरा 74 में स्पष्ट कहा है कि ऐसा कोईं सुबूत सामने नहीं आया जिससे रिश्वत का मामला साबित होता है।

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