Tuesday, 30 May 2023
सवाल चीता प्राोजेक्ट पर?
वन विभाग वूनो नेशनल पार्व में मादा चीता दक्षा की मौत को प्रावृतिक बेशक मान रहे हैं पर मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की मौत ने जहां वन्य जीव पक्षियों को मायूस किया है। वहीं साउथ अप्रीका से चीते लाकर भारत को जंगलों को आबाद करने के इस प्राोजेक्ट को सवालों के घेरे में जरूर ला दिया है। इससे पहले 23 मईं को एक चीता शावक की मौत के बाद चिकित्सकीय जांच में तीनों बीमार मिले थे। यह भी बताया जाता है कि शावकों की मौत उसी शाम को हो गईं थी और इसकी औपचारिक जानकारी वन विभाग अधिकारियों ने गुरुवार को सार्वजनिक की। इस महत्वाकांक्षी प्राोजेक्ट के तहत नामीबिया से 20 चीते लाए गए थे और यहां आने के बाद 27 मार्च को ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया लेकिन पिछले छह महीने में पहले तीन चीतों की मौत हुईं और फिर तीन शावक भी जीवित नहीं रह सके। वूनो प्राबंधन के अनुसार भीषण गमा के कारण शावकों की मौत हुईं है। जिस दिन उनकी स्थिति खराब हुईं, उस दिन वहां का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस था। दक्षिण अप्रीकी विशेषज्ञों ने कहा—चीतों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण और असमय नहीं है। प्राधान मुख्य वन संरक्षक जेए चौहान के अनुसार 25 मईं को एक शावक की मौत के बाद शेष तीन शावकों एवं मादा चीता ज्वाला की पालपुर में वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा लगातार निगरानी की गईं। ज्वाला को सप्लीमेंट पूड भी दिया गया। दोपहर बाद तीन शावकों की स्थिति सामान्य नहीं लगी। उस दिन का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था। दिनभर अत्याधिक गरम हवा एवं लू चलती रही।
प्राबंधन एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तीन शावकों का उपचार शुरू किया, लेकिन दो शावकों को बचाया नहीं जा सका। एक शावक को गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है। नामीबिया एवं साउथ अप्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों से भी लगातार सलाह ली जा रही है। मध्य प्रादेश का वन विभाग व अधिकारी मंगलवार को हुईं इन मौतों का कारण गमा, वुपोषण और उपचार के प्रायासों पर इनका कोईं रिस्पांस न देना बताया है। क्या इसका मतलब यह है कि इन चीतों और शावकों के लिए यहां का मौसम और परिवेश अपेक्षा से कहीं ज्यादा प्रातिवूल साबित हो रहा है? जानकारी के मुताबिक आमतौर पर संरक्षित क्षेत्र में चीतों के शावकों का सर्वाइवल रेट काफी अच्छा होता है। इस उम्र में शावकों के लिए सबसे पौष्टिक आहार मां का दूध होता है। करीब दो महीने की उम्र के यह शावक अगर कमजोर थे तो क्या इसका मतलब यह है कि इन्हें मां का दूध पर्यांप्त मात्रा में नहीं मिल रहा था और अगर यह सच है तो स्थिति चिंताजनक है। इतने कीमती चीतों की देखभाल, पालन-पोषण में लापरवाही दर्शाती है कि प्राोजेक्ट चीता गलत प्राोजेक्ट था जिसकी सही जांच चीतों को लाने से पहले ठीक से नहीं की गईं।
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