Tuesday 2 May 2023

कर्नाटक की वुसा पर कौन बैठेगा?

कर्नाटक में प्राचार के मुश्किल से 10-11 दिन रहते प्राचार के बाण और घमासान अपने चरम पर है। भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। पीएम मोदी, राजनाथ सिह, अमित शाह, जेपी नड्डा कईं अन्य वेंद्रीय मंत्री और बड़े नेताओं ने प्राचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रोस की तरफ से प््िरायंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे और जेडीएस की तरफ से एचडी देवेगौड़ा प्राचार को धार दे रहे हैं। जहरीले सांप और विष कन्या जैसे बोल भी अन्य मुद्दों के अलावा छा रहे हैं। एबीपी-सी वोटर के ताजा सव्रेक्षण के अनुसार कर्नाटक में कांग्रोस नम्बर वन पाटा के रूप में उभरी है। उसके अनुसार कांग्रोस को 40 प्रातिशत वोट शेयर मिल रहा है और सीटों के हिसाब से उसे 107-119 के बीच सीटें मिल सकती हैं। वहीं भाजपा का वोट शेयर 35 प्रातिशत है और उसके हिस्से में 74-86 सीटें आ सकती हैं। जेडीएस तीसरे नम्बर पर 17 प्रातिशत वोट शेयर और 23-25 सीटें ले सकती है। भाजपा और कांग्रोस के सामने जो चुनौतियां हैं, वो एकदम अलग हैं। दोनों पार्टियों में से किसी की भी कोईं गलती उनके लिए सांप और सीढ़ी का खेल बन सकती है। चुनाव के तीसरे दावेदार जनता दल (सेक्युलर) भाजपा और कांग्रोस में से किसी के लड़खड़ाने का इंतजार कर रही है ताकि वह किग न सही, किग मेकर तो बन सके। जेडीएस की इच्छापूर्ति इस बात पर निर्भर करती है कि राज्य की राजनीति के प्रामुख दावेदारों यानि कांग्रोस और भाजपा अपनी चुनौतियों का सामना वैसे करते हैं। यदि भाजपा या उसके विधायक एंटी इंकमबैंसी (सत्ता विरोधी लहर) व भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, तो कांग्रोस ऐसी जमीन पर चल रही है, जो पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। वुछ हफ्ते पहले राज्य के सामने जितने विवादित मामले थे, अब उतने मुद्दे नहीं बचे हैं। उदाहरण के तौर पर संशोधित आरक्षण नीति को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताईं है। हालांकि वेंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कईं जगहों पर मुसलमानों के लिए आरक्षण हटाने को सही ठहराया और विवाद में पंसाने के लिए कांग्रोस के सामने चारा पेंक दिया हैं। अमित शाह ने एक जनसभा में यह भी कहा कि अगर कर्नाटक में कांग्रोस की सरकार चुनी जाती है तो राज्य में सांप्रादायिक दंगे होंगे। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक में सांप्रादायिक मुद्दे इतने चरम पर पहुंच गए हैं। शाह के अलावा बाकी नेताओं के नेरेटिव में अचानक बदलाव होना काफी महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि राज्य में तीनों दल बड़ी सावधानी से काम कर रहे हैं। 10 मईं को होने वाला मतदान तय करेगा कि अगले पांच साल तक कर्नाटक में कौन राज करेगा। ——अनिल नरेन्द्र

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