Thursday, 11 May 2023
गले की फांस बने राजाैरी व पुंछ जिले
पिछले 30 महीनों से अर्थात पिछले ढाईं सालों से एलओसी से सटे राजाैरी व पुंछ के जुड़वां जिले जंग के मैदान में बदल चुके हैं। यह जंग 26 सैनिकों और नौ नागरिकों की जान ले चुकी है। सेना के लिए गले की फांस बने दोनों जिलों में चिंता इस बात की है कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद स्थानीय नागरिक आतंकवाद की ओर मुड़ने लगे हैं। इन दोनों जिलों में पैली इस जंग के प्राति कहा जा रहा है कि मुकाबला अदृश्य दुश्मन से है।
यह दुश्मन स्थानीय ओजीडब्ल्यू तो है ही, एलओसी के पास होने से उस पार से आने वाले विदेशी नागरिक भी हैं जिन पर नकेल नहीं कसी जा सकी है।
जबकि आतंकी हमलों और नरसंहार की घटनाओं में शामिल सभी आतंकी फिलहाल गिरफ्त से बाहर हैं। इन दोनों जिलों में आतंकवादियों द्वारा सेना को लगातार निशाना बनाए जाने से सेना की परेशानी सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने की हो गईं है। अक्तूबर 2021 के दो हमलों की तरह जिसमें नौ सैनिक मारे गए थे इस बार 17 दिनों के भीतर फिर से 10 सैनिकों को मारने वाले आतंकी स्नाइपर राइफलों और अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने के साथ ही क्षेत्र से भलीभांति परिचित होने वाले बताए जा रहे हैं।
एक अधिकारी के बकौल स्थानीय समर्थन के कारण ही वह पुंछ के भाटा धुनियां इलाके से राजाैरी के कड़ी क्षेत्र तक के 50-60 किलोमीटर के सफर को पूरा कर रहे हैं। पिछले 17 दिनों में आतंकियों के हाथों 10 जवानों की मौत राजाैरी और पुंछ के एलओसी से सटे इन जुड़वां जिले में कोईं पहली घटना नहीं थी बल्कि पांच अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों ने कश्मीर में इन जुड़वां जिलों की ओर रुख करते हुए पहले सूरनकोट के चमरेट इलाके में 11 अक्तूबर 2020 को पांच सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले के बाद इसी आतंकी गुट ने पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके में सैनिकों पर एक और घात लगाकर हमला किया तो चार सैनिक शहीद हो गए। जम्मू-कश्मीर के राजाैरी जिले के घने जंगली क्षेत्र में जारी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने शनिवार को एक आतंकी को मार गिराया, जबकि अन्य आतंकी के घायल होने की संभावना है। सेना ने यह जानकारी दी कि राजाैरी में जारी अभियान के दौरान शुव््रावार को आतंकियों ने सेना के पांच जवान शहीद किए और मेजर रैंक के एक अधिकारी घायल हो गए। इस घटना के बाद अब सेना ने ऑपरेशन त्रिनेत्र शुरू किया है।
तलाशी अभियान के दौरान 280 से अधिक लोगों को वारदात के सिलसिले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। दरअसल ऑपरेशन त्रिनेत्र जैसे अभियानों की सफलता के लिए जरूरी है कि मुखबिरों का सहारा लिया जाए, इंटेलिजेंस और स्थानीय लोगों का ज्यादा से ज्यादा सहयोग लिया जाए।
——अनिल नरेन्द्र
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