Tuesday 30 May 2023

न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की निचली अदालत के 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविवुमार की पीठ ने कहा कि जिन न्यायिक अधिकारियों को पदोन्नत किया गया, फिलहाल उन्हें उनके मूल पद पर वापस भेजा जाए, जिनकी पदोन्नति पर रोक लगी है उनमें मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराने और सजा सुनाने वाले जज हरीश हसमुख भाईं वर्मा भी हैं। गौरतलब है कि विभिन्न जिला जज की पदोन्नति के लिए गुजरात हाईं कोर्ट ने सिफारिश की थी। इसे लागू करने के लिए गुजरात सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी। इसी पर पीठ ने रोक लगाईं है। पीठ ने प्रातिवादियों को नोटिस भी जारी कर दिया है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा जारी की गईं सूची और जिला न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश गैर-कानूनी है और इस अदालत के निर्णय के विपरीत है। इसलिए इसे बरकरार रखा जा सकता है। न्यायालय ने कहा—हम पदोन्नति सूची के व््िरायान्वयन पर रोक लगाते हैं। पदोन्नति पाने वाले संबंधित अधिकारियों को उनके मूल पदों पर भेजा जाता है जिन पर वह अपनी पदोन्नति से पहले नियुक्त थे। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्तमान स्थगन आदेश उन पदोन्नतियों पर भी लागू होगा जिनके नाम मेरिट लिस्ट में पहले 68 उम्मीदवारों में नहीं हैं। पीठ ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाईं वह पीठ करेगी जिसे प्राधान न्यायाधीश सौंपेंगे क्योंकि न्यायमूर्ति शाह जल्द सेवानिवृत हो रहे हैं। याचिका में गुजरात में 69 जिला जज की पदोन्नति को चुनौती दी गईं थी। दरअसल इन जज की पदोन्नति 65 प्रातिशत कोटा नियम के आधार पर हुईं थी। जिसे सीनियर सिविल जज वैडर के दो अधिकारियों ने चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि भता नियमों के अनुसार जिला न्यायाधीश का पद योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत और एक योग्यता परीक्षा पास करने के आधार पर 65 प्रातिशत आरक्षण रखते हुए भरा जाता है। उन्होंने कहा कि योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत को नजरंदाज किया गया और नियुक्तियां वरिष्ठता-सह-योग्यता के आधार पर की गईं। दोनों न्यायिक अधिकारियों ने 200 में से व््रामश: 135.5 और 140.5 अंक हासिल किए थे। इसके बावजूद कम अंक लाने वाले उम्मीदवारों को जिला न्यायाधीश नियुक्त किया गया। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईं कोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। दिलचस्प बात यह है कि अदालत के नोटिस जारी करने से पहले ही हाईं कोर्ट ने विभिन्न जिला जज की पदोन्नति कर दी और नोटिस जारी होने के समय यह फाइल गुजरात सरकार के पास लंबित थी। इसके बाद एक हफ्ते के भीतर ही राज्य सरकार ने विभिन्न जजों की पदोन्नति की अधिसूचना जारी कर दी। ——अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment