Tuesday, 16 May 2023

फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार

सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के बीच अधिकारों को लेकर कानूनी लड़ाईं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पैसला दिया कि अधिकारियों को पोस्टिंग और ट्रांसफर का हक दिल्ली सरकार का है। अब तक दिल्ली में सचिवों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार दिल्ली के एलजी को था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा—भूमि, लोक व्यवस्था और पुलिस का मामला वेंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। दिल्ली में सभी प्राशासनिक मामलों से सुपरविजन का अधिकार उपराज्यपाल के पास नहीं हो सकता। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर बंटा हुआ पैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गत गुरुवार को दिल्ली सरकार के पक्ष में पैसला सुनाते हुए कहा कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में सर्वसम्मति से पैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि दिल्ली में सभी प्राशासनिक मामलों की सुपरविजन का अधिकार उपराज्यपाल के पास नहीं हो सकता। दिल्ली की चुनी हुईं सरकार के हर अधिकार में उपराज्यपाल का दखल नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुईं सरकार के पास होता है। भूमि, लोक व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सर्विस से जुड़े सभी पैसले, आईंएएस अधिकारियों की पोस्टिंग (भले ही दिल्ली सरकार ने किया हो या नहीं) उनके तबादले के अधिकार दिल्ली सरकार के पास होंगे। इस पैसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा—आठ सालों से हमारे हर काम को वेंद्र सरकार ने इस नियम के जरिये रोका है। शिक्षा का काम करना चाहा तो सचिव नियुक्त कर काम में अड़ंगा लगाया। मोहल्ला क्लिनिक के लिए ऐसा स्वास्थ्य सचिव चुना जो काम न होने दे। सुप्रीम कोर्ट के पैसले आने में अभी स्याही नहीं सूखी थी कि एक नया विवाद हो गया। अधिकारियों के तबादले और तैनाती पर नियंत्रण मिलने के 24 घंटे के भीतर दिल्ली की आम आदमी पाटा सरकार ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे के तबादले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आप सरकार ने आरोप लगाया कि वेंद्र मोरे के तबादले में अड़ंगा लगा रहा है। शीर्ष अदालत इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाईं को तैयार हो गईं। सीजेआईं की पीठ में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिघवी ने बताया कि बृहस्पतिवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने पैसला दिया है। ऐसे में आदेश का पालन नहीं करना न्यायालय की अवमानना है। उन्होंने कहा—वेंद्र सेवा विभाग के सचिव के तबादले को लागू नहीं कर रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लगता है वेंद्र सरकार दिल्ली में आम आदमी पाटा के स्वतंत्र रूप से कामकाज करने में हर प्राकार से अड़ंगा लगाने पर तुली हुईं है।

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