Friday, 30 December 2022

आ गईं दिल्ली वाली सर्दी, ठंड

वाली सर्दी, ठंड समूचे भारत में नए साल का आगाज हाड़ गलाने वाली सर्दी से होगा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 31 दिसम्बर से 4 जनवरी 2023 तक पांच दिन इस सीजन के सबसे सर्द दिन हो सकते हैं। इस दौरान पंजाब, हरियाणा के वुछ इलाकों में रात का तापमान माइनस में जा सकता है। राजस्थान में सोमवार को ही तापमान जीरो पर पहुंच गया। वहीं दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रात का एक से चार डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। दिन का अधिकतम तापमान 10 से 14 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है। नए साल की शुरुआत में इस दौरान उत्तर के पहाड़ी राज्यों से लेकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी और उत्तरी मध्य प्रदेश के अधिकांश इलाकों में घना कोहरा छाया रहेगा। अगर आप ट्रेन में रोजाना दिल्ली-एनसीआर में सफर करते हैं तो आपकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। बढ़ती ठंड और घने कोहरे को देखते हुए उत्तर रेलवे ने दिल्ली- एनसीआर, लखनऊ समेत कईं शहरों में चलने वाली 48 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है। रेलवे प्रशासन के मुताबिक यह पैसेंजर ट्रेन 25 दिसम्बर से लेकर 24 जनवरी तक रद्द रहेंगी। कोहरे के चलते लंबी दूरी की सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों का लेट होना जारी है। इसको देखते हुए रेलवे प्रशासन ने कईं पैसेंजर ट्रेनों के संचालन को रोक दिया है। जिसकी वजह से अन्य ट्रेनों का संचालन सुगम हो सकेगा। वहीं लंबी दूरी की कईं गािड़यों में कोच की संख्या बढ़ा दी गईं है। हालांकि ठंड और कोहरे को देखते हुए उत्तर रेलवे ने पूर्व में लंबी दूरी की 110 ट्रेनों को रद्द किया है जो 1 दिसम्बर से लेकर 25 फरवरी तक रद्द रहेंगी। मौसम विभाग के अनुसार 27 से 30 दिसम्बर के बीच दिन और रात के तापमान में मामूली बढ़ोतरी होगी। अभी तक पश्चिमोत्तर हवाएं पहाड़ों से बर्फीली हवाएं लेकर आ रही हैं जो 27 से मौसम की अस्थिरता की वजह से बदल रही हैं। जिसके चलते दिन और रात दोनों के तापमान में वुछ बढ़ोतरी हो गईं है। व्रिसमस के दिन राजधानी के लोग पूरे दिन ठंड से वंपवंपाते रहे। धूप में भी लोगों को बर्फीली हवाओं की वजह से ठंड से राहत नहीं मिली। इसक वजह से काफी लोगों ने संडे घर पर ही रहकर बिताना पसंद किया। इस सीजन में पहली बार राजधानी में दिन में गभीर शीतलहर की स्थिति वुछ जगहों पर बनी रही। कईं जगहों पर अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे रहा। वहीं न्यूनतम तापमान भी वुछ जगहों पर 3 डिग्री के आसपास बना रहा। सोमवार को भी ऐसे हालातों से राहत की उम्मीद नहीं दिखी। शीत लहर का येलो अलर्ट जारी किया गया है। मंगलवार से ठंड में मामूली राहत मिली। दिन में भी राजधानी के कईं हिस्सों में लोग सर्दी से बचने के लिए अलाव जलाते नजर आए। रविवार को राजधानी का अधिकतम और न्यूनतम तापमान में एकदम से बड़ी गिरावट आईं। न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस के आसपास नीचे गया। रविवार को अधिकमत तापमान 16.2 डिग्री दर्ज किया गया। यह सामान्य से 5 डिग्री कम रहा। आप अपना खास ध्यान रखें, खासकर बच्चों का। उन्हें बाहर खेलने से रोवें। दैनिक मजदूरों की शामत आ गईं है जिन्हें खुले में काम करना पड़ रहा है। ——अनिल नरेन्द्र

बिहार का शराब माफिया

शराब माफिया उस दिन पार्टी में किसे ने दे दिया, हम हल्का सा पी लिए तो सर चक्कर देने लगा। काम छोड़कर चले आए। हम डॉक्टर के पास नहीं जा रहे थे, लेकिन फिर ये कांड हो गया तो मां रोने लगी, तब डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर बोले कि एकाध महीने में आंखों से थोड़ा बहुत दिखने लगेगा। सत्येन्द्र महतो बिहार में छपरा के बहरौली गांव के हैं। उनकी आंखें आम इंसानों की तरह दिखती हैं लेकिन जहरीली शराब की वजह से आंखों की रोशनी चली गईं है। सत्येन्द्र 12 दिसम्बर की शाम पड़ोस के एक गांव में जनेऊ (उपनयन) समारोह में काम करने गए थे। वहां किसी ने शराब दी जिसे पीकर उनकी तबीयत खराब हो गईं और इधर सारण के कईं इलाकों में जहरीली शराब ने मौत का तांडव मचा दिया। स्थानीय रिपोटरों के मुताबिक बहरौली में भी जहरीली शराब से वुछ लोगों की मौत हुईं है। मां की जिद पर सत्येन्द्र समय पर हास्पिटल पहुंच गए तो जान बच गईं, लेकिन आंखों की रोशनी चली गईं। मजदूरी कर घर चलाने वाले सत्येन्द्र का परिवार अब वैसे चलेगा, इसका वुछ पता नहीं है। लेकिन वो अब भी जहरीली शराब के कारोबारियांे के बारे में वुछ बताना नहीं चाहते। शराब कहां से आईं अब यह नहीं बताऊंगा। सत्येन्द्र के इन शब्दों के पीछे शराब माफिया का डर है या कानून का, इस पर भी वो खामोश हैं। लेकिन जहरीली शराब से प्रभावित सारण के इलाके में शराब के इस अवैध कारोबार की जानकारी कईं लोगों को है। इसुआपुर के सरवरा गांव की नीता देवी के हाथ लगातार थरथरा रहे है। उनके पति विक्की महतो पहले गुजरात की एक वंपनी में काम करते थे। वहीं की पैक्ट्री का एंट्री कार्ड दिखाते हुए नीता देवी वुछ बताने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन बता नहीं पा रही हैं। नीता का तीन साल का बेटा भी बोल नहीं पाता, लेकिन इसी उम्र में पिता का उसे संस्कार करना पड़ा। नीता देवी ने जिंदगी के 22 साल भी पूरे नहीं किए लेकिन पति छोड़कर चला गया। विक्की महतो की कच्ची झोपड़ी में बीवी तीन बच्चे और बूढ़े मां-बाप रह गए हैं। जहरीली शराब ने ही 25 साल के विक्की की भी जान ले ली। अब इनके पास हर महीने सरकार की तरफ से मुफ्त मिलने वाला एक किलो गेंहू और तीन किलो चावल रह गया है। विक्की के पिता लाल बाबू महतो का कहना है कि एक किलोमीटर दूर दनरहिया में दारू बिकता है। वहीं 14 तारीख को दारू पीकर घर आया और कहने लगा तबीयत खराब लग रही है। फिर उल्टी करने लगा। मैंने कहा चलो डॉक्टर के पास, तो नहीं गया। रात में दो बजे तबीयत बिगड़ी और बैचेनी होने लगी। एम्बुलेंस बुलाईं, लेकिन रास्ते में ही 15 तारीख की सुबह उसकी मौत हो गईं। उनका कहना है कि बिहार में दारू वैसे आता है, ये तो नीतीश वुमार बता सकते हैं, लेकिन इधर दारू का टैंकर आता है। बिहार में यह आरोप भी लगाया जाता है कि ज्यादातर शराब माफिया राजनेताओं या राजनीतिक दलों के आसपास रहने की कोशिश करते हैं ताकि इसकी आड़ में वो अपना धंधा चला सवें, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार कह चुके हैं कि जो लोग जहरीली शराब पीकर मारे गए, उनके परिवार को सरकार की तरफ से कोईं मुआवजा नहीं मिलेगा। इस शराब कांड में मारे गए ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं थे। इसमें सबसे बड़ी तादाद गरीब और रोज मेहनत कर घर चलाने वालों की है। यहां कईं परिवार ऐसे भी हैं जिसके पास भोजन का संकट पहले से था और अब कर्ज में भी डूब गए हैं। इस समस्या का कोईं हल नजर नहीं आता। साल दर साल यही किस्सा दोहराया जाता है। शराब-बंदी ने उल्टा इन माफियाओं की मदद ही की है। दुख की बात तो यह है कि इसका शिकार होने वाले अधिकतर गरीब मजदूर तबके के लोग हैं। वह तो चले जाते हैं पीछे छोड़ देते हैं रोता-बिलखता परिवार।

Tuesday, 27 December 2022

नेपाल जेल से रिहा बिकनी किलर

भारतीय और वियतनामी मूल के वुख्यात प्रांसीसी सीरियल किलर जिसे बिकनी किलर भी कहा जाता है, को काठमांडू (नेपाल) द्वारा रिहा कर दिया गया है। चाल्र्स शोभराज को रिहा होने के वुछ घंटे बाद शुव्रवार को प्रांस निर्वासित कर दिया गया। उसने 1970 के दशक में एशियाभर में की गईं कईं हत्याओं के लिए अधिकांश सजा नेपाल की जेल में काटी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के दो दिन बाद शोभराज (78) को कांठमांडू की केन्द्रीय जेल से शुव्रवार सुबह रिहा कर दिया गया। उसे पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच आव्रजन विभाग ले जाया गया। शोभराज के वकीलों में शामिल सुदेश सुबेदी ने कहा कि उसकी मां और बेटी उसके पेरिस पहुंचने का इंतजार कर रही हैं। इस बीच शोभराज को गोवा से गिरफ्तार करने वाले मुंबईं पुलिस के सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त मधुकर जेंडे ने कहा कि हालांकि उसका मानना है कि चाल्र्स शोभराज जैसे खूंखार अपराधी को जीवनभर जेल से बाहर नहीं आना चाहिए, लेकिन आपराधिक न्याय प्रणाली का क्या सोचना है, उस पर विचार किया जाना महत्वपूर्ण है। शोभराज को 1976 में अपने एक साथी के साथ मिलकर नईं दिल्ली के एक होटल में इंजीनियरिंग के 30 से अधिक छात्रों को जहर देने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था। बाद में पता चला कि उसने एक प्रांसीसी पर्यंटक की भी हत्या की है। उसे विभिन्न अपराधों के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल में 12 साल की वैद की सजा सुनाईं गईं लेकिन वह कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल तोड़कर भाग गया और सुर्खियों में आया। उसे जल्द ही गोवा के एक रेस्तरां जो कोकेरिया से गिरफ्तार किया गया और 1997 तक जेल में रहा। जेंडे ने कहा कि शोभराज ने 41 से 42 महिलाओं की हत्या करने की बात स्वीकार की है यह वह एक खूंखार अपराधी है, जो जेल से बाहर आने पर वुछ भी कर सकता है, नेपाल के गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव और प्रवक्ता फनीन्द्र मणि पोखरेल ने कहा कि शोभराज अगले 10 वर्षो तक नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाएगा। द काठमांडू पोस्ट अखबार के हवाले से कहा, गृह मंत्रालय ने चाल्र्स शोभराज को निर्वासित कर दिया है और अगले दस साल के लिए नेपाल में उसके प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। शोभराज पहले कतर एयरवेज की उड़ान संख्या क्यूआर 649 से दोहा रवाना हुआ, जहां से वह पेरिस के लिए रवाना होगा। इससे पहले शोभराज के वकील गोपाल शिवकोटी चितोने ने भाषा को बताया कि शोभराज को प्रांस से निर्वासित करने के लिए त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईं अड्डे ले जाया गया। बाकी की पूरी जिंदगी उसके नेपाल लौटने पर रोक रहेगी। हालांकि यह मीडिया में जारी खबरों के अनुसार शोभराज नेपाल में रहना चाहता था और उसने दस दिन तक इलाज के लिए गंगालाल अस्पताल में भर्ती करने की गुहार लगाईं थी। उसकी 2017 में दिल की सर्जरी हुईं थी। न्यायमूर्ति सपना प्रधान मल्ला और न्यायमूर्ति तिलक प्रसाद श्रेष्ठ की खंड पीठ ने सरकार को उसके प्रांस निर्वासित करने का बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था। ——अनिल नरेन्द्र

यह उदृाोगपतियों की सरकार है

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में क्या आम और क्या खास, कांग्रेस के सभी आला नेताओं को दिल्ली की सड़कों पर ला खड़ा कर दिया। शनिवार सुबह राहुल 3000 किलोमीटर की यात्रा जिसे 108 दिन में पूरा किया। भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली के हरियाणा के फरीदाबाद, बदरपुर सीमा से दिल्ली में प्रवेश करते ही चाहे पब्लिक हो, चाहे कांग्रेसी नेता हो सभी वुहासे और ठंड भरी सड़कों पर चलते देखे गए। छोटे-छोटे स्वूल के बच्चे, दूरदराज से आने वाले कांग्रेस के कार्यंकर्ता घंटों राहुल की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर खड़े रहे। यही नहीं जब मथुरा रोड से आश्रम फ्लाईंओवर के बगल में स्थित जयराम ब्रrाचारी आश्रम ट्रस्ट पर वुछ घंटे का विश्राम हुआ तो वहां पार्टी के क्या आम और क्या खास सभी यूं ही समय बिताते और राहुल गांधी को उनके आराम के लिए बने वंटेनर से बाहर आने का इंतजार करते नजर आए। पार्टी के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह, पी. चिदम्बरम, अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश इत्यादि नेता सुबह से शाम तक यात्रा की व्यवस्था में तल्लीन दिखे। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा को लाल किले पहुंचकर विराम दिया। राहुल के साथ यहां पर हजारों लोगों की भीड़ थी। राहुल ने लाल किले से संबोधित करते हुए कहा, मीडिया वाले हमारे दोस्त हैं, लेकिन हमारी बात नहीं दिखाते। जो यहां खड़े हैं उनसे नाराज मत होइए। इनकी लगाम कहीं और है। राहुल ने कहा-जेब काटी जाती है तो जेबकतरा पहले आपका ध्यान भटकाता है, ठीक वही किया जा रहा है। 24 घंटे हिंदू-मुस्लिम करके यही किया जा रहा है। ये अंबानी-अडाणी की सरकार है, उनको फायदा पहुंचाया जा रहा है। राहुल ने केन्द्र सरकार पर अरबपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदुस्तान के पीएम पर भी लगाम लगी है। अपने भाषण में राहुल गांधी ने शुरू में ही पीएम मोदी पर हमला किया। उन्होंने कहा, जब मोदी चुनाव लड़ रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। कांग्रेस एक संगठन नहीं है। ये सोचने और जीने का तरीका है। एक तरफ आरएसएस और भाजपा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी है। यह वो सोचने और जीने के तरीके हैं। आरएसएस और भाजपा नफरत पैलाते हैं वहीं कांग्रेस मोहब्बत की दुकान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा को नरेन्द्र मोदी नहीं समझ पाए। यह नईं लड़ाईं नहीं है। वे नफरत पैलाते हैं, हम मोहब्बत पैलाते हैं। राहुल ने कहा कि जब मैं कन्यावुमारी से चला तब पता चला कि देश में नफरत नहीं है, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह महंगाईं, बेरोजगारी, असमानता और नफरत के खिलाफ यात्रा है। राहुल की 3000 किमी. लंबी यात्रा में लाखों लोग जुड़े। वुछ साथ भी चले। इस यात्रा से चुनाव में तो पता नहीं कितना फायदा होता है पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस यात्रा ने कांग्रेस कार्यंकर्ताओं में जान पूंक दी है। दूर-दराज के शहरों से हजारों की संख्या में जो कार्यंकर्ता आए, उनका जोश देखने को मिला। बहुत दिनों बाद कांग्रेस कार्यंकर्ताओं में इतना जोश और उत्साह देखने को मिला है।

Friday, 23 December 2022

दुनिया के कईं देशों की कमान भारतवंशियों के पास

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् आयरलैंड के फिने गाइल पाटा के नेता भारतीय मूल के लियो वराड़कर को आयरलैंड की संसद के निचले सदन में मतदान के बाद नया प्राधानमंत्री चुन लिया गया। वराड़कर अकेले ही नहीं हैं भारतीय मूल के राष्ट्र अध्यक्ष। वुछ समय पहले ही ब्रिटेन में त्रषि सुनक ब्रिटेन के प्राधानमंत्री बने। यूरोप में भारतीय मूल के नेताओं में एंटोनियो कोस्टा का नाम प्रामुखता से लिया जाता है। वह पुर्तगाल के प्राधानमंत्री हैं। एंटोनियो के पिता ओरलैंडो कोस्टा एक कवि थे। उन्होंने उपनिवेश विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था और पुर्तगाली भाषा में शाइन ऑफ एंगर नामक मशहूर किताब लिखी थी। दादा लुईं अफोन्सो मारिया डी कोस्टा भी गोवा के निवासी थे। हालांकि एंटोनियो कोस्टा का जन्म मोजांबीक में हुआ, पर उनके रिश्तेदार आज भी गोवा में मरगाओ के नजदीक रुआ अबेद फारिया गांव से जुड़े हैं। अपनी भारतीय पहचान पर कोस्टा ने एक बार कहा था कि मेरी चमड़ी के रंग ने मुझे कभी भी वुछ भी करने से नहीं रोका। मैं अपनी त्वचा के रंग के साथ सामान्य रूप से रहता हूं। यही नहीं कोस्टा भारत के ओसीआईं कार्ड धारकों में शामिल हैं। भारत के प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में उन्हें उनका ओसीआईं कार्ड सौंपा था। मॉरीशस के प्राधानमंत्री प्राविद जगन्नाथ भी भारतीय मूल के राजनेता हैं, जिनकी जड़ें भारत के बिहार से जुड़ी हैं। प्राविद जगन्नाथ के पिता अनिरूद्ध जगन्नाथ भी मॉरीशस की राजनीति के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वह मॉरीशस के राष्ट्रपति और प्राधानमंत्री पद पर रहे थे। सिगापुर की राष्ट्रपति हलीमा यावूब के पूर्वजों की जड़ें भी भारत से जुड़ी हैं। उनके पिता भारतीय मूल के थे। उनकी मां मलय मूल की थीं। सिगापुर में मलय आबादी लगभग 15 प्रातिशत है। मलय मूल के लोग इंडोनेशिया और मलेशिया में पैले हुए हैं। इसके बाद भी हलीमा यावूब ने सिगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया था। लैटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रासाद संतोखी भी ऐसे राजनेता हैं, जिनके तार भारत से जुड़े हुए हैं। भारतीय सुरीनामी हिन्दू परिवार में जन्म लेने वाले चंद्रिका प्रासाद संतोखी को चान संतोखी कहा जाता है। वैरेबियाईं देश गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के पूर्वजों की जड़ें भारत से जुड़ी हैं। उनका जन्म साल 1980 में एक भारतीय मूल के परिवार में हुआ था। सेशेल के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी भारतीय मूल के नेता हैं, जिनके पूर्वज भारत के बिहार प्रांत से जुड़े हुए हैं। उनके पिता एक लोहार थे। वहीं उनकी मां एक शिक्षक थीं। भारतीय मूल के शीर्ष नेताओं में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी हैं। साल 2021 में उन्हें 85 मिनट के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शक्तियां दी गईं थीं। इसके साथ ही कमला हैरिस अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति पद की शक्ति संभालने वाली पहली महिला बन गईं थीं। कमला ने बताया था कि मेरे नाम का मतलब है, कमल का पूल। भारतीय संस्वृति में इसकी काफी अहमियत है। कमल का पौधा पानी के नीचे होता है। पूल पानी के सतह से ऊपर खिलता है। जड़ें नदी तल से मजबूती से जुड़ी होती हैं। कमला भारत में जन्मीं मां और जमैका में पैदा हुए पिता की संतान हैं। ——अनिल नरेन्द्र

बढ़ती झड़पें— बढ़ता व्यापार

भारत और चीन की सीमाओं पर एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। इस बार तनाव के वेंद्र में लद्दाख की जगह अरुणाचल प्रादेश की सीमाएं हैं। इसकी वजह है कि नौ दिसम्बर की सुबह तवांग सैक्टर के माउंट्र्स में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिसक झड़प हुईं। इस झड़प में वुछ भारतीय सैनिकों को चोट भी आईं। इससे पहले गलवान की हिसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की मौत हो गईं थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच अपने चरम पर पहुंच गया था तनाव। गलवान से पहले दोनों देश डोकलाम में करीब ढाईं महीने तक एक-दूसरे के सामने तने रहे। पिछले सात साल में चीन और भारत के बीच एक तरफ जहां गतिरोध बढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ चीन पर भारत की निर्भरता में भी कोईं कमी नहीं है। इस बीच चीन से सामान खरीदने में भारत ने करीब 60 प्रातिशत की बढ़ोत्तरी की है। आसान शब्दों में कहें तो साल 2014 में भारत, चीन से सामान खरीदने पर 100 रुपए खर्च करता था जो आज बढ़कर 160 रुपए हो गया है। वूटनीतिक यह कहते हैं कि जिस मुल्क से खतरा महसूस हो तो उस पर निर्भरता को कम कर लेना चाहिए। ऐसे ही वादे हाल के दिनों में रूस-यूव््रोन युद्ध के बाद पािम के देशों ने भी किए हैं कि वह रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने की लगातार कोशिशें करते हुए देखे जा सकते हैं। क्या वजह है कि चीन के साथ सीमाओं पर तनातनी के बावजूद भारत अपनी निर्भरता कम नहीं कर पा रहा है? वो कौन-से सामान हैं जो भारत चीन से सबसे ज्यादा खरीदता है? इस रास्ते पर अगर भारत चलता रहा तो उसे भविष्य में कईं तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने साल 2021-22 में दुनियाभर के 216 देशों और क्षेत्रों से सामान खरीदा। इस पर भारत ने 61 हजार 305 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए। भारत के वाणिज्य एवं उदृाोग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस खर्च में सबसे ज्यादा फायदा चीन को मिला। भारत के वुछ आयात में चीन की हिस्सेदारी 15.42 प्रातिशत रही। टॉप-10 देशों में चीन के अलावा यूनाइटेड अरब अमीरात, अमेरिका, इराक, सऊदी अरब, स्विट्जरलैंड, हांगकांग, सिगापुर, इंडोनेशिया और कोरिया का नाम शामिल है। भारत-चीन ताजा विवाद के वुल आयात में किस देश का कितने प्रातिशत हिस्सा? चीन पर भारत की निर्भरता के पीछे अर्थशास्त्री, औदृाोगिक नीति न होने को एक बड़ी वजह मानते हैं। बीबीसी हिन्दी से बातचीत में अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा कहते हैं कि पिछली सरकार ने 2011 में नईं मैन्युपैक्चरिग रणनीति बनाईं थी उसे वो लागू नहीं कर पाईं। 1992 से 2014 तक भारत की जीडीपी में मैन्युपैक्चरिग का अनुपात 17 प्रातिशत बना रहा, लेकिन 2014 के बाद इसमें दो से तीन प्रातिशत की कमी दर्ज की गईं। सरल शब्दों में कहें तो 100 रुपए में से 15 रुपए का सामान भारत अकेले चीन से खरीदता है। इसमें इलैक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, उपकरण, स्पेयर पाट्र्स, साउंड रिकॉर्डर, टेलीविजन और दूसरी कईं चीजें शामिल हैं। टॉप-10 चीजों की बात करें तो इसमें इलैक्ट्रॉनिक सामान के बाद न्यूक्लियर रिएक्ट्र्स, बॉयलर, आग्रेनिक वैमिकल, प्लास्टिक का सामान, फर्टिलाइजर, वाहनों से जुड़ा सामान, वैमिकल प्राॉड्क्टस, आयरन एंड स्टील का सामान और एलुमीनियम शामिल हैं। अगर चीन के साथ व्यापार घाटे की बात करें तो यह साल 2014-15 में करीब 48 अरब डॉलर था जो साल 2021-22 में बढ़कर करीब 73 अरब डॉलर हो गया। हमें चीन पर निर्भरता घटानी होगी। जनता को चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहिए, भले ही महंगा देसी सामान क्यों न खरीदना पड़े।

Tuesday, 20 December 2022

50 मिनट की फ्लाइट और मशक्कत पांच घंटे की

एक तरफ तो दावा किया जा रहा है कि फ्लाना हाईं-वे बना दिया गया है और आप इस हाईं-वे से दो घंटे में दिल्ली से डेढ़ घंटे में आगरा, दो घंटे में देहरादून, चार घंटे में जयपुर, चंडीगढ़ से शिमला पहुंच सकते हैं। वहीं इन्हीं शहरों की मात्र 50 मिनट की फ्लाइट के लिए यात्रियों को पांच से छह घंटे लग रहे हैं। हवाईं अड्डों पर यात्रियों को लंबे समय तक इंतजार करने की बढ़ती शिकायतों के बीच एयरलाइंस वंपनियों ने अब यात्रियों को कम से कम 3.5 घंटे पहले पहुंचने, वेब जांच करवाने और तेज गति से कामकाज के निपटारे के लिए केवल एक हैंड बैग साथ रखने की सलाह दे डाली है। इंडिगो ने घरेलू यात्रियों से कहा है कि डिपार्चर से साढ़े तीन घंटे पहले दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचें। हैंड बैग का वजन सात किलो से ज्यादा न हो। विस्तारा ने यात्रियों से तीन घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचने की अपील की। स्पाइसजेट ने भी पहले पहुंचने को कहा है। उसने मुंबईं एयरपोर्ट से फ्लाइट लेने वाले घरेलू यात्रियों को डिपार्चर से ढाईं घंटे और इंटरनेशनल फ्लाइट लेने वालों को साढ़े तीन घंटे पहले पहुंचने को कहा है। उधर मंगलवार को भी यात्रियों को दिल्ली एयरपोर्ट पर अव्यस्थता की शिकायत झेलनी पड़ी। नागरिक विमानन मंत्रालय ने एयरलाइंस को चेनरन और बैगेज काउंटरों पर पर्यांप्त स्टाफ तैनात करने का निर्देश दिया है। एयरलाइंस से कहा गया है कि इंतजार में लगने वाले समय के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी दें। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईं अड्डे पर बढ़ते हवाईं यातायात के बीच यात्रियों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कहा जा रहा है कि इस समस्या के पीछे हवाईं यात्राओं का कोविड पूर्व की तरह सामान्य हो जाना है जबकि कोविड पूर्व तो हवाईं यात्राएं बिल्वुल सामान्य थीं। दुख की बात है कि फिजूल के बहानेबाजी की जा रही है। समस्या कहीं और है और समाधान करने की बजाय ऊल-जुलूल बहाने किए जा रहे हैं। भारत में बेशक एयर ट्रैफिक बढ़ रहा है पर अब भी न्यूयार्व, रोम, लंदन, पेरिस जैसे शहरों का हम मुकाबला नहीं कर सकते। वहां की व्यवस्था कितनी चुस्त है। हम एयरपोर्ट तो बना लेते हैं पर उसमें जरूरी सुविधाओं को ध्यान में नहीं रखते। कईं दिनों से चली आ रही समस्या को देखते हुए आखिर सरकार वुछ सतर्व हुईं है। नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया ने हवाईं अड्डे पर व्यवस्थाओं का जायजा लिया है। इसके बाद सामान्य यात्रियों के लिए वुछ और गेट खोले गए हैं तथा जांच के लिए सीआईंएसएफ के अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जा रही है और सामान की जांच के लिए चार अतिरिक्त एक्सरे मशीन लगाईं जा रही हैं। भारत में टूरिस्ट सीजन शुरू हो गया है और एयर ट्रैफिक बढ़ेगा। बेहतर हो कि युद्ध स्तर पर काम हो ताकि यात्रियों का समय जरूरत से ज्यादा बर्बाद न हो। ——अनिल नरेन्द्र

हम यहां क्यों बैठे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन पर अगर कदम नहीं उठाते हैं तो हम यहां क्यों हैं? मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़ ने कहा—शीर्ष अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलों में कार्रवाईं नहीं करता तो यह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन होगा। चीफ जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहबाद हाईं कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए सवाल किया—हम यहां क्यों हैं अगर हम अपनी अंतरात्मा की नहीं सुनते? पीठ ने कहा—सुप्रीम कोर्ट के लिए कोईं भी मामला छोटा नहीं होता। अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाईं नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं? सीजेआईं चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी बिजली चोरी के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाईं के दौरान की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा—सुप्रीम कोर्ट के लिए कोईं मामला छोटा नहीं है। सीजेआईं की इस टिप्पणी को कानून मंत्री किरन रिजिजू का जवाब समझा जा रहा है। रिजिजू ने एक दिन पहले ही संसद में कहा था—सुप्रीम कोर्ट को जमानत जैसे मामलों की सुनवाईं नहीं करनी चाहिए, बल्कि संवैधानिक मामलों की सुनवाईं तक सीमित रहना चहिए। मामले में याचिकाकर्ता को बिजली चोरी के नौ मामलों में हर में दो-दो साल की सजा सुनाईं गईं थी। प्राधिकार ने पैसला दिया कि सजाएं अलग-अलग चलेंगी। इससे उसकी वुछ सजा 18 साल हो गईं। याचिकाकर्ता इसके खिलाफ शीर्ष कोर्ट पहुंचा था। पीठ ने कहा कि मामले के तथ्य शीर्ष अदालत को हर नागरिक को मिले जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के रक्षक के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का एक और मौका, एक स्पष्ट मौका देता है। पीठ ने कहा—अगर कोर्ट ऐसा नहीं करेगी तो एक नागरिक की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। नागरिकों की शिकायतों से जुड़ी कोर्ट नियमित मामलों में इस अदालत के दखल से न्याय शास्त्रीय और संविधानिक मुद्दों से संबंधित पहलू उभर कर सामने आते हैं। सीजेआईं चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएम नरसिंहा की पीठ ने मामले को चौंकाने वाला करार दिया। पीठ ने पाया कि अपीलकर्ता तीन साल की सजा काट चुका है। इलाहाबाद हाईं कोर्ट ने सजा साथ-साथ चलने के उसके अनुरोध को नहीं माना। तब उसने शीर्ष अदालत का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी तुरन्त रिहाईं के आदेश दिए। पीठ ने सुनवाईं के दौरान मद्रास हाईं कोर्ट के पूर्व जज एस. नागामुलू की सहायता मांगी। वह संयोग से एक अन्य मामले के लिए अदालत में थे। नागामुलू ने इसे असाधारण स्थिति बताया। उन्होंने हाईं कोर्ट के आदेश को गलत बताते हुए कहा—यह बिजली चोरी के लिए एक तरह से आजीवन कारावास है। सीजेआईं ने कहा कि इसीलिए सुप्रीम कोर्ट की जरूरत है। बिजली चोरी कत्ल के बराबर का मामला नहीं है।

Tuesday, 13 December 2022

इस बंपर जीत का 2024 चुनाव पर क्या असर होगा?

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् गुजरात की जीत के बाद प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में साल 2024 के चुनाव की तैयारियों की झलक देखने को मिली। प्राधानमंत्री मोदी ने अभी से ही साल 2024 का चुनाव अभियान शुरू कर दिया है। जिस तरह से उन्होंने कार्यंकर्ताओं से बात की, उनकी सराहना की और अभिनंदन किया उससे साफ लगता है कि 2024 में क्या होने जा रहा है और मोदी किस तरह अभी से ही लामबंदी कर रहे हैं। भारतीय लोकतंत्र में सत्ता संभाल रहे नेता हमेशा ही एंटी-इनवंमबेंसी के डर में रहते हैं। लेकिन भाजपा ने गुजरात में 27 सालों की सरकार के बाद अगले पांच और साल के लिए रिकॉर्डतोड़ बहुमत हासिल करके यह साबित कर दिया है कि अभी भारत में भाजपा ही सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है और वो अगले वुछ और सालों तक सत्ता में रहने का न सिर्प इरादा रखती है बल्कि तैयार भी है। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार 12 साल गुजरात में सत्ता संभालने के बाद दिल्ली आए थे और पिछले आठ साल से भारत के प्राधानमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में पाटा ने कईं चुनाव जीते हैं। कोरोना महामारी के बाद भाजपा ने सबसे अहम राज्यों में से एक उत्तर प्रादेश में भारी बहुमत से चुनाव जीता है। इसके अलावा असम, गुजरात और गोवा में भी सरकार बनाईं है। गुजरात के चुनाव को प्राधानमंत्री मोदी ने अपने शासन पर जनमत संग्राह बना लिया था। उन्होंने अपने नाम पर वोट मांगे और एक तरह से वो गुजरात को अपने पर्यांयवाची के रूप में पेश करते रहे हैं। गुजरात में भाजपा की प्राचंड जीत को भारतीय राजनीति में ब्रांड मोदी के और मजबूत होने के रूप में भी देखा जा रहा है। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या गुजरात, दिल्ली और हिमाचल प्रादेश के नतीजों पर आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों पर असर हो सकता है? क्या इन सीटों की वजह से विपक्षी दलों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है? प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 30 से अधिक रैलियां की। बार-बार गुजरात को अपने आपसे जोड़ा। उन्होंने गुजरात अस्मिता की बात की और मतदाताओं से खुद पर और भाजपा पर भरोसा करने का आह्वान किया। गुजरात चुनाव के दौरान भाजपा ने हिन्दुत्व की अपनी रणनीति पर जोर दिया। भाजपा के स्टार प्राचारकों के निशाने पर अल्पसंख्यक मुसलमान रहे। विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा हिन्दुत्व की अपनी विचारधारा को प्राकट तो करती ही है, लेकिन सिर्प हिन्दुत्व के नाम पर ही वोट नहीं मांगती है, बल्कि अपने मुद्दों के जरिये भी वह लोगों को अपनी तरफ खींच रही है। इस बार महिलाओं ने भी खुलकर दिल से भाजपा का साथ दिया है। यह कहना गलत है कि भाजपा सिर्प हिन्दुत्व की रणनीति पर चुनाव लड़ रही है। वह बिजली-पानी जैसे मूलभूत मुद्दे भी उठा रही है। सबसे अधिक कामयाब वही योजनाएं हैं जो इन मुद्दों के इर्दगिर्द हैं। एक लाभाथा वर्ग है जो भाजपा के साथ कनेक्टेड महसूस करता है। भाजपा को सिर्प हिन्दुत्व के दम पर नहीं बल्कि काम के दम पर भी कामयाबी मिली है। चुनाव पर मुद्दों का असर पड़ता है। अगर ऐसा नहीं होता तो हिमाचल में सरकार नहीं बदलती। दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पाटा (आप) को इतनी भव्य सफलता नहीं मिलती। जनता के बीच पाटा की विश्वसनीयता अत्यंत जरूरी होती है। ——अनिल नरेन्द्र

भगवान की देन होती हैं बेटियां

रोहिणी वैसी है? सिगापुर में ऑपरेशन के बाद होश आने पर सबसे पहले लालू प्रासाद यादव ने यही पूछा था। यह शब्द न तो आरजेडी के मुखिया के हैं और न ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के। यह शब्द एक पिता के हैं जो अपनी बेटी के बारे में पूछ रहे थे। उस बेटी के बारे में जिसने वुछ ही घंटे पहले अपनी किडनी अपने पिता की जिंदगी बचाने के लिए दान कर दी। ऐसा नहीं है कि भावनाओं की यह धार एक तरफ से ब़ह रही है। सिगापुर में अपने पिता को किडनी देने से पहले रोहिणी ने भी लगातार कईं भावुक ट्वीट किए हैं। तभी से बाप-बेटी के रिश्तों पर खूब चर्चा हो रही है। जैसे ही रोहिणी को पता चला कि पिता लालू प्रासाद यादव को किडनी देने के लिए वो डोनर बन सकती हैं, रोहिणी ने सोशल मीडिया पर कईं पोस्ट किए। बीते 11 नवम्बर को पिता लालू प्रासाद यादव के साथ बचपन की एक तस्वीर साझा करते हुए रोहिणी ने ट्विटर पर लिखा—मां-पिता मेरे लिए भगवान हैं। मैं उनके लिए वुछ भी कर सकती हूं। आप सबकी शुभकामनाओं ने मुझे और मजबूत बनाया है। मैं आप सबके प्राति दिल से आभार प्राकट करती हूं। आप सबका विशेष प्यार और सम्मान मिल रहा है। मैं भावुक हूं। आप सबको दिल से आभार कहना चाहती हूं। रोहिणी ने लिखा है कि धरती पर मां-बाप ही भगवान होते हैं और उनकी पूजा, सेवा करना हर बच्चे का फर्ज है। पिता को किडनी देने के पैसले पर रोहिणी ने अपने ट्वीट पर लिखा—मेरा तो मानना है कि यह तो बस एक छोटा-सा मांस का टुकड़ा है जो मैं अपने पापा के लिए देना चाहती हूं। पापा के लिए मैं वुछ भी कर सकती हूं। रोहिणी ने अपने ट्वीट में सबसे गुजारिश की है, आप सब दुआ कीजिए कि सब बेहतर तरीके से हो जाए, पापा फिर से आप सभी लोगों की आवाज बुलंद करें। शुभकामनाओं के लिए पुन: एक बार आप सबका आभार। रोहिणी आचार्यं के इस पैसले पर कईं ट्विटर यूजर तारीफ भी करते हैं, जिसमें नेता भी पीछे नहीं और न ही राजनीतिक विरोधी। बेगुसराय के सांसद और वेंद्रीय मंत्री गिरिराज सिह ने रोहिणी के इस पैसले पर लिखा—बेटी हो तो रोहिणी आचार्यं जैसी, गर्व है आप पर, आप एक उदाहरण होंगी, आने वाली पीढ़ियों के लिए। इतना ही नहीं, किडनी ट्रांसप्लांट के बाद प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रासाद यादव की तबीयत और हालचाल जानने के लिए बेटे तेजस्वी यादव को फोन किया है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश वुमार ने भी पेसबुक पर रोहिणी की तारीफ में एक लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने रोहिणी के इस पैसले की सराहना करते हुए लिखा है, जिस तरह से रोहिणी ने ट्विटर पर अपने पिता के प्राति स्नेह का इजहार किया है, वह काफी अलग है। उसमें आत्म प्राचार नहीं है। उसका कोईं राजनीतिक महत्व नहीं है। उसमें केवल बाप और बेटी का रिश्ता है। रोहिणी आचार्यं लालू प्रासाद के नौ बच्चों में दूसरी संतान हैं। लालू की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती है। रोहिणी के बाद लालू की चार बेटियां हैं। उसके बाद तेज प्राताप यादव और तेजस्वी यादव का जन्म हुआ। 43 साल की रोहिणी का जन्म एक जून 1979 को पटना में हुआ था। स्वूली पढ़ाईं पूरी करने के बाद रोहिणी ने मेडिकल क्षेत्र को करियर के रूप में चुना था। रोहिणी ने मेडिकल क्षेत्र में जाने के लिए जमशेदपुर के एमजीएम कॉलेज से एमबीबीएस भी किया है। हालांकि उन्होंने कभी डॉक्टरी की प्रौक्टिस नहीं की है। धन्य हैं रोहिणी देवी आप लाखों लोगों के लिए एक मिसाल बन गईं हैं।

Friday, 9 December 2022

सरकारें झुकती हैं, झुकाने वाले चाहिए

ईंरान इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। ईंरान में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुईं मौत के बाद हिजाब को लेकर जो उग्रा प्रादर्शन हुए उससे अंतत: ईंरान सरकार को झुकना ही पड़ा। ईंरान की सरकार ने वहां हिजाब के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रादर्शन के बीच नैतिकता पुलिस (मोरेलिटी पुलिस) को खत्म कर दिया है। इसे विरोध प्रादर्शन कर रही महिलाओं के लिए बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। वहां के अटाना जनरल मोहम्मद जफर मोंटेनेरी ने समाचार एजेंसी आईंएसएनए को बताया कि नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोईं लेना-देना नहीं है। इसलिए इसे खत्म किया जा रहा है। मोंटेनेरी की टिप्पणी एक धार्मिक सम्मेलन में आईं है, जहां उन्होंने एक प्रातिभागी को जवाब दिया—उसने पूछा था कि नैतिकता पुलिस को बंद क्यों किया जा रहा है? ईंरान की नैतिकता पुलिस को औपचारिक रूप से गश्त- ए-इरशाद के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदीजाद ने इस एजेंसी का गठन विनम्रता और हिजाब की संस्वृति को पैलाने के लिए किया था। ईंरान में 16 सितम्बर को 22 साल की छात्रा महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हिजाब विरोधी प्रादर्शन शुरू हो गए थे। सरकार विरोधी प्रादर्शनों में अब तक तीन सौ लोग मारे जा चुके हैं और हजारों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। नैतिकता पुलिस उन लोगों और खासतौर पर महिलाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाईं करती आ रही है। जो देश के इस्लामी कानून के हिसाब से कपड़े नहीं पहनते या किसी भी तौर पर शरिया कानून को तोड़ते हैं। वहां राष्ट्रपति हसन रूहानी के दौर में लिबास को लेकर वुछ राहत दी गईं थी। तब महिलाओं को ढीली जींस और रंगीन हिजाब पहनने की मंजूरी दी गईं थी। जुलाईं में जब इब्राहिम रईंसी राष्ट्रपति बने तो उन्होंने बहुत सख्ती से पुराना कानून लागू कर दिया। गौरतलब है कि ईंरान में 14 सितम्बर को 22 साल की महिला महसा अमीन की मौत पुलिस हिरासत में हो गईं थी। ईंरान की पुलिस ने महसा अमीनी को इसलिए हिरासत में लिया था, क्योंकि उन्होंने अपने सिर को नहीं ढका था यानि हिजाब नहीं पहना था। ईंरान में महिलाओं के लिए हिजाब एक जरूरी कानून है। महसा अमीनी की मौत के बाद पूरे देश में विरोध प्रादर्शन शुरू हुआ और हजारों महिलाएं और पुरुष सड़कों पर उतर आए। ईंरान में वैसे तो हिजाब को 1979 में जरूरी करार दिया गया था। वर्ष 1979 से पहले शाह दहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईंरान काफी आजाद-ख्याल था। 1963 में मोहम्मद रजा शाह ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया और संसद के लिए महिलाएं भी चुनी जाने लगीं। 1967 में ईंरान के पर्सनल लॉ में भी सुधार किया गया जिनमें महिलाओं को बराबरी के हक मिले। पढ़ाईं में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। ईंरान सरकार 40 साल पुराने हिजाब कानून पर फिर से गौर करने को तैयार है। ईंरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रामानी ने शनिवार को इस कानून में लचीलापन लाने का संकेत दिया है। द कश्मीर फाइल्स पर विवाद भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के निर्णायक मंडल के सदस्य ब्रिटिश अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आट्र्स के विजेता जिन्को गोटोह और दो अन्य सदस्यों ने द कश्मीर फाइल्स पर की गईं निर्णायक मंडल के अध्यक्ष नदाव लैपिड की टिप्पणी का समर्थन किया है। गोटोह ने ट्वीट कर कहा है कि द कश्मीर फाइल्स दुष्प्राचार करने वाली फिल्म है। उन्होंने नौ दिवसीय फिल्मोत्सव में अपने भाषण में द कश्मीर फाइल्स को भद्दी और प्राचार फिल्म कहा था। अमेरिकी निर्माता जिन्को गोटोह, प्रांसीसी फिल्म संपादक पॉस्कल चावांस और प्रांसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता जेवियर एंगुलो बारटुरेन ने लैपिड की टिप्पणी का समर्थन करते हुए ट्विटर पर एक बयान पोस्ट किया, जिसने इस पर सप्ताहभर पहले ही बहुत विवाद पैदा कर दिया था। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में जूरी के अध्यक्ष लैपिड ने सोमवार को नौ दिवसीय फिल्मोत्सव के समापन के दौरान पुरस्कार समारोह में अपने भाषण में द कश्मीर फाइल्स को भद्दी और प्राचार फिल्म कहा था। विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित द कश्मीर फाइल्स, पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों द्वारा विशेष समुदाय के सदस्यों की हत्या के बाद कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन को चिर्तित करती है। गोटोह द्वारा ट्वीट किए गए संयुक्त बयान में तीनों सदस्यों ने कहा कि वह निर्णायक मंडल की ओर से किए गए लैपिड के बयान से सहमति रखते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह फिल्म की सामग्री पर कोईं राजनीतिक रुख नहीं ले रहे थे। हम एक कलात्मक बयान दे रहे थे और यह देखकर हमें बहुत दुख होता है कि महोत्सव के मंच का राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और नदाव पर व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ था। निर्णायक मंडल के एक अन्य सदस्य सुदीप्तो सेन ने कहा कि मैंने न लैपिड के बयान का खंडन किया था। सुदीप्तो ने कहा कि अब वह देश में नहीं हैं। मैं देश में हूं। इसलिए मैं उसका बचाव करने के लिए सबसे अच्छा व्यक्ति होता, लेकिन उन्होंने मुझे शामिल नहीं किया। सेन ने कहा कि नदाव समापन समारोह में क्या कहने जा रहे हैं, इस पर अन्य सदस्यों से कभी विचारविमर्श नहीं किया। इसलिए उन्होंने जो पढ़ा, वह आधिकारिक बयान नहीं था। सेन ने कहा कि अब उसके बाद अगर कोईं सार्वजनिक तौर पर जाता है और किसी खास फिल्म को चुनता है और वुछ ऐसा कहता है जिसकी उम्मीद नहीं है तो यह उनकी निजी भावना है। उधर भारत में इजरायली राजदूत नोर गिलोन ने एक इजरायली फिल्मकार द्वारा द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर की गईं टिप्पणी को लेकर विवाद के बीच कथित रूप से प्राप्त एक यहूदी-विरोधी संदेश का चित्र शनिवार को ट्विटर पर साझा किया कि यह उनका प्रात्यक्ष संदेशों में से एक है, जो उन्हें प्राप्त हुआ था। उन्होंने ट्वीट किया—मैं प्राप्त वुछ संदेशों में से एक को साझा करना चाहता था। ——अनिल नरेन्द्र

भ्रष्टाचार ने हिलाईं देश और दुनिया की बुनियाद भ्रष्टाचार निरोध दिवस पर विशेष

बाल मुवुन्द ओझा अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस हर साल 9 दिसंबर को देश और दुनिया में भ्रष्टाचार के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने और वे इससे लड़ने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के तहत दुनियाभर में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार हर साल एक ट्रिलियन डॉलर का भुगतान रिश्वत के रूप में किया जा रहा है, जबकि यूएसडी 2.6 ट्रिलियन को भ्रष्ट उपायों के कारण चुराया गया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यंव््राम के अनुसार यह अनुमान लगाया जाता है कि विकासशील देशों में भ्रष्टाचार के कारण 10 गुना धनराशि खो गईं है। आज विश्व भ्रष्टाचार निरोध दिवस है। यह दिन रश्मि होता जा रहा है। आज के दिन हम भ्रष्टाचार को जड़ मूल से खत्म करने की सौगंध कहते हैं। भ्रष्टाचार विरोधी वक्तव्य देते हैं। असल में हकीकत तो ये है ऐसी कसमें खाने वाले भी जानते हैं कि ये सिर्प रस्मी प्रव््िराया है और असल में ऐसा वुछ भी नहीं होना जाना है। भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह राष्ट्र के आंतरिक विकास को खा जाता है। भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है जो सभी समाजों में नैतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास को कमजोर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न खाऊंगा और न खाने दूंगा का दावा किया था, लेकिन यह हुंकार अभी अपना पूरा असर नहीं दिखा पा रही है। वैश्विक रेटिग एजेंसियों ने भ्रष्टाचार के मामलों में भारत की अग्रणी देश बता कर कठघरे में खड़ा किया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में 180 देशों में से भारत का स्थान 85 वां है। सरकार को भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सख्ती के साथ-साथ व्यावहारिक कदम उठाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत समय से प्रभावी कार्रवाईं करके भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार पर कार्रवाईं करके लोकतंत्र को मजबूत किया जा सकता है। 135 करोड़ की आबादी का आधा भारत आज रिश्वत व भ्रष्टाचार के मकड़जाल में पंसा हुआ है। भ्रष्टाचार पर सव्रे की विभिन्न रिपोर्टो से यह खुलासा हुआ है। भारत में भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया है। स्थिति यह हो गईं है की बिना रिश्वत दिए आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। हमारे देश में भ्रष्टाचार इस हद तक पैल चुका है कि इसने समाज की बुनियाद को ही बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। जब तक मुट्ठी गर्म न की जाए तब तक कोईं काम ही नहीं होता। भ्रष्टाचार एक संचारी बीमारी की भांति इतनी तेजी से पैल रहा है कि लोगों को अपना भविष्य अंधकार से भरा नजर आने लगा है और कहीं कोईं भ्रष्टाचार मुक्त समाज की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मंत्री से लेकर संतरी और नेताओं तक पर भ्रष्टाचार के दलदल में पंसे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि निजी क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सिविल सोसाइटी और मीडिया के दबाव में सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाईं को अंजाम तो दे रही हैं मगर उनकी गति बेहद धीमी है। भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें मजबूती से जमा ली हैं।

Tuesday, 6 December 2022

कोलेजियम व्यवस्था को बेपटरी न करें

सुप्रीम कोर्ट ने शुव््रावार को कहा कि मौजूदा कोलेजियम प्राणाली को वुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं की जानी चाहिए जो दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। इसके साथ ही उसने जोर दिया कि सर्वोच्च अदालत सबसे पारदशा संस्थानों में से एक है। न्यायपालिका के भीतर कार्यं विभाजन और न्यायाधीशों द्वारा संवैधानिक अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था को लेकर सरकार के साथ बढ़ते विवाद के बीच शीर्ष अदालत ने कहा कि वह वुछ पूर्व न्यायाधीशों के बयानों पर कोईं टिप्पणी नहीं करना चाहते जो कभी उच्चतम कोलेजियम के सदस्य थे और अब व्यवस्था के बारे में बोल रहे हैं। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविवुमार की पीठ ने कहा—इन दिनों कोलेजियम के उस समय के पैसलों पर टिप्पणी करना एक पैशन बन गया है, जब वह (पूर्व न्यायाधीश) कोलेजियम का हिस्सा थे। हम उनकी टिप्पणियों पर वुछ भी नहीं कहना चाहते हैं। पीठ ने कहा—मौजूदा कोलेजियम प्राणाली जो काम कर रही है, बेपटरी नहीं होनी चाहिए। कोलेजियम किसी ऐसे व्यक्ति के आधार पर काम नहीं करता, जो दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हों, कोलेजियम को अपने कर्तव्यों के अनुसार काम करने दें, हम सबसे पारदशा संस्थान में से एक हैं। आरटीईं (सूचना का अधिकार) कार्यंकर्ता अंजली भारद्वाज की उस याचिका पर सुनवाईं कर रही थी, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गईं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें 12 दिसम्बर 2018 को हुईं सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की बैठक के एजेंडे की मांग की गईं थी, जब उच्चतम न्यायालय में वुछ न्यायाधीशों की पदोन्नति को लेकर कथित रूप से वुछ निर्णय लिए गए थे। भारद्वाज की ओर से पेश अधिवक्ता प्राशांत भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एमबी लोवुर, जो 2018 में कोलेजियम का हिस्सा थे, ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उस वर्ष 12 दिसम्बर को कोलेजियम की बैठक में लिए गए पैसलों को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए था। ——अनिल नरेन्द्र

खतरे की घंटी : एम्स सर्वर हैकिग

देश के सबसे बड़े संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का सर्वर पिछले 10-12 दिनों से हैक है। प्राशासन ने हालांकि स्टाफ बढ़ाकर ओपीडी को मैनुअली हैंडल करना शुरू कर दिया है। लैब का बारकोड नहीं बन रहा है, इसलिए मरीजों के फोन नम्बर के आधार पर इसे चलाया जा रहा है। हालांकि पहले की तुलना में रिपोर्ट मिलने में मरीजों को एक-दो दिन ज्यादा का इंतजार करना पड़ रहा है। भारत में लगभग सभी को पता है कि दिल्ली का एम्स देश का सबसे प्रातिष्ठित, पुराना, बड़ा और भरोसेमंद सरकारी अस्पताल है। एम्स तो 1956 से मरीजों के लिए खुल गया था लेकिन कम्प्यूटर पर डेटा सुरक्षित रखने की तकनीक आने के बाद से एक अनुमान है कि कम से कम पांच करोड़ मरीजों के सभी रिकॉर्ड इस अस्पताल में महपूज रहे हैं। 23 नवम्बर, 2022 तक क्योंकि इस दिन एम्स अस्पताल के कम्प्यूटर सर्वर पर एक जबरदस्त हमला हुआ था जिसके बाद लगभग सभी सर्वर ठप पड़ गए। इसमें अस्पताल का ईं-हॉस्पिटल नेटवर्व भी शामिल था जिसे नेशनल इंफाम्रेटिक्स सेंटर (एनआईंसी) संचालित करता है। मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करोड़ों मरीजों के निजी मेडिकल इतिहास वाले एम्स डाटा बैंक में भारत के अब तक के लगभग सभी प्राधानमंत्रियों, वैबिनेट मंत्रियों, कईं वैज्ञानिकों और हजारों वीआईंपी लोगों का भी मेडिकल रिकॉर्ड है जो हो सकता खतरे में पड़ गया हो। सुरक्षा कारणों के चलते बिना उस फ्लोर व बिल्डिंग का नाम लिखते हुए यह बताया जा सकता है कि एम्स अस्पताल के एक बड़े मेडिकल सेंटर के एक खास फ्लोर पर प्राधानमंत्री को लेकर किसी मेडिकल जरूरत के लिए एक वार्ड 24 घंटे तैयार रहता है। इसमें हर मौजूदा प्राधानमंत्री की मेडिकल हिस्ट्री लगातार अपडेट की जाती है। इसके अलावा वहां कईं प्राइवेट वीवीआईंपी वार्ड हैं, जहां पूर्व प्राधानमंत्रियों और वरिष्ठ प्राशासनिक अधिकारियों का न सिर्प इलाज चलता है बल्कि उनका पूरा मेडिकल इतिहास कम्प्यूटर पर हमेशा मौजूद रहता है। खतरे की घंटी बजना लाजिमी है। एक और वजह इंटरनेट पर होने वाले व््राइम और साइबर वारपेयर पर काम करने वाले थिंक टैंक साइबर फाउंडेशन के मुताबिक दुनियाभर में साल 2021 के दौरान हुए साइबर हमलों में से 7.7 प्रातिशत का निशाना हेल्थ सेक्टर था जिसमें अमेरिका के बाद दूसरे सबसे ज्यादा हमले भारत में हुए। एम्स पर हुए साइबर हमले की गुत्थी अभी भी उलझी हुईं है क्योंकि हमले की मंशा पर जांच जारी है और 200 करोड़ रुपए की व््िराप्टोकरेंसी फिरौती की कथित मांग को दिल्ली पुलिस ने गलत खबर बताया है। अभी यह कहना मुश्किल है कि एम्स के सर्वर हैक करने वालों को कितना डेटा मिला होगा। यह सब निर्भर होगा एम्स में मरीजों का इतिहास इक्प्डिेट प्राणाली यानि कईं कोड वाली सुरक्षा में था या नहीं? लेकिन सिस्टम की कमियां तो थीं ही जिसके चलते यह सर्वर हैक हुआ। सवाल यह उठता है कि इसका कसूरवार आखिर कौन है? अगर प्राइवेट एजेंसी इस काम को कर रही थी तो क्या काम देने से पहले यह देखा गया था कि वह कितनी काबिल है? अब इस एजेंसी और इसे देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।