Friday 9 December 2022

भ्रष्टाचार ने हिलाईं देश और दुनिया की बुनियाद भ्रष्टाचार निरोध दिवस पर विशेष

बाल मुवुन्द ओझा अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस हर साल 9 दिसंबर को देश और दुनिया में भ्रष्टाचार के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने और वे इससे लड़ने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के तहत दुनियाभर में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार हर साल एक ट्रिलियन डॉलर का भुगतान रिश्वत के रूप में किया जा रहा है, जबकि यूएसडी 2.6 ट्रिलियन को भ्रष्ट उपायों के कारण चुराया गया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यंव््राम के अनुसार यह अनुमान लगाया जाता है कि विकासशील देशों में भ्रष्टाचार के कारण 10 गुना धनराशि खो गईं है। आज विश्व भ्रष्टाचार निरोध दिवस है। यह दिन रश्मि होता जा रहा है। आज के दिन हम भ्रष्टाचार को जड़ मूल से खत्म करने की सौगंध कहते हैं। भ्रष्टाचार विरोधी वक्तव्य देते हैं। असल में हकीकत तो ये है ऐसी कसमें खाने वाले भी जानते हैं कि ये सिर्प रस्मी प्रव््िराया है और असल में ऐसा वुछ भी नहीं होना जाना है। भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह राष्ट्र के आंतरिक विकास को खा जाता है। भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है जो सभी समाजों में नैतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास को कमजोर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न खाऊंगा और न खाने दूंगा का दावा किया था, लेकिन यह हुंकार अभी अपना पूरा असर नहीं दिखा पा रही है। वैश्विक रेटिग एजेंसियों ने भ्रष्टाचार के मामलों में भारत की अग्रणी देश बता कर कठघरे में खड़ा किया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में 180 देशों में से भारत का स्थान 85 वां है। सरकार को भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सख्ती के साथ-साथ व्यावहारिक कदम उठाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत समय से प्रभावी कार्रवाईं करके भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार पर कार्रवाईं करके लोकतंत्र को मजबूत किया जा सकता है। 135 करोड़ की आबादी का आधा भारत आज रिश्वत व भ्रष्टाचार के मकड़जाल में पंसा हुआ है। भ्रष्टाचार पर सव्रे की विभिन्न रिपोर्टो से यह खुलासा हुआ है। भारत में भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया है। स्थिति यह हो गईं है की बिना रिश्वत दिए आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। हमारे देश में भ्रष्टाचार इस हद तक पैल चुका है कि इसने समाज की बुनियाद को ही बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। जब तक मुट्ठी गर्म न की जाए तब तक कोईं काम ही नहीं होता। भ्रष्टाचार एक संचारी बीमारी की भांति इतनी तेजी से पैल रहा है कि लोगों को अपना भविष्य अंधकार से भरा नजर आने लगा है और कहीं कोईं भ्रष्टाचार मुक्त समाज की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मंत्री से लेकर संतरी और नेताओं तक पर भ्रष्टाचार के दलदल में पंसे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि निजी क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सिविल सोसाइटी और मीडिया के दबाव में सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाईं को अंजाम तो दे रही हैं मगर उनकी गति बेहद धीमी है। भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें मजबूती से जमा ली हैं।

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