Friday 10 March 2023

उलझते जा रहे हैं हालात

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् पंजाब के हालात इस कदर उलझते जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की शांति और अमन-चैन के लिए खतरा बन सकता है। एक तरफ पंजाब दे वारिस संगठन का प्रामुख अमृतपाल सिह खालिस्तान की मांग को खुलेआम हवा दे रहा है, दूसरी ओर सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त और जनरैल सिह भिडरावाले के संगठन दमदमी टकसाल ने अमृतपाल सिह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य के राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल बादल, भारतीय जनता पाटा और कांग्रोस अजनाला कांड को लेकर अमृतपाल सिह के खिलाफ कार्रवाईं करने की मांग को लेकर राज्य की भगवंत मान सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। पंजाब में होला मोहल्ला के अवसर पर आनंदपुर साहिब और अन्य धार्मिक स्थलों पर मंच सज चुके हैं तो दूसरी तरफ अमृतसर में जी-20 के दो सम्मेलनों की तैयारी की जा रही है। सुरक्षा एवं खुफिया सूत्रों को ऐसे इनपुट मिले हैं कि खालिस्तानी समर्थक इस दौरान राज्य में गड़बड़ी पैला सकते हैं। गड़बड़ी की आशंका को लेकर संभव है कि जी-20 के अमृतसर कार्यंव््रामों पर भी असर पड़े। विदेश में बैठा तेजवंत सिह पन्नू लगातार इन कार्यंव््रामों में खालिस्तानी झंडे फहराने का ऐलान कर चुका है। गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है। पूरे पंजाब में अमृतपाल सिह के उभरने की चर्चा जोरों पर है कि दो-तीन साल पहले तक दुबईं में रह रहे एक क्लीन शेव युवक अपनी रोजी-रोटी कमा रहा था, वह अचानक खालिस्तानी आंदोलन का केशधारी विचारक वैसे बन गया? उनके संगठन की पंडिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, उसके पीछे जो भी ताकत हो, यह बहुत खतरनाक संकेत हैं। पंजाब की राजनीति पर छह दशकों से पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जीएस चावला का कहना है कि पंजाब के तार इतने उलझे हुए हैं कि यहां कभी भी वुछ भी हो सकता है। अजनाला कांड और बंदी सिखों की रिहाईं के लिए लगाए गए मोच्रे के दौरान जिस तरीके से पुलिस पर हमला किया गया और पुलिस को पीछे हटना पड़ा था, वह राज्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ और वरिष्ठ अनुभवी पुलिस अधिकारी एएस दुल्लत का कहना है कि हालात वुछ इस तरह के हैं कि पंजाब को 80 के दशक की तरह एक और उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है। इतिहास बताता है कि 80 के दशक में भिडरावाले की सत्ता कांग्रोस के दो बड़े नेताओं और मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिह और दरबारा सिह के बीच झगड़े से प्रोरित थी। एक ने अपने प्रातिद्वंद्वी और शिरोमणि अकाली दल का प्राभाव खत्म करने के लिए भिडरावाले का इस्तेमाल किया। जब भिडरावाले ने खालिस्तान की मांग को आगे बढ़ाया और राज्य में हिन्दुओं की हत्याएं की जाने लगीं तो संघर्ष को नियंत्रित करने में बहुत समय लग गया। राज्य में नशीली दवाओं और लोकप््िराय गायक मूसेवाला की हत्या के बाद जेल में गैंगवार में दो आरोपियों की हत्या पंजाब में लगातार टारगेट किलिंग की घटनाओं से संकेत मिलता है कि राज्य अशांति की ओर बढ़ रहा है। ——अनिल नरेन्द्र

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