Tuesday, 21 March 2023
निशाने पर सुप्रीम कोर्ट
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने में राज्यपाल की भूमिका पर पिछले दिनों की गईं कठोर टिप्पणी के बाद जिस तरह से देश के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट को ट्रोल किया जाने लगा है, वह न केवल दुखद है पर हैरत में डालने वाला भी है। सोशल मीडिया पर चला यह अभियान इतना गंभीर था कि सांसदों के एक ग्राुप ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे दखल देने का आग्राह किया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाईं चंद्रचूड़ की ऑनलाइन ट्रोलिंग के मामले में 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। न्याय के रास्ते में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए नेताओं ने इस मामले में राष्ट्रपति से तुरन्त एक्शन लेने की मांग की है। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में विपक्षी दलों ने कहा—हम सभी जानते हैं कि भारत के सीजेआईं डीवाईं चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार गठन और राज्यपाल की भूमिका के मामले में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाईं कर रही है। पत्र में कहा गया है कि मामला न्यायाधीन है। इस बीच महाराष्ट्र में सत्ताधारी पाटा के हित के लिए संभावित रूप से सहानुभूति रखने वाली ट्रोल आमा ने भारत के सीजेआईं के खिलाफ एक आव््रामकता दिखाईं है। पत्र में कहा गया है कि शब्द और सामग्री गंदी और निदनीय है, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों लोगों ने देखा है। पत्र कांग्रोस सांसद विवेक तन्खा द्वारा लिखा गया है और पाटा के सांसद दिग्विजय सिह, शक्ति सिह सहगल, प्रामोद तिवारी, रंजीत रंजन, इमरान प्रातापगढ़ी, आम आदमी पाटा के राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) सदस्य प््िरायंका चतुव्रेदी और समाजवादी पाटा की जया बच्चन व राम गोपाल यादव द्वारा समर्थित है। तन्खा ने इसी मुद्दे पर भारत के महान्यायवादी वेंकटरमण को भी अलग से लिखा है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिह कोशियारी की शक्ति परीक्षण के लिए कॉल करने की कार्यंवाही की वैधता से संबंधित एक मामले की सुनवाईं के बाद ऑनलाइन ट्रोल्स ने सीजेआईं और न्यायपालिका पर हमला शुरू किया है। राज्यपाल के पद के कथित दुरुपयोग के मामले अकसर सामने आते रहते हैं। अतीत में भी ऐसे मुद्दे उठते रहे हैं लेकिन पिछले वुछ समय से इसकी तीव्रता असामान्य रूप से बढ़ गईं है। तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पािम बंगाल सबकी शिकायत है कि राज्यपाल कार्यांलय का व्यवहार ऐसा है जिससे राज्य सरकार का कामकाज प्राभावित हो रहा है। दिल्ली का उदाहरण भी हमारे सामने है।
——अनिल नरेन्द्र
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