Tuesday, 28 March 2023
देश में लोकतंत्र के लिए प्रोस की आजादी जरूरी
अलग-अलग विचारों का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारत के प्राधान न्यायाधीश डीवाईं चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा ि़क असहमति को घृणा में नहीं बदलना चाहिए और घृणा को हिसा में बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। नईं दिल्ली में रामनाथ गोयनका उत्वृष्ट पत्रकारिता सम्मान समारोह के 16वें संस्करण में प्राधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के साथ-साथ दुनियाभर के कईं पत्रकार कठिन और प्रातिवूल परिस्थितियों में काम करते हैं। लेकिन प्रातिवूल परिस्थितियों और विरोध का सामना करते हुए वे अडिग रहते हैं।
यह ठीक वैसा गुण है जिसे गंवाना नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा नागरिकों के रूप में हो सकता है कि हम उस दृष्टिकोण से सहमत न हों, जो किसी पत्रकार ने अपनाया हो या जिस निष्कर्ष पर वे पहुंचे हैं। मैं भी खुद को कईं दफा पत्रकारों से असहमत पाता हूं, आखिरकार हम में से कौन अन्य सभी लोगों से सहमत हैं? लेकिन असहमति को घृणा में नहीं बदलना चाहिए और नफरत को हिसा में तब्दील नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रोस के महत्व पर प्राकाश डालते हुए प्राधान न्यायाधीश ने कहा कि मीडिया राज्य की अवधारणा में चौथा स्तम्भ है और इस प्राकार लोकतंत्र का एक अभिन्न घटक है। एक कार्यांत्मक और स्वस्थ लोकतंत्र को एक ऐसी संस्था के रूप में पत्रकारिता के विकास को प्राोत्साहित करना चाहिए जो सत्ता प्रातिष्ठान से कठिन प्राश्न पूछ सके या जैसा कि आमतौर पर जाना जाता है, सत्ता से सच बोलें। किसी भी लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता तब किया जाता है जब प्रोस को ऐसा करने से रोका जाता है। अगर किसी देश को लोकतांत्रिक बने रहना है तो प्रोस को स्वतंत्र रहना होगा। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता सच्चाईं की किरण है जो हमें बेहतर कल की ओर ले जाती है। यह इंजन है जो सच्चाईं, न्याय और समानता की खोज के आधार पर लोकतंत्र को आगे बढ़ाता है। डिजिटल युग की चुनौतियों के दौर में पत्रकारों के लिए अपनी रिपोर्टिग में सटीकता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के मानकों को बनाए रखना पहले से अधिक महत्वपूर्ण है। प्राधान न्यायाधीश को धन्यवाद देते हुए द इंडियन एक्सप्रोस के प्राधान संपादक राज कमल झा ने कहा कि स्वतंत्र प्रोस के लिए आपके दृष्टिकोण और चेतावनियों से हमारा यह भरोसा पुख्ता होता है कि सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए ध्रुव तारा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि साल दर साल एक के बाद एक मामले उस ध्रुव तारे ने आगे की राह को रोशन किया है और अदालतें हमारी आजादी को विस्तारित करने के लिए सत्ता पर दबाव बनाती है। यही कारण है कि जब रोशनी मंद होती है.. जब एक रिपोर्टर को आतंवादियों के लिए बने कानून के तहत गिरफ्तार किया जाता है।अन्य किसी सवाल पूछने के लिए एक कार्टून बनाने के लिए जेल में डाल दिया जाता है तब हम ध्रुव तारे की ओर देखते हैं, हमें रोशनी मिलती है।
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Supreme Court
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