Tuesday, 14 March 2023

चीन से परेशान हैं उसके पड़ोसी

चीन के प्राधानमंत्री ली केचियांग ने बीते रविवार चीनी संसद का वार्षिक सत्र शुरू होने पर चीन के रक्षा बजट को बढ़ाने का ऐलान किया है। इस बढ़ोतरी के बाद चीन अपनी सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करेगा। यह पिछले साल किए गए खर्च की तुलना में 7.2 प्रातिशत ज्यादा है। अंग्रोजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रोस’ में छपी खबर के मुताबिक केचियांग ने इस ऐलान के साथ ही चीन के लिए बढ़ते विदेशी खतरों की ओर भी इशारा किया है? चीन का रक्षा बजट अब भी अमेरिका की तुलना में काफी कम है। पर इसके बावजूद चीन अमेरिका को आंखें दिखाने से बाज नहीं आता। दोनों देशों में इतनी तनातनी बढ़ गईं है कि आने वाले दिनों में जंग तक की नौबत आ सकती है। भारत से तो चीन के बिगड़ते रिश्ते किसी से छिपे नहीं। लद्दाख में चीनी घुसपैठ की खबरें आए दिन आती रहती हैं। चीन साल 2000 के बाद से अपनी सेना को आधुनिक बनाने और उसे विस्तार देने की योजना पर काम कर रहा है। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा शोध संस्थान से जुड़े विश्लेषक जू युनसकहते हैं कि चीन की ओर से रक्षा बजट पर किया जा रहा खर्च बताता है कि वह खुद को एक विशाल थल सेना से आगे बढ़कर एक महान नौसेना बनाना चाहता है। वह कहते हैं—ताइवान स्टेट, दक्षिण चीन सागर और पूवा चीन सागर जैसे क्षेत्रों में सबसे पहले चीनी सेना का विस्तार देखने को मिलेगा। इसके बाद चीन अपनी नजरें द्वीपों की दूसरी श्रृंखला पर लगाएगा। द्वीपों के साथ-साथ ग्वाम और माइव््राोनेशिया जैसे द्वीप शामिल हैं। जापान और दक्षिण कोरिया से लेकर फिलीपींस तक तमाम देश चीन के बढ़ते प्राभाव को लेकर चिंतित है। इन देशों ने अपने प्राति बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए रक्षा बजट में बढ़ोतरी के साथ-साथ अपनी सैन्य क्षमताओं में विकास करना भी शुरू कर दिया है। जापान ने आगामी वर्ष के लिए अपनी सेना पर 51.7 अरब डॉलर खर्च करने का पैसला किया है। दक्षिण कोरिया चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को लेकर चिंतित है। लेकिन दक्षिण कोरिया की हालिया चिंता का विषय उत्तर कोरिया है। पिछले वुछ महीनों में उत्तर कोरिया ने आव््रामकता में भारी इजाफा किया है। चीन की बढ़ती शक्ति ताइवान के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। शीर्ष अमेरिकी अधिकारी कईं बार चेतावनी दे चुके हैं कि चीन आने वाले वुछ सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है। यही नहीं चीन कईं बार धमकी दे चुका है कि ताइवान चीन का हिस्सा है जिसे वह लेकर ही रहेंगे। पिछले वुछ महीनों से चीन और फिलीपींस के बीच भी तनाव बढ़ता हुआ देखा गया है। फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों को लेकर दर्जनों शिकायतें दर्ज कराईं हैं। चीन जहां इस पूरे क्षेत्र पर दावा करता है, वहीं फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेईं इस जल क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्नडिनांड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि उनका देश एक इंच भूभाग भी अपना दावा नहीं छोड़ेगा। उनकी सरकार ने अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंध मजबूत करते हुए चार नए ठिकाने बनाने की अनुमति दी है। चीन की विस्तारवादी नीति से सभी परेशान हैं। ——अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment