Tuesday, 10 September 2024

आईसी-814: कंधार अपहरण

कंधार अपहरण की भयावह घटना 24 साल पहले हुई थी लेकिन एक बार फिर यह घटना चर्चा में आ गई है। कारण है कि नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज आईसी-814। फिल्म मेकर अनुभव सिन्हा के द्वारा बनाई गई यह शानदार फिल्म वेब सीरिज हाल ही में ओटीटी प्लेटफार्म नेटफिल्क्स पर रिलीज हुई। फिल्म ये कंधार प्लेन हाईजेक पर आधारित है। सोशल मीडिया पर यूजर्स खासकर भाजपा मीडिया सेल का आरोप है कि अनुभव सिन्हा ने जानबूझकर तथ्यों के साथ घोषणा की है। उनका कहना है कि सीरीज का इस्तेमाल एक प्रोपेगंडा के तौर पर किया गया है क्योंकि इस सीरीज में हाईजैकर्स के नाम चीफ, डाक्टर, बर्गर, भोला और शंकर बताए गए हैं। आरोप लगाया गया है कि वेब सीरीज में चार हाईजैकर्स के नाम जानबूझकर बदले गए हैं। इस विवाद को ज्यादा हवा दी है भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने उन्होंने निर्माताओं पर निशाना साधते हुए कहा- आईसी-814 के हाईजैकर्स आतंकवादी थे। उन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान को छिपाया था। अनुभव सिन्हा ने उनके गैर-मुस्लिम नाम देकर उनके अपराध को छिपाने की कोशिश की है। इसका परिणाम क्या होगा? दशकों बाद लोग सोचेंगे कि आईसी-814 को हिन्दुओं ने हाइजैक किया था। इस मामले में अनुभव सिन्हा ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है लेकिन उन्होंने कांग्रेsस प्रवक्ता डाक्टर अरुणेश कुमार यादव की एक पोस्ट को रिपोर्ट किया है जिसमें बताया गया है कि भारत सरकार ने खुद हाईजैकर्स के नाम बताए थे। हाईजैकर्स के नाम को लेकर कुछ लोग बवाल कर रहे हैं, कह रहे हैं कि उनका असली नाम क्यों नहीं इस्तेमाल किया गया? भोला और शंकर कहकर बुलाना हिन्दू धर्म का अपमान करने जैसा है। सच तो ये है कि हाईजैकर्स इसी नाम से प्लेन में दाखिल हुए थे। उनका असली नाम अब विवाद के बाद सीरीज के शुरू में ही दे दिया गया है जो पहले सीरीज के आखिर में आता है। पीटीआई को वेब सीरीज के कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश चावड़ा ने बताया है कि शो के लिए पूरी रिसर्च की गई थी। अपहरणकर्ता एक-दूसरे को इन्हीं नामों से पुकार रहे थे। दरअसल 6 जनवरी 2000 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, हाईजैकर्स के सही नाम इब्राहिम अतहर (बहालपुर), शाहिद अख्तर सईद (गुलशन इकबाल, कराची) सनी अहमद काजी (डिफेंस एरिया, कराची), मिस्त्राr जहूर इब्राहिम (अख्तर कालोनी, कराची और शाकिर (सुक्कुर सिटी) से थे। इसी बयान में बताया गया था कि पैसेजेंर्स के सामने हाईजैकर्स एक दूसरे को चीफ, बर्गर, डाक्टर, भोले और शंकर कहकर संबोधित कर रहे थे। गृह मंत्रालय का यह बयान भारत के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आज भी मौजूद है, हाईजैक की घटना के बाद खुफिया एजेंसियों ने मुंबई से चार चरमपंथियों को गिरफ्तार किया था। इनसे पता चला था कि हाईजैक की पूरी योजना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एक ऑपरेशन था जिसे चरमपंथी संगठन हरकत-उल-अंसार ने अंजाम दिया था। 24 दिसम्बर 1999 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली जा रही उड़ान को हरकत-उल-अंसार के पांच आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था। इस दौरान विमान में पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स को मिलाकर कुल 180 लोग सवार थे। अपहरण के कुछ ही घंटों बाद आतंकियों ने एक यात्री रूपिन कटियाल को मार दिया। रात दो बजे यह विमान दुबई पहुंचा जहां के शेख ने ईंधन भरे जाने के एवज में कुछ यात्रियों को रिहा करवा लिया था। 27 यात्री रिहा हुए थे। बाद में यह विमान अमृतसर होते हुए कंधार पहुंच गया था। वहां क्या हुआ सबको मालूम ही है। वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख उमर को लेकर कंधार गए और यात्रियों को रिहा करा लिया।

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