Saturday 7 September 2024

किसी का भी घर यूं नहीं ढहाया जा सकता!

देशभर में विभिन्न मामलों के आरोपियों के घरों पर हो रहे बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। इस बात को लेकर पिछले कुछ समय से सवाल उठने शुरू हो गए थे कि अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध का आरोपी है तो सिर्फ इस कारण उसके घर को बुलडोजर से कैसे गिराया जा सकता है? अब इस मामले पर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है और साफ कर दिया है कि किसी भी व्यक्ति का मकान महज आरोप के आधार पर नहीं गिराया जा सकता। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े किए। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से जस्टिस गवई ने पूछा किसी का घर केवल इस आधार पर कैसे ढहाया जा सकता है कि वो किसी मामले में अभियुक्त है? जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति दोषी भी है तो कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय का एक ट्वीट कहता है कि राज्य में बुलडोजर की कार्रवाई कथित पेशेवर अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ है। अलग-अलग राज्यों में आरोपियों और अपराधियों के खिलाफ की जा रही बुलडोजर कार्रवाई जीरो टालरेंस के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा था जिससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे। यह ट्रेंड उत्तर प्रदेश से शुरू है, अब इसका इस्तेमाल अन्य राज्यों में भी शुरू हो गया था। गैर-भाजपा सरकारें भी त्वरित न्याय का संदेश देने के लिए इस तरह की कार्रवाई का इस्तेमाल करने से खुद को भी नहीं रोक सकीं। हालांकि इस तरह की कार्रवाई के पक्ष में हर जगह दलील यही दी जा रही थी कि सरकारी बुलडोजर अवैध निर्माण को ही निशाना बना रहे हैं। लेकिन जिस तरह से एक धर्म के लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई की जा रही थी उससे साफ था कि मामला सिर्फ अवैध निर्माण का नहीं था। ताजा उदाहरण कांग्रेस के स्थानीय नेता हाजी शहजाद अली का है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौर में शुरू हुई ऐसी कार्रवाई आगे भी चलती रही। हाजी शहजाद अली मध्य प्रदेश के छतरपुर में पिछले महीने यानि अगस्त में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक विवादित टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस दौरान पुलिस को ज्ञापन देने पहुंची भीड़ ने कोतवाली पर पत्थरबाजी कर दी थी। इसी मामले में हाजी शहजाद के मकान पर बुलडोजर चला दिया गया था। घर के बाहर खड़ी तीन कारों को भी बुलडोजर से कुचल दिया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के ताजा रुख की बारीकियां खासतौर पर गौर करने लायक हैं। कोर्ट ने पहले तो यह साफ किया कि इस आधार पर किसी का भी घर नहीं ढहाया जा सकता कि वह किसी मामले में आरोपी है। यहां तक कि अगर कोई अपराधी साबित हो जाता है। तब भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता। फिर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी रूप में गैर-कानूनी निर्माण का बयान करने के मूड में नहीं। राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर यह भी सवाल उठाया जाता है कि कोई व्यक्ति किसी अपराध का अभियुक्त है तो उसकी सजा पूरे परिवार को क्यों दी जाए? शायद यही वजह ही है जोकि शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे ताकि अचल संपत्तियों को विध्वंस होने से बचाया जा सके और इस मुद्दे पर पूरे देश के लिए एक ठोस दिशा-निर्देश जारी किया जा सके।

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