Tuesday 17 September 2024

केजरीवाल का चुनाव पर क्या असर होगा


सियासत के गलियारों में इन दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की चर्चा जोरों पर है। वैसे तो मुख्य मुकाबला कांग्रेsस और भाजपा के बीच माना जा रहा है पर जेजेपी, इनेलो और आम आदमी पार्टी यानि आप के अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर कांग्रेस और भाजपा में से किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो उस स्थिति में इन छोटे दलों और निर्दलीयों की भूमिका इस चुनाव में महत्वपूर्ण हो जाएगी। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब तिहाड़ से बाहर आ गए हैं। इस साल मार्च में ईडी ने केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई ने भी जून में सीएम केजरीवाल को तिहाड़ में ही गिरफ्तार कर लिया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दे दी। ऐसे में अब अरविंद केजरीवाल का हरियाणा विधानसभा चुनावों में कितना असर पड़ेगा? 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी। मगर पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी को 3.9 फीसदी वोट मिले थे। दरअसल विश्लेषकों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की हरियाणा में स्ट्रैंथ बहुत ज्यादा नहीं है, यह बात केजरीवाल खुद भी जानते हैं। पिछली बार जब चुनाव हुए थे तो उनको 0.5 फीसदी वोट मिले थे और इस बार जब कांग्रेस के साथ गठबंधन का विचार हो रहा था तो शुरू में आम आदमी पार्टी ने खुद 10 सीटें मांगी थीं और कांग्रेस उनको केवल 5 सीटों का ऑफर दे रही थी। पर अचानक आम आदमी पार्टी ने न केवल कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ दिया और राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। सवाल यह उठ रहा है कि ऐसा केजरीवाल ने क्यों किया? क्या आम आदमी पार्टी यह भाजपा के कहने पर कर रही है ताकि कांग्रेsस के वोट काटे जा सकें? इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि पहले दिन प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के घर गणेश वंदना करने जाते हैं और ठीक उसके अगले दिन केजरीवाल को जमानत मिल जाती है? क्या केजरीवाल और भाजपा नेतृत्व में कोई डील हुई है? वैसे हमारा मानना है कि केजरीवाल की पार्टी के उम्मीदवार दोनों कांग्रेस और भाजपा के वोट काट सकते हैं। हरियाणा में भाजपा का वोटर शहरी माना जाता है। आप पार्टी का भी जनाधार ब्राह्मणों और वैश्य समुदाय में ज्यादा है। केजरीवाल खुद वैश्य समुदाय से आते हैं। इस लिहाज से तो आप पार्टी भाजपा के शहरी वोट काटेगी। पर ऐसा नहीं कि कांग्रेsस को इसका नुकसान नहीं होगा। उनके भी वोट काट सकती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि केजरीवाल को ज्यादा चिंता अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली चुनाव की है। वह कांग्रेस के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार का गठबंधन नहीं करना चाहते। देखना यह होगा कि केजरीवाल और उनके नेता, कार्यकर्ता अब हरियाणा में क्या रुख अपनाते हैं। हमें ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। बहुत जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।

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