Saturday, 21 September 2024

आतिशी ही क्यों

बिहार में नीतीश कुमार ने जब मई 2014 में अपने पद से इस्तीफा दिया तो सीएम पद के लिए जीतन राम मांझी पर भरोसा किया। झारखंड में हेमंत सोरेन ने जनवरी 2024 में जेल जाने से पहले यही भरोसा चंपई सोरेन पर किया और वो सीएम बनाए गए। लेकिन जब नीतीश और हेमंत की सत्ता में वापसी हुई तो जीतन राम मांझी, चंपई सोरेन ने अपनी राहें अलग कर लीं और भाजपा से हाथ मिला लिया। अब दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल ने जब सीएम पद से इस्तीफा देने का फैसला किया तो भरोसा आतिशी पर किया है। सवाल यह है कि नीतीश और हेमंत के साथ हुए मामलों को देखते हुए भी केजरीवाल ने आतिशी पर भरोसा क्यों किया? हालांकि उनके जेल जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय हो गई थीं पर केजरीवाल ने आतिशी को चुना। आम आदमी पार्टी (आप) नेता सोमनाथ भारती ने द हिन्दू अखबार से कहाö जब अरविंद जी और मनीष जी जेल में थे। तब आतिशी ने पार्टी से जुड़े मसलों को संभालने के मामले में अपना लोहा मनवाया है। अरविन्द और सिसोदिया के निर्देशों को आतिशी ही विधायकों, पार्षदों तक पहुंचाती रही थी। इसके अलावा आतिशी पार्टी में महिला चेहरा भी हैं। विधायक संजीव झा कहते हैं कि विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बाकी हैं। हम पार्टी में कुछ बदलाव नहीं करना चाहते थे। आतिशी को इसलिए चुना गया क्योंकि वो अभी सबसे ज्यादा विभागों को संभाल रही थीं। आतिशी को गवर्नेंस की अच्छी समझ भी है। एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहाö आतिशी को चुना जाना स्वाभाविक था क्योंकि वो भरोसेमंद है और कभी भी पार्टी के खिलाफ नहीं गई है। केजरीवाल खुद आईआईटी ग्रेजुएट हैं और वो हमेशा पढ़े लिखे लोगों के साथ काम करना चाहते हैं। आतिशी बहुत पढ़ी लिखी महिला हैं। उनकी पढ़ाई दिल्ली के प्रिंगडेल्स स्कूल से हुई है। ग्रेजुएशन दिल्ली के सेंट स्टीफंस कालेज से हुई। फिर प्रतिष्ठित चिवनिंग स्कॉलरशिप मिली। आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। बताते हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर कुछ लोग आतिशी को ऑक्सफोर्ड रिटर्न भी कहकर पुकारते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार आतिशी डेवलपमेंट सेक्टर में लौटना चाहती थीं मगर केजरीवाल ने ऐसा होने नहीं दिया और उन्हें पार्टी के साथ जुड़े रहने को कहा। आतिशी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की करीबी रही थीं। योगेन्द्र यादव को बाद में पार्टी से निकाल दिया गया, प्रशांत भूषण भी अलग हो गए पर आतिशी पार्टी में बनी रहीं। कहा जाता है कि आतिशी के जरिए ही जेल से केजरीवाल दिल्ली सरकार चला रहे थे। आतिशी 2013 में पार्टी से जुड़ीं और 2015 से लेकर 2015 तक शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहाकर के तौर पर काम किया। उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को दिशा सुधारने, स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों के गठन और निजी स्कूलों को बेहिसाब फीस बढ़ोतरी से रोकने के लिए कड़े नियम बनाए। गोपाल राय ने 17 सितम्बर को जब आतिशी के सीएम चुने जाने की जानकारी मीडिया को दी तो कहा, आतिशी मुश्किल हालात में दिल्ली की सीएम बन रही हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान की बुनियाद पर बनी आम आदमी पार्टी (आप) में आतिशी एक बेदाग चेहरा हैं। सीएम के ऐलान के बाद आतिशी बोलीं जब तक मैं सीएम हूं। मेरा एक ही मकसद है कि अरविन्द केजरीवाल को बेदाग सीएम बनाना है। मैं अरविन्द केजरीवाल के मार्गदर्शन में काम करूंगी। मैं आज दिल्ली की दो करोड़ जनता की तरफ से से भी कहना चाहूंगी ]िक दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविन्द केजरीवाल है। आतिशी को नए पद ग्रहण करने की बधाई।

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