Wednesday 26 July 2017

क्लाइमैक्स की ओर बढ़ती बिहार की पटकथा का अंतिम अध्याय

बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के परिजनों के घरों पर सीबीआई के छापे से आई अनिश्चितता थमने का नाम नहीं ले रही। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विरोधाभासी संकेत दे रहे हैं। कभी कहते हैं कि महागठबंधन कायम रखने के लिए आरोपों से घिरे लालू यादव के बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का इस्तीफा जरूरी है तो इस सियासी संकट को सुलझाने के लिए कभी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिल रहे हैं तो कभी उनके सिपहसालार बयानबाजी कर रहे हैं और पोस्टर वार शुरू कर रहे हैं। पटना में राजद और जदयू के बीच छिड़ी तकरार अब पोस्टर वार में बदल गई है। राजधानी के आयकर गोलंबर और विधानसभा के निकट लगाए गए पोस्टरों पर जदयू प्रवक्ताओं पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया गया है। पोस्टर के नीचे लिखा है कि नीतीश जी के मना करने के बाद भी यह लोग बाज नहीं आ रहे हैं। यह सब सुशील मोदी के इशारे पर हो रहा है। इस मामले में संजय सिंह ने कहा कि होर्डिंग्स लगाने से कोई सच को दबा नहीं सकता है। जदयू सच को सामने लाने के लिए आवाज उठाता रहेगा। सच के लिए हमें सौ बार भी गर्दन कटानी पड़े तो हम कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेंगे। मैं अपनी पार्टी का प्रवक्ता हूं, सच बोलता रहूंगा। इधर नई दिल्ली में जब नीतीश कुमार राहुल गांधी से मिले तो दोनों के बीच कोई तीसरा नहीं था। मतलब साफ था कि नीतीश और राहुल आपस में तमाम मुद्दों पर खुलकर बात करना चाहते थे। सूत्रों के अनुसार नीतीश ने राहुल से साफ कहा कि वह गठबंधन के साथ रहना चाहते हैं और 2019 में विपक्षी एकता को मजबूत रखना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने राहुल को समझाने की कोशिश की कि इन कोशिशों के बीच मोदी के मुकाबले की धारणा पर भी कमजोर होने की जरूरत नहीं है। सूत्रों के अनुसार राहुल और नीतीश के बीच यह आम राय बनी कि भले ही तेजस्वी इस्तीफा देने की हड़बड़ी न दिखाएं लेकिन उन पर लगे आरोपों का वह बिन्दुवार जवाब दें और ऐलान कर दें कि अगर उनके खिलाफ सबूत सामने आते हैं या चार्जशीट होती है तो वे खुद पद छोड़ देंगे। लेकिन अब लालू प्रसाद और तेजस्वी से बात करने की जिम्मेदारी कांग्रेस की होगी। नीतीश बुरे फंसे हैं। उनकी मुश्किल यह है कि अगर वह तेजस्वी और तेज प्रताप को मंत्रिमंडल से बाहर करते हैं तो उनका मुख्य सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल उनसे अलग हो सकता है। इस तरह न सिर्फ उनकी सरकार अल्पमत में आ जाएगी, बल्कि जिन सिद्धांतों पर उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन बनाया था और भाजपा को सत्ता से बाहर रखने में कामयाबी हासिल की थी, वह कहीं हाशिये पर न चली जाए। राजद के 80 विधायक नीतीश के साथ हैं। हालांकि सुशील मोदी बहुत पहले ऐलान कर चुके हैं कि नीतीश कुमार पर संकट नहीं आने देंगे। सरकार चलाने में उनकी मदद करेंगे। इशारा साफ है कि उन्हें भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलानी होगी। भाजपा ने यह भी साफ-साफ चेतावनी दी है कि अगर नीतीश ने तेजस्वी और तेज प्रताप का इस्तीफा नहीं लिया तो वह आगामी विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। अगर तेजस्वी यादव अपनी बेगुनाही के सबूत को सार्वजनिक नहीं कर पाए तो 28 जुलाई से हफ्तेभर चलने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में पक्ष-प्रतिपक्ष की अग्नि-परीक्षा तय है। लालू परिवार पर संकट के बाद बिहार के सियासी हालात बता रहे हैं कि सदन के अंदर और बाहर महासंग्राम की पटकथा अंतिम अध्याय तक पहुंच चुकी है। तेजस्वी के पास खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वक्त काफी कम है।

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