Friday 21 July 2017

हर स्थिति के अनुकूल वेंकैया नायडू

नामांकन की आखिरी तारीख के एक दिन पहले राजग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का चयन कर इस बार विपक्ष को चौंकाया तो नहीं, लेकिन उसकी ओर से पेश चुनौती को आसानी से पार करने का संदेश अवश्य दे दिया। वैसे भाजपा नेतृत्व ने इस बार राष्ट्रपति चुनाव की तरह चौंकाने वाला नाम देने के बजाय पहले से ही चर्चा में रहे वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। नायडू का 25 साल लंबा संसदीय इतिहास व अनुभव उनके पक्ष में गया। दरअसल राज्यसभा के चार बार सांसद व संसदीय कार्यमंत्री रहे वेंकैया नायडू को संसदीय अनुभव व सदन चलाने की बारीकियों का पता है। चूंकि राज्यसभा में राजग का बहुमत नहीं है और अक्सर विपक्ष सरकार के लिए सदन चलाने से लेकर सरकारी कामकाज में बाधा डालता है। ऐसे में उपराष्ट्रपति के पदेन राज्यसभा सभापति होने से सरकार को सदन चलाने में आसानी होगी। उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए भाजपा को दक्षिण का चेहरा, संविधान की जानकारी और हिन्दुत्व से जुड़ाव को भी पैमाना बनाना था। दक्षिण राज्यों से चेहरा बनाने पर सहमति के बाद नायडू इस खांचे में पूरी तरह फिट बैठे। उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा में जिन तीन नामों पर चर्चा हुई वे सभी दक्षिण भारत से थे। इसमें वेंकैया आंध्रप्रदेश से हैं। उनके उपराष्ट्रपति बनने से पार्टी को तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र और तमिलनाडु में फायदा होगा। अगले दो साल में कर्नाटक, आंध्र और तेलंगाना में चुनाव हैं। 2019 आम चुनाव के लिए भी एक रास्ता तैयार होगा। वेंकैया के उपराष्ट्रपति बनने से कई मंत्रालय खाली हो गए हैं। वेंकैया के पास शहरी विकास और सूचना प्रसारण मंत्रालय थे। मनोहर पर्रिकर के सीएम बनने के बाद से जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का प्रभार है। अनिल माधव के निधन के बाद हर्षवर्धन पर्यावरण मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। नायडू दक्षिण भारत के उन चन्द चुनिन्दा नेताओं में हैं जो अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी और हिन्दी में समान रूप से दक्ष हैं। वह अपनी खास भाषण शैली के लिए तो जाने ही जाते हैं। देशभर में अपनी पहचान भी रखते हैं। वेंकैया नायडू की एक खासियत यह भी है कि उनके सभी राजनीतिक दलों से दोस्ताना संबंध हैं। ऐसे संबंध राज्यसभा को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेंगे। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि खुद वेंकैया इस फैसले से कितने प्रसन्न होंगे। क्योंकि सक्रिय राजनीति से अब उन्हें हटना पड़ेगा। विपक्ष ने गोपाल गांधी को अपना उम्मीदवार पहले ही चुन लिया था। पूर्व नौकरशाह, राजनयिक और राज्यपाल के रूप में उनकी बेशक अपनी प्रतिष्ठा है, छवि है पर वेंकैया नायडू कहीं अधिक फिट हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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