Sunday, 16 July 2017

दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने के प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

किसी अपराध में अदालत से दोषी ठहराए गए व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाने के मसले पर रुख साफ न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बुधवार को कड़ी फटकार लगाई। आयोग को आड़े हाथों लेते हुए अदालत ने कहा कि उसे अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। वह ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर खामोश कैसे रह सकता है? न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दोषी व्यक्ति को चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाए जाने की मांग की है। पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील से कहा कि वह इस पर अपना रुख साफ क्यों नहीं करते कि वे दो वर्ष या उससे अधिक की सजा पाए दोषी के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाए जाने का समर्थन करते हैं कि नहीं? वकील ने कहा कि चुनाव आयोग याचिका में राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त किए जाने की बात का समर्थन करता है। जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बैंच ने पूछाöक्या आप विधायिका के सामने लाचार महसूस कर रहे हैं? अगर हां तो साफ बता दें। आयोग स्पष्ट बताए कि वह इस मांग के समर्थन में है या नहीं? सरकार ने अपने जवाब में कह दिया है कि इसमें न्यायालय को दखल देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून में इसका प्रावधान है। किन्तु आयोग ने इस पर कुछ कहने से परहेज किया। उसने केवल यह कहा कि राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने के वह पक्ष में है। चुनाव आयोग को हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकार से विवश करने की कोशिश भी की। देखते हैं कि अगली सुनवाई में चुनाव आयोग क्या जवाब देता है? किन्तु यह प्रश्न गंभीर है। सजा प्राप्त जनप्रतिनिधियों के अभी कैद की अवधि समाप्त होने के छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है। याचिका में इसे ही आजीवन प्रतिबंध में बदलने की मांग की गई है। हमारी राय में राजनीति को अपराधियों से मुक्त करना है तो कानून में ऐसे संशोधन करने ही चाहिए। अगर आज इस मुद्दे पर जनता में सर्वेक्षण करा लिया जाए तो इसके पक्ष में निश्चित रूप से बहुमत खड़ा होगा। पर जहां तक राजनेताओं और पार्टियों का सवाल है वह ऐसा संशोधन नहीं चाहेंगे। दरअसल इस हमाम में सभी नंगे हैं। कोई भी पार्टी अपराधियों से अछूत नहीं है। उनका प्रमुख मकसद सीट जीतना होता है और इसके लिए जो भी उम्मीदवार उन्हें सबसे ज्यादा मजबूत दिखे उसे टिकट देने में हिचकिचाते नहीं भले ही वह क्रिमिनल क्यों न हो? हम सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों की सराहना करते हैं पर संदेह है कि वह अदालत की बात मानें।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment