Wednesday 12 July 2017

जीएसटी आधी-अधूरी तैयारी के साथ लागू कर दिया गया है

जीएसटी लागू होने के 11 दिन बाद भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ग्राहकों से लेकर दुकानदार, कपड़ा व्यापारी सभी दुविधा में हैं। सूरत में लाखों व्यापारी सड़कों पर उतर आए हैं और सभी को अपने भविष्य की चिन्ता सता रही है। जीएसटी के खिलाफ कपड़ा और मार्बल व्यापारियों की हड़ताल जारी है और इसकी वजह से हजारों दिहाड़ी मजदूरों को खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं। अगर हम सिर्फ दिल्ली के चांदनी चौक की बात करें तो बीते महीने में करीब 25000 ढुलाई मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। जबकि दूसरे बाजारों में घटी सप्लाई ने भी हजारों दिहाड़ी मजदूरों की रोजी-रोटी छीनने का काम किया है। दिल्ली में कपड़ा व्यापारियों ने शुक्रवार और शनिवार की हड़ताल के बाद कल भी दुकानें बंद रखीं हालांकि कुछ दुकानें जरूर खुल गई हैं। 15 जून से मार्केट में सप्लाई घट गई थी जो 25 जून तक आधी रह गई। व्यापारियों की नाराजगी सरकार से है, जिसने विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया कि जीएसटी के तहत किन सामानों की दरें बढ़ रही हैं और किन की कम। एक ओर जहां टीवी-एलईडी की ख्वाहिश में दुकानों के चक्कर लगा रहे ग्राहक मायूस हो रहे हैं। वहीं टूथपेस्ट, साबुन, तेल, कॉपी-किताबों की महंगाई भी उन्हें रास नहीं आ रही। इलैक्ट्रॉनिक, स्टेशनरी, इलैक्ट्रिकल, एफएमसीजी, रीयल एस्टेट, सर्राफा कारोबारी तक व्यापार ठप होने से नाराज हैं। स्कूल की स्टेशनरी पर टैक्स पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत तक कर दिया गया है। यह कहना स्टेशनरी व्यापारियों का है। उन्होंने विसंगतियों के बारे में बताया कि कलर बुक खरीदने पर कोई टैक्स नहीं है। लेकिन उसे रंगने के लिए अगर आप कलर खरीदते हैं तो 28 प्रतिशत टैक्स भरना पड़ेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसे ही पेन्सिल पर 12 प्रतिशत जीएसटी तो पेन्सिल बॉक्स पर 28 प्रतिशत टैक्स रखा गया है। अब व्यापारियों के साथ समस्या यह है कि पीक सीजन में कारोबार ठप हो गया है। पुराना सामान बिक नहीं रहा, नए की खरीददारी नहीं हो पा रही है। मैंने स्टेशनरी व स्कूली किताबों इत्यादि का एक उदाहरण पेश किया है। ऐसी ही स्थिति तमाम क्षेत्रों में बनी हुई है। बेशक जीएसटी के दूरगामी प्रभाव अच्छे रहेंगे पर इसके लागू करने में बहुत कंफ्यूजन है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि किस वस्तु पर क्या टैक्स लगेगा, पेपर पर काम इतना बढ़ गया है कि लोगों को समझ नहीं आ रहा कि उन्हें कौन-सी रिटर्न कैसे भरनी है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में स्थिति सुधरे।

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