Saturday 17 February 2024

भारत रत्न और चुनावी समीकरण


कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के बाद मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और भारत में हरित क्रांति के अगुवा कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। चौधरी चरण सिंह देश के छठे प्रधानमंत्री थे। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा था। 25 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री की शपथ लेने के 170 दिनों बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था क्योंकि वह सदन में अपनी सरकार का बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। चौधरी चरण सिंह किसान नेता थे। पीवी नरसिम्हा राव देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक प्रधानमंत्री रहे नरसिम्हा राव को भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भारत में बड़े आर्थिक सुधारों को अंजाम दिया। डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुवा माना जाता है। उन्होंने 1960 और 1970 के दशक में भारतीय कृषि में बेहद क्रांतिकारी तकनीकों को आजमाया और खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। सिर्फ एक पखवाड़े के भीतर ही कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान को चुनावी राजनीति से जोड़ा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, प्रधानमंत्री का दांव पूरी तरह चुनावी है। चुनाव आते ही कर्पूरी ठाकुर याद आ गए। जिन आडवाणी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने तक नहीं दिया गया, उन्हें भारत रत्न दे दिया गया। मोदी जी ने पिछले दिनों परिवारवाद पर बयान दिया और कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी बताने की कोशिश की। विश्लेषकों को मानना है कि शायद मोदी नरसिम्हा राव के लिए भारत रत्न का ऐलान करके ये जताना चाहते हैं कि कांग्रेस सिर्फ परिवार को तवज्जों देती है। भाजपा ये दिखाना चाहती है कि नरसिम्हा राव काबिल प्रधानमंत्री थे लेकिन सोनिया गांधी ने उनका अपमान किया। भाजपा जताना चाहती है कि कांग्रेस सिर्फ परिवारवाद की वजह से जिन काबिल प्रधानमंत्री का अपमान कर रही थी, भाजपा उनका सम्मान कर रही है। विश्लेषक यह भी कहते हैं कि मोदी इस बार 400 सीटों के पार की बात कर रहे हैं। लेकिन राम मंदिर, साम्प्रदायिकता के प्रचार, कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी और भारी भरकम प्रचार-प्रसार के बावजूद वो अलग-अलग समुदायों को खुश करने के लिए भारत रत्न दे रहे हैं। उनका मानना है कि भाजपा अगर छोटी-छोटी पार्टी से गठबंधन की कोशिश करती दिख रही है तो ये साफ है कि उसे कहीं न कहीं चुनाव में झटका लगने की आशंका सत्ता रही है। शायद ये चुनावी गोलबंदी इसलिए की जा रही है। भारत रत्न देने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 18 (1) में है। 1954 में इस पुरस्कार की स्थापना हुई और नियमों के मुताबिक एक साल में तीन ही पुरस्कार दिए जाते हैं लेकिन मोदी सरकार ने इस बार देश की पांच हस्तियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। विश्लेषक कहते हैं कि ये भारत रत्न नहीं चुनाव रत्न है। ये चुनावी समीकरण साधने के लिए दिए गए हैं। कर्पूरी ठाकुर को सम्मान देने के लिए नीतीश कुमार की सरकार पलट गई। उसी तरह चौधरी चरण सिंह के ऐलान के बाद आरएलडी के जयंत चौधरी भाजपा गठबंधन में आ गए। स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान कर उन्होंने प्रतीकवाद की राजनीति की है। वह कह रहे हैं जो लोग किसानों के सबसे बड़े हितैषी थे उनको हमारी सरकार ने देश का सर्वोच्च सम्मान दे दिया। किसानों को और क्या चाहिए। एमएस स्वामीनाथन का सम्मान करना और उनकी सिफारिशों को न लागू करना एक तरह की प्रतीकवाद की राजनीति ही कही जाएगी।

      -अनिल नरेन्द्र


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