Saturday 3 February 2024

पीएफआईं के 15 कार्यंकर्ताओं को सजा-ए-मौत

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् को सजा-ए-मौत केरल की एक अदालत ने दिसम्बर 2021 में अलप्पुझा में बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के नेता रंजीत श्रीनिवासन की हत्या के मामले में प्रातिबंधित संगठन पीएफआईं से जुड़े 15 लोगों को मंगलवार को मौत की सजा सुनाईं। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मावेलिक्कारा वीजी श्रीदेवी ने दोषियों को सजा सुनाईं। मारे गए श्रीनिवासन के परिवार और बीजेपी ने पैसले का स्वागत किया। पाटा ने श्रीनिवासन को महान शहीद बताते हुए कहा कि उन्हें आज न्याय मिल गया। बीजेपी को ओबीसी मोर्चा के प्रादेश सचिव श्रीनिवासन पर 19 दिसम्बर 2021 को उनके परिवार के सामने पीएफआईं और सोशल डेमोव््रोटिक पाटा ऑफ इंडिया (एसडीपीआईं) से जुड़े कार्यंकर्ताओं ने उनके घर पर बेहरहमी से हमला कर उनकी हत्या कर दी थी। अभियोजक के अनुसार अदालत ने पाया कि 15 में से आठ आरोपी सीधे-सीधे मामले में शामिल थे। अदालत ने चार लोगों को भी हत्या का दोषी पाया क्योंकि वे अपराध में सीधे तौर पर शामिल लोगों के साथ घातक हथियारों से लैस होकर घटनास्थल पर पहुंचे थे, जिसका उद्देश्य श्रीनिवासन को भागने से रोकना और उसकी चीखें सुनकर घर में प्रावेश करने वाले किसी व्यक्ति को रोकना था। अदालत ने इस अपराध की साजिश रचने वाले तीन लोगों को भी हत्या का दोषी पाया। नतीजतन अदालत ने मामले के सभी 15 आरोपियों को सजाए-मौत सुनाईं। रंजीत श्रीनिवासन की हत्या में दोषियों को सजा सुनाते समय कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा, यह एक सुनियोजित हत्या थी और इसकी तैयारी महीनों पहले शुरू हो गईं होगी। हमारा विचार है कि असहाय पीिड़त ने कभी भी आरोपी को उकसाया नहीं था और अपराध का अंजाम पूर्व नियोजित था। अदालत ने राज्य सरकार की रिपोर्ट पर भी विचार किया, जिससे पता चलता है कि दोषी व्यक्ति कट्टर अपराधी है और सुधार की कोईं संभावना नहीं है। इस बात की संभावना बहुत कम है कि आरोपियों को सुधारा जा सके और उनका पुनर्वास किया जा सके। उन्होंने अपने अपराध के लिए कोईं भी पाताप नहीं दिखाया। इसलिए, इसके सुधार और पुनर्वास की संभावना को कम करने वाली परिस्थिति नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने 242 पन्नों के आदेश में कहा, यह सच है कि यह दिखाने के लिए कोईं रिकार्ड नहीं है कि आरोपी को पहले दोषी ठहराया गया था। सबसे महत्वपूर्ण पहल यह है कि जघन्य अपराध सबसे सुरक्षित जगह यानि पीिड़त के घर में उसकी मां, पत्नी और नाबालिग बच्चे की उपस्थिति में किया गया था। यह सब अपराध की व््राूरता को दर्शाता है। मामले में दोषी करार दिए लोगों में नैसम, अजमल, अनूप, मोहम्मद असलम, अब्दुल कलाम, जफरुद्दीन, मनशाद, जसीबा राजा, नवास, समीर, नजीर, जाकिर हुसैन, शाजी पूवनथुंगल और शेरनाम अशरफ शामिल हैं। ये सभी पीएफआईं और सोशल डेमोव््रोटिक पाटा ऑफ इंडिया (एसडीपीआईं) से जुड़े हुए थे। श्रीनिवासन की पत्नी ने कहा था घटना की ईंमानदारी से जांच करने के लिए अभियोजन और जांच अधिकारियों के प्राति आभार व्यक्त करते हैं, जिसके चलते दोषियों को अधिकतम सजा हुईं। आखिरकार सत्य की जीत हुईं। ——अनिल नरेन्द्र

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