Saturday 10 February 2024

लोकतंत्र की हत्या स्वीकार नहीं


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित धांधली के कारण दोबारा मतदान की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वह वीडियो भी देखा जिसमें कथित तौर पर निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह मतपत्रों से छेड़छाड़ करते दिख रहे हैं। वीडियो देखकर कोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में कहा, यह साफ देखा जा सकता है कि निर्वाचन अधिकारी मतपत्रों को खराब कर रहे हैं। कोई ऐसा कैसे कर सकता है? हम यह देखकर हैरान है। यह लोकतंत्र का मजाक है, लोकतंत्र की हत्या है। कोर्ट ने पूछा निर्वाचन अधिकारी कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं और भगोड़े की तरह क्यों भाग रहे हैं? उन्हें बताएं कि अब सुप्रीम कोर्ट उन पर नजर रख रहा है। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी। सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ आप के मेयर पद के प्रत्याशी कुलदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव से जुड़े दस्तावेज हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जमा करने का आदेश दिया। मतपत्र वीडियोग्राफी सुरक्षित रखने का आदेश देते हुए कहा, मेयर चुनाव की पूरी प्रक्रिया का वीडियो पेश किया जाए। चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा, मामले में अंतरिम आदेश की जरूरत थी, जिसे देने में हाईकोर्ट विफल रहा। हाईकोर्ट ने मतपत्र सुरक्षित रखने का आदेश नहीं दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट न sकहा, हम इस तरह से लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। देश में स्थिरता लाने वाली सबसे बड़ी ताकत चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता है। अगर जरूरत पड़ी तो हम चंडीगढ़ मेयर पद का चुनाव दोबारा करवाने पर भी विचार करेंगे। कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, निर्वाचन अधिकारी से कहिए कि हमें बताएं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? हम उन्हें नोटिस जारी कर रहे हैं। उनको अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहना होगा। चुनाव आप-कांग्रेस ने मिलकर लड़ा। इनके मेयर प्रत्याशी को 20 और भाजपा को 16 वोट मिले। निर्वाचन अधिकारी ने आप-कांग्रेस के 8 वोट रद्द कर भाजपा को विजयी घोषित किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि वीडियो में एकतरफा तस्वीर दिखाई गई है। आग्रह है कि कोर्ट को पूरे रिकार्ड देखने के बाद ही व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर फैसला देना चाहिए। चुनाव में मतदान की प्रक्रिया और नतीजों में गड़बड़ी की शिकायतें लंबे समय से आती रही हैं। आजकल ईवीएम को लेकर भी भारी विवाद छिड़ा हुआ है। अतीत में मतपत्रों के जरिए होने वाले चुनावों में घोटालों को देखते हुए ईवीएम से मतदान की व्यवस्था बनी। मगर जब इस ईवीएम में धांधली होने की शिकायतें आने लगी तो इसको बैन करने की मांग जोरों पर उठ रही हैं। अगर चुनाव प्रक्रिया में ही स्वच्छता और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तो उसके नतीजों के आधार पर बने शासन के केंद्रों को कैसे लोकतांत्रिक और ईमानदार कहा जा सकता है? इसलिए सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी की अपनी अहमीयत है कि देश में स्थिरता लाने की सबसे एहम शक्ति चुनाव प्रक्रिया की शुचिता है। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश क्या देता है? क्योंकि हाल में देखा गया है कि टिप्पणियां तो बहुत सख्त होती हैं पर फैसला उसके विपरीत ही आता है। उम्मीद करते है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सख्ती से निपटेगा और चुनावों का निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदिर्शता बनाने का फैसला देगी।

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